< दानिय्येल 3 >

1 नबूकदनेस्सर राजा ने सोने की एक मूरत बनवाई, जिसकी ऊँचाई साठ हाथ, और चौड़ाई छः हाथ की थी। और उसने उसको बाबेल के प्रान्त के दूरा नामक मैदान में खड़ा कराया।
נְבוּכַדְנֶצַּ֣ר מַלְכָּ֗א עֲבַד֙ צְלֵ֣ם דִּֽי־דְהַ֔ב רוּמֵהּ֙ אַמִּ֣ין שִׁתִּ֔ין פְּתָיֵ֖הּ אַמִּ֣ין שִׁ֑ת אֲקִימֵהּ֙ בְּבִקְעַ֣ת דּוּרָ֔א בִּמְדִינַ֖ת בָּבֶֽל׃
2 तब नबूकदनेस्सर राजा ने अधिपतियों, हाकिमों, राज्यपालों, सलाहकारों, खजांचियों, न्यायियों, शास्त्रियों, आदि प्रान्त-प्रान्त के सब अधिकारियों को बुलवा भेजा कि वे उस मूरत की प्रतिष्ठा में आएँ जो उसने खड़ी कराई थी।
וּנְבוּכַדְנֶצַּ֣ר מַלְכָּ֡א שְׁלַ֡ח לְמִכְנַ֣שׁ ׀ לַֽאֲחַשְׁדַּרְפְּנַיָּ֡א סִגְנַיָּ֣א וּֽפַחֲוָתָ֡א אֲדַרְגָּזְרַיָּא֩ גְדָ֨בְרַיָּ֤א דְּתָבְרַיָּא֙ תִּפְתָּיֵ֔א וְכֹ֖ל שִׁלְטֹנֵ֣י מְדִֽינָתָ֑א לְמֵתֵא֙ לַחֲנֻכַּ֣ת צַלְמָ֔א דִּ֥י הֲקֵ֖ים נְבוּכַדְנֶצַּ֥ר מַלְכָּֽא׃
3 तब अधिपति, हाकिम, राज्यपाल, सलाहकार, खजांची, न्यायी, शास्त्री आदि प्रान्त-प्रान्त के सब अधिकारी नबूकदनेस्सर राजा की खड़ी कराई हुई मूरत की प्रतिष्ठा के लिये इकट्ठे हुए, और उस मूरत के सामने खड़े हुए।
בֵּאדַ֡יִן מִֽתְכַּנְּשִׁ֡ין אֲחַשְׁדַּרְפְּנַיָּ֡א סִגְנַיָּ֣א וּֽפַחֲוָתָ֡א אֲדַרְגָּזְרַיָּ֣א גְדָבְרַיָּא֩ דְּתָ֨בְרַיָּ֜א תִּפְתָּיֵ֗א וְכֹל֙ שִׁלְטֹנֵ֣י מְדִֽינָתָ֔א לַחֲנֻכַּ֣ת צַלְמָ֔א דִּ֥י הֲקֵ֖ים נְבוּכַדְנֶצַּ֣ר מַלְכָּ֑א וְקָֽיְמִין֙ לָקֳבֵ֣ל צַלְמָ֔א דִּ֥י הֲקֵ֖ים נְבוּכַדְנֶצַּֽר׃
4 तब ढिंढोरिये ने ऊँचे शब्द से पुकारकर कहा, “हे देश-देश और जाति-जाति के लोगों, और भिन्न-भिन्न भाषा बोलनेवालो, तुम को यह आज्ञा सुनाई जाती है कि,
וְכָרוֹזָ֖א קָרֵ֣א בְחָ֑יִל לְכ֤וֹן אָֽמְרִין֙ עַֽמְמַיָּ֔א אֻמַּיָּ֖א וְלִשָּׁנַיָּֽא׃
5 जिस समय तुम नरसिंगे, बाँसुरी, वीणा, सारंगी, सितार, शहनाई आदि सब प्रकार के बाजों का शब्द सुनो, तुम उसी समय गिरकर नबूकदनेस्सर राजा की खड़ी कराई हुई सोने की मूरत को दण्डवत् करो।
בְּעִדָּנָ֡א דִּֽי־תִשְׁמְע֡וּן קָ֣ל קַרְנָ֣א מַ֠שְׁרוֹקִיתָא קַתְר֨וֹס סַבְּכָ֤א פְּסַנְתֵּרִין֙ סוּמְפֹּ֣נְיָ֔ה וְכֹ֖ל זְנֵ֣י זְמָרָ֑א תִּפְּל֤וּן וְתִסְגְּדוּן֙ לְצֶ֣לֶם דַּהֲבָ֔א דִּ֥י הֲקֵ֖ים נְבוּכַדְנֶצַּ֥ר מַלְכָּֽא׃
6 और जो कोई गिरकर दण्डवत् न करेगा वह उसी घड़ी धधकते हुए भट्ठे के बीच में डाल दिया जाएगा।”
וּמַן־דִּי־לָ֥א יִפֵּ֖ל וְיִסְגֻּ֑ד בַּהּ־שַׁעֲתָ֣א יִתְרְמֵ֔א לְגֽוֹא־אַתּ֥וּן נוּרָ֖א יָקִֽדְתָּֽא׃
7 इस कारण उस समय ज्यों ही सब जाति के लोगों को नरसिंगे, बाँसुरी, वीणा, सारंगी, सितार शहनाई आदि सब प्रकार के बाजों का शब्द सुन पड़ा, त्यों ही देश-देश और जाति-जाति के लोगों और भिन्न-भिन्न भाषा बोलनेवालों ने गिरकर उस सोने की मूरत को जो नबूकदनेस्सर राजा ने खड़ी कराई थी, दण्डवत् किया।
כָּל־קֳבֵ֣ל דְּנָ֡ה בֵּהּ־זִמְנָ֡א כְּדִ֣י שָֽׁמְעִ֣ין כָּֽל־עַמְמַיָּ֡א קָ֣ל קַרְנָא֩ מַשְׁר֨וֹקִיתָ֜א קַתְר֤וֹס שַׂבְּכָא֙ פְּסַנְטֵרִ֔ין וְסוּפֹּ֣נְיָ֔ה וְכֹ֖ל זְנֵ֣י זְמָרָ֑א נָֽפְלִ֨ין כָּֽל־עַֽמְמַיָּ֜א אֻמַיָּ֣א וְלִשָּׁנַיָּ֗א סָֽגְדִין֙ לְצֶ֣לֶם דַּהֲבָ֔א דִּ֥י הֲקֵ֖ים נְבוּכַדְנֶצַּ֥ר מַלְכָּֽא׃
8 उसी समय कई एक कसदी पुरुष राजा के पास गए, और कपट से यहूदियों की चुगली की।
כָּל־קֳבֵ֤ל דְּנָה֙ בֵּהּ־זִמְנָ֔א קְרִ֖בוּ גֻּבְרִ֣ין כַּשְׂדָּאִ֑ין וַאֲכַ֥לוּ קַרְצֵיה֖וֹן דִּ֥י יְהוּדָיֵֽא׃
9 वे नबूकदनेस्सर राजा से कहने लगे, “हे राजा, तू चिरंजीवी रहे।
עֲנוֹ֙ וְאָ֣מְרִ֔ין לִנְבוּכַדְנֶצַּ֖ר מַלְכָּ֑א מַלְכָּ֖א לְעָלְמִ֥ין חֱיִֽי׃
10 १० हे राजा, तूने तो यह आज्ञा दी है कि जो मनुष्य नरसिंगे, बाँसुरी, वीणा, सारंगी, सितार, शहनाई आदि सब प्रकार के बाजों का शब्द सुने, वह गिरकर उस सोने की मूरत को दण्डवत् करे;
אַ֣נְתְּ מַלְכָּא֮ שָׂ֣מְתָּ טְּעֵם֒ דִּ֣י כָל־אֱנָ֡שׁ דִּֽי־יִשְׁמַ֡ע קָ֣ל קַרְנָ֣א מַ֠שְׁרֹקִיתָא קַתְר֨וֹס שַׂבְּכָ֤א פְסַנְתֵּרִין֙ וְסוּפֹּ֣נְיָ֔ה וְכֹ֖ל זְנֵ֣י זְמָרָ֑א יִפֵּ֥ל וְיִסְגֻּ֖ד לְצֶ֥לֶם דַּהֲבָֽא׃
11 ११ और जो कोई गिरकर दण्डवत् न करे वह धधकते हुए भट्ठे के बीच में डाल दिया जाए।
וּמַן־דִּי־לָ֥א יִפֵּ֖ל וְיִסְגֻּ֑ד יִתְרְמֵ֕א לְגֽוֹא־אַתּ֥וּן נוּרָ֖א יָקִֽדְתָּֽא׃
12 १२ देख, शद्रक, मेशक, और अबेदनगो नामक कुछ यहूदी पुरुष हैं, जिन्हें तूने बाबेल के प्रान्त के कार्य के ऊपर नियुक्त किया है। उन पुरुषों ने, हे राजा, तेरी आज्ञा की कुछ चिन्ता नहीं की; वे तेरे देवता की उपासना नहीं करते, और जो सोने की मूरत तूने खड़ी कराई है, उसको दण्डवत् नहीं करते।”
אִיתַ֞י גֻּבְרִ֣ין יְהוּדָאיִ֗ן דִּֽי־מַנִּ֤יתָ יָתְהוֹן֙ עַל־עֲבִידַת֙ מְדִינַ֣ת בָּבֶ֔ל שַׁדְרַ֥ךְ מֵישַׁ֖ךְ וַעֲבֵ֣ד נְג֑וֹ גֻּבְרַיָּ֣א אִלֵּ֗ךְ לָא־שָׂ֨מֽוּ עֲלָ֤ךְ מַלְכָּא֙ טְעֵ֔ם לֵֽאלָהָךְ֙ לָ֣א פָלְחִ֔ין וּלְצֶ֧לֶם דַּהֲבָ֛א דִּ֥י הֲקֵ֖ימְתָּ לָ֥א סָגְדִֽין׃ ס
13 १३ तब नबूकदनेस्सर ने रोष और जलजलाहट में आकर आज्ञा दी कि शद्रक, मेशक और अबेदनगो को लाओ। तब वे पुरुष राजा के सामने हाजिर किए गए।
בֵּאדַ֤יִן נְבוּכַדְנֶצַּר֙ בִּרְגַ֣ז וַחֲמָ֔ה אֲמַר֙ לְהַיְתָיָ֔ה לְשַׁדְרַ֥ךְ מֵישַׁ֖ךְ וַעֲבֵ֣ד נְג֑וֹ בֵּאדַ֙יִן֙ גֻּבְרַיָּ֣א אִלֵּ֔ךְ הֵיתָ֖יוּ קֳדָ֥ם מַלְכָּֽא׃
14 १४ नबूकदनेस्सर ने उनसे पूछा, “हे शद्रक, मेशक और अबेदनगो, तुम लोग जो मेरे देवता की उपासना नहीं करते, और मेरी खड़ी कराई हुई सोने की मूरत को दण्डवत् नहीं करते, तो क्या तुम जान बूझकर ऐसा करते हो?
עָנֵ֤ה נְבֻֽכַדְנֶצַּר֙ וְאָמַ֣ר לְה֔וֹן הַצְדָּ֕א שַׁדְרַ֥ךְ מֵישַׁ֖ךְ וַעֲבֵ֣ד נְג֑וֹ לֵֽאלָהַ֗י לָ֤א אִֽיתֵיכוֹן֙ פָּֽלְחִ֔ין וּלְצֶ֧לֶם דַּהֲבָ֛א דִּ֥י הֲקֵ֖ימֶת לָ֥א סָֽגְדִֽין׃
15 १५ यदि तुम अभी तैयार हो, कि जब नरसिंगे, बाँसुरी, वीणा, सारंगी, सितार, शहनाई आदि सब प्रकार के बाजों का शब्द सुनो, और उसी क्षण गिरकर मेरी बनवाई हुई मूरत को दण्डवत् करो, तो बचोगे; और यदि तुम दण्डवत् न करो तो इसी घड़ी धधकते हुए भट्ठे के बीच में डाले जाओगे; फिर ऐसा कौन देवता है, जो तुम को मेरे हाथ से छुड़ा सके?”
כְּעַ֞ן הֵ֧ן אִֽיתֵיכ֣וֹן עֲתִידִ֗ין דִּ֣י בְעִדָּנָ֡א דִּֽי־תִשְׁמְע֡וּן קָ֣ל קַרְנָ֣א מַשְׁרוֹקִיתָ֣א קַתְר֣וֹס שַׂבְּכָ֡א פְּסַנְתֵּרִין֩ וְסוּמְפֹּ֨נְיָ֜ה וְכֹ֣ל ׀ זְנֵ֣י זְמָרָ֗א תִּפְּל֣וּן וְתִסְגְּדוּן֮ לְצַלְמָ֣א דִֽי־עַבְדֵת֒ וְהֵן֙ לָ֣א תִסְגְּד֔וּן בַּהּ־שַׁעֲתָ֣ה תִתְרְמ֔וֹן לְגֽוֹא־אַתּ֥וּן נוּרָ֖א יָקִֽדְתָּ֑א וּמַן־ה֣וּא אֱלָ֔הּ דֵּ֥י יְשֵֽׁיזְבִנְכ֖וֹן מִן־יְדָֽי׃
16 १६ शद्रक, मेशक और अबेदनगो ने राजा से कहा, “हे नबूकदनेस्सर, इस विषय में तुझे उत्तर देने का हमें कुछ प्रयोजन नहीं जान पड़ता।
עֲנ֗וֹ שַׁדְרַ֤ךְ מֵישַׁךְ֙ וַעֲבֵ֣ד נְג֔וֹ וְאָמְרִ֖ין לְמַלְכָּ֑א נְבֽוּכַדְנֶצַּ֔ר לָֽא־חַשְׁחִ֨ין אֲנַ֧חְנָה עַל־דְּנָ֛ה פִּתְגָ֖ם לַהֲתָבוּתָֽךְ׃
17 १७ हमारा परमेश्वर, जिसकी हम उपासना करते हैं वह हमको उस धधकते हुए भट्ठे की आग से बचाने की शक्ति रखता है; वरन् हे राजा, वह हमें तेरे हाथ से भी छुड़ा सकता है।
הֵ֣ן אִיתַ֗י אֱלָהַ֙נָא֙ דִּֽי־אֲנַ֣חְנָא פָֽלְחִ֔ין יָכִ֖ל לְשֵׁיזָבוּתַ֑נָא מִן־אַתּ֨וּן נוּרָ֧א יָקִֽדְתָּ֛א וּמִן־יְדָ֥ךְ מַלְכָּ֖א יְשֵׁיזִֽב׃
18 १८ परन्तु, यदि नहीं, तो हे राजा तुझे मालूम हो, कि हम लोग तेरे देवता की उपासना नहीं करेंगे, और न तेरी खड़ी कराई हुई सोने की मूरत को दण्डवत् करेंगे।”
וְהֵ֣ן לָ֔א יְדִ֥יעַ לֶהֱוֵא־לָ֖ךְ מַלְכָּ֑א דִּ֤י לֵֽאלָהָךְ֙ לָא־אִיתַ֣נָא פָֽלְחִ֔ין וּלְצֶ֧לֶם דַּהֲבָ֛א דִּ֥י הֲקֵ֖ימְתָּ לָ֥א נִסְגֻּֽד׃ ס
19 १९ तब नबूकदनेस्सर झुँझला उठा, और उसके चेहरे का रंग शद्रक, मेशक और अबेदनगो की ओर बदल गया। और उसने आज्ञा दी कि भट्ठे को सात गुणा अधिक धधका दो।
בֵּאדַ֨יִן נְבוּכַדְנֶצַּ֜ר הִתְמְלִ֣י חֱמָ֗א וּצְלֵ֤ם אַנְפּ֙וֹהִי֙ אֶשְׁתַּנִּ֔י עַל־שַׁדְרַ֥ךְ מֵישַׁ֖ךְ וַעֲבֵ֣ד נְג֑וֹ עָנֵ֤ה וְאָמַר֙ לְמֵזֵ֣א לְאַתּוּנָ֔א חַ֨ד־שִׁבְעָ֔ה עַ֛ל דִּ֥י חֲזֵ֖ה לְמֵזְיֵֽהּ׃
20 २० फिर अपनी सेना में के कई एक बलवान पुरुषों को उसने आज्ञा दी, कि शद्रक, मेशक और अबेदनगो को बाँधकर उन्हें धधकते हुए भट्ठे में डाल दो।
וּלְגֻבְרִ֤ין גִּבָּֽרֵי־חַ֙יִל֙ דִּ֣י בְחַיְלֵ֔הּ אֲמַר֙ לְכַפָּתָ֔ה לְשַׁדְרַ֥ךְ מֵישַׁ֖ךְ וַעֲבֵ֣ד נְג֑וֹ לְמִרְמֵ֕א לְאַתּ֥וּן נוּרָ֖א יָקִֽדְתָּֽא׃
21 २१ तब वे पुरुष अपने मोजों, अंगरखों, बागों और वस्त्रों सहित बाँधकर, उस धधकते हुए भट्ठे में डाल दिए गए।
בֵּאדַ֜יִן גֻּבְרַיָּ֣א אִלֵּ֗ךְ כְּפִ֙תוּ֙ בְּסַרְבָּלֵיהוֹן֙ פַּטְּשֵׁיה֔וֹן וְכַרְבְּלָתְה֖וֹן וּלְבֻשֵׁיה֑וֹן וּרְמִ֕יו לְגֽוֹא־אַתּ֥וּן נוּרָ֖א יָקִֽדְתָּֽא׃
22 २२ वह भट्ठा तो राजा की दृढ़ आज्ञा होने के कारण अत्यन्त धधकाया गया था, इस कारण जिन पुरुषों ने शद्रक, मेशक और अबेदनगो को उठाया वे ही आग की आँच से जल मरे।
כָּל־קֳבֵ֣ל דְּנָ֗ה מִן־דִּ֞י מִלַּ֤ת מַלְכָּא֙ מַחְצְפָ֔ה וְאַתּוּנָ֖א אֵזֵ֣ה יַתִּ֑ירָא גֻּבְרַיָּ֣א אִלֵּ֗ךְ דִּ֤י הַסִּ֙קוּ֙ לְשַׁדְרַ֤ךְ מֵישַׁךְ֙ וַעֲבֵ֣ד נְג֔וֹ קַטִּ֣ל הִמּ֔וֹן שְׁבִיבָ֖א דִּ֥י נוּרָֽא׃
23 २३ और उसी धधकते हुए भट्ठे के बीच ये तीनों पुरुष, शद्रक, मेशक और अबेदनगो, बंधे हुए फेंक दिए गए।
וְגֻבְרַיָּ֤א אִלֵּךְ֙ תְּלָ֣תֵּה֔וֹן שַׁדְרַ֥ךְ מֵישַׁ֖ךְ וַעֲבֵ֣ד נְג֑וֹ נְפַ֛לוּ לְגֽוֹא־אַתּוּן־נוּרָ֥א יָֽקִדְתָּ֖א מְכַפְּתִֽין׃ פ
24 २४ तब नबूकदनेस्सर राजा अचम्भित हुआ और घबराकर उठ खड़ा हुआ। और अपने मंत्रियों से पूछने लगा, “क्या हमने उस आग के बीच तीन ही पुरुष बंधे हुए नहीं डलवाए?” उन्होंने राजा को उत्तर दिया, “हाँ राजा, सच बात तो है।”
אֱדַ֙יִן֙ נְבוּכַדְנֶצַּ֣ר מַלְכָּ֔א תְּוַ֖הּ וְקָ֣ם בְּהִתְבְּהָלָ֑ה עָנֵ֨ה וְאָמַ֜ר לְהַדָּֽבְר֗וֹהִי הֲלָא֩ גֻבְרִ֨ין תְּלָתָ֜א רְמֵ֤ינָא לְגוֹא־נוּרָא֙ מְכַפְּתִ֔ין עָנַ֤יִן וְאָמְרִין֙ לְמַלְכָּ֔א יַצִּיבָ֖א מַלְכָּֽא׃
25 २५ फिर उसने कहा, “अब मैं देखता हूँ कि चार पुरुष आग के बीच खुले हुए टहल रहे हैं, और उनको कुछ भी हानि नहीं पहुँची; और चौथे पुरुष का स्वरूप परमेश्वर के पुत्र के सदृश्य है।”
עָנֵ֣ה וְאָמַ֗ר הָֽא־אֲנָ֨ה חָזֵ֜ה גֻּבְרִ֣ין אַרְבְּעָ֗ה שְׁרַ֙יִן֙ מַהְלְכִ֣ין בְּגֽוֹא־נוּרָ֔א וַחֲבָ֖ל לָא־אִיתַ֣י בְּה֑וֹן וְרֵוֵהּ֙ דִּ֣י רְֽבִיעָאָ֔ה דָּמֵ֖ה לְבַר־אֱלָהִֽין׃ ס
26 २६ फिर नबूकदनेस्सर उस धधकते हुए भट्ठे के द्वार के पास जाकर कहने लगा, “हे शद्रक, मेशक और अबेदनगो, हे परमप्रधान परमेश्वर के दासों, निकलकर यहाँ आओ!” यह सुनकर शद्रक, मेशक और अबेदनगो आग के बीच से निकल आए।
בֵּאדַ֜יִן קְרֵ֣ב נְבוּכַדְנֶצַּ֗ר לִתְרַע֮ אַתּ֣וּן נוּרָ֣א יָקִֽדְתָּא֒ עָנֵ֣ה וְאָמַ֗ר שַׁדְרַ֨ךְ מֵישַׁ֧ךְ וַעֲבֵד־נְג֛וֹ עַבְד֛וֹהִי דִּֽי־אֱלָהָ֥א עִלָּאָ֖ה פֻּ֣קוּ וֶאֱת֑וֹ בֵּאדַ֣יִן נָֽפְקִ֗ין שַׁדְרַ֥ךְ מֵישַׁ֛ךְ וַעֲבֵ֥ד נְג֖וֹ מִן־גּ֥וֹא נוּרָֽא׃
27 २७ जब अधिपति, हाकिम, राज्यपाल और राजा के मंत्रियों ने, जो इकट्ठे हुए थे, उन पुरुषों की ओर देखा, तब उनकी देह में आग का कुछ भी प्रभाव नहीं पाया; और उनके सिर का एक बाल भी न झुलसा, न उनके मोजे कुछ बिगड़े, न उनमें जलने की कुछ गन्ध पाई गई।
וּ֠מִֽתְכַּנְּשִׁין אֲחַשְׁדַּרְפְּנַיָּ֞א סִגְנַיָּ֣א וּפַחֲוָתָא֮ וְהַדָּבְרֵ֣י מַלְכָּא֒ חָזַ֣יִן לְגֻבְרַיָּ֣א אִלֵּ֡ךְ דִּי֩ לָֽא־שְׁלֵ֨ט נוּרָ֜א בְּגֶשְׁמְה֗וֹן וּשְׂעַ֤ר רֵֽאשְׁהוֹן֙ לָ֣א הִתְחָרַ֔ךְ וְסָרְבָּלֵיה֖וֹן לָ֣א שְׁנ֑וֹ וְרֵ֣יחַ נ֔וּר לָ֥א עֲדָ֖ת בְּהֽוֹן׃
28 २८ नबूकदनेस्सर कहने लगा, “धन्य है शद्रक, मेशक और अबेदनगो का परमेश्वर, जिसने अपना दूत भेजकर अपने इन दासों को इसलिए बचाया, क्योंकि इन्होंने राजा की आज्ञा न मानकर, उसी पर भरोसा रखा, और यह सोचकर अपना शरीर भी अर्पण किया, कि हम अपने परमेश्वर को छोड़, किसी देवता की उपासना या दण्डवत् न करेंगे।
עָנֵ֨ה נְבֽוּכַדְנֶצַּ֜ר וְאָמַ֗ר בְּרִ֤יךְ אֱלָהֲהוֹן֙ דִּֽי־שַׁדְרַ֤ךְ מֵישַׁךְ֙ וַעֲבֵ֣ד נְג֔וֹ דִּֽי־שְׁלַ֤ח מַלְאֲכֵהּ֙ וְשֵׁיזִ֣ב לְעַבְד֔וֹהִי דִּ֥י הִתְרְחִ֖צוּ עֲל֑וֹהִי וּמִלַּ֤ת מַלְכָּא֙ שַׁנִּ֔יו וִיהַ֣בוּ גֶשְׁמְה֗וֹן דִּ֠י לָֽא־יִפְלְח֤וּן וְלָֽא־יִסְגְּדוּן֙ לְכָל־אֱלָ֔הּ לָהֵ֖ן לֵאלָֽהֲהֽוֹן׃
29 २९ इसलिए अब मैं यह आज्ञा देता हूँ कि देश-देश और जाति-जाति के लोगों, और भिन्न-भिन्न भाषा बोलनेवालों में से जो कोई शद्रक, मेशक और अबेदनगो के परमेश्वर की कुछ निन्दा करेगा, वह टुकड़े-टुकड़े किया जाएगा, और उसका घर घूरा बनाया जाएगा; क्योंकि ऐसा कोई और देवता नहीं जो इस रीति से बचा सके।”
וּמִנִּי֮ שִׂ֣ים טְעֵם֒ דִּי֩ כָל־עַ֨ם אֻמָּ֜ה וְלִשָּׁ֗ן דִּֽי־יֵאמַ֤ר שָׁלוּ֙ עַ֣ל אֱלָהֲה֗וֹן דִּֽי־שַׁדְרַ֤ךְ מֵישַׁךְ֙ וַעֲבֵ֣ד נְג֔וֹא הַדָּמִ֣ין יִתְעֲבֵ֔ד וּבַיְתֵ֖הּ נְוָלִ֣י יִשְׁתַּוֵּ֑ה כָּל־קֳבֵ֗ל דִּ֣י לָ֤א אִיתַי֙ אֱלָ֣ה אָחֳרָ֔ן דִּֽי־יִכֻּ֥ל לְהַצָּלָ֖ה כִּדְנָֽה׃
30 ३० तब राजा ने बाबेल के प्रान्त में शद्रक, मेशक, अबेदनगो का पद और ऊँचा किया।
בֵּאדַ֣יִן מַלְכָּ֗א הַצְלַ֛ח לְשַׁדְרַ֥ךְ מֵישַׁ֛ךְ וַעֲבֵ֥ד נְג֖וֹ בִּמְדִינַ֥ת בָּבֶֽל׃ פ

< दानिय्येल 3 >