< व्यवस्था विवरण 28 >

1 “यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा की सब आज्ञाएँ, जो मैं आज तुझे सुनाता हूँ, चौकसी से पूरी करने को चित्त लगाकर उसकी सुने, तो वह तुझे पृथ्वी की सब जातियों में श्रेष्ठ करेगा।
Mais si tu écoutes la voix du Seigneur ton Dieu, en sorte que tu pratiques et que tu gardes tous ses commandements que moi, je te prescris aujourd’hui, le Seigneur ton Dieu t’élèvera au-dessus de toutes les nations qui sont sur la terre.
2 फिर अपने परमेश्वर यहोवा की सुनने के कारण ये सब आशीर्वाद तुझ पर पूरे होंगे।
Et toutes ces bénédictions viendront sur loi, et elles te saisiront, si cependant tu écoutes ses préceptes.
3 धन्य हो तू नगर में, धन्य हो तू खेत में।
Béni tu seras dans la ville et béni dans la campagne;
4 धन्य हो तेरी सन्तान, और तेरी भूमि की उपज, और गाय और भेड़-बकरी आदि पशुओं के बच्चे।
Béni sera le fruit de ton ventre, le fruit de ta terre et le fruit de tes bestiaux; tes troupeaux de gros bétail, et les parcs de tes brebis;
5 धन्य हो तेरी टोकरी और तेरा आटा गूँधने का पात्र।
Bénis tes greniers, bénie ta surabondance.
6 धन्य हो तू भीतर आते समय, और धन्य हो तू बाहर जाते समय।
Béni tu seras entrant et sortant.
7 “यहोवा ऐसा करेगा कि तेरे शत्रु जो तुझ पर चढ़ाई करेंगे वे तुझ से हार जाएँगे; वे एक मार्ग से तुझ पर चढ़ाई करेंगे, परन्तु तेरे सामने से सात मार्ग से होकर भाग जाएँगे।
Le Seigneur fera que tes ennemis qui s’élèvent contre toi, tomberont en ta présence: ils viendront par une seule voie contre toi, et c’est par sept qu’ils s’enfuiront devant ta face.
8 तेरे खत्तों पर और जितने कामों में तू हाथ लगाएगा उन सभी पर यहोवा आशीष देगा; इसलिए जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है उसमें वह तुझे आशीष देगा।
Le Seigneur enverra la bénédiction sur tes celliers et sur toutes les œuvres de tes mains, et il te bénira dans la terre que tu auras reçue.
9 यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञाओं को मानते हुए उसके मार्गों पर चले, तो वह अपनी शपथ के अनुसार तुझे अपनी पवित्र प्रजा करके स्थिर रखेगा।
Il se suscitera en toi un peuple saint, comme il t’a juré, si tu gardes les commandements du Seigneur ton Dieu, et si tu marches dans ses voies.
10 १० और पृथ्वी के देश-देश के सब लोग यह देखकर, कि तू यहोवा का कहलाता है, तुझ से डर जाएँगे।
Et tous les peuples de la terre verront que le nom du Seigneur est invoqué sur toi, et ils te craindront.
11 ११ और जिस देश के विषय यहोवा ने तेरे पूर्वजों से शपथ खाकर तुझे देने को कहा था, उसमें वह तेरी सन्तान की, और भूमि की उपज की, और पशुओं की बढ़ती करके तेरी भलाई करेगा।
Le Seigneur te fera abonder en tous biens, en fruit de ton sein, en fruit de tes bestiaux, et en fruit de la terre, que le Seigneur a juré à tes pères qu’il te donnerait.
12 १२ यहोवा तेरे लिए अपने आकाशरूपी उत्तम भण्डार को खोलकर तेरी भूमि पर समय पर मेंह बरसाया करेगा, और तेरे सारे कामों पर आशीष देगा; और तू बहुतेरी जातियों को उधार देगा, परन्तु किसी से तुझे उधार लेना न पड़ेगा।
Le Seigneur ouvrira son excellent trésor, le ciel, pour qu’il donne la pluie à ta terre en son temps; et il bénira toutes les œuvres de tes mains. Et tu prêteras à un grand nombre de nations, et toi-même tu ne recevras de prêt de personne.
13 १३ और यहोवा तुझको पूँछ नहीं, किन्तु सिर ही ठहराएगा, और तू नीचे नहीं, परन्तु ऊपर ही रहेगा; यदि परमेश्वर यहोवा की आज्ञाएँ जो मैं आज तुझको सुनाता हूँ, तू उनके मानने में मन लगाकर चौकसी करे;
Le Seigneur t’établira la tête, et non la queue; et tu seras toujours au-dessus, et non au-dessous, si cependant tu écoutes les commandements du Seigneur ton Dieu, que moi, je te prescris aujourd’hui; si tu les gardes et les pratiques,
14 १४ और जिन वचनों की मैं आज तुझे आज्ञा देता हूँ उनमें से किसी से दाएँ या बाएँ मुड़कर पराए देवताओं के पीछे न हो ले, और न उनकी सेवा करे।
Et si tu ne t’en détournes ni à droite ni à gauche, et que tu ne suives pas des dieux étrangers, et que tu ne les serves point.
15 १५ “परन्तु यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा की बात न सुने, और उसकी सारी आज्ञाओं और विधियों के पालन करने में जो मैं आज सुनाता हूँ चौकसी नहीं करेगा, तो ये सब श्राप तुझ पर आ पड़ेंगे।
Que si tu ne veux point écouter la voix du Seigneur ton Dieu, afin de garder et de pratiquer tous ses commandements et toutes ses cérémonies, que moi, je te prescris aujourd’hui, toutes ces malédictions viendront sur toi et te saisiront.
16 १६ श्रापित हो तू नगर में, श्रापित हो तू खेत में।
Maudit tu seras dans la ville, maudit dans la campagne;
17 १७ श्रापित हो तेरी टोकरी और तेरा आटा गूँधने का पात्र।
Maudit ton grenier, et maudite ta surabondance;
18 १८ श्रापित हो तेरी सन्तान, और भूमि की उपज, और गायों और भेड़-बकरियों के बच्चे।
Maudit le fruit de ton ventre, et le fruit de ta terre, les troupeaux de tes bœufs et les troupeaux de tes brebis.
19 १९ श्रापित हो तू भीतर आते समय, और श्रापित हो तू बाहर जाते समय।
Maudit tu seras entrant, et maudit sortant.
20 २० “फिर जिस-जिस काम में तू हाथ लगाए, उसमें यहोवा तब तक तुझको श्राप देता, और भयातुर करता, और धमकी देता रहेगा, जब तक तू मिट न जाए, और शीघ्र नष्ट न हो जाए; यह इस कारण होगा कि तू यहोवा को त्याग कर दुष्ट काम करेगा।
Le Seigneur enverra sur toi la famine et la faim, et le blâme sur toutes tes œuvres, que tu feras, jusqu’à ce qu’il te brise et te perde soudain, à cause de tes inventions détestables, par lesquelles tu m’auras abandonné.
21 २१ और यहोवा ऐसा करेगा कि मरी तुझ में फैलकर उस समय तक लगी रहेगी, जब तक जिस भूमि के अधिकारी होने के लिये तू जा रहा है उस पर से तेरा अन्त न हो जाए।
Que le Seigneur ajoute contre toi la peste, jusqu’à ce qu’il t’ait entièrement exterminé de la terre dans laquelle tu entreras pour la posséder.
22 २२ यहोवा तुझको क्षयरोग से, और ज्वर, और दाह, और बड़ी जलन से, और तलवार, और झुलस, और गेरूई से मारेगा; और ये उस समय तक तेरा पीछा किए रहेंगे, जब तक तेरा सत्यानाश न हो जाए।
Que le Seigneur te frappe de l’indigence, de la fièvre et du froid, de la chaleur brûlante, de l’air corrompu, et de la nielle, et qu’il te poursuive, jusqu’à ce que tu périsses.
23 २३ और तेरे सिर के ऊपर आकाश पीतल का, और तेरे पाँव के तले भूमि लोहे की हो जाएगी।
Que le ciel qui est au-dessus de toi, soit d’airain, et la terre que tu foules, de fer.
24 २४ यहोवा तेरे देश में पानी के बदले रेत और धूलि बरसाएगा; वह आकाश से तुझ पर यहाँ तक बरसेगी कि तेरा सत्यानाश हो जाएगा।
Que le Seigneur donne pour pluie à ta terre de la poussière, et que du ciel descende sur toi de la cendre, jusqu’à ce que tu sois brisé.
25 २५ “यहोवा तुझको शत्रुओं से हरवाएगा; और तू एक मार्ग से उनका सामना करने को जाएगा, परन्तु सात मार्ग से होकर उनके सामने से भाग जाएगा; और पृथ्वी के सब राज्यों में मारा-मारा फिरेगा।
Que le Seigneur fasse que tu tombes devant tes ennemis; que tu sortes par une seule voie contre eux, et que ce soit par sept que tu fuies, et que tu sois dispersé dans tous les royaumes de la terre;
26 २६ और तेरा शव आकाश के भाँति-भाँति के पक्षियों, और धरती के पशुओं का आहार होगा; और उनको कोई भगानेवाला न होगा।
Et que ton cadavre serve de pâture à tous les oiseaux du ciel et aux bêtes de la terre, et qu’il n’y ait personne qui les chasse.
27 २७ यहोवा तुझको मिस्र के से फोड़े, और बवासीर, और दाद, और खुजली से ऐसा पीड़ित करेगा, कि तू चंगा न हो सकेगा।
Que le Seigneur te frappe de l’ulcère de l’Egypte, et qu’il frappe la partie du corps par laquelle sortent les excréments, de la gale aussi bien que de la démangeaison; en sorte que tu ne puisses être guéri.
28 २८ यहोवा तुझे पागल और अंधा कर देगा, और तेरे मन को अत्यन्त घबरा देगा;
Que le Seigneur te frappe de démence, d’aveuglement, et de la fureur d’esprit,
29 २९ और जैसे अंधा अंधियारे में टटोलता है वैसे ही तू दिन दुपहरी में टटोलता फिरेगा, और तेरे काम-काज सफल न होंगे; और तू सदैव केवल अत्याचार सहता और लुटता ही रहेगा, और तेरा कोई छुड़ानेवाला न होगा।
Et que tu tâtonnes à midi, comme a coutume de tâtonner l’aveugle dans les ténèbres, et que tu ne diriges point tes voies. Qu’en tout temps, tu sois en butte à la calomnie, que tu sois opprimé par la violence, et que tu n’aies personne qui te délivre.
30 ३० तू स्त्री से ब्याह की बात लगाएगा, परन्तु दूसरा पुरुष उसको भ्रष्ट करेगा; घर तू बनाएगा, परन्तु उसमें बसने न पाएगा; दाख की बारी तू लगाएगा, परन्तु उसके फल खाने न पाएगा।
Que tu prennes une femme, et qu’un autre dorme avec elle. Que tu bâtisses une maison, et que tu n’habites point en elle. Que tu plantes une vigne, et que tu ne la vendanges point.
31 ३१ तेरा बैल तेरी आँखों के सामने मारा जाएगा, और तू उसका माँस खाने न पाएगा; तेरा गदहा तेरी आँख के सामने लूट में चला जाएगा, और तुझे फिर न मिलेगा; तेरी भेड़-बकरियाँ तेरे शत्रुओं के हाथ लग जाएँगी, और तेरी ओर से उनका कोई छुड़ानेवाला न होगा।
Que ton bœuf soit immolé devant toi, et que tu n’en manges point. Que ton âne soit enlevé en ta présence, et qu’il ne te soit point rendu. Que tes brebis soient données à tes ennemis, et qu’il n’y ait personne qui te secoure.
32 ३२ तेरे बेटे-बेटियाँ दूसरे देश के लोगों के हाथ लग जाएँगे, और उनके लिये चाव से देखते-देखते तेरी आँखें रह जाएँगी; और तेरा कुछ बस न चलेगा।
Que tes fils et tes filles soient livrés à un autre peuple, tes yeux le voyant, et se desséchant tout le jour à leur aspect; et qu’il n’y ait point de force en ta main.
33 ३३ तेरी भूमि की उपज और तेरी सारी कमाई एक अनजाने देश के लोग खा जाएँगे; और सर्वदा तू केवल अत्याचार सहता और पिसता रहेगा;
Qu’un peuple que tu ignores mange les fruits de ta terre et tous tes travaux; et que tu sois toujours en butte à la calomnie, et opprimé tous les jours,
34 ३४ यहाँ तक कि तू उन बातों के कारण जो अपनी आँखों से देखेगा पागल हो जाएगा।
Et interdit par la frayeur des choses que verront tes yeux.
35 ३५ यहोवा तेरे घुटनों और टाँगों में, वरन् नख से शीर्ष तक भी असाध्य फोड़े निकालकर तुझको पीड़ित करेगा।
Que le Seigneur te frappe d’un ulcère très malin aux genoux et aux jambes; et que tu ne puisses être guéri depuis la plante du pied jusqu’au haut de ta tête.
36 ३६ “यहोवा तुझको उस राजा समेत, जिसको तू अपने ऊपर ठहराएगा, तेरे और तेरे पूर्वजों के लिए अनजानी एक जाति के बीच पहुँचाएगा; और उसके मध्य में रहकर तू काठ और पत्थर के दूसरे देवताओं की उपासना और पूजा करेगा।
Le Seigneur t’emmènera, toi et ton roi que tu auras établi sur toi, dans une nation que tu auras ignorée, toi et tes pères; et tu serviras là des dieux étrangers, du bois et de la pierre.
37 ३७ और उन सब जातियों में जिनके मध्य में यहोवा तुझको पहुँचाएगा, वहाँ के लोगों के लिये तू चकित होने का, और दृष्टान्त और श्राप का कारण समझा जाएगा।
Et tu seras perdu, devenant le brocard et la fable de tous les peuples chez lesquels t’aura introduit le Seigneur.
38 ३८ तू खेत में बीज तो बहुत सा ले जाएगा, परन्तु उपज थोड़ी ही बटोरेगा; क्योंकि टिड्डियाँ उसे खा जाएँगी।
Tu jetteras beaucoup de semence dans la terre, et tu en recueilleras peu, parce que les sauterelles dévoreront tout.
39 ३९ तू दाख की बारियाँ लगाकर उनमें काम तो करेगा, परन्तु उनकी दाख का मधु पीने न पाएगा, वरन् फल भी तोड़ने न पाएगा; क्योंकि कीड़े उनको खा जाएँगे।
Tu planteras une vigne et tu la laboureras; mais tu ne boiras pas de vin, et tu n’en recueilleras rien, parce qu’elle sera ravagée par les vers.
40 ४० तेरे सारे देश में जैतून के वृक्ष तो होंगे, परन्तु उनका तेल तू अपने शरीर में लगाने न पाएगा; क्योंकि वे झड़ जाएँगे।
Tu auras des oliviers dans tous tes confins, et tu ne t’oindras pas d’huile, parce qu’ils couleront et périront.
41 ४१ तेरे बेटे-बेटियाँ तो उत्पन्न होंगे, परन्तु तेरे रहेंगे नहीं; क्योंकि वे बन्धुवाई में चले जाएँगे।
Tu engendreras des fils et des filles, et tu n’en jouiras pas, parce qu’ils seront emmenés en captivité.
42 ४२ तेरे सब वृक्ष और तेरी भूमि की उपज टिड्डियाँ खा जाएँगी।
La rouille consumera tous tes arbres et les fruits de ta terre.
43 ४३ जो परदेशी तेरे मध्य में रहेगा वह तुझ से बढ़ता जाएगा; और तू आप घटता चला जाएगा।
L’étranger qui est avec toi dans ta terre s’élèvera au-dessus de toi, et sera plus puissant; mais toi, tu descendras et tu seras au-dessous.
44 ४४ “वह तुझको उधार देगा, परन्तु तू उसको उधार न दे सकेगा; वह तो सिर और तू पूँछ ठहरेगा।
Lui, te prêtera à usure, et toi, tu ne lui prêteras point. Lui sera la tête, et toi, tu seras la queue.
45 ४५ तू जो अपने परमेश्वर यहोवा की दी हुई आज्ञाओं और विधियों के मानने को उसकी न सुनेगा, इस कारण ये सब श्राप तुझ पर आ पड़ेंगे, और तेरे पीछे पड़े रहेंगे, और तुझको पकड़ेंगे, और अन्त में तू नष्ट हो जाएगा।
Et toutes ces malédictions viendront sur toi, elles te poursuivront et te saisiront, jusqu’à ce que tu périsses, parce que tu n’as pas écouté la voix du Seigneur ton Dieu, ni observé ses commandements et les cérémonies qu’il t’a prescrites,
46 ४६ और वे तुझ पर और तेरे वंश पर सदा के लिये बने रहकर चिन्ह और चमत्कार ठहरेंगे;
Et elles seront pour toujours en toi et en ta postérité des signes et des prodiges,
47 ४७ “तू जो सब पदार्थ की बहुतायत होने पर भी आनन्द और प्रसन्नता के साथ अपने परमेश्वर यहोवा की सेवा नहीं करेगा,
Parce que tu n’auras pas servi le Seigneur ton Dieu dans le contentement et la joie du cœur, dans l’abondance de toutes choses.
48 ४८ इस कारण तुझको भूखा, प्यासा, नंगा, और सब पदार्थों से रहित होकर अपने उन शत्रुओं की सेवा करनी पड़ेगी जिन्हें यहोवा तेरे विरुद्ध भेजेगा; और जब तक तू नष्ट न हो जाए तब तक वह तेरी गर्दन पर लोहे का जूआ डाल रखेगा।
Tu serviras ton ennemi que t’enverra le Seigneur, dans la faim et la soif, dans la nudité et une pénurie absolue; et il mettra un joug de fer sur ton cou, jusqu’à ce qu’il te brise.
49 ४९ यहोवा तेरे विरुद्ध दूर से, वरन् पृथ्वी के छोर से वेग से उड़नेवाले उकाब सी एक जाति को चढ़ा लाएगा जिसकी भाषा को तू न समझेगा;
Le Seigneur amènera sur toi d’un pays lointain, des dernières limites de la terre, une nation semblable à l’aigle qui vole avec impétuosité, et dont tu ne puisses entendre la langue;
50 ५० उस जाति के लोगों का व्यवहार क्रूर होगा, वे न तो बूढ़ों का मुँह देखकर आदर करेंगे, और न बालकों पर दया करेंगे;
Une nation très insolente, qui n’ait point de déférence pour un vieillard, ni de pitié pour un enfant;
51 ५१ और वे तेरे पशुओं के बच्चे और भूमि की उपज यहाँ तक खा जाएँगे कि तू नष्ट हो जाएगा; और वे तेरे लिये न अन्न, और न नया दाखमधु, और न टटका तेल, और न बछड़े, न मेम्ने छोड़ेंगे, यहाँ तक कि तू नाश हो जाएगा।
Qui dévore le fruit de tes bestiaux, et les fruits de ta terre, jusqu’à ce que tu périsses; qui ne te laisse pas de blé, de vin ni d’huile, de troupeaux de bœufs, ni de troupeaux de brebis, jusqu’à ce qu’il te détruise,
52 ५२ और वे तेरे परमेश्वर यहोवा के दिये हुए सारे देश के सब फाटकों के भीतर तुझे घेर रखेंगे; वे तेरे सब फाटकों के भीतर तुझे उस समय तक घेरेंगे, जब तक तेरे सारे देश में तेरी ऊँची-ऊँची और दृढ़ शहरपनाहें जिन पर तू भरोसा करेगा गिर न जाएँ।
Et qu’il te brise dans toutes tes villes, et que soient détruites tes murailles fortes et élevées en lesquelles tu avais confiance dans toute ta terre. Tu seras assiégé au dedans de tes portes, dans toute ta terre que te donnera le Seigneur ton Dieu;
53 ५३ तब घिर जाने और उस संकट के समय जिसमें तेरे शत्रु तुझको डालेंगे, तू अपने निज जन्माए बेटे-बेटियों का माँस जिन्हें तेरा परमेश्वर यहोवा तुझको देगा खाएगा।
Et tu mangeras le fruit de ton sein, la chair de tes fils et de tes filles que t’aura donnés le Seigneur ton Dieu, à cause de la détresse et de la ruine dont t’affligera ton ennemi.
54 ५४ और तुझ में जो पुरुष कोमल और अति सुकुमार हो वह भी अपने भाई, और अपनी प्राणप्रिय, और अपने बचे हुए बालकों को क्रूर दृष्टि से देखेगा;
L’homme chez toi le plus délicat et le plus voluptueux refusera à son frère et à sa femme qui repose sur son sein,
55 ५५ और वह उनमें से किसी को भी अपने बालकों के माँस में से जो वह आप खाएगा कुछ न देगा, क्योंकि घिर जाने और उस संकट में, जिसमें तेरे शत्रु तेरे सारे फाटकों के भीतर तुझे घेर डालेंगे, उसके पास कुछ न रहेगा।
De leur donner de la chair de ses fils dont il mangera, parce qu’il n’aura rien autre chose pendant le siège, et dans la pénurie dont t’affligeront tes ennemis au dedans de toutes tes portes.
56 ५६ और तुझ में जो स्त्री यहाँ तक कोमल और सुकुमार हो कि सुकुमारपन के और कोमलता के मारे भूमि पर पाँव धरते भी डरती हो, वह भी अपने प्राणप्रिय पति, और बेटे, और बेटी को,
La femme molle et délicate, qui ne pouvait pas marcher sur la terre, ni y poser la plante de son pied, à cause de sa mollesse et de sa délicatesse excessive, refusera à son mari qui repose sur son sein, la chair de son fils et de sa fille,
57 ५७ अपनी खेरी, वरन् अपने जने हुए बच्चों को क्रूर दृष्टि से देखेगी, क्योंकि घिर जाने और उस संकट के समय जिसमें तेरे शत्रु तुझे तेरे फाटकों के भीतर घेरकर रखेंगे, वह सब वस्तुओं की घटी के मारे उन्हें छिपके खाएगी।
Et l’amas des souillures qui sortent de son sein, et les enfants qui sont nés à cette même heure; car ils les mangeront en cachette, à cause de la pénurie de toutes choses pendant le siège et la dévastation dont t’affligera ton ennemi au dedans de tes portes.
58 ५८ “यदि तू इन व्यवस्था के सारे वचनों का पालन करने में, जो इस पुस्तक में लिखे हैं, चौकसी करके उस आदरणीय और भययोग्य नाम का, जो यहोवा तेरे परमेश्वर का है भय न माने,
Si tu ne gardes et ne pratiques toutes les paroles de cette loi qui sont écrites dans ce livre, et si tu ne crains pas son nom glorieux et terrible, c’est-à-dire le Seigneur ton Dieu,
59 ५९ तो यहोवा तुझको और तेरे वंश को भयानक-भयानक दण्ड देगा, वे दुष्ट और बहुत दिन रहनेवाले रोग और भारी-भारी दण्ड होंगे।
Le Seigneur augmentera tes plaies, et les plaies de ta postérité, plaies grandes et persévérantes, infirmités très cruelles, et perpétuelles,
60 ६० और वह मिस्र के उन सब रोगों को फिर तेरे ऊपर लगा देगा, जिनसे तू भय खाता था; और वे तुझ में लगे रहेंगे।
Et il fera retourner sur toi toutes les afflictions de l’Egypte, que tu as redoutées, et elles s’attacheront à toi;
61 ६१ और जितने रोग आदि दण्ड इस व्यवस्था की पुस्तक में नहीं लिखे हैं, उन सभी को भी यहोवा तुझको यहाँ तक लगा देगा, कि तेरा सत्यानाश हो जाएगा।
De plus, toutes les langueurs et les plaies qui ne sont point écrites dans le livre de cette loi, le Seigneur les amènera sur toi, jusqu’à ce qu’il te brise;
62 ६२ और तू जो अपने परमेश्वर यहोवा की न मानेगा, इस कारण आकाश के तारों के समान अनगिनत होने के बदले तुझ में से थोड़े ही मनुष्य रह जाएँगे।
Et vous demeurerez en petit nombre, vous qui auparavant étiez comme les astres du ciel par votre multitude, parce que tu n’auras pas écouté la voix du Seigneur ton Dieu.
63 ६३ और जैसे अब यहोवा को तुम्हारी भलाई और बढ़ती करने से हर्ष होता है, वैसे ही तब उसको तुम्हारा नाश वरन् सत्यानाश करने से हर्ष होगा; और जिस भूमि के अधिकारी होने को तुम जा रहे हो उस पर से तुम उखाड़े जाओगे।
Et comme auparavant le Seigneur s’était réjoui de vous, vous faisant du bien, et vous multipliant, ainsi il se réjouira, vous perdant et vous détruisant, afin que vous soyez enlevés de la terre dans laquelle tu entreras pour la posséder.
64 ६४ और यहोवा तुझको पृथ्वी के इस छोर से लेकर उस छोर तक के सब देशों के लोगों में तितर-बितर करेगा; और वहाँ रहकर तू अपने और अपने पुरखाओं के अनजाने काठ और पत्थर के दूसरे देवताओं की उपासना करेगा।
Le Seigneur te dispersera dans toutes les nations depuis une extrémité de la terre jusqu’à l’autre extrémité; et tu serviras là des dieux étrangers que tu auras ignorés, toi et tes pères, du bois et des pierres.
65 ६५ और उन जातियों में तू कभी चैन न पाएगा, और न तेरे पाँव को ठिकाना मिलेगा; क्योंकि वहाँ यहोवा ऐसा करेगा कि तेरा हृदय काँपता रहेगा, और तेरी आँखें धुँधली पड़ जाएँगी, और तेरा मन व्याकुल रहेगा;
Parmi ces nations mêmes tu ne te reposeras pas, et il n’y aura pas pour la plante de ton pied où se poser. Car le Seigneur te donnera là un cœur tremblant, des yeux languissants et une âme consumée de douleur;
66 ६६ और तुझको जीवन का नित्य सन्देह रहेगा; और तू दिन-रात थरथराता रहेगा, और तेरे जीवन का कुछ भरोसा न रहेगा।
Et la vie sera comme en suspens devant loi. Tu craindras nuit et jour, et tu ne croiras pas à ta vie.
67 ६७ तेरे मन में जो भय बना रहेगा, और तेरी आँखों को जो कुछ दिखता रहेगा, उसके कारण तू भोर को आह मारकर कहेगा, ‘साँझ कब होगी!’ और साँझ को आह मारकर कहेगा, ‘भोर कब होगा!’
Le matin, tu diras: Qui me donnera le soir? et le soir: Qui me donnera le matin? à cause de l’effroi de ton cœur, dont tu seras épouvanté, et à cause de ce que tu verras de tes yeux.
68 ६८ और यहोवा तुझको नावों पर चढ़ाकर मिस्र में उस मार्ग से लौटा देगा, जिसके विषय में मैंने तुझ से कहा था, कि वह फिर तेरे देखने में न आएगा; और वहाँ तुम अपने शत्रुओं के हाथ दास-दासी होने के लिये बिकाऊ तो रहोगे, परन्तु तुम्हारा कोई ग्राहक न होगा।”
Le Seigneur te ramènera sur des vaisseaux en Egypte, par la voie dont il t’a dit que tu ne la reverrais jamais. Là, vous serez vendus à vos ennemis comme esclaves et comme servantes, et il n’y aura personne qui vous achète.

< व्यवस्था विवरण 28 >