< प्रेरितों के काम 28 >

1 जब हम बच निकले, तो पता चला कि यह टापू माल्टा कहलाता है।
ଅଃମିମଃନ୍‌ ରଃକ୍ୟା ହାୟ୍‌ ହଃଚ୍‌ଲାକେ ସେ ଜଃଗା ମିଲିତି ଟାପୁ ବଃଲି ଜାଣ୍‌ଲୁ ।
2 और वहाँ के निवासियों ने हम पर अनोखी कृपा की; क्योंकि मेंह के कारण जो बरस रहा था और जाड़े के कारण, उन्होंने आग सुलगाकर हम सब को ठहराया।
ଆର୍‌ ସେତିର୍‌ ଅଜିଉଦି ଲକ୍‌ମଃନ୍ ଅଃମିକ୍‌ ବଃଡେ ଦଃୟା ଦଃକାୟ୍‌ଲାୟ୍‌, କାୟ୍‌ତାକ୍‌ବଃଲେକ୍‌ ବଃର୍ସା ଆର୍‌ ସିତ୍‌ ଅଃଉତି ରିଲାକ୍‌ ସେମଃନ୍ ଜୟ୍‌ ଲାଗାୟ୍‌ ଅଃମିକ୍‌ ତାହୁକ୍‌ ଦିଲାୟ୍‌ ।
3 जब पौलुस ने लकड़ियों का गट्ठा बटोरकर आग पर रखा, तो एक साँप आँच पाकर निकला और उसके हाथ से लिपट गया।
ମଃତର୍‌ ପାଉଲ୍‌ ହଃଣ୍ଡେକ୍‌ ଜାଟି ରୁଣ୍ଡାୟ୍‌ ଆଣି ଜୟେ ହଃକାୟ୍‌ଲାକ୍‌ ତାହାତାର୍‌ ଗିନେ ଗଟେକ୍‌ ବିସ୍‌ ସାହ୍‌ ବାରୟ୍‌ ପାଉଲାର୍‌ ଆତେ ଚାବି ଅଳାୟ୍‌ ଅୟ୍‌ରିଲି ।
4 जब उन निवासियों ने साँप को उसके हाथ में लटके हुए देखा, तो आपस में कहा, “सचमुच यह मनुष्य हत्यारा है, कि यद्यपि समुद्र से बच गया, तो भी न्याय ने जीवित रहने न दिया।”
ସେତି ଲକ୍‌ମଃନ୍ ତାର୍‌ ଆତେ ସେ ସାହ୍‌କେ ଅଳାୟ୍‌ ଅୟ୍‌ରିଲାର୍‌ ଦଃକି, ତାକାର୍‌ ତାକାର୍‌ ବିତ୍ରେ କଃଉଆକଇ ଅୟ୍‌ଲାୟ୍‌, “ଇ ବିଦେସିଆ ଲକ୍‌ ବାୟ୍‌ଦ୍‌ରେ ହଃତ୍ୟାକାରି, ସଃମ୍‌ନ୍ଦେ ହୁଣି ରଃକ୍ୟା ହାୟ୍‌ଲାକ୍‌ ହେଁ ଦଃର୍ମ୍‌ ଆକ୍‌ ଜିବନ୍‌ ରେଉଁକେ ନଃଦେଉଁଲି ।”
5 तब उसने साँप को आग में झटक दिया, और उसे कुछ हानि न पहुँची।
ମଃତର୍‌ ପାଉଲ୍‌ ସେ ସାହ୍‌କେ ଉର୍ଲି ଜୟେ ହଃକାୟ୍‌ଲା, ଆର୍‌ ତାର୍‌ କାୟ୍‌ହେଁ ନୟ୍‌ଲି ।
6 परन्तु वे प्रतीक्षा कर रहे थे कि वह सूज जाएगा, या एकाएक गिरकर मर जाएगा, परन्तु जब वे बहुत देर तक देखते रहे और देखा कि उसका कुछ भी नहीं बिगड़ा, तो और ही विचार कर कहा, “यह तो कोई देवता है।”
ସେ ହୁଲି ଜାୟ୍‌ଦ୍‌ କି ତଃତ୍‌କାଣ୍ ମଃରେଦ୍‌ ବଃଲି ଦଃକ୍ତି ରିଲାୟ୍‌, ମଃତର୍‌ ବୁତେକ୍‌ ବେଳ୍‌ ହଃତେକ୍‌ ଦଃକ୍‌ଲା ହଃଚେ ହେଁ ତାର୍‌ କାୟ୍‌ନୟ୍‌ଲି, ଇରି ଦଃକି ସେମଃନ୍ କଃଉଆକଇ ଅୟ୍‌ଲାୟ୍‌, “ଏ ଗଟେକ୍‌ ମାପ୍ରୁ ।”
7 उस जगह के आस-पास पुबलियुस नामक उस टापू के प्रधान की भूमि थी: उसने हमें अपने घर ले जाकर तीन दिन मित्रभाव से पहुनाई की।
ସେ ଜଃଗାର୍‌ ଚଃମେ ପୁବ୍‌ଲିଆ ନାଉଁଆର୍‌ ଗଟେକ୍‌ ମୁଳିକା ଲକାର୍‌ ବୁୟ୍‌ଁ ଆର୍‌ ଗଃର୍‌ ରିଲି, ଅଃମିକ୍‌ କୁଦି ତିନିଦିନ୍ ହଃତେକ୍‌ ତାର୍‌ ଗଃରେ ରେଉଁକ୍‌ ଦିଲା ଆର୍‌ ଜଃତୁନ୍‌ କଃଲା ।
8 पुबलियुस के पिता तेज बुखार और पेचिश से रोगी पड़ा था। अतः पौलुस ने उसके पास घर में जाकर प्रार्थना की, और उस पर हाथ रखकर उसे चंगा किया।
ସଃଡେବଃଳ୍‌ ପୁବ୍‌ଲିଆର୍‌ ଉବାସି ଜଃର୍‌ ଆର୍‌ ବଃନ୍ଦାଳ୍‌ ଗିନେ ସୟ୍‌ରିଲା । ଆର୍‌ ପାଉଲ୍‌ ବିତ୍ରେ ଜାୟ୍‌ ପାର୍ତ୍‌ନା କଃଲା ଆର୍‌ ତାର୍‌ ଉହ୍ରେ ଆତ୍‌ ସଃଙ୍ଗାୟ୍‌ ତାକେ ଉଜ୍‌ କଃଲା ।
9 जब ऐसा हुआ, तो उस टापू के बाकी बीमार आए, और चंगे किए गए।
ଇ ଗଃଟ୍‍ଣା ହଃଚେ ସେ ମିଲ୍‌ତିର୍‌ ସଃବୁ ରଗିମଃନ୍ ଆସି ଉଜ୍‌ ଅୟ୍‌ଲାୟ୍‌ ।
10 १० उन्होंने हमारा बहुत आदर किया, और जब हम चलने लगे, तो जो कुछ हमारे लिये आवश्यक था, जहाज पर रख दिया।
ସେମଃନ୍ ହେଁ ଆମିମଃନ୍‌କେ ବଃଳେ ମାନ୍‌ତି କଃଲାୟ୍‌, ଅଃମି ଜଃଉଁକେ ବାରାଉତା ବଃଡେ ଅଃମାର୍‌ ଦଃର୍‌କାର୍‌ ଆସ୍ତିବାଡି ମଃନ୍‌ହେଁ ଦିଲାୟ୍‌ ।
11 ११ तीन महीने के बाद हम सिकन्दरिया के एक जहाज पर चल निकले, जो उस टापू में जाड़े काट रहा था, और जिसका चिन्ह दियुसकूरी था।
ତିନିମାସ୍‌ ହଃଚେ ଅଃମିମଃନ୍‌ ଗଟେକ୍‌ ଆଲେକ୍‌ଜେଣ୍ଡ୍ରିଆର୍‌ ଜାଜେ ଚଃଗି ଜଃଉଁକେ ଦଃର୍ଲୁ, ସେ ଡଙ୍ଗା ଇ ଜଃଗାୟ୍‌ ସିତ୍‌ କାଳ୍‌ ରିଲି, ତାର୍‌ ଚିନ୍ ଅୟ୍‌ଲି ଜଳା ମାପ୍ରୁ ।
12 १२ सुरकूसा में लंगर डाल करके हम तीन दिन टिके रहे।
ସୁରାକୁସ୍‌ ଗଃଳେ ହଚ୍‌ଲୁ, ସେତି ଅଃମିମଃନ୍‌ ତିନିଦିନ୍ ରିଲୁ ।
13 १३ वहाँ से हम घूमकर रेगियुम में आए; और एक दिन के बाद दक्षिणी हवा चली, तब दूसरे दिन पुतियुली में आए।
ଆରେକ୍‌ ସେତି ହୁଣି ଜାଜେ ଜାୟ୍‌ ରେଗିଅ ତଃୟ୍‌ ହଚ୍‌ଲୁ ଦୁୟ୍‌ ଦିନାର୍‌ ହଃଚେ ଉତୁର୍‌ ଦିଗ୍ ବାଟ୍ୟାର୍‌ ବାଉ ଆୟ୍‌ଲାକ୍‌ ଆରେକ୍‌ ଗଟ୍‌ ଦିନ୍ ପୁତେଅଲିକେ ଆୟ୍‌ଲୁ ।
14 १४ वहाँ हमको कुछ भाई मिले, और उनके कहने से हम उनके यहाँ सात दिन तक रहे; और इस रीति से हम रोम को चले।
ସେ ଟାଣେ ଅଃମିମଃନ୍‌ କ୍ରିସ୍ଟାନ୍ ବିସ୍ୱାସି ବାୟ୍‌ମଃନ୍‌କେ ବେଟ୍‌ ଅୟ୍‌ଲୁ, ଆର୍‌ ସେମଃନାର୍‌ ସଃଙ୍ଗ୍ ଆଟ୍‌ଦିନ୍ ରେଉଁକ୍‌ ସେମଃନ୍ ଅଃମିକ୍‌ ଗଃଉଆରି କଃଲାୟ୍‌, ଅଃନ୍‌କଃରି ଅଃମିମଃନ୍‌ ରମ୍‌ ହଚ୍‌ଲୁ ।
15 १५ वहाँ से वे भाई हमारा समाचार सुनकर अप्पियुस के चौक और तीन-सराय तक हमारी भेंट करने को निकल आए, जिन्हें देखकर पौलुस ने परमेश्वर का धन्यवाद किया, और ढाढ़स बाँधा।
ଅଃମାର୍‌ କବୁର୍‌ ସୁଣି ରମ୍‌ ତଃୟ୍‌ର୍‌ ବିସ୍ୱାସି ବାୟ୍‌ ବେଣିମଃନ୍‌ ଅଃମିକ୍‌ ଅପିଅର୍‌ ଆଟ୍‌, ଆର୍‌ ତିନି ସରାୟ୍‌ ଗଃର୍‌ ହଃତେକ୍‌ ଅଃମିକ୍‌ ବେଟ୍‌ ଅଃଉଁକେ ଆୟ୍‌ଲାୟ୍‌, ଆରେକ୍‌ ପାଉଲ୍‌ ସେମଃନ୍‌କେ ଦଃକି ଇସ୍ୱର୍‌କେ ଜୁଆର୍‌ କଃରି ସାସ୍‌ ହାୟ୍‌ଲା ।
16 १६ जब हम रोम में पहुँचे, तो पौलुस को एक सिपाही के साथ जो उसकी रखवाली करता था, अकेले रहने की आज्ञा हुई।
ଆର୍‌ ଅଃମିମଃନ୍‌ ରମ୍‌ ତଃୟ୍‌ ହଚ୍‌ଲାକ୍‌ ପାଉଲ୍‌କେ ଜାଗ୍‌ତା ସଃଇନ୍‌ମଃନ୍ ସଃଙ୍ଗେ ଅଃଲ୍‌ଗା ତଃୟ୍‌ ରେଉଁକ୍‌ ଦିଆ ଅୟ୍‌ଲି ।
17 १७ तीन दिन के बाद उसने यहूदियों के प्रमुख लोगों को बुलाया, और जब वे इकट्ठे हुए तो उनसे कहा, “हे भाइयों, मैंने अपने लोगों के या पूर्वजों की प्रथाओं के विरोध में कुछ भी नहीं किया, फिर भी बन्दी बनाकर यरूशलेम से रोमियों के हाथ सौंपा गया।
ତିନିଦିନ୍ ଗଃଲାକେ ପାଉଲ୍‌ ଜିଉଦିମଃନାର୍‌ ବଃଡ୍‌ବଃଡ୍ ଲକ୍‌କେ କୁଦ୍‌ଲା ଆର୍‌ ସେମଃନ୍ ରୁଣ୍ଡ୍‌ଲାକ୍‌, ପାଉଲ୍‌ ସେମଃନ୍‌କେ କୟ୍‌ଲା, “ଏ ଇସ୍ରାଏଲାର୍‌ ବାୟ୍‌ବେଣିମଃନ୍, ଅୟ୍‌ଲେକ୍‌ ହେଁ ମୁୟ୍‌ଁ ନିଜାର୍‌ ଲକ୍‌ ବିରଦେ କି ଅଃମାର୍‌ ଦାଦିବାବୁର୍‌ ରିତିବିଦି ବିରଦେ କାୟ୍‌ରି ନଃକେରି, ଅୟ୍‌ଲେକ୍‌ ହେଁ ଜିରୁସାଲମ୍‌ ତଃୟ୍‌ହୁଣି ରମିୟସମଃନାର୍‌ ଆତେ ସଃହ୍ରିଅୟ୍‌ଲେ ।
18 १८ उन्होंने मुझे जाँचकर छोड़ देना चाहा, क्योंकि मुझ में मृत्यु के योग्य कोई दोष न था।
ସେମଃନ୍ ମର୍‌ ବିଚାର୍‌ କଃରି ମକେ ହଃଚାର୍ଲା ହଃଚେ ମର୍‌ ତଃୟ୍‌ ମଃର୍ନ୍‌ ଦଃଣ୍ଡାର୍‌ କାୟ୍‌ ଦଃସ୍‌ ନଃରିଲାକ୍‌ ମକ୍‌ ଚାଡି ଦେଉଁକ୍‌ ମଃନ୍ କଃର୍ତି ରିଲାୟ୍‌ ।
19 १९ परन्तु जब यहूदी इसके विरोध में बोलने लगे, तो मुझे कैसर की दुहाई देनी पड़ी; यह नहीं कि मुझे अपने लोगों पर कोई दोष लगाना था।
ମଃତର୍‌ ଜିଉଦିମଃନ୍ ମକ୍‌ ଚାଡ୍‌ତା କଃତାର୍‌ ବିରଦେ କୟ୍‌ଲାକ୍‌ ମୁୟ୍‌ଁ କାଇସର୍‌ ଚଃମେ ବିଚାର୍‌ ଅଃଉଁକେ ଗଃଉଆରି କଃଲେ, ମର୍‌ ନିଜାର୍‌ ଜାତି ବିରଦେ କାୟ୍‌ କଃତା ନଃରିଲି, ସେରି ନାୟ୍‌ ।
20 २० इसलिए मैंने तुम को बुलाया है, कि तुम से मिलूँ और बातचीत करूँ; क्योंकि इस्राएल की आशा के लिये मैं इस जंजीर से जकड़ा हुआ हूँ।”
ସେତାର୍‌ଗିନେ ଇ ବିସୟେ ମୁୟ୍‌ଁ ତୁମିମଃନ୍‌କେ ମର୍‌ ସଃଙ୍ଗ୍ ବେଟ୍‌ ଅୟ୍‌ କଃତାବାର୍ତା କଃରୁକେ ଗଃଉଆରି କଃଲେ, କାୟ୍‌ତାକ୍‌ବଃଲେକ୍‌ ଇସ୍ରାଏଲାର୍‌ ବଃର୍ସା ଗିନେ ମୁୟ୍‌ଁ ଇ ସିକ୍ଳାୟ୍‌ ବାନ୍ଦାୟ୍‌ ଅୟ୍‌ ଆଚି ।”
21 २१ उन्होंने उससे कहा, “न हमने तेरे विषय में यहूदियों से चिट्ठियाँ पाईं, और न भाइयों में से किसी ने आकर तेरे विषय में कुछ बताया, और न बुरा कहा।
ସେତାକ୍‌ ସେମଃନ୍ ତାକେ କୟ୍‌ଲାୟ୍‌, “ତର୍‌ କଃତା ଜିଉଦା ଦେସେ ହୁଣି ଅଃମିମଃନ୍‌ କାୟ୍‌ ଚିଟି ନଃହାଉଁ, କି ବାୟ୍‌ମଃନାର୍‌ ବିତ୍ରେ କେ ଇତି ଆସି ତର୍‌ କଃତା କାୟ୍‌ କଃରାବ୍‌ କବୁର୍‌ ନଃଦେତି କି ନଃକଃଉତି ।
22 २२ परन्तु तेरा विचार क्या है? वही हम तुझ से सुनना चाहते हैं, क्योंकि हम जानते हैं, कि हर जगह इस मत के विरोध में लोग बातें करते हैं।”
ମଃତର୍‌ ତର୍‌ ବାବ୍‌ କାୟ୍‌ରି ସେରି ଅଃମିମଃନ୍‌ ତର୍‌ ତଃୟ୍‌ହୁଣି ସୁଣୁକ୍‌ ମଃନ୍‌କଃରୁଲୁ, କାୟ୍‌ତାକ୍‌ବଃଲେକ୍‌ ଇ ଦଃଳ୍‌ ବିରଦେ କଃତା କଃଉଁଲାୟ୍‌ ବଃଲି ଅଃମି ଜାଣୁ, ସଃବୁ ହାକ୍‌ ତର୍‌ ଦଃଳ୍‌ ବିରଦେ କଃତାକ୍‌ ଅଃଉଁଲାୟ୍‌ ।”
23 २३ तब उन्होंने उसके लिये एक दिन ठहराया, और बहुत से लोग उसके यहाँ इकट्ठे हुए, और वह परमेश्वर के राज्य की गवाही देता हुआ, और मूसा की व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तकों से यीशु के विषय में समझा-समझाकर भोर से साँझ तक वर्णन करता रहा।
ଇତାକ୍‌ ସେମଃନ୍ ତାର୍‌ ସଃଙ୍ଗ୍ ଗଟେକ୍‌ ଦିନ୍ ଟିକ୍‌କଃରି, ବୁତେକ୍‌ ଲକ୍‌ ତାର୍‌ ବାସାୟ୍‌ ଆୟ୍‌ଲାୟ୍‌ ଆର୍‌ ସେ ସଃକାଳ୍‌ ହୁଣି ସଃଞ୍ଜ୍ ହଃତେକ୍‌ ସେମଃନାର୍‌ ସଃଙ୍ଗ୍ କଃତାଅୟ୍‌ ଇସ୍ୱରାର୍‌ ରାଇଜାର୍‌ ବିସୟେ ସାକି ଦିଲା, ଆରେକ୍‌ ମସାର୍‌ ବିଦି ଆରେକ୍‌ ବାବ୍‌ବାଦିମଃନାର୍‌ ସାସ୍ତର୍‌କେ ଦଃରି ଜିସୁର୍‌ କଃତା ସେମଃନ୍‌କେ ବିସ୍ୱାସ୍‌ କଃରାଉଁକ୍‌ କୟ୍‌ଲା ।
24 २४ तब कुछ ने उन बातों को मान लिया, और कुछ ने विश्वास न किया।
ସେତାକ୍‌ କେକେ କୟ୍‌ଲା କଃତାକ୍‌ ବିସ୍ୱାସ୍‌କଃଲାୟ୍‌ ମଃତର୍‌ କେକେ ସଃତ୍‌ ନଃକେଲାୟ୍‌ ।
25 २५ जब वे आपस में एकमत न हुए, तो पौलुस के इस एक बात के कहने पर चले गए, “पवित्र आत्मा ने यशायाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा तुम्हारे पूर्वजों से ठीक ही कहा,
ଆରେକ୍‌ ସେମଃନାର୍‌ ବିତ୍ରେ ଗଟେକ୍‌ ମଃନ୍ ନୟ୍‌ଲାକ୍‌ ସେତି ହୁଣି ଗଃଳାୟ୍‌ । ସେମଃନ୍ ଜାତାବଃଳ୍‌ ପାଉଲ୍‌ ଗଟେକ୍‌ କଃତା କୟ୍‌ଲା, “ତୁମିମଃନାର୍‌ ଦାଦିବାବୁମଃନ୍‌କେ ବାବ୍‌ବାଦି ଜିସାୟ୍‌ ହୁଣି ପବିତ୍ର ଆତ୍ମା ସଃତ୍‌ କୟ୍‌ ଆଚେ ।”
26 २६ ‘जाकर इन लोगों से कह, कि सुनते तो रहोगे, परन्तु न समझोगे, और देखते तो रहोगे, परन्तु न बूझोगे;
ସେ କୟ୍‌ଆଚେ ଇ ଲକ୍‌ମଃନାର୍‌ ତଃୟ୍‌ ଜାୟ୍‌ କଃଉଆ, ତୁମିମଃନ୍ ସୁଣୁସୁଣୁ ସୁଣାସ୍‌, ମଃତର୍‌ ନଃବୁଜାସ୍‌, ଆରେକ୍‌ ଦଃକୁଦଃକୁ ଦଃକାସ୍‌ ମଃତର୍‌ ଦଃକୁ ନଃହାରାସ୍‌ ।
27 २७ क्योंकि इन लोगों का मन मोटा, और उनके कान भारी हो गए हैं, और उन्होंने अपनी आँखें बन्द की हैं, ऐसा न हो कि वे कभी आँखों से देखें, और कानों से सुनें, और मन से समझें और फिरें, और मैं उन्हें चंगा करूँ।’
କାୟ୍‌ତାକ୍‌ବଃଲେକ୍‌ ଇ ଲକ୍‌ମଃନ୍ ଅଃବୁଜ୍ୟା, ସେମଃନ୍ କାନେ କଃସ୍ଟେ ସୁଣ୍‌ଲାୟ୍‌, ଆର୍‌ ଅଃହ୍‌ଣାର୍‌ ଆକି ଲୁମଃଲାୟ୍‌, ଜଃନ୍‌କଃରି ସେମଃନ୍ ଆକାୟ୍‌ ନଃଦେକ୍‌ତି, ଆର୍‌ କାନେ ନଃସୁଣ୍‌ତି, ଆର୍‌ ଗଃର୍ବେ ନଃବୁଜ୍‌ତି, ଆରେକ୍‌ ବାଉଳିନାସ୍ତି, ଆର୍‌ ଅଃମି ସେମଃନ୍‌କେ ଉଜ୍‌ ନଃକେରୁ ।
28 २८ “अतः तुम जानो, कि परमेश्वर के इस उद्धार की कथा अन्यजातियों के पास भेजी गई है, और वे सुनेंगे।”
ସଃରାସଃରି ଇସ୍ୱରାର୍‌ ଇ ମୁକ୍ତି କଃର୍ତାର୍‌ ଅଜିଉଦି ଲକ୍‌ମଃନାର୍‌ ତଃୟ୍‌ ହଃଟାଅୟ୍‌ଆଚେ “ତୁମିମଃନ୍ ଇତି ଜାଣା, ସେମଃନ୍ ହେଁ ସୁଣ୍‌ତି ।”
29 २९ जब उसने यह कहा तो यहूदी आपस में बहुत विवाद करने लगे और वहाँ से चले गए।
ଆର୍‌ ପାଉଲ ଇ ସଃବୁ କଃତା କୟ୍‌ଲାକ୍‌ ଜିଉଦିମଃନ୍ ଅଃହ୍‌ଣା ଅଃହ୍‌ଣାର୍‌ ବିତ୍ରେ କଃଉଆକଇ ଅୟ୍‌ ହଃଳାୟ୍‌ଲାୟ୍‌ ।
30 ३० और पौलुस पूरे दो वर्ष अपने किराये के घर में रहा,
ପାଉଲ୍‌ ଗଟେକ୍‌ ଗଃର୍‌ବାଳା କଃରି ଦୁୟ୍‌ ବଃର୍ସ୍‌ ହଃତେକ୍‌ ରିଲା ଆର୍‌ ତାକେ ଦଃକୁକେ ଆସ୍ତି ରିଲା ସଃବୁ ଲକ୍‌ମଃନ୍‌କେ ସଃର୍ଦାୟ୍‌ କୁଦ୍‌ତିରିଲା ।
31 ३१ और जो उसके पास आते थे, उन सबसे मिलता रहा और बिना रोक-टोक बहुत निडर होकर परमेश्वर के राज्य का प्रचार करता और प्रभु यीशु मसीह की बातें सिखाता रहा।
ସାସ୍‌ ସଃଙ୍ଗ୍ ଆର୍‌ କାକେ ନଃଡିରିକଃରି ଇସ୍ୱରାର୍‌ ରାଇଜ୍‌ ବିସୟେ ପର୍ଚାର୍‌ କଃରି, ମାପ୍ରୁ ଜିସୁ କ୍ରିସ୍ଟର୍‌ ବିସୟେ ସିକ୍ୟା ଦେତି ରିଲା ।

< प्रेरितों के काम 28 >