< प्रेरितों के काम 15 >
1 १ फिर कुछ लोग यहूदिया से आकर भाइयों को सिखाने लगे: “यदि मूसा की रीति पर तुम्हारा खतना न हो तो तुम उद्धार नहीं पा सकते।”
ཡིཧཱུདཱདེཤཱཏ྄ ཀིཡནྟོ ཛནཱ ཨཱགཏྱ བྷྲཱཏྲྀགཎམིཏྠཾ ཤིཀྵིཏཝནྟོ མཱུསཱཝྱཝསྠཡཱ ཡདི ཡུཥྨཱཀཾ ཏྭཀྪེདོ ན བྷཝཏི ཏརྷི ཡཱུཡཾ པརིཏྲཱཎཾ པྲཱཔྟུཾ ན ཤཀྵྱཐ།
2 २ जब पौलुस और बरनबास का उनसे बहुत मतभेद और विवाद हुआ तो यह ठहराया गया, कि पौलुस और बरनबास, और उनमें से कुछ व्यक्ति इस बात के विषय में प्रेरितों और प्राचीनों के पास यरूशलेम को जाएँ।
པཽལབརྞབྦཽ ཏཻཿ སཧ བཧཱུན྄ ཝིཙཱརཱན྄ ཝིཝཱདཱཾཤྩ ཀྲྀཏཝནྟཽ, ཏཏོ མཎྜལཱིཡནོཀཱ ཨེཏསྱཱཿ ཀཐཱཡཱསྟཏྟྭཾ ཛྙཱཏུཾ ཡིརཱུཤཱལམྣགརསྠཱན྄ པྲེརིཏཱན྄ པྲཱཙཱིནཱཾཤྩ པྲཏི པཽལབརྞབྦཱཔྲབྷྲྀཏཱིན྄ ཀཏིཔཡཛནཱན྄ པྲེཥཡིཏུཾ ནིཤྩཡཾ ཀྲྀཏཝནྟཿ།
3 ३ अतः कलीसिया ने उन्हें कुछ दूर तक पहुँचाया; और वे फीनीके और सामरिया से होते हुए अन्यजातियों के मन फिराने का समाचार सुनाते गए, और सब भाइयों को बहुत आनन्दित किया।
ཏེ མཎྜལྱཱ པྲེརིཏཱཿ སནྟཿ ཕཻཎཱིཀཱིཤོམིརོནྡེཤཱབྷྱཱཾ གཏྭཱ བྷིནྣདེཤཱིཡཱནཱཾ མནཿཔརིཝརྟྟནསྱ ཝཱརྟྟཡཱ བྷྲཱཏྲྀཎཱཾ པརམཱཧླཱདམ྄ ཨཛནཡན྄།
4 ४ जब वे यरूशलेम में पहुँचे, तो कलीसिया और प्रेरित और प्राचीन उनसे आनन्द के साथ मिले, और उन्होंने बताया कि परमेश्वर ने उनके साथ होकर कैसे-कैसे काम किए थे।
ཡིརཱུཤཱལམྱུཔསྠཱཡ པྲེརིཏགཎེན ལོཀཔྲཱཙཱིནགཎེན སམཱཛེན ཙ སམུཔགྲྀཧཱིཏཱཿ སནྟཿ སྭཻརཱིཤྭརོ ཡཱནི ཀརྨྨཱཎི ཀྲྀཏཝཱན྄ ཏེཥཱཾ སཪྻྭཝྲྀཏྟཱནྟཱན྄ ཏེཥཱཾ སམཀྵམ྄ ཨཀཐཡན྄།
5 ५ परन्तु फरीसियों के पंथ में से जिन्होंने विश्वास किया था, उनमें से कितनों ने उठकर कहा, “उन्हें खतना कराने और मूसा की व्यवस्था को मानने की आज्ञा देनी चाहिए।”
ཀིནྟུ ཝིཤྭཱསིནཿ ཀིཡནྟཿ ཕིརཱུཤིམཏགྲཱཧིཎོ ལོཀཱ ཨུཏྠཱཡ ཀཐཱམེཏཱཾ ཀཐིཏཝནྟོ བྷིནྣདེཤཱིཡཱནཱཾ ཏྭཀྪེདཾ ཀརྟྟུཾ མཱུསཱཝྱཝསྠཱཾ པཱལཡིཏུཉྩ སམཱདེཥྚཝྱམ྄།
6 ६ तब प्रेरित और प्राचीन इस बात के विषय में विचार करने के लिये इकट्ठे हुए।
ཏཏཿ པྲེརིཏཱ ལོཀཔྲཱཙཱིནཱཤྩ ཏསྱ ཝིཝེཙནཱཾ ཀརྟྟུཾ སབྷཱཡཱཾ སྠིཏཝནྟཿ།
7 ७ तब पतरस ने बहुत वाद-विवाद हो जाने के बाद खड़े होकर उनसे कहा, “हे भाइयों, तुम जानते हो, कि बहुत दिन हुए, कि परमेश्वर ने तुम में से मुझे चुन लिया, कि मेरे मुँह से अन्यजातियाँ सुसमाचार का वचन सुनकर विश्वास करें।
བཧུཝིཙཱརེཥུ ཛཱཏཥུ པིཏར ཨུཏྠཱཡ ཀཐིཏཝཱན྄, ཧེ བྷྲཱཏརོ ཡཐཱ བྷིནྣདེཤཱིཡལོཀཱ མམ མུཁཱཏ྄ སུསཾཝཱདཾ ཤྲུཏྭཱ ཝིཤྭསནྟི ཏདརྠཾ བཧུདིནཱཏ྄ པཱུཪྻྭམ྄ ཨཱིཤྭརོསྨཱཀཾ མདྷྱེ མཱཾ ཝྲྀཏྭཱ ནིཡུཀྟཝཱན྄།
8 ८ और मन के जाँचने वाले परमेश्वर ने उनको भी हमारे समान पवित्र आत्मा देकर उनकी गवाही दी;
ཨནྟཪྻྱཱམཱིཤྭརོ ཡཐཱསྨབྷྱཾ ཏཐཱ བྷིནྣདེཤཱིཡེབྷྱཿ པཝིཏྲམཱཏྨཱནཾ པྲདཱཡ ཝིཤྭཱསེན ཏེཥཱམ྄ ཨནྟཿཀརཎཱནི པཝིཏྲཱཎི ཀྲྀཏྭཱ
9 ९ और विश्वास के द्वारा उनके मन शुद्ध करके हम में और उनमें कुछ भेद न रखा।
ཏེཥཱམ྄ ཨསྨཱཀཉྩ མདྷྱེ ཀིམཔི ཝིཤེཥཾ ན སྠཱཔཡིཏྭཱ ཏཱནདྷི སྭཡཾ པྲམཱཎཾ དཏྟཝཱན྄ ཨིཏི ཡཱུཡཾ ཛཱནཱིཐ།
10 १० तो अब तुम क्यों परमेश्वर की परीक्षा करते हो, कि चेलों की गर्दन पर ऐसा जूआ रखो, जिसे न हमारे पूर्वज उठा सकते थे और न हम उठा सकते हैं।
ཨཏཨེཝཱསྨཱཀཾ པཱུཪྻྭཔུརུཥཱ ཝཡཉྩ སྭཡཾ ཡདྱུགསྱ བྷཱརཾ སོཌྷུཾ ན ཤཀྟཱཿ སམྤྲཏི ཏཾ ཤིཥྱགཎསྱ སྐནྡྷེཥུ ནྱསིཏུཾ ཀུཏ ཨཱིཤྭརསྱ པརཱིཀྵཱཾ ཀརིཥྱཐ?
11 ११ हाँ, हमारा यह तो निश्चय है कि जिस रीति से वे प्रभु यीशु के अनुग्रह से उद्धार पाएँगे; उसी रीति से हम भी पाएँगे।”
པྲབྷོ ཪྻཱིཤུཁྲཱིཥྚསྱཱནུགྲཧེཎ ཏེ ཡཐཱ ཝཡམཔི ཏཐཱ པརིཏྲཱཎཾ པྲཱཔྟུམ྄ ཨཱཤཱཾ ཀུརྨྨཿ།
12 १२ तब सारी सभा चुपचाप होकर बरनबास और पौलुस की सुनने लगी, कि परमेश्वर ने उनके द्वारा अन्यजातियों में कैसे-कैसे बड़े चिन्ह, और अद्भुत काम दिखाए।
ཨནནྟརཾ བརྞབྦཱཔཽལཱབྷྱཱམ྄ ཨཱིཤྭརོ བྷིནྣདེཤཱིཡཱནཱཾ མདྷྱེ ཡདྱད྄ ཨཱཤྩཪྻྱམ྄ ཨདྦྷུཏཉྩ ཀརྨྨ ཀྲྀཏཝཱན྄ ཏདྭྲྀཏྟཱནྟཾ ཏཽ སྭམུཁཱབྷྱཱམ྄ ཨཝརྞཡཏཱཾ སབྷཱསྠཱཿ སཪྻྭེ ནཱིརཝཱཿ སནྟཿ ཤྲུཏཝནྟཿ།
13 १३ जब वे चुप हुए, तो याकूब कहने लगा, “हे भाइयों, मेरी सुनो।
ཏཡོཿ ཀཐཱཡཱཾ སམཱཔྟཱཡཱཾ སཏྱཱཾ ཡཱཀཱུབ྄ ཀཐཡིཏུམ྄ ཨཱརབྡྷཝཱན྄
14 १४ शमौन ने बताया, कि परमेश्वर ने पहले-पहल अन्यजातियों पर कैसी कृपादृष्टि की, कि उनमें से अपने नाम के लिये एक लोग बना ले।
ཧེ བྷྲཱཏརོ མམ ཀཐཱཡཱམ྄ མནོ ནིདྷཏྟ། ཨཱིཤྭརཿ སྭནཱམཱརྠཾ བྷིནྣདེཤཱིཡལོཀཱནཱམ྄ མདྷྱཱད྄ ཨེཀཾ ལོཀསཾགྷཾ གྲཧཱིཏུཾ མཏིཾ ཀྲྀཏྭཱ ཡེན པྲཀཱརེཎ པྲཐམཾ ཏཱན྄ པྲཏི ཀྲྀཔཱཝལེཀནཾ ཀྲྀཏཝཱན྄ ཏཾ ཤིམོན྄ ཝརྞིཏཝཱན྄།
15 १५ और इससे भविष्यद्वक्ताओं की बातें भी मिलती हैं, जैसा लिखा है,
བྷཝིཥྱདྭཱདིབྷིརུཀྟཱནི ཡཱནི ཝཱཀྱཱནི ཏཻཿ སཱརྡྡྷམ྄ ཨེཏསྱཻཀྱཾ བྷཝཏི ཡཐཱ ལིཁིཏམཱསྟེ།
16 १६ ‘इसके बाद मैं फिर आकर दाऊद का गिरा हुआ डेरा उठाऊँगा, और उसके खंडहरों को फिर बनाऊँगा, और उसे खड़ा करूँगा,
སཪྻྭེཥཱཾ ཀརྨྨཎཱཾ ཡསྟུ སཱདྷཀཿ པརམེཤྭརཿ། ས ཨེཝེདཾ ཝདེདྭཱཀྱཾ ཤེཥཱཿ སཀལམཱནཝཱཿ། བྷིནྣདེཤཱིཡལོཀཱཤྩ ཡཱཝནྟོ མམ ནཱམཏཿ། བྷཝནྟི ཧི སུཝིཁྱཱཏཱསྟེ ཡཐཱ པརམེཤིཏུཿ།
17 १७ इसलिए कि शेष मनुष्य, अर्थात् सब अन्यजाति जो मेरे नाम के कहलाते हैं, प्रभु को ढूँढ़ें,
ཏཏྭཾ སམྱཀ྄ སམཱིཧནྟེ ཏནྣིམིཏྟམཧཾ ཀིལ། པརཱཝྲྀཏྱ སམཱགཏྱ དཱཡཱུདཿ པཏིཏཾ པུནཿ། དཱུཥྱམུཏྠཱཔཡིཥྱཱམི ཏདཱིཡཾ སཪྻྭཝསྟུ ཙ། པཏིཏཾ པུནརུཐཱཔྱ སཛྫཡིཥྱཱམི སཪྻྭཐཱ༎
18 १८ यह वही प्रभु कहता है जो जगत की उत्पत्ति से इन बातों का समाचार देता आया है।’ (aiōn )
ཨཱ པྲཐམཱད྄ ཨཱིཤྭརཿ སྭཱིཡཱནི སཪྻྭཀརྨྨཱཎི ཛཱནཱཏི། (aiōn )
19 १९ “इसलिए मेरा विचार यह है, कि अन्यजातियों में से जो लोग परमेश्वर की ओर फिरते हैं, हम उन्हें दुःख न दें;
ཨཏཨེཝ མམ ནིཝེདནམིདཾ བྷིནྣདེཤཱིཡལོཀཱནཱཾ མདྷྱེ ཡེ ཛནཱ ཨཱིཤྭརཾ པྲཏི པརཱཝརྟྟནྟ ཏེཥཱམུཔརི ཨནྱཾ ཀམཔི བྷཱརཾ ན ནྱསྱ
20 २० परन्तु उन्हें लिख भेजें, कि वे मूरतों की अशुद्धताओं और व्यभिचार और गला घोंटे हुओं के माँस से और लहू से परे रहें।
དེཝཏཱཔྲསཱདཱཤུཙིབྷཀྵྱཾ ཝྱབྷིཙཱརཀརྨྨ ཀཎྛསམྤཱིཌནམཱརིཏཔྲཱཎིབྷཀྵྱཾ རཀྟབྷཀྵྱཉྩ ཨེཏཱནི པརིཏྱཀྟུཾ ལིཁཱམཿ།
21 २१ क्योंकि पुराने समय से नगर-नगर मूसा की व्यवस्था के प्रचार करनेवाले होते चले आए है, और वह हर सब्त के दिन आराधनालय में पढ़ी जाती है।”
ཡཏཿ པཱུཪྻྭཀཱལཏོ མཱུསཱཝྱཝསྠཱཔྲཙཱརིཎོ ལོཀཱ ནགརེ ནགརེ སནྟི པྲཏིཝིཤྲཱམཝཱརཉྩ བྷཛནབྷཝནེ ཏསྱཱཿ པཱཋོ བྷཝཏི།
22 २२ तब सारी कलीसिया सहित प्रेरितों और प्राचीनों को अच्छा लगा, कि अपने में से कुछ मनुष्यों को चुनें, अर्थात् यहूदा, जो बरसब्बास कहलाता है, और सीलास को जो भाइयों में मुखिया थे; और उन्हें पौलुस और बरनबास के साथ अन्ताकिया को भेजें।
ཏཏཿ པརཾ པྲེརིཏགཎོ ལོཀཔྲཱཙཱིནགཎཿ སཪྻྭཱ མཎྜལཱི ཙ སྭེཥཱཾ མདྷྱེ བརྴབྦཱ ནཱམྣཱ ཝིཁྱཱཏོ མནོནཱིཏཽ ཀྲྀཏྭཱ པཽལབརྞབྦཱབྷྱཱཾ སཱརྡྡྷམ྄ ཨཱནྟིཡཁིཡཱནགརཾ པྲཏི པྲེཥཎམ྄ ཨུཙིཏཾ བུདྡྷྭཱ ཏཱབྷྱཱཾ པཏྲཾ པྲཻཥཡན྄།
23 २३ और उन्होंने उनके हाथ यह लिख भेजा: “अन्ताकिया और सीरिया और किलिकिया के रहनेवाले भाइयों को जो अन्यजातियों में से हैं, प्रेरितों और प्राचीन भाइयों का नमस्कार!
ཏསྨིན྄ པཏྲེ ལིཁིཏམིཾད, ཨཱནྟིཡཁིཡཱ-སུརིཡཱ-ཀིལིཀིཡཱདེཤསྠབྷིནྣདེཤཱིཡབྷྲཱཏྲྀགཎཱཡ པྲེརིཏགཎསྱ ལོཀཔྲཱཙཱིནགཎསྱ བྷྲཱཏྲྀགཎསྱ ཙ ནམསྐཱརཿ།
24 २४ हमने सुना है, कि हम में से कुछ ने वहाँ जाकर, तुम्हें अपनी बातों से घबरा दिया; और तुम्हारे मन उलट दिए हैं परन्तु हमने उनको आज्ञा नहीं दी थी।
ཝིཤེཥཏོ྅སྨཱཀམ྄ ཨཱཛྙཱམ྄ ཨཔྲཱཔྱཱཔི ཀིཡནྟོ ཛནཱ ཨསྨཱཀཾ མདྷྱཱད྄ གཏྭཱ ཏྭཀྪེདོ མཱུསཱཝྱཝསྠཱ ཙ པཱལཡིཏཝྱཱཝིཏི ཡུཥྨཱན྄ ཤིཀྵཡིཏྭཱ ཡུཥྨཱཀཾ མནསཱམསྠཻཪྻྱཾ ཀྲྀཏྭཱ ཡུཥྨཱན྄ སསནྡེཧཱན྄ ཨཀུཪྻྭན྄ ཨེཏཱཾ ཀཐཱཾ ཝཡམ྄ ཨཤྲྀནྨ།
25 २५ इसलिए हमने एक चित्त होकर ठीक समझा, कि चुने हुए मनुष्यों को अपने प्रिय बरनबास और पौलुस के साथ तुम्हारे पास भेजें।
ཏཏྐཱརཎཱད྄ ཝཡམ྄ ཨེཀམནྟྲཎཱཿ སནྟཿ སབྷཱཡཱཾ སྠིཏྭཱ པྲབྷོ ཪྻཱིཤུཁྲཱིཥྚསྱ ནཱམནིམིཏྟཾ མྲྀཏྱུམུཁགཏཱབྷྱཱམསྨཱཀཾ
26 २६ ये तो ऐसे मनुष्य हैं, जिन्होंने अपने प्राण हमारे प्रभु यीशु मसीह के नाम के लिये जोखिम में डाले हैं।
པྲིཡབརྞབྦཱཔཽལཱབྷྱཱཾ སཱརྡྡྷཾ མནོནཱིཏལོཀཱནཱཾ ཀེཥཱཉྩིད྄ ཡུཥྨཱཀཾ སནྣིདྷཽ པྲེཥཎམ྄ ཨུཙིཏཾ བུདྡྷཝནྟཿ།
27 २७ और हमने यहूदा और सीलास को भेजा है, जो अपने मुँह से भी ये बातें कह देंगे।
ཨཏོ ཡིཧཱུདཱསཱིལཽ ཡུཥྨཱན྄ པྲཏི པྲེཥིཏཝནྟཿ, ཨེཏཡོ རྨུཁཱབྷྱཱཾ སཪྻྭཱཾ ཀཐཱཾ ཛྙཱསྱཐ།
28 २८ पवित्र आत्मा को, और हमको भी ठीक जान पड़ा कि इन आवश्यक बातों को छोड़; तुम पर और बोझ न डालें;
དེཝཏཱཔྲསཱདབྷཀྵྱཾ རཀྟབྷཀྵྱཾ གལཔཱིཌནམཱརིཏཔྲཱཎིབྷཀྵྱཾ ཝྱབྷིཙཱརཀརྨྨ ཙེམཱནི སཪྻྭཱཎི ཡུཥྨཱབྷིསྟྱཱཛྱཱནི; ཨེཏཏྤྲཡོཛནཱིཡཱཛྙཱཝྱཏིརེཀེན ཡུཥྨཱཀམ྄ ཨུཔརི བྷཱརམནྱཾ ན ནྱསིཏུཾ པཝིཏྲསྱཱཏྨནོ྅སྨཱཀཉྩ ཨུཙིཏཛྙཱནམ྄ ཨབྷཝཏ྄།
29 २९ कि तुम मूरतों के बलि किए हुओं से, और लहू से, और गला घोंटे हुओं के माँस से, और व्यभिचार से दूर रहो। इनसे दूर रहो तो तुम्हारा भला होगा। आगे शुभकामना।”
ཨཏཨེཝ ཏེབྷྱཿ སཪྻྭེབྷྱཿ སྭེཥུ རཀྵིཏེཥུ ཡཱུཡཾ བྷདྲཾ ཀརྨྨ ཀརིཥྱཐ། ཡུཥྨཱཀཾ མངྒལཾ བྷཱུཡཱཏ྄།
30 ३० फिर वे विदा होकर अन्ताकिया में पहुँचे, और सभा को इकट्ठी करके उन्हें पत्री दे दी।
ཏེ ཝིསྲྀཥྚཱཿ སནྟ ཨཱནྟིཡཁིཡཱནགར ཨུཔསྠཱཡ ལོཀནིཝཧཾ སཾགྲྀཧྱ པཏྲམ྄ ཨདདན྄།
31 ३१ और वे पढ़कर उस उपदेश की बात से अति आनन्दित हुए।
ཏཏསྟེ ཏཏྤཏྲཾ པཋིཏྭཱ སཱནྟྭནཱཾ པྲཱཔྱ སཱནནྡཱ ཨབྷཝན྄།
32 ३२ और यहूदा और सीलास ने जो आप भी भविष्यद्वक्ता थे, बहुत बातों से भाइयों को उपदेश देकर स्थिर किया।
ཡིཧཱུདཱསཱིལཽ ཙ སྭཡཾ པྲཙཱརཀཽ བྷཱུཏྭཱ བྷྲཱཏྲྀགཎཾ ནཱནོཔདིཤྱ ཏཱན྄ སུསྠིརཱན྄ ཨཀུརུཏཱམ྄།
33 ३३ वे कुछ दिन रहकर भाइयों से शान्ति के साथ विदा हुए कि अपने भेजनेवालों के पास जाएँ।
ཨིཏྠཾ ཏཽ ཏཏྲ ཏཻཿ སཱཀཾ ཀཏིཔཡདིནཱནི ཡཱཔཡིཏྭཱ པཤྩཱཏ྄ པྲེརིཏཱནཱཾ སམཱིཔེ པྲཏྱཱགམནཱརྠཾ ཏེཥཱཾ སནྣིདྷེཿ ཀལྱཱཎེན ཝིསྲྀཥྚཱཝབྷཝཏཱཾ།
34 ३४ (परन्तु सीलास को वहाँ रहना अच्छा लगा।)
ཀིནྟུ སཱིལསྟཏྲ སྠཱཏུཾ ཝཱཉྪིཏཝཱན྄།
35 ३५ और पौलुस और बरनबास अन्ताकिया में रह गए: और अन्य बहुत से लोगों के साथ प्रभु के वचन का उपदेश करते और सुसमाचार सुनाते रहे।
ཨཔརཾ པཽལབརྞབྦཽ བཧཝཿ ཤིཥྱཱཤྩ ལོཀཱན྄ ཨུཔདིཤྱ པྲབྷོཿ སུསཾཝཱདཾ པྲཙཱརཡནྟ ཨཱནྟིཡཁིཡཱཡཱཾ ཀཱལཾ ཡཱཔིཏཝནྟཿ།
36 ३६ कुछ दिन बाद पौलुस ने बरनबास से कहा, “जिन-जिन नगरों में हमने प्रभु का वचन सुनाया था, आओ, फिर उनमें चलकर अपने भाइयों को देखें कि कैसे हैं।”
ཀཏིཔཡདིནེཥུ གཏེཥུ པཽལོ བརྞབྦཱམ྄ ཨཝདཏ྄ ཨཱགཙྪཱཝཱཾ ཡེཥུ ནགརེཥྭཱིཤྭརསྱ སུསཾཝཱདཾ པྲཙཱརིཏཝནྟཽ ཏཱནི སཪྻྭནགརཱཎི པུནརྒཏྭཱ བྷྲཱཏརཿ ཀཱིདྲྀཤཱཿ སནྟཱིཏི དྲཥྚུཾ ཏཱན྄ སཱཀྵཱཏ྄ ཀུཪྻྭཿ།
37 ३७ तब बरनबास ने यूहन्ना को जो मरकुस कहलाता है, साथ लेने का विचार किया।
ཏེན མཱརྐནཱམྣཱ ཝིཁྱཱཏཾ ཡོཧནཾ སངྒིནཾ ཀརྟྟུཾ བརྞབྦཱ མཏིམཀརོཏ྄,
38 ३८ परन्तु पौलुस ने उसे जो पंफूलिया में उनसे अलग हो गया था, और काम पर उनके साथ न गया, साथ ले जाना अच्छा न समझा।
ཀིནྟུ ས པཱུཪྻྭཾ ཏཱབྷྱཱཾ སཧ ཀཱཪྻྱཱརྠཾ ན གཏྭཱ པཱམྥཱུལིཡཱདེཤེ ཏཽ ཏྱཀྟཝཱན྄ ཏཏྐཱརཎཱཏ྄ པཽལསྟཾ སངྒིནཾ ཀརྟྟུམ྄ ཨནུཙིཏཾ ཛྙཱཏཝཱན྄།
39 ३९ अतः ऐसा विवाद उठा कि वे एक दूसरे से अलग हो गए; और बरनबास, मरकुस को लेकर जहाज से साइप्रस को चला गया।
ཨིཏྠཾ ཏཡོརཏིཤཡཝིརོདྷསྱོཔསྠིཏཏྭཱཏ྄ ཏཽ པརསྤརཾ པྲྀཐགབྷཝཏཱཾ ཏཏོ བརྞབྦཱ མཱརྐཾ གྲྀཧཱིཏྭཱ པོཏེན ཀུཔྲོཔདྭཱིཔཾ གཏཝཱན྄;
40 ४० परन्तु पौलुस ने सीलास को चुन लिया, और भाइयों से परमेश्वर के अनुग्रह में सौंपा जाकर वहाँ से चला गया।
ཀིནྟུ པཽལཿ སཱིལཾ མནོནཱིཏཾ ཀྲྀཏྭཱ བྷྲཱཏྲྀབྷིརཱིཤྭརཱནུགྲཧེ སམརྤིཏཿ སན྄ པྲསྠཱཡ
41 ४१ और कलीसियाओं को स्थिर करता हुआ, सीरिया और किलिकिया से होते हुए निकला।
སུརིཡཱཀིལིཀིཡཱདེཤཱབྷྱཱཾ མཎྜལཱིཿ སྠིརཱིཀུཪྻྭན྄ ཨགཙྪཏ྄།