< दानिय्येल 2 >

1 अपने राज्य के दूसरे वर्ष में नबूकदनेस्सर ने ऐसा स्वप्न देखा जिससे उसका मन बहुत ही व्याकुल हो गया और वह सो न सका।
وَفِي ٱلسَّنَةِ ٱلثَّانِيَةِ مِنْ مُلْكِ نَبُوخَذْنَصَّرَ، حَلَمَ نَبُوخَذْنَصَّرُ أَحْلَامًا، فَٱنْزَعَجَتْ رُوحُهُ وَطَارَ عَنْهُ نَوْمُهُ.١
2 तब राजा ने आज्ञा दी, कि ज्योतिषी, तांत्रिक, टोन्हे और कसदी बुलाए जाएँ कि वे राजा को उसका स्वप्न बताएँ; इसलिए वे आए और राजा के सामने हाजिर हुए।
فَأَمَرَ ٱلْمَلِكُ بِأَنْ يُسْتَدْعَى ٱلْمَجُوسُ وَٱلسَّحَرَةُ وَٱلْعَرَّافُونَ وَٱلْكَلْدَانِيُّونَ لِيُخْبِرُوا ٱلْمَلِكَ بِأَحْلَامِهِ. فَأَتَوْا وَوَقَفُوا أَمَامَ ٱلْمَلِكِ.٢
3 तब राजा ने उनसे कहा, “मैंने एक स्वप्न देखा है, और मेरा मन व्याकुल है कि स्वप्न को कैसे समझूँ।”
فَقَالَ لَهُمُ ٱلْمَلِكُ: «قَدْ حَلَمْتُ حُلْمًا وَٱنْزَعَجَتْ رُوحِي لِمَعْرِفَةِ ٱلْحُلْمِ».٣
4 तब कसदियों ने, राजा से अरामी भाषा में कहा, “हे राजा, तू चिरंजीवी रहे! अपने दासों को स्वप्न बता, और हम उसका अर्थ बताएँगे।”
فَكَلَّمَ ٱلْكَلْدَانِيُّونَ ٱلْمَلِكَ بِٱلْأَرَامِيَّةِ: «عِشْ أَيُّهَا ٱلْمَلِكُ إِلَى ٱلْأَبَدِ. أَخْبِرْ عَبِيدَكَ بِٱلْحُلْمِ فَنُبَيِّنَ تَعْبِيرَهُ».٤
5 राजा ने कसदियों को उत्तर दिया, “मैं यह आज्ञा दे चुका हूँ कि यदि तुम अर्थ समेत स्वप्न को न बताओगे तो तुम टुकड़े-टुकड़े किए जाओगे, और तुम्हारे घर फुँकवा दिए जाएँगे।
فَأَجَابَ ٱلْمَلِكُ وَقَالَ لِلْكَلْدَانِيِّينَ: «قَدْ خَرَجَ مِنِّي ٱلْقَوْلُ: إِنْ لَمْ تُنْبِئُونِي بِٱلْحُلْمِ وَبِتَعْبِيرِهِ، تُصَيَّرُونَ إِرْبًا إِرْبًا وَتُجْعَلُ بُيُوتُكُمْ مَزْبَلَةً.٥
6 और यदि तुम अर्थ समेत स्वप्न को बता दो तो मुझसे भाँति-भाँति के दान और भारी प्रतिष्ठा पाओगे। इसलिए तुम मुझे अर्थ समेत स्वप्न बताओ।”
وَإِنْ بَيَّنْتُمُ ٱلْحُلْمَ وَتَعْبِيرَهُ، تَنَالُونَ مِنْ قِبَلِي هَدَايَا وَحَلَاوِينَ وَإِكْرَامًا عَظِيمًا. فَبَيِّنُوا لِي ٱلْحُلْمَ وَتَعْبِيرَهُ».٦
7 उन्होंने दूसरी बार कहा, “हे राजा स्वप्न तेरे दासों को बताया जाए, और हम उसका अर्थ समझा देंगे।”
فَأَجَابُوا ثَانِيَةً وَقَالُوا: «لِيُخْبِرِ ٱلْمَلِكُ عَبِيدَهُ بِٱلْحُلْمِ فَنُبَيِّنَ تَعْبِيرَهُ».٧
8 राजा ने उत्तर दिया, “मैं निश्चय जानता हूँ कि तुम यह देखकर, कि राजा के मुँह से आज्ञा निकल चुकी है, समय बढ़ाना चाहते हो।
أَجَابَ ٱلْمَلِكُ وَقَالَ: «إِنِّي أَعْلَمُ يَقِينًا أَنَّكُمْ تَكْتَسِبُونَ وَقْتًا، إِذْ رَأَيْتُمْ أَنَّ ٱلْقَوْلَ قَدْ خَرَجَ مِنِّي٨
9 इसलिए यदि तुम मुझे स्वप्न न बताओ तो तुम्हारे लिये एक ही आज्ञा है। क्योंकि तुम ने गोष्ठी की होगी कि जब तक समय न बदले, तब तक हम राजा के सामने झूठी और गपशप की बातें कहा करेंगे। इसलिए तुम मुझे स्वप्न बताओ, तब मैं जानूँगा कि तुम उसका अर्थ भी समझा सकते हो।”
بِأَنَّهُ إِنْ لَمْ تُنْبِئُونِي بِٱلْحُلْمِ فَقَضَاؤُكُمْ وَاحِدٌ. لِأَنَّكُمْ قَدِ ٱتَّفَقْتُمْ عَلَى كَلَامٍ كَذِبٍ وَفَاسِدٍ لِتَتَكَلَّمُوا بِهِ قُدَّامِي إِلَى أَنْ يَتَحَوَّلَ ٱلْوَقْتُ. فَأَخْبِرُونِي بِٱلْحُلْمِ، فَأَعْلَمَ أَنَّكُمْ تُبَيِّنُونَ لِي تَعْبِيرَهُ».٩
10 १० कसदियों ने राजा से कहा, “पृथ्वी भर में ऐसा कोई मनुष्य नहीं जो राजा के मन की बात बता सके; और न कोई ऐसा राजा, या प्रधान, या हाकिम कभी हुआ है जिसने किसी ज्योतिषी या तांत्रिक, या कसदी से ऐसी बात पूछी हो।
أَجَابَ ٱلْكَلْدَانِيُّونَ قُدَّامَ ٱلْمَلِكِ وَقَالُوا: «لَيْسَ عَلَى ٱلْأَرْضِ إِنْسَانٌ يَسْتَطِيعُ أَنْ يُبَيِّنَ أَمْرَ ٱلْمَلِكِ. لِذَلِكَ لَيْسَ مَلِكٌ عَظِيمٌ ذُو سُلْطَانٍ سَأَلَ أَمْرًا مِثْلَ هَذَا مِنْ مَجُوسِيٍّ أَوْ سَاحِرٍ أَوْ كَلْدَانِيٍّ.١٠
11 ११ जो बात राजा पूछता है, वह अनोखी है, और देवताओं को छोड़कर जिनका निवास मनुष्यों के संग नहीं है, और कोई दूसरा नहीं, जो राजा को यह बता सके।”
وَٱلْأَمْرُ ٱلَّذِي يَطْلُبُهُ ٱلْمَلِكُ عَسِرٌ، وَلَيْسَ آخَرُ يُبَيِّنُهُ قُدَّامَ ٱلْمَلِكِ غَيْرَ ٱلْآلِهَةِ ٱلَّذِينَ لَيْسَتْ سُكْنَاهُمْ مَعَ ٱلْبَشَرِ».١١
12 १२ इस पर राजा ने झुँझलाकर, और बहुत ही क्रोधित होकर, बाबेल के सब पंडितों के नाश करने की आज्ञा दे दी।
لِأَجْلِ ذَلِكَ غَضِبَ ٱلْمَلِكُ وَٱغْتَاظَ جِدًّا وَأَمَرَ بِإِبَادَةِ كُلِّ حُكَمَاءِ بَابِلَ.١٢
13 १३ अतः यह आज्ञा निकली, और पंडित लोगों का घात होने पर था; और लोग दानिय्येल और उसके संगियों को ढूँढ़ रहे थे कि वे भी घात किए जाएँ।
فَخَرَجَ ٱلْأَمْرُ، وَكَانَ ٱلْحُكَمَاءُ يُقْتَلُونَ. فَطَلَبُوا دَانِيآلَ وَأَصْحَابَهُ لِيَقْتُلُوهُمْ.١٣
14 १४ तब दानिय्येल ने, अंगरक्षकों के प्रधान अर्योक से, जो बाबेल के पंडितों को घात करने के लिये निकला था, सोच विचार कर और बुद्धिमानी के साथ कहा;
حِينَئِذٍ أَجَابَ دَانِيآلُ بِحِكْمَةٍ وَعَقْلٍ لِأَرْيُوخَ رَئِيسِ شُرَطِ ٱلْمَلِكِ ٱلَّذِي خَرَجَ لِيَقْتُلَ حُكَمَاءَ بَابِلَ، أَجَابَ وَقَالَ لِأَرْيُوخَ قَائِدِ ٱلْمَلِكِ:١٤
15 १५ और राजा के हाकिम अर्योक से पूछने लगा, “यह आज्ञा राजा की ओर से ऐसी उतावली के साथ क्यों निकली?” तब अर्योक ने दानिय्येल को इसका भेद बता दिया।
«لِمَاذَا ٱشْتَدَّ ٱلْأَمْرُ مِنْ قِبَلِ ٱلْمَلِكِ؟» حِينَئِذٍ أَخْبَرَ أَرْيُوخُ دَانِيآلَ بِٱلْأَمْرِ.١٥
16 १६ और दानिय्येल ने भीतर जाकर राजा से विनती की, कि उसके लिये कोई समय ठहराया जाए, तो वह महाराज को स्वप्न का अर्थ बता देगा।
فَدَخَلَ دَانِيآلُ وَطَلَبَ مِنَ ٱلْمَلِكِ أَنْ يُعْطِيَهُ وَقْتًا فَيُبَيِّنُ لِلْمَلِكِ ٱلتَّعْبِيرَ.١٦
17 १७ तब दानिय्येल ने अपने घर जाकर, अपने संगी हनन्याह, मीशाएल, और अजर्याह को यह हाल बताकर कहा:
حِينَئِذٍ مَضَى دَانِيآلُ إِلَى بَيْتِهِ، وَأَعْلَمَ حَنَنْيَا وَمِيشَائِيلَ وَعَزَرْيَا أَصْحَابَهُ بِٱلْأَمْرِ،١٧
18 १८ इस भेद के विषय में स्वर्ग के परमेश्वर की दया के लिये यह कहकर प्रार्थना करो, कि बाबेल के और सब पंडितों के संग दानिय्येल और उसके संगी भी नाश न किए जाएँ।
لِيَطْلُبُوا ٱلْمَرَاحِمَ مِنْ قِبَلِ إِلَهِ ٱلسَّمَاوَاتِ مِنْ جِهَةِ هَذَا ٱلسِّرِّ، لِكَيْ لَا يَهْلِكَ دَانِيآلُ وَأَصْحَابُهُ مَعَ سَائِرِ حُكَمَاءِ بَابِلَ.١٨
19 १९ तब वह भेद दानिय्येल को रात के समय दर्शन के द्वारा प्रगट किया गया। तब दानिय्येल ने स्वर्ग के परमेश्वर का यह कहकर धन्यवाद किया,
حِينَئِذٍ لِدَانِيآلَ كُشِفَ ٱلسِّرُّ فِي رُؤْيَا ٱللَّيْلِ. فَبَارَكَ دَانِيآلُ إِلَهَ ٱلسَّمَاوَاتِ.١٩
20 २० “परमेश्वर का नाम युगानुयुग धन्य है; क्योंकि बुद्धि और पराक्रम उसी के हैं।
أَجَابَ دَانِيآلُ وَقَالَ: «لِيَكُنِ ٱسْمُ ٱللهِ مُبَارَكًا مِنَ ٱلْأَزَلِ وَإِلَى ٱلْأَبَدِ، لِأَنَّ لَهُ ٱلْحِكْمَةَ وَٱلْجَبَرُوتَ.٢٠
21 २१ समयों और ऋतुओं को वही पलटता है; राजाओं का अस्त और उदय भी वही करता है; बुद्धिमानों को बुद्धि और समझवालों को समझ भी वही देता है;
وَهُوَ يُغَيِّرُ ٱلْأَوْقَاتَ وَٱلْأَزْمِنَةَ. يَعْزِلُ مُلُوكًا وَيُنَصِّبُ مُلُوكًا. يُعْطِي ٱلْحُكَمَاءَ حِكْمَةً، وَيُعَلِّمُ ٱلْعَارِفِينَ فَهْمًا.٢١
22 २२ वही गूढ़ और गुप्त बातों को प्रगट करता है; वह जानता है कि अंधियारे में क्या है, और उसके संग सदा प्रकाश बना रहता है।
هُوَ يَكْشِفُ ٱلْعَمَائِقَ وَٱلْأَسْرَارَ. يَعْلَمُ مَا هُوَ فِي ٱلظُّلْمَةِ، وَعِنْدَهُ يَسْكُنُ ٱلنُّورُ.٢٢
23 २३ हे मेरे पूर्वजों के परमेश्वर, मैं तेरा धन्यवाद और स्तुति करता हूँ, क्योंकि तूने मुझे बुद्धि और शक्ति दी है, और जिस भेद का खुलना हम लोगों ने तुझ से माँगा था, उसे तूने मुझ पर प्रगट किया है, तूने हमको राजा की बात बताई है।”
إِيَّاكَ يَا إِلَهَ آبَائِي أَحْمَدُ، وَأُسَبِّحُ ٱلَّذِي أَعْطَانِي ٱلْحِكْمَةَ وَٱلْقُوَّةَ وَأَعْلَمَنِي ٱلْآنَ مَا طَلَبْنَاهُ مِنْكَ، لِأَنَّكَ أَعْلَمْتَنَا أَمْرَ ٱلْمَلِكِ».٢٣
24 २४ तब दानिय्येल ने अर्योक के पास, जिसे राजा ने बाबेल के पंडितों के नाश करने के लिये ठहराया था, भीतर जाकर कहा, “बाबेल के पंडितों का नाश न कर, मुझे राजा के सम्मुख भीतर ले चल, मैं अर्थ बताऊँगा।”
فَمِنْ أَجْلِ ذَلِكَ دَخَلَ دَانِيآلُ إِلَى أَرْيُوخَ ٱلَّذِي عَيَّنَهُ ٱلْمَلِكُ لِإِبَادَةِ حُكَمَاءِ بَابِلَ، مَضَى وَقَالَ لَهُ هَكَذَا: «لَا تُبِدْ حُكَمَاءَ بَابِلَ. أَدْخِلْنِي إِلَى قُدَّامِ ٱلْمَلِكِ فَأُبَيِّنَ لِلْمَلِكِ ٱلتَّعْبِيرَ».٢٤
25 २५ तब अर्योक ने दानिय्येल को राजा के सम्मुख शीघ्र भीतर ले जाकर उससे कहा, “यहूदी बंधुओं में से एक पुरुष मुझ को मिला है, जो राजा को स्वप्न का अर्थ बताएगा।”
حِينَئِذٍ دَخَلَ أَرْيُوخُ بِدَانِيآلَ إِلَى قُدَّامِ ٱلْمَلِكِ مُسْرِعًا وَقَالَ لَهُ هَكَذَا: «قَدْ وَجَدْتُ رَجُلًا مِنْ بَنِي سَبْيِ يَهُوذَا ٱلَّذِي يُعَرِّفُ ٱلْمَلِكَ بِٱلتَّعْبِيرِ».٢٥
26 २६ राजा ने दानिय्येल से, जिसका नाम बेलतशस्सर भी था, पूछा, “क्या तुझ में इतनी शक्ति है कि जो स्वप्न मैंने देखा है, उसे अर्थ समेत मुझे बताए?”
أَجَابَ ٱلْمَلِكُ وَقَالَ لِدَانِيآلَ، ٱلَّذِي ٱسْمُهُ بَلْطَشَاصَّرُ: «هَلْ تَسْتَطِيعُ أَنْتَ عَلَى أَنْ تُعَرِّفَنِي بِٱلْحُلْمِ ٱلَّذِي رَأَيْتُ، وَبِتَعْبِيرِهِ؟»٢٦
27 २७ दानिय्येल ने राजा को उत्तर दिया, “जो भेद राजा पूछता है, वह न तो पंडित, न तांत्रिक, न ज्योतिषी, न दूसरे भावी बतानेवाले राजा को बता सकते हैं,
أَجَابَ دَانِيآلُ قُدَّامَ ٱلْمَلِكِ وَقَالَ: «ٱلسِّرُّ ٱلَّذِي طَلَبَهُ ٱلْمَلِكُ لَا تَقْدِرُ ٱلْحُكَمَاءُ وَلَا ٱلسَّحَرَةُ وَلَا ٱلْمَجُوسُ وَلَا ٱلْمُنَجِّمُونَ عَلَى أَنْ يُبَيِّنُوهُ لِلْمَلِكِ.٢٧
28 २८ परन्तु भेदों का प्रगट करनेवाला परमेश्वर स्वर्ग में है; और उसी ने नबूकदनेस्सर राजा को जताया है कि अन्त के दिनों में क्या-क्या होनेवाला है। तेरा स्वप्न और जो कुछ तूने पलंग पर पड़े हुए देखा, वह यह है:
لَكِنْ يُوجَدُ إِلَهٌ فِي ٱلسَّمَاوَاتِ كَاشِفُ ٱلْأَسْرَارِ، وَقَدْ عَرَّفَ ٱلْمَلِكَ نَبُوخَذْنَصَّرَ مَا يَكُونُ فِي ٱلْأَيَّامِ ٱلْأَخِيرَةِ. حُلْمُكَ وَرُؤْيَا رَأْسِكَ عَلَى فِرَاشِكَ هُوَ هَذَا:٢٨
29 २९ हे राजा, जब तुझको पलंग पर यह विचार आया कि भविष्य में क्या-क्या होनेवाला है, तब भेदों को खोलनेवाले ने तुझको बताया, कि क्या-क्या होनेवाला है।
أَنْتَ يَا أَيُّهَا ٱلْمَلِكُ أَفْكَارُكَ عَلَى فِرَاشِكَ صَعِدَتْ إِلَى مَا يَكُونُ مِنْ بَعْدِ هَذَا، وَكَاشِفُ ٱلْأَسْرَارِ يُعَرِّفُكَ بِمَا يَكُونُ.٢٩
30 ३० मुझ पर यह भेद इस कारण नहीं खोला गया कि मैं अन्य सब प्राणियों से अधिक बुद्धिमान हूँ, परन्तु केवल इसी कारण खोला गया है कि स्वप्न का अर्थ राजा को बताया जाए, और तू अपने मन के विचार समझ सके।
أَمَّا أَنَا فَلَمْ يُكْشَفْ لِي هَذَا ٱلسِّرُّ لِحِكْمَةٍ فِيَّ أَكْثَرَ مِنْ كُلِّ ٱلْأَحْيَاءِ، وَلَكِنْ لِكَيْ يُعَرَّفَ ٱلْمَلِكُ بِٱلتَّعْبِيرِ، وَلِكَيْ تَعْلَمَ أَفْكَارَ قَلْبِكَ.٣٠
31 ३१ “हे राजा, जब तू देख रहा था, तब एक बड़ी मूर्ति देख पड़ी, और वह मूर्ति जो तेरे सामने खड़ी थी, वह लम्बी-चौड़ी थी; उसकी चमक अनुपम थी, और उसका रूप भयंकर था।
«أَنْتَ أَيُّهَا ٱلْمَلِكُ كُنْتَ تَنْظُرُ وَإِذَا بِتِمْثَالٍ عَظِيمٍ. هَذَا ٱلتِّمْثَالُ ٱلْعَظِيمُ ٱلْبَهِيُّ جِدًّا وَقَفَ قُبَالَتَكَ، وَمَنْظَرُهُ هَائِلٌ.٣١
32 ३२ उस मूर्ति का सिर तो शुद्ध सोने का था, उसकी छाती और भुजाएँ चाँदी की, उसका पेट और जाँघें पीतल की,
رَأْسُ هَذَا ٱلتِّمْثَالِ مِنْ ذَهَبٍ جَيِّدٍ. صَدْرُهُ وَذِرَاعَاهُ مِنْ فِضَّةٍ. بَطْنُهُ وَفَخْذَاهُ مِنْ نُحَاسٍ.٣٢
33 ३३ उसकी टाँगें लोहे की और उसके पाँव कुछ तो लोहे के और कुछ मिट्टी के थे।
سَاقَاهُ مِنْ حَدِيدٍ. قَدَمَاهُ بَعْضُهُمَا مِنْ حَدِيدٍ وَٱلْبَعْضُ مِنْ خَزَفٍ.٣٣
34 ३४ फिर देखते-देखते, तूने क्या देखा, कि एक पत्थर ने, बिना किसी के खोदे, आप ही आप उखड़कर उस मूर्ति के पाँवों पर लगकर जो लोहे और मिट्टी के थे, उनको चूर चूरकर डाला।
كُنْتَ تَنْظُرُ إِلَى أَنْ قُطِعَ حَجَرٌ بِغَيْرِ يَدَيْنِ، فَضَرَبَ ٱلتِّمْثَالَ عَلَى قَدَمَيْهِ ٱللَّتَيْنِ مِنْ حَدِيدٍ وَخَزَفٍ فَسَحَقَهُمَا.٣٤
35 ३५ तब लोहा, मिट्टी, पीतल, चाँदी और सोना भी सब चूर-चूर हो गए, और धूपकाल में खलिहानों के भूसे के समान हवा से ऐसे उड़ गए कि उनका कहीं पता न रहा; और वह पत्थर जो मूर्ति पर लगा था, वह बड़ा पहाड़ बनकर सारी पृथ्वी में फैल गया।
فَٱنْسَحَقَ حِينَئِذٍ ٱلْحَدِيدُ وَٱلْخَزَفُ وَٱلنُّحَاسُ وَٱلْفِضَّةُ وَٱلذَّهَبُ مَعًا، وَصَارَتْ كَعُصَافَةِ ٱلْبَيْدَرِ فِي ٱلصَّيْفِ، فَحَمَلَتْهَا ٱلرِّيحُ فَلَمْ يُوجَدْ لَهَا مَكَانٌ. أَمَّا ٱلْحَجَرُ ٱلَّذِي ضَرَبَ ٱلتِّمْثَالَ فَصَارَ جَبَلًا كَبِيرًا وَمَلَأَ ٱلْأَرْضَ كُلَّهَا.٣٥
36 ३६ “यह स्वप्न है; और अब हम उसका अर्थ राजा को समझा देते हैं।
هَذَا هُوَ ٱلْحُلْمُ. فَنُخْبِرُ بِتَعْبِيرِهِ قُدَّامَ ٱلْمَلِكِ.٣٦
37 ३७ हे राजा, तू तो महाराजाधिराज है, क्योंकि स्वर्ग के परमेश्वर ने तुझको राज्य, सामर्थ्य, शक्ति और महिमा दी है,
«أَنْتَ أَيُّهَا ٱلْمَلِكُ مَلِكُ مُلُوكٍ، لِأَنَّ إِلَهَ ٱلسَّمَاوَاتِ أَعْطَاكَ مَمْلَكَةً وَٱقْتِدَارًا وَسُلْطَانًا وَفَخْرًا.٣٧
38 ३८ और जहाँ कहीं मनुष्य पाए जाते हैं, वहाँ उसने उन सभी को, और मैदान के जीव-जन्तु, और आकाश के पक्षी भी तेरे वश में कर दिए हैं; और तुझको उन सब का अधिकारी ठहराया है। यह सोने का सिर तू ही है।
وَحَيْثُمَا يَسْكُنُ بَنُو ٱلْبَشَرِ وَوُحُوشُ ٱلْبَرِّ وَطُيُورُ ٱلسَّمَاءِ دَفَعَهَا لِيَدِكَ وَسَلَّطَكَ عَلَيْهَا جَمِيعِهَا. فَأَنْتَ هَذَا ٱلرَّأْسُ مِنْ ذَهَبٍ.٣٨
39 ३९ तेरे बाद एक राज्य और उदय होगा जो तुझ से छोटा होगा; फिर एक और तीसरा पीतल का सा राज्य होगा जिसमें सारी पृथ्वी आ जाएगी।
وَبَعْدَكَ تَقُومُ مَمْلَكَةٌ أُخْرَى أَصْغَرُ مِنْكَ وَمَمْلَكَةٌ ثَالِثَةٌ أُخْرَى مِنْ نُحَاسٍ فَتَتَسَلَّطُ عَلَى كُلِّ ٱلْأَرْضِ.٣٩
40 ४० और चौथा राज्य लोहे के तुल्य मजबूत होगा; लोहे से तो सब वस्तुएँ चूर-चूर हो जाती और पिस जाती हैं; इसलिए जिस भाँति लोहे से वे सब कुचली जाती हैं, उसी भाँति, उस चौथे राज्य से सब कुछ चूर-चूर होकर पिस जाएगा।
وَتَكُونُ مَمْلَكَةٌ رَابِعَةٌ صَلْبَةٌ كَٱلْحَدِيدِ، لِأَنَّ ٱلْحَدِيدَ يَدُقُّ وَيَسْحَقُ كُلَّ شَيْءٍ. وَكَالْحَدِيدِ ٱلَّذِي يُكَسِّرُ تَسْحَقُ وَتُكَسِّرُ كُلَّ هَؤُلَاءِ.٤٠
41 ४१ और तूने जो मूर्ति के पाँवों और उनकी उँगलियों को देखा, जो कुछ कुम्हार की मिट्टी की और कुछ लोहे की थीं, इससे वह चौथा राज्य बटा हुआ होगा; तो भी उसमें लोहे का सा कड़ापन रहेगा, जैसे कि तूने कुम्हार की मिट्टी के संग लोहा भी मिला हुआ देखा था।
وَبِمَا رَأَيْتَ ٱلْقَدَمَيْنِ وَٱلْأَصَابِعَ بَعْضُهَا مِنْ خَزَفٍ وَٱلْبَعْضُ مِنْ حَدِيدٍ، فَٱلْمَمْلَكَةُ تَكُونُ مُنْقَسِمَةً، وَيَكُونُ فِيهَا قُوَّةُ ٱلْحَدِيدِ مِنْ حَيْثُ إِنَّكَ رَأَيْتَ ٱلْحَدِيدَ مُخْتَلِطًا بِخَزَفِ ٱلطِّينِ.٤١
42 ४२ और जैसे पाँवों की उँगलियाँ कुछ तो लोहे की और कुछ मिट्टी की थीं, इसका अर्थ यह है, कि वह राज्य कुछ तो दृढ़ और कुछ निर्बल होगा।
وَأَصَابِعُ ٱلْقَدَمَيْنِ بَعْضُهَا مِنْ حَدِيدٍ وَٱلْبَعْضُ مِنْ خَزَفٍ، فَبَعْضُ ٱلْمَمْلَكَةِ يَكُونُ قَوِيًّا وَٱلْبَعْضُ قَصِمًا.٤٢
43 ४३ और तूने जो लोहे को कुम्हार की मिट्टी के संग मिला हुआ देखा, इसका अर्थ यह है, कि उस राज्य के लोग एक दूसरे मनुष्यों से मिले-जुले तो रहेंगे, परन्तु जैसे लोहा मिट्टी के साथ मेल नहीं खाता, वैसे ही वे भी एक न बने रहेंगे।
وَبِمَا رَأَيْتَ ٱلْحَدِيدَ مُخْتَلِطًا بِخَزَفِ ٱلطِّينِ، فَإِنَّهُمْ يَخْتَلِطُونَ بِنَسْلِ ٱلنَّاسِ، وَلَكِنْ لَا يَتَلَاصَقُ هَذَا بِذَاكَ، كَمَا أَنَّ ٱلْحَدِيدَ لَا يَخْتَلِطُ بِٱلْخَزَفِ.٤٣
44 ४४ और उन राजाओं के दिनों में स्वर्ग का परमेश्वर, एक ऐसा राज्य उदय करेगा जो अनन्तकाल तक न टूटेगा, और न वह किसी दूसरी जाति के हाथ में किया जाएगा। वरन् वह उन सब राज्यों को चूर-चूर करेगा, और उनका अन्त कर डालेगा; और वह सदा स्थिर रहेगा;
وَفِي أَيَّامِ هَؤُلَاءِ ٱلْمُلُوكِ، يُقِيمُ إِلَهُ ٱلسَّمَاوَاتِ مَمْلَكَةً لَنْ تَنْقَرِضَ أَبَدًا، وَمَلِكُهَا لَا يُتْرَكُ لِشَعْبٍ آخَرَ، وَتَسْحَقُ وَتُفْنِي كُلَّ هَذِهِ ٱلْمَمَالِكِ، وَهِيَ تَثْبُتُ إِلَى ٱلْأَبَدِ.٤٤
45 ४५ जैसा तूने देखा कि एक पत्थर किसी के हाथ के बिन खोदे पहाड़ में से उखड़ा, और उसने लोहे, पीतल, मिट्टी, चाँदी, और सोने को चूर-चूर किया, इसी रीति महान परमेश्वर ने राजा को जताया है कि इसके बाद क्या-क्या होनेवाला है। न स्वप्न में और न उसके अर्थ में कुछ सन्देह है।”
لِأَنَّكَ رَأَيْتَ أَنَّهُ قَدْ قُطِعَ حَجَرٌ مِنْ جَبَلٍ لَا بِيَدَيْنِ، فَسَحَقَ ٱلْحَدِيدَ وَٱلنُّحَاسَ وَٱلْخَزَفَ وَٱلْفِضَّةَ وَٱلذَّهَبَ. ٱللهُ ٱلْعَظِيمُ قَدْ عَرَّفَ ٱلْمَلِكَ مَا سَيَأْتِي بَعْدَ هَذَا. اَلْحُلْمُ حَقٌّ وَتَعْبِيرُهُ يَقِينٌ».٤٥
46 ४६ इतना सुनकर नबूकदनेस्सर राजा ने मुँह के बल गिरकर दानिय्येल को दण्डवत् किया, और आज्ञा दी कि उसको भेंट चढ़ाओ, और उसके सामने सुगन्ध वस्तु जलाओ।
حِينَئِذٍ خَرَّ نَبُوخَذْنَصَّرُ عَلَى وَجْهِهِ وَسَجَدَ لِدَانِيآلَ، وَأَمَرَ بِأَنْ يُقَدِّمُوا لَهُ تَقْدِمَةً وَرَوَائِحَ سُرُورٍ.٤٦
47 ४७ फिर राजा ने दानिय्येल से कहा, “सच तो यह है कि तुम लोगों का परमेश्वर, सब ईश्वरों का परमेश्वर, राजाओं का राजा और भेदों का खोलनेवाला है, इसलिए तू यह भेद प्रगट कर पाया।”
فَأَجَابَ ٱلْمَلِكُ دَانِيآلَ وَقَالَ: «حَقًّا إِنَّ إِلَهَكُمْ إِلَهُ ٱلْآلِهَةِ وَرَبُّ ٱلْمُلُوكِ وَكَاشِفُ ٱلْأَسْرَارِ، إِذِ ٱسْتَطَعْتَ عَلَى كَشْفِ هَذَا ٱلسِّرِّ».٤٧
48 ४८ तब राजा ने दानिय्येल का पद बड़ा किया, और उसको बहुत से बड़े-बड़े दान दिए; और यह आज्ञा दी कि वह बाबेल के सारे प्रान्त पर हाकिम और बाबेल के सब पंडितों पर मुख्य प्रधान बने।
حِينَئِذٍ عَظَّمَ ٱلْمَلِكُ دَانِيآلَ وَأَعْطَاهُ عَطَايَا كَثِيرَةً، وَسَلَّطَهُ عَلَى كُلِّ وِلَايَةِ بَابِلَ وَجَعَلَهُ رَئِيسَ ٱلشِّحَنِ عَلَى جَمِيعِ حُكَمَاءِ بَابِلَ.٤٨
49 ४९ तब दानिय्येल के विनती करने से राजा ने शद्रक, मेशक, और अबेदनगो को बाबेल के प्रान्त के कार्य के ऊपर नियुक्त कर दिया; परन्तु दानिय्येल आप ही राजा के दरबार में रहा करता था।
فَطَلَبَ دَانِيآلُ مِنَ ٱلْمَلِكِ، فَوَلَّى شَدْرَخَ وَمِيشَخَ وَعَبْدَنَغُوَ عَلَى أَعْمَالِ وِلَايَةِ بَابِلَ. أَمَّا دَانِيآلُ فَكَانَ فِي بَابِ ٱلْمَلِكِ.٤٩

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