< व्यवस्था विवरण 25 >
1 १ “यदि मनुष्यों के बीच कोई झगड़ा हो, और वे न्याय करवाने के लिये न्यायियों के पास जाएँ, और वे उनका न्याय करें, तो निर्दोष को निर्दोष और दोषी को दोषी ठहराएँ।
si fuerit causa inter aliquos et interpellaverint iudices quem iustum esse perspexerint illi iustitiae palmam dabunt quem impium condemnabunt impietatis
2 २ और यदि दोषी मार खाने के योग्य ठहरे, तो न्यायी उसको गिरवाकर अपने सामने जैसा उसका दोष हो उसके अनुसार कोड़े गिनकर लगवाए।
sin autem eum qui peccavit dignum viderint plagis prosternent et coram se facient verberari pro mensura peccati erit et plagarum modus
3 ३ वह उसे चालीस कोड़े तक लगवा सकता है, इससे अधिक नहीं लगवा सकता; ऐसा न हो कि इससे अधिक बहुत मार खिलवाने से तेरा भाई तेरी दृष्टि में तुच्छ ठहरे।
ita dumtaxat ut quadragenarium numerum non excedant ne foede laceratus ante oculos tuos abeat frater tuus
4 ४ “दाँवते समय चलते हुए बैल का मुँह न बाँधना।
non ligabis os bovis terentis in area fruges tuas
5 ५ “जब कई भाई संग रहते हों, और उनमें से एक निपुत्र मर जाए, तो उसकी स्त्री का ब्याह परगोत्री से न किया जाए; उसके पति का भाई उसके पास जाकर उसे अपनी पत्नी कर ले, और उससे पति के भाई का धर्म पालन करे।
quando habitaverint fratres simul et unus ex eis absque liberis mortuus fuerit uxor defuncti non nubet alteri sed accipiet eam frater eius et suscitabit semen fratris sui
6 ६ और जो पहला बेटा उस स्त्री से उत्पन्न हो वह उस मरे हुए भाई के नाम का ठहरे, जिससे कि उसका नाम इस्राएल में से मिट न जाए।
et primogenitum ex ea filium nomine illius appellabit ut non deleatur nomen eius ex Israhel
7 ७ यदि उस स्त्री के पति के भाई को उससे विवाह करना न भाए, तो वह स्त्री नगर के फाटक पर वृद्ध लोगों के पास जाकर कहे, ‘मेरे पति के भाई ने अपने भाई का नाम इस्राएल में बनाए रखने से मना कर दिया है, और मुझसे पति के भाई का धर्म पालन करना नहीं चाहता।’
sin autem noluerit accipere uxorem fratris sui quae ei lege debetur perget mulier ad portam civitatis et interpellabit maiores natu dicetque non vult frater viri mei suscitare nomen fratris sui in Israhel nec me in coniugium sumere
8 ८ तब उस नगर के वृद्ध लोग उस पुरुष को बुलवाकर उसको समझाएँ; और यदि वह अपनी बात पर अड़ा रहे, और कहे, ‘मुझे इससे विवाह करना नहीं भावता,’
statimque accersiri eum facient et interrogabunt si responderit nolo eam uxorem accipere
9 ९ तो उसके भाई की पत्नी उन वृद्ध लोगों के सामने उसके पास जाकर उसके पाँव से जूती उतारे, और उसके मुँह पर थूक दे; और कहे, ‘जो पुरुष अपने भाई के वंश को चलाना न चाहे उससे इसी प्रकार व्यवहार किया जाएगा।’
accedet mulier ad eum coram senioribus et tollet calciamentum de pede eius spuetque in faciem illius et dicet sic fit homini qui non aedificat domum fratris sui
10 १० तब इस्राएल में उस पुरुष का यह नाम पड़ेगा, अर्थात् जूती उतारे हुए पुरुष का घराना।
et vocabitur nomen illius in Israhel domus Disculciati
11 ११ “यदि दो पुरुष आपस में मारपीट करते हों, और उनमें से एक की पत्नी अपने पति को मारनेवाले के हाथ से छुड़ाने के लिये पास जाए, और अपना हाथ बढ़ाकर उसके गुप्त अंग को पकड़े,
si habuerint inter se iurgium viri et unus contra alterum rixari coeperit volensque uxor alterius eruere virum suum de manu fortioris miserit manum et adprehenderit verenda eius
12 १२ तो उस स्त्री का हाथ काट डालना; उस पर तरस न खाना।
abscides manum illius nec flecteris super eam ulla misericordia
13 १३ “अपनी थैली में भाँति-भाँति के अर्थात् घटती-बढ़ती बटखरे न रखना।
non habebis in sacculo diversa pondera maius et minus
14 १४ अपने घर में भाँति-भाँति के, अर्थात् घटती-बढ़ती नपुए न रखना।
nec erit in domo tua modius maior et minor
15 १५ तेरे बटखरे और नपुए पूरे-पूरे और धर्म के हों; इसलिए कि जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है उसमें तेरी आयु बहुत हो।
pondus habebis iustum et verum et modius aequalis et verus erit tibi ut multo vivas tempore super terram quam Dominus Deus tuus dederit tibi
16 १६ क्योंकि ऐसे कामों में जितने कुटिलता करते हैं वे सब तेरे परमेश्वर यहोवा की दृष्टि में घृणित हैं।
abominatur enim Dominus eum qui facit haec et aversatur omnem iniustitiam
17 १७ “स्मरण रख कि जब तू मिस्र से निकलकर आ रहा था तब अमालेक ने तुझ से मार्ग में क्या किया,
memento quae fecerit tibi Amalech in via quando egrediebaris ex Aegypto
18 १८ अर्थात् उनको परमेश्वर का भय न था; इस कारण उसने जब तू मार्ग में थका-माँदा था, तब तुझ पर चढ़ाई करके जितने निर्बल होने के कारण सबसे पीछे थे उन सभी को मारा।
quomodo occurrerit tibi et extremos agminis tui qui lassi residebant ceciderit quando tu eras fame et labore confectus et non timuerit Deum
19 १९ इसलिए जब तेरा परमेश्वर यहोवा उस देश में, जो वह तेरा भाग करके तेरे अधिकार में कर देता है, तुझे चारों ओर के सब शत्रुओं से विश्राम दे, तब अमालेक का नाम धरती पर से मिटा डालना; और तुम इस बात को न भूलना।
cum ergo Dominus Deus tuus dederit tibi requiem et subiecerit cunctas per circuitum nationes in terra quam tibi pollicitus est delebis nomen eius sub caelo cave ne obliviscaris