< प्रेरितों के काम 1 >
1 १ हे थियुफिलुस, मैंने पहली पुस्तिका उन सब बातों के विषय में लिखी, जो यीशु आरम्भ से करता और सिखाता रहा,
THE former treatise, Theophilus, I composed, concerning all things which Jesus began both to do and to teach,
2 २ उस दिन तक जब वह उन प्रेरितों को जिन्हें उसने चुना था, पवित्र आत्मा के द्वारा आज्ञा देकर ऊपर उठाया न गया,
until that day, when having given a charge to his apostles through the Holy Ghost, whom he had chosen, he was taken up:
3 ३ और यीशु के दुःख उठाने के बाद बहुत से पक्के प्रमाणों से अपने आपको उन्हें जीवित दिखाया, और चालीस दिन तक वह प्रेरितों को दिखाई देता रहा, और परमेश्वर के राज्य की बातें करता रहा।
to whom also he had shewed himself alive, after he had suffered, by many infallible proofs, during forty days being frequently seen by them, and speaking of the things which relate to the kingdom of God:
4 ४ और चेलों से मिलकर उन्हें आज्ञा दी, “यरूशलेम को न छोड़ो, परन्तु पिता की उस प्रतिज्ञा के पूरे होने की प्रतीक्षा करते रहो, जिसकी चर्चा तुम मुझसे सुन चुके हो।
and assembling them together, commanded them not to depart from Jerusalem, but to wait for the promise of the Father, which, said he, ye have heard from me.
5 ५ क्योंकि यूहन्ना ने तो पानी में बपतिस्मा दिया है परन्तु थोड़े दिनों के बाद तुम पवित्र आत्मा से बपतिस्मा पाओगे।”
For John indeed baptised with water; but ye shall be baptised with the Holy Ghost not many days after the present.
6 ६ अतः उन्होंने इकट्ठे होकर उससे पूछा, “हे प्रभु, क्या तू इसी समय इस्राएल का राज्य पुनः स्थापित करेगा?”
They then accordingly assembling together, asked him, saying, Lord, wilt thou at this time reestablish the kingdom of Israel?
7 ७ उसने उनसे कहा, “उन समयों या कालों को जानना, जिनको पिता ने अपने ही अधिकार में रखा है, तुम्हारा काम नहीं।
But he said unto them, It is not for you to know the times and the seasons, which the Father hath reserved under his own authority.
8 ८ परन्तु जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगा तबतुम सामर्थ्य पाओगे; और यरूशलेम और सारे यहूदिया और सामरिया में, और पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होंगे।”
But ye shall receive power, when the Holy Ghost is come upon you: and ye shall be witnesses for me, both in Jerusalem, and throughout all Judea, and Samaria, and unto the extremity of the earth.
9 ९ यह कहकर वह उनके देखते-देखते ऊपर उठा लिया गया, और बादल ने उसे उनकी आँखों से छिपा लिया।
And as he was speaking these things, while they were looking upon him, he was taken up; and a cloud enveloping him hid him from their eyes.
10 १० और उसके जाते समय जब वे आकाश की ओर ताक रहे थे, तब देखो, दो पुरुष श्वेत वस्त्र पहने हुए उनके पास आ खड़े हुए।
And as they looked up earnestly into the heaven, while he was passing, behold, two men stood by them in white apparel;
11 ११ और कहने लगे, “हे गलीली पुरुषों, तुम क्यों खड़े स्वर्ग की ओर देख रहे हो? यही यीशु, जो तुम्हारे पास से स्वर्ग पर उठा लिया गया है, जिस रीति से तुम ने उसे स्वर्ग को जाते देखा है उसी रीति से वह फिर आएगा।”
who also said to them, Ye men of Galilee, why stand ye gazing up to heaven? this Jesus, who hath been taken up from you into heaven, shall so come, in the same manner as ye have seen him go into heaven.
12 १२ तब वे जैतून नामक पहाड़ से जो यरूशलेम के निकट एक सब्त के दिन की दूरी पर है, यरूशलेम को लौटे।
Then they returned unto Jerusalem, from the mount called Olivet, which is near Jerusalem, about a sabbath-day’s journey distant.
13 १३ और जब वहाँ पहुँचे तो वे उस अटारी पर गए, जहाँ पतरस, यूहन्ना, याकूब, अन्द्रियास, फिलिप्पुस, थोमा, बरतुल्मै, मत्ती, हलफईस का पुत्र याकूब, शमौन जेलोतेस और याकूब का पुत्र यहूदा रहते थे।
And when they had arrived, they went up to an upper room, where abode Peter, and James, and John, and Andrew, Philip, and Thomas, Bartholomew, and Matthew, James son of Alpheus, and Simon the zealous, and Jude brother to James.
14 १४ ये सब कई स्त्रियों और यीशु की माता मरियम और उसके भाइयों के साथ एक चित्त होकर प्रार्थना में लगे रहे।
These all persevered unanimously in prayer and supplication, with the women, and Mary the mother of Jesus, and with his brethren.
15 १५ और उन्हीं दिनों में पतरस भाइयों के बीच में जो एक सौ बीस व्यक्ति के लगभग इकट्ठे थे, खड़ा होकर कहने लगा।
And in those days arose Peter in the midst of the disciples, and said, (there was a number of persons together, about an hundred and twenty, )
16 १६ “हे भाइयों, अवश्य था कि पवित्रशास्त्र का वह लेख पूरा हो, जो पवित्र आत्मा ने दाऊद के मुख से यहूदा के विषय में जो यीशु के पकड़ने वालों का अगुआ था, पहले से कहा था।
Men and brethren, it must needs be that this scripture should be fulfilled, which the Holy Ghost delivered before by the mouth of David concerning Judas, who was the conductor of those who seized on Jesus.
17 १७ क्योंकि वह तो हम में गिना गया, और इस सेवकाई में भी सहभागी हुआ।”
For he was reckoned of our number, and had obtained an appointment to this ministry.
18 १८ (उसने अधर्म की कमाई से एक खेत मोल लिया; और सिर के बल गिरा, और उसका पेट फट गया, और उसकी सब अंतड़ियाँ निकल गई।
This man indeed accordingly purchased a spot of ground with the wages of iniquity; and projected forward, he burst in the midst, and all his bowels fell out.
19 १९ और इस बात को यरूशलेम के सब रहनेवाले जान गए, यहाँ तक कि उस खेत का नाम उनकी भाषा में ‘हकलदमा’ अर्थात् ‘लहू का खेत’ पड़ गया।)
And it was a fact known to all who dwelt at Jerusalem; so that this field is called in their own dialect, Aceldama, that is, The field of blood.
20 २० क्योंकि भजन संहिता में लिखा है, ‘उसका घर उजड़ जाए, और उसमें कोई न बसे’ और ‘उसका पद कोई दूसरा ले ले।’
For it is written in the book of Psalms, Let his habitation be desolate, and let there be no man to dwell in it: and his office, as bishop, let another take.
21 २१ इसलिए जितने दिन तक प्रभु यीशु हमारे साथ आता-जाता रहा, अर्थात् यूहन्ना के बपतिस्मा से लेकर उसके हमारे पास से उठाए जाने तक, जो लोग बराबर हमारे साथ रहे,
Wherefore from among the men who have associated with us always during the time that the Lord Jesus went in and out among us,
22 २२ उचित है कि उनमें से एक व्यक्ति हमारे साथ उसके जी उठने का गवाह हो जाए।
beginning from his baptism by John, until the day in which he was taken up from us, must there be chosen with us a witness of his resurrection, even one of these.
23 २३ तब उन्होंने दो को खड़ा किया, एक यूसुफ को, जो बरसब्बास कहलाता है, जिसका उपनाम यूस्तुस है, दूसरा मत्तियाह को।
So they appointed two persons, Joseph called Barsabas, whose sirname was Justus, and Matthias.
24 २४ और यह कहकर प्रार्थना की, “हे प्रभु, तू जो सब के मन को जानता है, यह प्रगट कर कि इन दोनों में से तूने किसको चुना है,
And joining in prayer, they said, Do thou, O Lord, who knowest the hearts of all men, point out the one of these two which thou hast chosen,
25 २५ कि वह इस सेवकाई और प्रेरिताई का पद ले, जिसे यहूदा छोड़कर अपने स्थान को गया।”
to take a part in this ministry and apostleship, from which Judas by transgression fell, to go to his own place.
26 २६ तब उन्होंने उनके बारे में चिट्ठियाँ डाली, और चिट्ठी मत्तियाह के नाम पर निकली, अतः वह उन ग्यारह प्रेरितों के साथ गिना गया।
And they drew lots for them and the lot fell to Matthias and he was by unanimous suffrage numbered with the eleven apostles.