< प्रेरितों के काम 19 >

1 जब अपुल्लोस कुरिन्थुस में था, तो पौलुस ऊपर के सारे देश से होकर इफिसुस में आया और वहाँ कुछ चेले मिले।
ᎯᎠᏃ ᏄᎵᏍᏔᏅᎩ, ᎾᎯᏳ ᎠᏉᎳ ᎪᎵᏂᏗᏱ ᎡᏙᎲᎩ, ᏉᎳ ᎠᏰᎵ ᎨᏒ ᎤᎶᏒ, ᎡᏈᏌ ᏭᎷᏨᎩ. ᏚᏩᏛᎲᏃ ᎩᎶ ᎢᏳᎾᏍᏗ ᎠᏃᎯᏳᎲᏍᎩ,
2 उसने कहा, “क्या तुम ने विश्वास करते समय पवित्र आत्मा पाया?” उन्होंने उससे कहा, “हमने तो पवित्र आत्मा की चर्चा भी नहीं सुनी।”
ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎸᎩ; ᎡᏥᏁᎸᏍᎪ ᎦᎸᏉᏗᏳ ᎠᏓᏅᏙ ᎨᏦᎯᏳᏅᎯ? ᎯᎠᏃ ᏅᎬᏩᏪᏎᎸᎩ; ᎥᏝ ᎣᎦᏛᎦᏅᎯᎤᏅ ᏱᎩ ᎦᎸᏉᏗᏳ ᎠᏓᏅᏙ ᎡᎲᎢ.
3 उसने उनसे कहा, “तो फिर तुम ने किसका बपतिस्मा लिया?” उन्होंने कहा, “यूहन्ना का बपतिस्मा।”
ᎯᎠᏃ ᏂᏚᏪᏎᎸᎩ; ᎦᏙ ᎤᏍᏗ ᏗᏓᏬᏍᏙᏗ ᎨᏒ ᏕᏣᏬᏍᏔᏁᎢ? ᏣᏂ ᏧᏓᏬᏍᏙᏗ ᎨᏒ, ᎤᎾᏛᏅᎩ.
4 पौलुस ने कहा, “यूहन्ना ने यह कहकर मन फिराव का बपतिस्मा दिया, कि जो मेरे बाद आनेवाला है, उस पर अर्थात् यीशु पर विश्वास करना।”
ᏉᎳᏃ ᎯᎠ ᏄᏪᏒᎩ; ᏣᏂ ᎤᏙᎯᏳᎯ ᏓᏓᏬᏍᏗᏍᎬᎩ ᏗᏓᏬᏍᏙᏗ ᎦᏁᏟᏴᏍᏗ ᎨᏒ ᎣᏓᏅᏛ ᎤᎬᏩᎵ, ᏕᎧᏁᏤᎲ ᏴᏫ, ᎤᏃᎯᏳᏗᏱ ᎣᏂ ᏅᏓᏰᎩ, ᎾᏍᎩ ᎦᎶᏁᏛ ᏥᏌ ᏕᎪᏎᎲᎩ.
5 यह सुनकर उन्होंने प्रभु यीशु के नाम का बपतिस्मा लिया।
ᎾᏍᎩᏃ ᎤᎾᏛᎦᏅ ᎤᎬᏫᏳᎯ ᏥᏌ ᏚᏙᎥ ᏕᎨᎦᏬᏍᏔᏅᎩ.
6 और जब पौलुस ने उन पर हाथ रखे, तो उन पर पवित्र आत्मा उतरा, और वे भिन्न-भिन्न भाषा बोलने और भविष्यद्वाणी करने लगे।
ᎿᎭᏉᏃ ᏉᎳ ᏚᏏᏔᏛ, ᎦᎸᏉᏗᏳ ᎠᏓᏅᏙ ᎤᏂᎷᏤᎸᎩ, ᏚᏂᏬᏂᏒᎩᏃ ᏧᏓᎴᏅᏛ ᏗᎦᏬᏂᎯᏍᏗ ᎨᏒᎢ, ᎠᎴ ᎤᎾᏙᎴᎰᏒᎩ.
7 ये सब लगभग बारह पुरुष थे।
ᎾᏍᎩᏃ ᎠᏂᏍᎦᏯ ᏂᎦᏛ ᏔᎳᏚ ᎢᏴᏛ ᎾᏂᎥᎩ.
8 और वह आराधनालय में जाकर तीन महीने तक निडर होकर बोलता रहा, और परमेश्वर के राज्य के विषय में विवाद करता और समझाता रहा।
ᏗᎦᎳᏫᎢᏍᏗᏱᏃ ᏭᏴᎸ ᎾᏍᎦᎢᎲᎾ ᎦᏬᏂᏍᎬᎩ, ᏦᎢ ᎢᏯᏅᏙ ᎢᎦᎯᏛ ᏕᎦᏬᏁᏗᏍᎬᎩ ᎠᎴ ᏓᏍᏗᏰᏗᏍᎬᎩ ᎤᏃᎯᏳᏗᏱ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᏤᎵᎪᎯ ᎤᎬᏩᎵ.
9 परन्तु जब कुछ लोगों ने कठोर होकर उसकी नहीं मानी वरन् लोगों के सामने इस पंथ को बुरा कहने लगे, तो उसने उनको छोड़कर चेलों को अलग कर लिया, और प्रतिदिन तुरन्नुस की पाठशाला में वाद-विवाद किया करता था।
ᎩᎶᏃ ᎢᏳᎾᏍᏗ ᎤᏂᏍᏓᏲᏒ ᎠᎴ ᏄᏃᎯᏳᏅᎾ ᏄᎵᏍᏔᏅ, ᎠᎴ ᎣᏐᏅᏉ ᎤᏂᏃᎮᎸ ᎾᏍᎩ ᎦᏅᏅ ᎤᎬᏩᎵ ᎤᏂᏣᏘ ᎠᏂᎦᏔᎲᎢ, ᏚᏓᏅᎡᎸᎩ, ᎠᎴ ᏚᏓᏓᎴᏔᏅᎩ ᎠᏃᎯᏳᎲᏍᎩ ᏕᎦᏬᏁᏗᏍᎬᎩ ᏂᏚᎩᏨᏂᏒ ᎩᎶ ᎢᏳᏍᏗ ᏓᎳᎾ ᏧᏙᎢᏛ ᏧᏕᏲᏗᏱ.
10 १० दो वर्ष तक यही होता रहा, यहाँ तक कि आसिया के रहनेवाले क्या यहूदी, क्या यूनानी सब ने प्रभु का वचन सुन लिया।
ᎾᏍᎩᏃ ᎯᎠ ᏄᏛᏁᎸᎩ ᏔᎵ ᏧᏕᏘᏴᏛ ᎢᎪᎯᏛ, ᎾᏍᎩ ᏅᏓᏳᎵᏍᏙᏔᏅᎩ ᏂᎦᏛ ᎡᏏᏱ ᎠᏁᎯ ᎠᏂᏧᏏ ᎠᎴ ᎠᏂᎪᎢ ᎤᎾᏛᎦᏅᎩ ᎧᏃᎮᏛ ᎤᎬᏫᏳᎯ ᏥᏌ ᎤᏤᎵᎦ.
11 ११ और परमेश्वर पौलुस के हाथों से सामर्थ्य के अद्भुत काम दिखाता था।
ᎠᎴ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᏯᏃ ᎢᏳᎵᏍᏙᏗ ᏂᎨᏒᎾ ᎤᏍᏆᏂᎪᏗ ᏚᎸᏫᏍᏓᏁᎲᎩ ᏉᎳ ᎠᎬᏗᏍᎬᎩ;
12 १२ यहाँ तक कि रूमाल और अँगोछे उसकी देह से स्पर्श कराकर बीमारों पर डालते थे, और उनकी बीमारियाँ दूर हो जाती थी; और दुष्टात्माएँ उनमें से निकल जाया करती थीं।
ᎠᏰᎸᏰᏃ ᏧᏓᎴᏅᎯ ᏗᏯᏠ ᎠᎴ ᏗᏞᏌᏙ ᏓᏂᏃᎮᎲᎩ ᏧᏂᏢᎩ, ᎥᏳᎩᏃ ᎠᎵᏛᏗᏍᎬᎩ, ᎤᏂᏲᏃ ᏗᏓᏅᏙ ᎬᏩᏂᏄᎪᎬᎩ.
13 १३ परन्तु कुछ यहूदी जो झाड़ा फूँकी करते फिरते थे, यह करने लगे कि जिनमें दुष्टात्मा हों उन पर प्रभु यीशु का नाम यह कहकर फूँकने लगे, “जिस यीशु का प्रचार पौलुस करता है, मैं तुम्हें उसी की शपथ देता हूँ।”
ᎩᎶᏃ ᎢᏳᎾᏍᏗ ᎠᏂᏧᏏ ᏅᏁᏙᎯ, ᎠᏂᏍᎩᎾ ᏗᏂᏄᎪᏫᏍᎩ, ᎤᎾᏓᏅᏖᎴ ᎤᎬᏫᏳᎯ ᏥᏌ ᏕᎤᏙᎥ ᏧᏂᏁᎢᏍᏓᏁᏗᏱ ᎤᏂᏲ ᏗᏓᏅᏙ ᏧᏂᏯᎢ, ᎯᎠ ᏄᏂᏪᏎᎢ; ᎢᏨᏁᎢᏍᏓᏏ ᏥᏌ, ᎾᏍᎩ ᏉᎳ ᎠᎵᏥᏙᎲᏍᎬ ᏥᎦᏃᎮᎭ.
14 १४ और स्क्किवा नाम के एक यहूदी प्रधान याजक के सात पुत्र थे, जो ऐसा ही करते थे।
ᎠᏁᎮᏃ ᎦᎵᏉᎩ ᎢᏯᏂᏛ ᏏᏫ ᏧᏙᎢᏛ ᏧᏪᏥ ᎠᏧᏏ ᏄᎬᏫᏳᎡ ᎠᏥᎸᎨᎶᎯ ᎾᏍᎩ ᎾᎾᏛᏁᎮᎢ.
15 १५ पर दुष्टात्मा ने उत्तर दिया, “यीशु को मैं जानती हूँ, और पौलुस को भी पहचानती हूँ; परन्तु तुम कौन हो?”
ᎤᏲᏃ ᎠᏓᏅᏙ ᎤᏁᏨ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ; ᏥᏌ ᏥᎦᏔᎭ, ᎠᎴ ᏉᎳ ᏥᎦᏔᎭ, ᏂᎯᏍᎩᏂ ᎦᎪ ᎢᏣᏍᏗ?
16 १६ और उस मनुष्य ने जिसमें दुष्ट आत्मा थी; उन पर लपककर, और उन्हें काबू में लाकर, उन पर ऐसा उपद्रव किया, कि वे नंगे और घायल होकर उस घर से निकल भागे।
ᎠᏍᎦᏯᏃ ᎤᏲ ᎠᏓᏅᏙ ᎤᏯᎢ ᏚᏁᎷᎩᎡᎴᎢ, ᎠᎴ ᎡᏍᎦ ᏂᏚᏩᏁᎴᎢ, ᎠᎴ ᏚᏎᎪᎩᏎᎢ, ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᎤᎾᎵᏎ ᎾᎿᎭᎠᏓᏁᎸ ᎤᏂᏄᎪᏤ ᏧᏂᏰᎸᎢᎭ ᎠᎴ ᏗᎨᏥᏐᏅᏅᎯ.
17 १७ और यह बात इफिसुस के रहनेवाले यहूदी और यूनानी भी सब जान गए, और उन सब पर भय छा गया; और प्रभु यीशु के नाम की बड़ाई हुई।
ᎠᎴ ᎾᏍᎩ ᎯᎠ ᎤᎾᏛᎦᏅᎩ ᏂᎦᏛ ᎠᏂᏧᏏ ᎠᎴ ᎠᏂᎪᎢ ᎡᏈᏌ ᎠᏁᎯ; ᏂᎦᏛᏃ ᎤᏂᎾᏰᏒᎩ, ᎠᎴ ᎤᎬᏫᏳᎯ ᏥᏌ ᏚᏙᎥ ᎦᎸᏉᏗᏳ ᏄᎵᏍᏔᏅᎩ.
18 १८ और जिन्होंने विश्वास किया था, उनमें से बहुतों ने आकर अपने-अपने बुरे कामों को मान लिया और प्रगट किया।
ᎤᏂᏣᏛᎩᏃ ᎤᏃᎯᏳᏅᎯ ᎤᏂᎷᏨᎩ, ᎠᏂᏃᎲᏍᎬ ᎠᎴ ᎬᏂᎨᏒ ᎾᏅᏁᎲᏚᏂᎸᏫᏍᏓᏁᎸᎢ.
19 १९ और जादू-टोना करनेवालों में से बहुतों ने अपनी-अपनी पोथियाँ इकट्ठी करके सब के सामने जला दीं; और जब उनका दाम जोड़ा गया, जो पचास हजार चाँदी के सिक्कों के बराबर निकला।
ᎾᏍᏉ ᎤᏂᏣᏛᎩ ᎤᏍᏆᏂᎪᏗ ᎠᎾᏛᏁᎵᏍᎩ ᏚᏂᏟᏌᏅᎩ ᎪᏪᎵ, ᎠᎴ ᏚᎾᎪᎲᏍᏔᏅᎩ ᏂᎦᏛ ᎠᏂᎦᏔᎲᎢ. ᎤᎾᏎᎸᏃ ᏧᎬᏩᎶᏗᎯ ᎤᎾᏙᎴᎰᏒᎩ ᎯᏍᎦᏍᎪᎯ ᎢᏯᎦᏴᎵ ᎨᏒ ᎤᏂᏁᎬ ᎠᏕᎸ.
20 २० इस प्रकार प्रभु का वचन सामर्थ्यपूर्वक फैलता गया और प्रबल होता गया।
ᎾᏍᎩ ᏧᎵᏂᎬᎬᎩ ᎤᏛᏃᏒᎩ ᎠᎴ ᎤᏰᎵᏒᎩ ᎧᏃᎮᏛ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᏤᎵᎦ.
21 २१ जब ये बातें हो चुकी तो पौलुस ने आत्मा में ठाना कि मकिदुनिया और अखाया से होकर यरूशलेम को जाऊँ, और कहा, “वहाँ जाने के बाद मुझे रोम को भी देखना अवश्य है।”
ᎾᏍᎩᏃ ᎯᎠ ᏄᎵᏍᏔᏂᏙᎸ, ᏉᎳ ᎤᏓᏅᏖᎸᎩ ᎤᏓᏅᏛᎢ, ᎿᎭᏉ ᎹᏏᏙᏂ ᎠᎴ ᎡᎧᏯ ᎤᎶᏐᏅᎯ, ᏥᎷᏏᎵᎻ ᏭᎶᎯᏍᏗᏱ, ᎯᎠ ᏄᏪᏒᎩ; ᎾᎿᎭᎬᏇᏙᏅᎯ ᎨᏎᏍᏗ ᎶᎻ ᎾᏍᏉ ᎠᏎ ᏛᏥᎪᎢ.
22 २२ इसलिए अपनी सेवा करनेवालों में से तीमुथियुस और इरास्तुस को मकिदुनिया में भेजकर आप कुछ दिन आसिया में रह गया।
ᎰᏩᏃ ᎹᏏᏙᏂ ᏕᎤᏅᏒᎩ ᎠᏂᏔᎵ ᎬᏩᏍᏕᎸᎯᏙᎯ, ᏗᎹᏗ ᎠᎴ ᎢᎳᏍᏓ, ᎤᏩᏒᏍᎩᏂ ᎤᏗᎩᏴᎩ ᎡᏏᏱ ᎢᎸᏍᎩ ᎢᎪᎯᏛ.
23 २३ उस समय उस पन्थ के विषय में बड़ा हुल्लड़ हुआ।
ᎾᎯᏳᏃ ᎥᏝ ᎤᏍᏗᏉ ᎤᏕᏯᏙᏗ ᏱᏄᎵᏍᏔᏁᎢ, ᏅᏓᎦᎵᏍᏙᏗᏍᎬᎩ ᎾᏍᎩ ᎦᏅᏅ ᎤᎬᏩᎵ.
24 २४ क्योंकि दिमेत्रियुस नाम का एक सुनार अरतिमिस के चाँदी के मन्दिर बनवाकर, कारीगरों को बहुत काम दिलाया करता था।
ᎩᎶᏰᏃ ᎢᏳᏍᏗ ᏗᎻᏟᏯ ᏧᏙᎢᏛ, ᎠᏕᎸ ᎠᏢᏅᎥᏍᎩ, ᎠᏕᎸ ᏗᎪᏢᏔᏅᎯ ᏓᏓᏁᎸ ᏕᎪᏢᎾᏁᎲ ᏓᏰᏂ, ᎥᏝ ᎤᏍᏗᏉ ᏧᎬᏩᎶᏗ ᏱᏓᏩᏛᎡᎮ ᎠᏃᏢᏅᎥᏍᎩ.
25 २५ उसने उनको और ऐसी वस्तुओं के कारीगरों को इकट्ठे करके कहा, “हे मनुष्यों, तुम जानते हो कि इस काम से हमें कितना धन मिलता है।
ᎾᏍᎩ ᏚᏪᏟᏌᏅ ᎠᎴ ᏅᏩᎾᏓᎴ ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᏧᏂᎸᏫᏍᏓᏁᎯ ᏚᏪᏟᏌᏅ ᎯᎠ ᏄᏪᏒᎩ; ᎢᏥᏍᎦᏯ, ᎢᏥᎦᏔᎭ ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᏗᎦᎸᏫᏍᏓᏁᏗ ᎨᏒ ᏧᎬᏩᎶᏗ ᎢᏗᏩᏛᏗᏍᎬᎢ.
26 २६ और तुम देखते और सुनते हो कि केवल इफिसुस ही में नहीं, वरन् प्रायः सारे आसिया में यह कह कहकर इस पौलुस ने बहुत लोगों को समझाया और भरमाया भी है, कि जो हाथ की कारीगरी है, वे ईश्वर नहीं।
ᎠᎴ ᎢᏥᎪᏩᏘᎭ ᎠᎴ ᎢᏣᏛᎩᎭ, ᎥᏝ ᎡᏈᏌᏉ ᎤᏩᏒ, ᎾᏍᏉᏍᎩᏂ ᎠᎴᏉ ᏂᎬᎾᏛ ᎡᏏᏱ, ᎯᎠ ᏉᎳ ᏓᏍᏗᏰᏗᏍᎬ ᏚᎦᏔᎲᏒ ᎤᏂᏣᏘ ᏴᏫ, ᎯᎠ ᏂᏕᎦᏪᏎᎲᎢ, ᎥᏝ ᎦᎸᎳᏗ ᎠᏁᎯ ᏱᎩ ᎩᎶ ᏧᏬᏰᏂᏉ ᏧᏬᏢᏔᏅᎯ ᏥᎩ.
27 २७ और अब केवल इसी एक बात का ही डर नहीं कि हमारे इस धन्धे की प्रतिष्ठा जाती रहेगी; वरन् यह कि महान देवी अरतिमिस का मन्दिर तुच्छ समझा जाएगा और जिसे सारा आसिया और जगत पूजता है उसका महत्त्व भी जाता रहेगा।”
ᎠᎴ ᎥᏝ ᎯᎠᏉ ᏗᎩᎸᏫᏍᏓᏁᏗ ᎨᏒ ᎤᏩᏒ ᎤᏁᎳᎩ ᏫᎬᏩᏲᏥᏓᏍᏗ ᏱᎩ; ᎾᏍᏉᏍᎩᏂ ᎠᏓᏁᎸ ᎦᎸᏉᏗᏳ ᎦᎸᎳᏗ ᎡᎯ ᏓᏰᏂ ᎤᏤᎵᎦ ᎠᏎᏉᏉ ᎢᎬᏩᎵᏍᏔᏂᏓᏍᏗ, ᎠᎴ ᎾᏍᎩ ᎠᏥᎸᏉᏗᏳ ᎨᏒ ᏫᎬᏩᏲᏥᏓᏍᏗ, ᎾᏍᎩ ᏂᎦᏛ ᎡᏏᏱ ᎠᎴ ᏂᎬᎾᏛ ᎡᎶᎯ ᏥᎬᏩᎸᏉᏗᎭ.
28 २८ वे यह सुनकर क्रोध से भर गए और चिल्ला चिल्लाकर कहने लगे, “इफिसियों की अरतिमिस, महान है!”
ᎾᏍᎩᏃ ᎤᎾᏛᎦᏅ ᎤᏂᏔᎳᏬᏍᎬᎢ ᎤᏂᎧᎵᏨᎩ, ᎠᎴ ᎤᏁᎷᏅᎩ ᎯᎠ ᏄᏂᏪᏒᎩ; ᎦᎸᏉᏗᏳ ᏓᏰᏂ ᎡᏈᏌ ᎠᏁᎯ ᎤᎾᏤᎵᎦ.
29 २९ और सारे नगर में बड़ा कोलाहल मच गया और लोगों ने गयुस और अरिस्तर्खुस, मकिदुनियों को जो पौलुस के संगी यात्री थे, पकड़ लिया, और एक साथ होकर रंगशाला में दौड़ गए।
ᏂᎬᏃ ᎦᏚᎲ ᎤᎾᏓᏑᏰᏛᏉ ᏄᎵᏍᏔᏅᎩ, ᏚᏂᏂᏴᎲᏃ ᎦᏯ ᎠᎴ ᎡᎵᏍᏔᎦ ᎹᏏᏙᏂ ᎠᏁᎯ, ᏉᎳ ᎤᎾᎵᎪᎯ ᎠᏁᏙᎲᎢ, ᎤᎴᏃᏅᎯ ᎤᎾᏁᎷᎩᏒᎩ ᏭᏂᏴᎸᎩ ᎤᎾᏛᏁᎸᏗᏱ.
30 ३० जब पौलुस ने लोगों के पास भीतर जाना चाहा तो चेलों ने उसे जाने न दिया।
ᏉᎳᏃ ᏫᏚᏴᏎᏗᏱ ᏴᏫ ᎤᏓᏅᏖᎸ, ᎠᏃᎯᏳᎲᏍᎩ ᎬᏩᏅᏍᏓᏕᎸᎩ.
31 ३१ आसिया के हाकिमों में से भी उसके कई मित्रों ने उसके पास कहला भेजा और विनती की, कि रंगशाला में जाकर जोखिम न उठाना।
ᎩᎶᏃ ᎢᏳᎾᏍᏗ ᏗᎨᎦᏁᎶᏗ ᎡᏏᏱ ᎠᏁᎯ, ᏉᎳ ᏧᎵᎢ, ᎤᎾᏓᏅᏒᎩ ᏫᎬᏩᏔᏲᏎᎸᎩ, ᏭᏴᏍᏗᏱ ᏂᎨᏒᎾ ᎤᎾᏛᏁᎸᏗᏱ.
32 ३२ वहाँ कोई कुछ चिल्लाता था, और कोई कुछ; क्योंकि सभा में बड़ी गड़बड़ी हो रही थी, और बहुत से लोग तो यह जानते भी नहीं थे कि वे किस लिये इकट्ठे हुए हैं।
ᎤᏁᎷᏅᎯ ᏧᏓᎴᏅᏛᏉ ᏂᏚᏂᏪᏒᎩ; ᏓᏂᎳᏫᎥᏰᏃ ᎤᎾᏓᏑᏰᏛᏉ ᎨᏒᎩ, ᎠᎴ ᎤᏟ ᎢᏯᏂᏛ ᎥᏝ ᏯᏂᎦᏔᎮ ᏅᏗᎦᎵᏍᏙᏗᏍᎬ ᎤᎾᏓᏟᏌᏅᎢ.
33 ३३ तब उन्होंने सिकन्दर को, जिसे यहूदियों ने खड़ा किया था, भीड़ में से आगे बढ़ाया, और सिकन्दर हाथ से संकेत करके लोगों के सामने उत्तर देना चाहता था।
ᏭᏃᏯᏁᏒᎩᏃ ᎡᎵᎩ ᎤᏂᏣᏘ ᎠᏂᏙᎾᎥᎢ, ᎾᏍᎩ ᎠᏂᏧᏏ ᎠᏂᏅᏫᏍᏗᏍᎬᎩ; ᎡᎵᎩᏃ ᎤᏕᎸᏅ ᎤᏬᏰᏂ ᎤᏚᎵᏍᎬᎩ ᎤᏩᏒ ᎠᎵᏍᏕᎵᏍᎬᎢ ᏧᏬᏁᏙᏗᏱ ᏴᏫ.
34 ३४ परन्तु जब उन्होंने जान लिया कि वह यहूदी है, तो सब के सब एक स्वर से कोई दो घंटे तक चिल्लाते रहे, “इफिसियों की अरतिमिस, महान है।”
ᎠᏎᏃ ᎤᎾᏙᎴᎰᏒ ᎠᏧᏏ ᎨᏒᎢ, ᏌᏉ ᏥᎧᏁᎪ ᎾᏍᎩᏯ ᏂᎦᏛ ᎤᏁᎷᏅᎩ, ᏔᎵᎭ ᎢᏳᏟᎶᏛ ᎢᎪᎯᏛ ᎯᎠ ᎾᏂᏪᏍᎬᎩ; ᎦᎸᏉᏗᏳ ᏓᏰᏂ ᎡᏈᏌ ᎠᏁᎯ ᎤᎾᏤᎵᎦ.
35 ३५ तब नगर के मंत्री ने लोगों को शान्त करके कहा, “हे इफिसियों, कौन नहीं जानता, कि इफिसियों का नगर महान देवी अरतिमिस के मन्दिर, और आकाश से गिरी हुई मूरत का रखवाला है।
ᏗᎪᏪᎵᏍᎩᏃ ᏚᏲᏍᏙᏓᏁᎸ ᏴᏫ, ᎯᎠ ᏄᏪᏒᎩ; ᎢᏥᏍᎦᏯ ᎡᏈᏌ ᎢᏤᎯ, ᎦᎪ ᎡᎭ ᎾᎦᏔᎲᎾ ᎦᏚᎲ ᎡᏈᏌ ᎾᏍᎩ ᎡᏓᏓᏙᎵᏍᏓᏁᎯ ᎨᏒ ᎦᎸᏉᏗᏳ ᎦᎸᎳᏗ ᎡᎯ ᏓᏰᏂ, ᎠᎴ ᏧᏉᏙ ᏅᏓᏳᎶᎣᏒᎯ ᏗᏟᎶᏍᏔᏅᎯ?
36 ३६ अतः जबकि इन बातों का खण्डन ही नहीं हो सकता, तो उचित है, कि तुम शान्त रहो; और बिना सोचे-विचारे कुछ न करो।
ᎾᏍᎩᏃ ᎢᏳᏍᏗ ᎯᎠ ᏄᏜᏓᏏᏛᎡᏗ ᏂᎨᏒᎾ ᏥᎩ, ᏙᎯᏱᏉᏍᎩᏂ ᏱᏂᏣᏛᏅ, ᎠᎴ ᎪᎱᏍᏗ ᎬᏁᎳᎩ ᏂᏣᏛᏁᎸᎾ ᏱᎩ.
37 ३७ क्योंकि तुम इन मनुष्यों को लाए हो, जो न मन्दिर के लूटनेवाले हैं, और न हमारी देवी के निन्दक हैं।
ᏕᏣᏘᏃᎦᏰᏃ ᎯᎠ Ꮎ ᎠᏂᏍᎦᏯ, ᎾᏍᎩ ᎦᎸᏉᏗ ᏕᎨᏒ ᎠᏂᏃᏍᎩᏍᎩ ᏂᎨᏒᎾ, ᎠᎴ ᎢᏣᏤᎵ ᎦᎸᎳᏗ ᎡᎯ ᎠᏂᏐᏢᎢᏍᏗᏍᎩ ᏂᎨᏒᎾ.
38 ३८ यदि दिमेत्रियुस और उसके साथी कारीगरों को किसी से विवाद हो तो कचहरी खुली है, और हाकिम भी हैं; वे एक दूसरे पर आरोप लगाए।
ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᎢᏳᏃ ᏗᎻᏟᏯ ᎠᎴ ᎾᏍᎩ ᏣᏁᎭ ᎠᏃᏢᏅᎥᏍᎩ ᎠᏄᎯᏍᏗᏍᎨᏍᏗ ᎩᎶᎢ, ᎤᏜᏓᏅᏛ ᏗᏓᏱᎵᏓᏍᏗᏱ, ᎠᎴ ᎨᏥᎦᏘᏗᏍᏗ ᎠᏁᎭ; ᏫᏓᎾᏓᏱᎵᏓ.
39 ३९ परन्तु यदि तुम किसी और बात के विषय में कुछ पूछना चाहते हो, तो नियत सभा में फैसला किया जाएगा।
ᎢᏳᏍᎩᏂ ᎪᎱᏍᏗ ᏅᏩᏓᎴ ᎢᏥᏱᎵᏙᎮᏍᏗ, ᎤᎵᏁᏨᎯ ᏕᎦᎳᏫᎥ ᏓᏚᎪᏔᏅᎭ.
40 ४० क्योंकि आज के बलवे के कारण हम पर दोष लगाए जाने का डर है, इसलिए कि इसका कोई कारण नहीं, अतः हम इस भीड़ के इकट्ठा होने का कोई उत्तर न दे सकेंगे।”
ᎨᎦᎵᏱᎵᏕᏗᏰᏃ ᎪᎯ ᎢᎦ ᎤᏓᏑᏰᏛ ᏥᏓᎵᏖᎸᎲᎦ, ᎥᏝᏰᏃ ᎪᎱᏍᏗ ᏯᎭ ᎨᎩᏃᎮᏗ ᏅᏗᎦᎵᏍᏙᏗᏍᎬ ᎯᎠ ᎪᎯ ᏥᏓᏓᎶᏌ.
41 ४१ और यह कह के उसने सभा को विदा किया।
ᎾᏍᎩᏃ ᏄᏪᏒ ᏚᏰᎵᎯᏍᏔᏅᎩ ᏓᏂᎳᏫᎥᎢ.

< प्रेरितों के काम 19 >