< व्यवस्था विवरण 19 >
1 १ “जब तेरा परमेश्वर यहोवा उन जातियों को नाश करे जिनका देश वह तुझे देता है, और तू उनके देश का अधिकारी होकर उनके नगरों और घरों में रहने लगे,
Wenn der HERR, dein Gott, die Völker ausrotten wird, deren Land der HERR, dein Gott, dir gibt, und du sie vertreibst und in ihren Städten und Häusern wohnst,
2 २ तब अपने देश के बीच जिसका अधिकारी तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे कर देता है तीन नगर अपने लिये अलग कर देना।
so sollst du dir drei Städte aussondern mitten in deinem Lande, das der HERR, dein Gott, dir zu besitzen gibt.
3 ३ और तू अपने लिये मार्ग भी तैयार करना, और अपने देश के, जो तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे सौंप देता है, तीन भाग करना, ताकि हर एक खूनी वहीं भाग जाए।
Bereite dir den Weg [dahin] und teile das Gebiet deines Landes, das der HERR, dein Gott, dir zum Erbe gibt, in drei Teile, damit jeder Totschläger dahin fliehe.
4 ४ और जो खूनी वहाँ भागकर अपने प्राण को बचाए, वह इस प्रकार का हो; अर्थात् वह किसी से बिना पहले बैर रखे या उसको बिना जाने बूझे मार डाला हो
Unter der Bedingung aber soll ein Totschläger dahin fliehen und lebendig bleiben: Wenn er seinen Nächsten unvorsätzlich schlägt, ohne zuvor einen Haß auf ihn gehabt zu haben.
5 ५ जैसे कोई किसी के संग लकड़ी काटने को जंगल में जाए, और वृक्ष काटने को कुल्हाड़ी हाथ से उठाए, और कुल्हाड़ी बेंट से निकलकर उस भाई को ऐसी लगे कि वह मर जाए तो वह उन नगरों में से किसी में भागकर जीवित रहे;
Wenn Zb. jemand mit seinem Nächsten in den Wald geht, um Holz zu hauen, und er ergreift mit seiner Hand die Axt, um das Holz abzuhauen, und das Eisen fährt von dem Stiel und trifft seinen Nächsten, daß er stirbt, so soll er in eine dieser Städte fliehen, daß er am Leben bleibe;
6 ६ ऐसा न हो कि मार्ग की लम्बाई के कारण खून का पलटा लेनेवाला अपने क्रोध के ज्वलन में उसका पीछा करके उसको जा पकड़े, और मार डाले, यद्यपि वह प्राणदण्ड के योग्य नहीं, क्योंकि वह उससे बैर नहीं रखता था।
damit nicht der Bluträcher dem Totschläger nachjage, weil sein Herz erhitzt ist, und ihn ergreife, weil der Weg so weit ist, und ihn totschlage, obschon er des Todes nicht schuldig ist, weil er zuvor keinen Haß gegen ihn gehabt hat.
7 ७ इसलिए मैं तुझे यह आज्ञा देता हूँ, कि अपने लिये तीन नगर अलग कर रखना।
Darum gebiete ich dir also: Du sollst dir drei Städte aussondern.
8 ८ “यदि तेरा परमेश्वर यहोवा उस शपथ के अनुसार जो उसने तेरे पूर्वजों से खाई थी, तेरी सीमा को बढ़ाकर वह सारा देश तुझे दे, जिसके देने का वचन उसने तेरे पूर्वजों को दिया था
Und wenn der HERR, dein Gott, deine Landmarken erweitern wird, wie er deinen Vätern geschworen, und dir alles Land gibt, das er deinen Vätern zu geben verheißen hat,
9 ९ यदि तू इन सब आज्ञाओं के मानने में जिन्हें मैं आज तुझको सुनाता हूँ चौकसी करे, और अपने परमेश्वर यहोवा से प्रेम रखे और सदा उसके मार्गों पर चलता रहे तो इन तीन नगरों से अधिक और भी तीन नगर अलग कर देना,
wenn du nämlich beobachten und tun wirst, was ich dir heute gebiete, daß du den HERRN, deinen Gott, liebest und in seinen Wegen wandelst dein Leben lang, so sollst du dir noch drei andere Städte zu diesen drei hinzufügen,
10 १० इसलिए कि तेरे उस देश में जो तेरा परमेश्वर यहोवा तेरा निज भाग करके देता है, किसी निर्दोष का खून न बहाया जाए, और उसका दोष तुझ पर न लगे।
daß nicht mitten in deinem Lande, das der HERR, dein Gott, dir zum Erbe gibt, unschuldiges Blut vergossen werde und Blut auf dich komme.
11 ११ “परन्तु यदि कोई किसी से बैर रखकर उसकी घात में लगे, और उस पर लपककर उसे ऐसा मारे कि वह मर जाए, और फिर उन नगरों में से किसी में भाग जाए,
Wenn aber jemand seinen Nächsten haßt und ihm auflauert und sich über ihn hermacht und ihn totschlägt und in eine dieser Städte flieht,
12 १२ तो उसके नगर के पुरनिये किसी को भेजकर उसको वहाँ से मँगवाकर खून के पलटा लेनेवाले के हाथ में सौंप दें, कि वह मार डाला जाए।
so sollen die Ältesten seiner Stadt hinschicken und ihn von dannen holen lassen und ihn in die Hand des Bluträchers geben, daß er sterbe.
13 १३ उस पर तरस न खाना, परन्तु निर्दोष के खून का दोष इस्राएल से दूर करना, जिससे तुम्हारा भला हो।
Dein Auge soll seiner nicht schonen, sondern du sollst das unschuldige Blut von Israel tun; so wird es dir wohl gehen.
14 १४ “जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझको देता है, उसका जो भाग तुझे मिलेगा, उसमें किसी की सीमा जिसे प्राचीन लोगों ने ठहराया हो न हटाना।
Du sollst deines Nächsten Markstein nicht verrücken, welchen die Vorfahren gesetzt haben in deinem Erbteil, das du erbest im Lande, das dir der HERR, dein Gott, zum Besitz gegeben hat.
15 १५ “किसी मनुष्य के विरुद्ध किसी प्रकार के अधर्म या पाप के विषय में, चाहे उसका पाप कैसा ही क्यों न हो, एक ही जन की साक्षी न सुनना, परन्तु दो या तीन साक्षियों के कहने से बात पक्की ठहरे।
Ein einzelner Zeuge soll nicht auftreten wider jemand, wegen irgend einer Missetat, oder wegen irgend einer Sünde, womit man sich versündigen kann; sondern auf der Aussage von zwei oder drei Zeugen soll jede Sache beruhen.
16 १६ यदि कोई झूठी साक्षी देनेवाला किसी के विरुद्ध यहोवा से फिर जाने की साक्षी देने को खड़ा हो,
Wenn aber ein falscher Zeuge wider jemand auftritt, um ihn einer Übertretung zu zeihen,
17 १७ तो वे दोनों मनुष्य, जिनके बीच ऐसा मुकद्दमा उठा हो, यहोवा के सम्मुख, अर्थात् उन दिनों के याजकों और न्यायियों के सामने खड़े किए जाएँ;
so sollen die Männer, die Streit miteinander haben, vor den HERRN, vor die Priester und Richter treten, die zu jener Zeit [im Amt] sein werden.
18 १८ तब न्यायी भली भाँति पूछताछ करें, और यदि इस निर्णय पर पहुँचें कि वह झूठा साक्षी है, और अपने भाई के विरुद्ध झूठी साक्षी दी है
Und die Richter sollen es wohl erforschen. Stellt es sich heraus, daß der Zeuge ein falscher Zeuge ist und wider seinen Bruder ein falsches Zeugnis abgelegt hat,
19 १९ तो अपने भाई की जैसी भी हानि करवाने की युक्ति उसने की हो वैसी ही तुम भी उसकी करना; इसी रीति से अपने बीच में से ऐसी बुराई को दूर करना।
so sollt ihr ihm tun, wie er seinem Bruder zu tun gedachte. Also sollst du das Böse aus deiner Mitte ausrotten,
20 २० तब दूसरे लोग सुनकर डरेंगे, और आगे को तेरे बीच फिर ऐसा बुरा काम नहीं करेंगे।
daß es die Übrigen hören, sich fürchten und nicht mehr solch böse Taten unter dir verüben.
21 २१ और तू बिल्कुल तरस न खाना; प्राण के बदले प्राण का, आँख के बदले आँख का, दाँत के बदले दाँत का, हाथ के बदले हाथ का, पाँव के बदले पाँव का दण्ड देना।
Dein Auge soll seiner nicht schonen: Seele um Seele, Auge um Auge, Zahn um Zahn, Hand um Hand, Fuß um Fuß!