< प्रेरितों के काम 23 >
1 १ पौलुस ने महासभा की ओर टकटकी लगाकर देखा, और कहा, “हे भाइयों, मैंने आज तक परमेश्वर के लिये बिलकुल सच्चे विवेक से जीवन बिताया है।”
ᏉᎳᏃ ᎤᏯᏅᏒᎯ ᏚᎧᎿᎭᏅ ᏗᏂᎳᏫᎩ, ᎯᎠ ᏄᏪᏒᎩ; ᎢᏥᏍᎦᏯ ᎢᏓᏓᏅᏟ, ᎪᎯ ᎢᎦ ᎢᏯᏍᏗ, ᎠᏆᏓᏅᏙ ᎠᏆᏎᎮᎲ ᏓᎩᎸᏫᏍᏓᏁᎲᎩ ᏂᎦᎥ ᏚᏳᎪᏛ ᎨᏒ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎠᎦᏔᎲᎢ.
2 २ हनन्याह महायाजक ने, उनको जो उसके पास खड़े थे, उसके मुँह पर थप्पड़ मारने की आज्ञा दी।
ᎡᏂᎾᏯᏃ ᏄᎬᏫᏳᏒ ᎠᏥᎸ-ᎨᎶᎯ ᏚᏂᏤᎸᎩ ᎦᏙᎬ ᎾᎥ ᎠᏂᏙᎾᎢ ᎠᎰᎵ ᎬᏩᏂᏍᏗᏱ.
3 ३ तब पौलुस ने उससे कहा, “हे चूना फिरी हुई दीवार, परमेश्वर तुझे मारेगा। तू व्यवस्था के अनुसार मेरा न्याय करने को बैठा है, और फिर क्या व्यवस्था के विरुद्ध मुझे मारने की आज्ञा देता है?”
ᏉᎳᏃ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎸᎩ; ᎤᏁᎳᏅᎯ ᏓᏨᏂᎵ ᏂᎯ, ᎠᏐᏱ ᎤᏁᎬ ᎢᎬᏁᎸᎯ; ᏦᎳᏰᏃ ᎨᎵ ᏗᏍᏇᎪᏓᏁᏗᏱ ᎾᏍᎩᏬ ᏗᎧᎿᎭᏩᏛᏍᏗ ᏂᎦᏪᏍᎬᎢ? ᏥᎪᏃ ᎢᎯᏁᎦ ᎥᏋᏂᏍᏗᏱ ᏗᎧᎿᎭᏩᏛᏍᏗ ᏙᎯᎦᏘᎴᎦ?
4 ४ जो पास खड़े थे, उन्होंने कहा, “क्या तू परमेश्वर के महायाजक को बुरा-भला कहता है?”
ᎾᎥᏃ ᎠᏂᏙᎾᎢ ᎯᎠ ᏄᏂᏪᏒᎩ; ᏥᎪ ᎦᎯᏐᏢᏗᎭ ᏄᎬᏫᏳᏒ ᎠᏥᎸ-ᎨᎶᎯ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᏤᎵᎦ?
5 ५ पौलुस ने कहा, “हे भाइयों, मैं नहीं जानता था, कि यह महायाजक है; क्योंकि लिखा है, ‘अपने लोगों के प्रधान को बुरा न कह।’”
ᏉᎳᏃ ᎯᎠ ᏄᏪᏒᎩ; ᎢᏓᏓᏅᏟ, ᎥᏝ ᏱᎨᎵᏍᎨ ᏄᎬᏫᏳᏒ ᎠᏥᎸ-ᎨᎶᎯ ᎨᏒᎢ; ᎯᎠᏰᏃ ᏥᏂᎬᏅ ᏥᎪᏪᎳ; “ᏞᏍᏗ ᎤᏐᏅ ᏱᏁᏤᎮᏍᏗ ᏣᎦᏁᎶᏗ ᏗᏣᏤᎵ ᏴᏫ ᎤᎾᏤᎵᎦ.”
6 ६ तब पौलुस ने यह जानकर, कि एक दल सदूकियों और दूसरा फरीसियों का है, महासभा में पुकारकर कहा, “हे भाइयों, मैं फरीसी और फरीसियों के वंश का हूँ, मरे हुओं की आशा और पुनरुत्थान के विषय में मेरा मुकद्दमा हो रहा है।”
ᏉᎳᏃ ᎤᏙᎴᎰᏒ ᎢᎦᏛ ᎠᏂᏌᏚᏏ ᎨᏒᎢ, ᎢᎦᏛᏃ ᎠᏂᏆᎵᏏ, ᎤᏪᎷᏅᎩ ᏕᎦᎳᏫᎥᎢ ᎯᎠ ᏄᏪᏒᎩ; ᎢᏥᏍᎦᏯ ᎢᏓᏓᏅᏟ, ᎠᏴ ᏥᏆᎵᏏ, ᎠᏆᎵᏏ ᎤᏪᏥ; ᎤᏚᎩ ᎬᏗ ᎨᏒ ᎠᎴ ᎠᏲᎱᏒ ᏗᎴᎯᏐᏗ ᎨᏒ ᏅᏗᎦᎵᏍᏙᏗᎭ ᎠᏆᎵᏱᎵᏕᎭ.
7 ७ जब उसने यह बात कही तो फरीसियों और सदूकियों में झगड़ा होने लगा; और सभा में फूट पड़ गई।
ᎾᏍᎩᏃ ᏄᏪᏒ, ᎤᏂᏲᏠᎯᏎᎸᎩ ᎠᏂᏆᎵᏏ ᎠᎴ ᎠᏂᏌᏚᏏ, ᎤᏂᏣᏘᏃ ᎨᏒ ᏔᎵ ᏄᎾᏓᏛᎩ.
8 ८ क्योंकि सदूकी तो यह कहते हैं, कि न पुनरुत्थान है, न स्वर्गदूत और न आत्मा है; परन्तु फरीसी इन सब को मानते हैं।
ᎠᏂᏌᏚᏏᏰᏃ ᎯᎠ ᎾᏂᏪᏎᎪᎢ; ᎥᏝ ᏗᎴᎯᏐᏗ ᏱᎩ, ᎥᏝ ᎠᎴ ᏰᎭ ᏗᎧᎿᎭᏩᏗᏙᎯ ᎠᎴ ᎠᏓᏅᏙ; ᎠᏂᏆᎵᏏᏍᎩᏂ ᎢᏧᎳ ᎠᏃᎯᏳᎲᏍᎦ.
9 ९ तब बड़ा हल्ला मचा और कुछ शास्त्री जो फरीसियों के दल के थे, उठकर यह कहकर झगड़ने लगे, “हम इस मनुष्य में कुछ बुराई नहीं पाते; और यदि कोई आत्मा या स्वर्गदूत उससे बोला है तो फिर क्या?”
ᎤᏣᏘᏃ ᎤᏁᎷᏅᎩ; ᏗᏃᏪᎵᏍᎩᏃ ᎠᏂᏆᎵᏏ ᎤᎾᎵᎪᏒ ᎤᎾᎵᎪᎯ ᏚᎾᎴᏅ ᎤᎾᏗᏒᎩ, ᎯᎠ ᏄᏂᏪᏒᎩ; ᎥᏝ ᎪᎱᏍᏗ ᎤᏲ ᏲᏥᏩᏛᎡᎭ ᎯᎠ ᎠᏍᎦᏯ, ᎢᏳᏍᎩᏂ ᎠᏓᏅᏙ ᎠᎴ ᏗᎧᎿᎭᏩᏗᏙᎯ ᎤᏁᏤᎸᎯ ᎨᏎᏍᏗ, ᏞᏍᏗ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᏤᏓᏟᏴᎡᎸᎩ.
10 १० जब बहुत झगड़ा हुआ, तो सैन्य-दल के सरदार ने इस डर से कि वे पौलुस के टुकड़े-टुकड़े न कर डालें, सैन्य-दल को आज्ञा दी कि उतरकर उसको उनके बीच में से जबरदस्ती निकालो, और गढ़ में ले आओ।
ᎤᏣᏘᏃ ᎤᏂᏲᏠᎯᏎᎸ, ᏄᎬᏫᏳᏒ ᏗᏓᏘᏂᏙᎯ ᎠᏍᎦᎢᎲᎢ ᏉᎳ ᏱᎬᏪᏓᎦᎸᎥᎦ ᎡᎵᏍᎬᎢ, ᏚᏁᏤᎸᎩ ᎠᏂᏯᏫᏍᎩ ᎤᏁᏅᏍᏗᏱ ᎠᎴ ᏫᏚᎾᏑᎦᎸᏙᏗᏱ, ᎠᎴ ᎤᏂᏴᏔᏂᎯᏍᏗᏱ ᏗᏐᏴᎢ.
11 ११ उसी रात प्रभु ने उसके पास आ खड़े होकर कहा, “हे पौलुस, धैर्य रख; क्योंकि जैसी तूने यरूशलेम में मेरी गवाही दी, वैसी ही तुझे रोम में भी गवाही देनी होगी।”
ᎾᎯᏳᏃ ᏒᏃᏱ ᏫᏄᎵᏍᏔᏅ, ᎤᎬᏫᏳᎯ ᎾᎥ ᎤᎴᏁᎴᎢ, ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ; ᎤᎦᎵᏍᏗ ᏣᏓᏅᏖᏍᏗ, ᏉᎳ, ᎬᏂᎨᏒᏰᏃ ᏥᏂᏍᏋᏁᎸ ᏥᎷᏏᎵᎻ, ᎾᏍᏉ ᎬᏂᎨᏒ ᏅᏓᏍᏋᏁᎵ ᏣᏂ.
12 १२ जब दिन हुआ, तो यहूदियों ने एका किया, और शपथ खाई कि जब तक हम पौलुस को मार न डालें, यदि हम खाएँ या पीएँ तो हम पर धिक्कार।
ᏑᎾᎴᏃ ᏄᎵᏍᏔᏅ ᎩᎶ ᎢᏳᎾᏍᏗ ᎠᏂᏧᏏ ᎤᎾᎵᎪᏁᎢ, ᎤᎾᏎᎵᏔᏁ ᏚᎾᏓᏁᏤᎴ ᎨᏥᏍᎩᏅᏗᏍᏗᏱ, ᎯᎠ ᏄᏂᏪᏎᎢ; ᎥᏝ ᎪᎱᏍᏗ ᏴᎨᏗᎦ ᎠᎴ ᏴᎨᏓᏗᏔ, ᎬᏂ ᏉᎳ ᎡᏗᎸᎯ ᎨᏎᏍᏗ.
13 १३ जिन्होंने यह शपथ खाई थी, वे चालीस जन से अधिक थे।
ᏅᎦᏍᎪᎯᏃ ᎤᏗᏢᏍᏙᏗ ᎾᏂᎥᎩ ᎾᏍᎩ ᎢᏧᎾᏓᏪᏎᎸᎯ.
14 १४ उन्होंने प्रधान याजकों और प्राचीनों के पास आकर कहा, “हमने यह ठाना है कि जब तक हम पौलुस को मार न डालें, तब तक यदि कुछ भी खाएँ, तो हम पर धिक्कार है।
ᎾᏍᎩᏃ ᏄᏂᎬᏫᏳᏒ ᎠᏥᎸ ᎠᏁᎶᎯ ᎠᎴ ᏗᏂᎳᏫᎩ, ᏚᏂᎷᏤᎸᎩ ᎯᎠ ᏄᏂᏪᏒᎩ; ᎣᎦᏎᎵᏔᏅ ᏙᎦᏓᏁᏤᎸ ᎣᎩᏍᏛᏗᏍᏗᏱ, ᎪᎱᏍᏗ ᎣᎦᏅᏍᎦᎶᏗᏱ ᎠᎴ ᎣᎦᏚᎩᏍᏗᏱ ᏂᎨᏒᎾ ᎬᏂ ᏉᎳ ᎣᏥᎸᎯ ᎨᏎᏍᏗ.
15 १५ इसलिए अब महासभा समेत सैन्य-दल के सरदार को समझाओ, कि उसे तुम्हारे पास ले आए, मानो कि तुम उसके विषय में और भी ठीक से जाँच करना चाहते हो, और हम उसके पहुँचने से पहले ही उसे मार डालने के लिये तैयार रहेंगे।”
Ꭷ ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᏂᎯ ᎠᎴ ᏗᏂᎳᏫᎩ ᎢᏣᎵᎪᎲᎦ, ᎡᏥᏔᏂᏲᏏ ᏄᎬᏫᏳᏒ ᏗᏓᏘᏂᏙᎯ, ᎤᎩᏨᏅ ᎢᏣᏘᏃᎮᏗᏱ, ᎤᏟ ᎢᎦᎢ ᎪᎱᏍᏗ ᎢᏣᏛᏛᏗᏱ ᏥᏣᏚᎵᏍᎪ ᎾᏍᎩᏯᎢ ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᎠᎫᎢᏍᏗᏍᎬᎢ, ᎠᏴᏃ ᎠᏏᏉ ᎾᎥ ᏂᎦᎷᎬᎾ ᎨᏎᏍᏗ, ᎣᎦᏛᏅᎢᏍᏗ ᎣᏥᎢᏍᏗᏱ.
16 १६ और पौलुस के भांजे ने सुना कि वे उसकी घात में हैं, तो गढ़ में जाकर पौलुस को सन्देश दिया।
ᏉᎳᏃ ᎤᏙ ᎤᏪᏥ ᎤᏛᎦᏅ ᎤᏂᎭᎷᎬᎢ, ᎤᏬᏅᏒᎩ, ᏗᏐᏴ ᏭᏴᎸᎩ, ᎠᎴ ᏭᏃᏁᎸᎩ ᏉᎳ.
17 १७ पौलुस ने सूबेदारों में से एक को अपने पास बुलाकर कहा, “इस जवान को सैन्य-दल के सरदार के पास ले जाओ, यह उससे कुछ कहना चाहता है।”
ᏉᎳᏃ ᏭᏯᏅᎲ ᎠᏏᏴᏫ ᎠᏍᎪᎯᏧᏈ ᏗᏘᏂᏙᎯ, ᎯᎠ ᏄᏪᏒᎩ; ᎯᎠ ᎠᏫᏅ ᏄᎬᏫᏳᏒ ᏗᏓᏘᏂᏙᎯ ᏄᏬᎸ ᏫᏯᏘᏅᏍᏓ, ᎪᎱᏍᏗᏰᏃ ᎤᎭ ᎤᏃᏁᏗ.
18 १८ अतः उसने उसको सैन्य-दल के सरदार के पास ले जाकर कहा, “बन्दी पौलुस ने मुझे बुलाकर विनती की, कि यह जवान सैन्य-दल के सरदार से कुछ कहना चाहता है; इसे उसके पास ले जा।”
ᎰᏩᏃ ᎤᏯᏅᎲ, ᏄᎬᏫᏳᏒ ᏗᏓᏘᏂᏙᎯ ᏭᏘᏃᎮᎸᎩ, ᎯᎠ ᏄᏪᏒᎩ; ᏉᎳ ᎠᏴᎩ ᏩᎩᏯᏅᎲᎩ, ᎠᎩᏔᏲᏎᎸᎩ ᎯᎠ ᎠᏫᏅ ᎬᏯᏘᏃᎮᏗᏱ, ᎾᏍᎩ ᎪᎱᏍᏗ ᎤᎭ ᏣᏃᏁᏗ.
19 १९ सैन्य-दल के सरदार ने उसका हाथ पकड़कर, और उसे अलग ले जाकर पूछा, “तू मुझसे क्या कहना चाहता है?”
ᏄᎬᏫᏳᏒᏃ ᏗᏓᏘᏂᏙᎯ ᎤᏬᏯᏁᏒ, ᎢᏴᏛ ᎤᏕᎵᏒ ᏭᏘᏅᏍᏔᏅᎩ, ᎤᏛᏛᏅᎩ, ᎯᎠ ᏄᏪᏒᎩ; ᎦᏙ ᎾᏍᎩ Ꮎ ᏍᎩᏃᏁᏗ ᏥᎩ?
20 २० उसने कहा, “यहूदियों ने एका किया है, कि तुझ से विनती करें कि कल पौलुस को महासभा में लाए, मानो तू और ठीक से उसकी जाँच करना चाहता है।
ᎯᎠᏃ ᏄᏪᏒᎩ; ᎠᏂᏧᏏ ᎤᎾᏓᏅᏖᎸ ᎨᏣᏔᏲᏎᏗᏱ ᎤᎩᏨᏅ ᏕᎦᎳᏫᎥ ᏫᏯᏘᏃᎯᏍᏗᏱ ᏉᎳ, ᎾᏍᎩᏯ ᎪᎱᏍᏗ ᎤᏟ ᎢᎦᎢ ᏨᏗᎾᏛᏛᏂᏐᎢ.
21 २१ परन्तु उनकी मत मानना, क्योंकि उनमें से चालीस के ऊपर मनुष्य उसकी घात में हैं, जिन्होंने यह ठान लिया है कि जब तक वे पौलुस को मार न डालें, तब तक न खाएँगे और न पीएँगे, और अब वे तैयार हैं और तेरे वचन की प्रतीक्षा कर रहे हैं।”
ᎠᏎᏃ ᏞᏍᏗ ᏙᎯᏳᏅᎩ; ᏅᎦᏍᎪᎯᏰᏃ ᎤᏗᏢᏍᏙᏗ ᎢᏯᏂᏛ ᎠᏂᏍᎦᏯ ᎬᏩᎭᎷᎦ, ᎾᏍᎩ ᎤᎾᏎᎵᏔᏅᎯ ᏚᎾᏓᏁᏤᎸ ᎤᎾᎵᏍᏓᏴᏗᏱ ᎠᎴ ᎤᎾᏗᏔᏍᏗᏱ ᏂᎨᏒᎾ, ᎬᏂ ᎤᏂᎸᎯ ᎨᏎᏍᏗ; ᎿᎭᏉᏃ ᎤᎾᏛᏅᎢᏍᏗ ᎠᏂᎦᏘᏴ ᎤᎾᏛᎪᏗᏱ ᏣᏚᎢᏍᏔᏅᎢ.
22 २२ तब सैन्य-दल के सरदार ने जवान को यह निर्देश देकर विदा किया, “किसी से न कहना कि तूने मुझ को ये बातें बताई हैं।”
ᎾᏍᎩᏃ ᏄᎬᏫᏳᏒ ᏗᏓᏘᏂᏙᎯ ᎤᏪᎧᏅᎩ ᎠᏫᏅ ᎠᎴ ᎠᏁᏤᎸᎩ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎸᎩ; ᏞᏍᏗ ᎩᎶ ᎯᏃᏁᎸ ᎾᏍᎩ ᎯᎠ ᎬᏂᎨᏒ ᏂᏍᏋᏁᎸᎢ.
23 २३ उसने तब दो सूबेदारों को बुलाकर कहा, “दो सौ सिपाही, सत्तर सवार, और दो सौ भालैत को कैसरिया जाने के लिये तैयार कर रख, तू रात के तीसरे पहर को निकलना।
ᏫᏚᏯᏅᎲᏃ ᎠᏂᏔᎵ ᎠᏍᎪᎯᏧᏈ ᏗᎾᏓᏘᏂᏙᎯ, ᎯᎠ ᏄᏪᏒᎩ; ᏗᏍᏓᏛᏅᎢᏍᏓ ᏔᎵᏧᏈ ᎠᏂᏯᏫᏍᎩ, ᎠᎴ ᎦᎵᏆᏍᎪᎯ ᏧᎾᎩᎸᏗ, ᎠᎴ ᏗᏓᏘᏍᏗ ᏗᏂᏂᏙᎯ ᏔᎵᏧᏈ, ᏏᏌᎵᏱ ᎠᏁᏒᎭ ᏐᎣᏁᎵᏁ ᎢᏳᏟᎶᏛ ᏒᏃᏱ;
24 २४ और पौलुस की सवारी के लिये घोड़े तैयार रखो कि उसे फेलिक्स राज्यपाल के पास सुरक्षित पहुँचा दें।”
ᎠᎴ ᏗᎩᎸᏙᏗ ᏗᏍᏓᏛᏅᎢᏍᏓ ᎾᏍᎩ ᏉᎳ ᎠᎾᎩᎸᏔᏅᎭ, ᎠᎴ ᏅᏩᏙᎯᏯᏛ ᏩᎾᏘᏃᎮᎸᎭ ᏈᎵᏏ ᎤᎬᏫᏳᎯ.
25 २५ उसने इस प्रकार की चिट्ठी भी लिखी:
ᎤᏬᏪᎳᏅᎩᏃ ᎯᎠ ᏫᏄᏪᏎᎸᎩ;
26 २६ “महाप्रतापी फेलिक्स राज्यपाल को क्लौदियुस लूसियास को नमस्कार;
“ᎠᏴ ᏠᏗᏯ-ᎵᏏᏯ ᏫᎬᏲᎵᎦ ᎤᏣᏘ ᎰᏍᏛ ᏣᎬᏫᏳᎯ ᏈᎵᏏ.
27 २७ इस मनुष्य को यहूदियों ने पकड़कर मार डालना चाहा, परन्तु जब मैंने जाना कि वो रोमी है, तो सैन्य-दल लेकर छुड़ा लाया।
ᎯᎠ ᎠᏍᎦᏯ ᎠᏂᏧᏏ ᎬᏩᏂᏴᎲᎩ, ᎠᎴ ᏓᎬᏩᎵᏒᎩ, ᎿᎭᏉ ᎠᏂᏯᏫᏍᎩ ᏕᎦᏘᏅᏒᎩ, ᎠᎴ ᏥᏍᏕᎸᎲᎩ, ᎠᏆᏛᎦᏅᎯ ᎨᏒ ᎠᎶᎻ ᎨᏒᎢ.
28 २८ और मैं जानना चाहता था, कि वे उस पर किस कारण दोष लगाते हैं, इसलिए उसे उनकी महासभा में ले गया।
ᎠᏆᏚᎸᎲᏃ ᎠᏆᏙᎴᎰᎯᏍᏗᏱ ᏅᏗᎦᎵᏍᏙᏗᏍᎬ ᎬᏬᎯᏍᏗᏍᎬᎢ, ᏥᏯᏘᏃᎸᎩ ᏓᏂᎳᏫᎥᎢ.
29 २९ तब मैंने जान लिया, कि वे अपनी व्यवस्था के विवादों के विषय में उस पर दोष लगाते हैं, परन्तु मार डाले जाने या बाँधे जाने के योग्य उसमें कोई दोष नहीं।
ᎠᏆᏙᎴᎰᏒᏃ ᎾᏍᎩ ᏧᏂᎧᎿᎭᏩᏛᏍᏗᏉ ᎧᏃᎮᏗ ᎨᏒ ᏅᏗᎦᎵᏍᏙᏗᏍᎬ ᎠᎫᎢᏍᏗᏍᎬᎢ ᎬᏩᏲᎱᎯᏍᏗᏃ ᎠᎴ ᎦᏰᎦᎸᏍᏗ ᎨᏒ ᎪᎱᏍᏗ ᎾᎫᎢᏍᏛᎾ ᎨᏒᎢ.
30 ३० और जब मुझे बताया गया, कि वे इस मनुष्य की घात में लगे हैं तो मैंने तुरन्त उसको तेरे पास भेज दिया; और मुद्दइयों को भी आज्ञा दी, कि तेरे सामने उस पर आरोप लगाए।”
ᎠᎴ ᎥᎩᏃᏁᎸ ᎠᏂᏧᏏ ᎤᏂᎭᎷᎬ ᎾᏍᎩ ᎠᏍᎦᏯ, ᎩᎳᏉ ᎢᏴᏛ ᎠᏆᏓᏅᏒ ᏗᏦᎸᎢ, ᎠᎴ ᎾᏍᏉ ᎦᏥᏁᏤᎸ ᎬᏭᎯᏍᏗᏍᎩ ᎯᎦᏔᎲ ᎤᏂᏃᎮᏗᏱ ᏅᏗᎦᎵᏍᏙᏗᏍᎬ ᎠᏄᎯᏍᏗᏍᎬᎢ. ᏙᎯᏱ ᏂᏣᏛᎿᎭᏕᎨᏍᏗ.”
31 ३१ अतः जैसे सिपाहियों को आज्ञा दी गई थी, वैसे ही पौलुस को लेकर रातों-रात अन्तिपत्रिस में लाए।
ᎠᏂᏯᏫᏍᎩᏃ, ᏂᎨᏥᏪᏎᎸ ᎨᏥᏁᏤᎸ ᏄᎾᏛᏁᎸ, ᎤᏂᏯᏅᎲᎩ ᏉᎳ, ᎠᎴ ᏒᏃᏱ ᏭᏂᎶᏒ, ᎥᏗᏇᏗ ᏭᎾᏘᏃᎸᎩ.
32 ३२ दूसरे दिन वे सवारों को उसके साथ जाने के लिये छोड़कर आप गढ़ को लौटे।
ᎤᎩᏨᏛᏃ ᏧᎾᎩᎸᏗ ᎤᎾᏘᏅᏍᏗ ᏄᏅᏁᎸ, ᎠᏂᏯᏫᏍᎩ ᎤᎾᏨᏒᎩ, ᏗᏐᏴ ᏭᏂᎶᏒᎩ.
33 ३३ उन्होंने कैसरिया में पहुँचकर राज्यपाल को चिट्ठी दी; और पौलुस को भी उसके सामने खड़ा किया।
ᎾᏍᎩᏃ ᏧᎾᎩᎸᏗ ᏏᏌᎵᏱ ᏭᏂᎷᏨ, ᎠᎴ ᎤᎬᏫᏳᎯ ᎪᏪᎵ ᎤᏂᏅᏁᎸ, ᎾᏍᏉ ᏉᎳ ᏚᏂᏲᎯᏎᎸᎩ.
34 ३४ उसने पढ़कर पूछा, “यह किस प्रदेश का है?” और जब जान लिया कि किलिकिया का है;
ᎤᎬᏫᏳᎯᏃ ᎤᎪᎵᏰᎥ, ᎤᏛᏛᏅᎩ ᎾᎿᎭᏍᎦᏚᎩ ᎡᎯ ᎨᏒᎢ, ᎤᏛᎦᏅᏃ ᏏᎵᏏᏱ ᎡᎯ ᎨᏒᎢ,
35 ३५ तो उससे कहा, “जब तेरे मुद्दई भी आएँगे, तो मैं तेरा मुकद्दमा करूँगा।” और उसने उसे हेरोदेस के किले में, पहरे में रखने की आज्ञा दी।
ᎯᎠ ᏄᏪᏒᎩ; ᏓᎬᏯᏛᎦᏁᎵ ᎨᏧᎯᏍᏗᏍᎩ ᎾᏍᏉ ᎠᏂᎷᏨᎭ. ᎤᏁᏨᎩᏃ ᎠᏥᎦᏘᏗᏍᏗᏱ ᎡᎶᏛ ᎤᏤᎵ ᏗᎫᎪᏙᏗᏱ ᎠᏓᏁᎸᎢ.