< दानिय्येल 12 >
1 १ “उसी समय मीकाएल नाम का बड़ा प्रधान, जो तेरे जातिभाइयों का पक्ष करने को खड़ा रहता है, वह उठेगा। तब ऐसे संकट का समय होगा, जैसा किसी जाति के उत्पन्न होने के समय से लेकर अब तक कभी न हुआ होगा; परन्तु उस समय तेरे लोगों में से जितनों के नाम परमेश्वर की पुस्तक में लिखे हुए हैं, वे बच निकलेंगे।
[The angel also said to me, ] “After those things happen, the great angel Michael, who protects the [Israeli] people, will appear. Then there will be a time when there will be great troubles/suffering. The troubles will be greater than any troubles/suffering since the nations began. At that time, all of your people whose names have been written in the book [containing the names of those who have eternal life] will be saved.
2 २ और जो भूमि के नीचे सोए रहेंगे उनमें से बहुत से लोग जाग उठेंगे, कितने तो सदा के जीवन के लिये, और कितने अपनी नामधराई और सदा तक अत्यन्त घिनौने ठहरने के लिये।
Many of those who have died [EUP] will become alive again. Some of them will live eternally [with God], and some will be eternally shamed/disgraced [in hell]. ()
3 ३ तब बुद्धिमानों की चमक आकाशमण्डल की सी होगी, और जो बहुतों को धर्मी बनाते हैं, वे सर्वदा तारों के समान प्रकाशमान रहेंगे।
Those who were wise will shine as brightly as the sky [is bright when the sun is shining]. And those who have shown to others the way to live righteously will shine forever, like the stars [SIM].
4 ४ परन्तु हे दानिय्येल, तू इस पुस्तक पर मुहर करके इन वचनों को अन्त समय तक के लिये बन्द रख। और बहुत लोग पूछ-पाछ और ढूँढ़-ढाँढ़ करेंगे, और इससे ज्ञान बढ़ भी जाएगा।”
But as for you, Daniel, close up the scroll [on which you are writing], and seal it [in order that no one can open it] until the end [of the world] is near. [Before that happens, ] many people will travel rapidly here and there, learning more and more [about many things].”
5 ५ यह सब सुन, मुझ दानिय्येल ने दृष्टि करके क्या देखा कि और दो पुरुष खड़े हैं, एक तो नदी के इस तट पर, और दूसरा नदी के उस तट पर है।
When [that angel finished speaking], I, Daniel, looked up, and suddenly I saw two other [angels]. One was standing on the side of the river [where I was], and one was standing on the other side.
6 ६ तब जो पुरुष सन का वस्त्र पहने हुए नदी के जल के ऊपर था, उससे उन पुरुषों में से एक ने पूछा, “इन आश्चर्यकर्मों का अन्त कब तक होगा?”
One of them [called to] the other one, who was wearing linen/white clothes, who was now standing further up (OR, above) the river, “How long will it be until these amazing/frightening events end?”
7 ७ तब जो पुरुष सन का वस्त्र पहने हुए नदी के जल के ऊपर था, उसने मेरे सुनते दाहिना और बायाँ अपने दोनों हाथ स्वर्ग की ओर उठाकर, सदा जीवित रहनेवाले की शपथ खाकर कहा, “यह दशा साढ़े तीन काल तक ही रहेगी; और जब पवित्र प्रजा की शक्ति टूटते-टूटते समाप्त हो जाएगी, तब ये बातें पूरी होंगी।”
The angel who was on the other side of (OR, above) the river raised his hands toward the sky, and solemnly promised, with the authority [MTY] of God, who lives forever, “It will be three and a half years. All these things will end after God’s people stop fighting against those who (persecute/cause trouble for/cause suffering for) them.”
8 ८ यह बात मैं सुनता तो था परन्तु कुछ न समझा। तब मैंने कहा, “हे मेरे प्रभु, इन बातों का अन्तफल क्या होगा?”
I heard [what he said], but I did not understand it. So I asked, “Sir, what will be the result when these things end?”
9 ९ उसने कहा, “हे दानिय्येल चला जा; क्योंकि ये बातें अन्त समय के लिये बन्द हैं और इन पर मुहर दी हुई है।
He replied, “Daniel, you must leave now. [I cannot answer your question] because what it means must (be kept secret/not be revealed) [DOU] until the time when everything ends.
10 १० बहुत लोग तो अपने-अपने को निर्मल और उजले करेंगे, और स्वच्छ हो जाएँगे; परन्तु दुष्ट लोग दुष्टता ही करते रहेंगे; और दुष्टों में से कोई ये बातें न समझेगा; परन्तु जो बुद्धिमान है वे ही समझेंगे।
Many people will thoroughly purify their inner beings [DOU]. But wicked people will not understand these things. They will continue to be wicked. Only those who are wise will understand [these things].
11 ११ जब से नित्य होमबलि उठाई जाएगी, और वह घिनौनी वस्तु जो उजाड़ करा देती है, स्थापित की जाएगी, तब से बारह सौ नब्बे दिन बीतेंगे।
[But I can tell you that before everything ends, ] there will be 1,290 days, from the time that people are prevented from offering sacrifices each day, that is, from the time that the abominable/disgusting thing is put in the temple.
12 १२ क्या ही धन्य है वह, जो धीरज धरकर तेरह सौ पैंतीस दिन के अन्त तक भी पहुँचे।
God will be pleased with those who remain faithful until 1,335 days are ended.
13 १३ अब तू जाकर अन्त तक ठहरा रह; और तू विश्राम करता रहेगा; और उन दिनों के अन्त में तू अपने निज भाग पर खड़ा होगा।”
So [now I say] to you, continue to faithfully [trust God] until [your life on earth] ends. You will die [EUP], but when everything ends, you will receive your reward [from God].”