< प्रेरितों के काम 14 >

1 इकुनियुम में ऐसा हुआ कि पौलुस और बरनबास यहूदियों की आराधनालय में साथ-साथ गए, और ऐसी बातें की, कि यहूदियों और यूनानियों दोनों में से बहुतों ने विश्वास किया।
ⲁ̅ⲁⲥϣⲱⲡⲉ ⲇⲉ ⲟⲛ ⲕⲁⲧⲁⲡⲉⲩⲥⲱⲛⲧ̅ ⲉⲧⲣⲉⲩⲃⲱⲕ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲉⲧⲥⲩⲛⲁⲅⲱⲅⲏ ⲛ̅ⲛ̅ⲓ̈ⲟⲩⲇⲁⲓ̈. ⲛ̅ⲥⲉϣⲁϫⲉ ⲛ̅ⲧⲉⲓ̈ϩⲉ. ϩⲱⲥⲧⲉ ⲛ̅ⲧⲉⲟⲩⲙⲏⲏϣⲉ ⲉⲛⲁϣⲱϥ ⲡⲓⲥⲧⲉⲩⲉ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲛ̅ⲓ̈ⲟⲩⲇⲁⲓ̈ ⲙⲛ̅ⲛ̅ϩⲉⲗⲗⲏⲛ.
2 परन्तु विश्वास न करनेवाले यहूदियों ने अन्यजातियों के मन भाइयों के विरोध में भड़काए, और कटुता उत्पन्न कर दी।
ⲃ̅ⲛ̅ⲓ̈ⲟⲩⲇⲁⲓ̈ ⲇⲉ ⲛ̅ⲧⲟⲟⲩ ⲉⲧⲉⲙ̅ⲡⲟⲩⲛⲁϩⲧⲉ ⲁⲩⲧⲱⲟⲩⲛ ⲁⲩⲙⲉⲕϩ̅ⲛⲉⲯⲩⲭⲏ ⲛ̅ⲛ̅ϩⲉⲑⲛⲟⲥ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲉⲛⲉⲥⲛⲏⲩ.
3 और वे बहुत दिन तक वहाँ रहे, और प्रभु के भरोसे पर साहस के साथ बातें करते थे: और वह उनके हाथों से चिन्ह और अद्भुत काम करवाकर अपने अनुग्रह के वचन पर गवाही देता था।
ⲅ̅ⲁⲩⲣ̅ⲟⲩⲛⲟϭ ⲇⲉ ⲛⲟⲩⲟⲉⲓϣ ⲙ̅ⲙⲁⲩ ⲉⲩⲡⲁⲣⲣⲏⲥⲓⲁⲍⲉ ⲙ̅ⲙⲟⲟⲩ ⲉϩⲣⲁⲓ̈ ⲉϫⲙ̅ⲡϫⲟⲉⲓⲥ. ⲡⲁⲓ̈ ⲉⲧⲣ̅ⲙⲛ̅ⲧⲣⲉ ⲙ̅ⲡϣⲁϫⲉ ⲛ̅ⲧⲉϥⲭⲁⲣⲓⲥ. ⲉⲧϯ ⲛ̅ϩⲉⲛⲙⲁⲉⲓⲛ ⲙⲛ̅ϩⲉⲛϣⲡⲏⲣⲉ ⲉⲧⲣⲉⲩϣⲱⲡⲉ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲓⲧⲛ̅ⲧⲉⲩϭⲓϫ.
4 परन्तु नगर के लोगों में फूट पड़ गई थी; इससे कितने तो यहूदियों की ओर, और कितने प्रेरितों की ओर हो गए।
ⲇ̅ⲁⲡⲙⲏⲏϣⲉ ⲇⲉ ⲛ̅ⲧⲡⲟⲗⲓⲥ ⲡⲱϣ. ⲁⲩⲱ ϩⲟⲓ̈ⲛⲉ ⲙⲉⲛ ⲛⲉⲩϣⲟⲟⲡ ⲡⲉ ⲙⲛ̅ⲛ̅ⲓ̈ⲟⲩⲇⲁⲓ̈. ϩⲉⲛⲕⲟⲟⲩⲉ ⲇⲉ ⲙⲛ̅ⲛⲁⲡⲟⲥⲧⲟⲗⲟⲥ.
5 परन्तु जब अन्यजाति और यहूदी उनका अपमान और उन्हें पथराव करने के लिये अपने सरदारों समेत उन पर दौड़े।
ⲉ̅ⲛ̅ⲧⲉⲣⲟⲩϯ ⲙ̅ⲡⲉⲩⲟⲩⲟⲓ̈ ⲇⲉ ⲛ̅ϭⲓⲛ̅ϩⲉⲑⲛⲟⲥ ⲙⲛ̅ⲛ̅ⲓ̈ⲟⲩⲇⲁⲓ̈. ⲁⲩⲱ ⲛⲉⲩⲁⲣⲭⲱⲛ. ⲉⲧⲣⲉⲩⲥⲟϣⲟⲩ ⲁⲩⲱ ⲛ̅ⲥⲉϩⲓⲱⲛⲉ ⲉⲣⲟⲟⲩ.
6 तो वे इस बात को जान गए, और लुकाउनिया के लुस्त्रा और दिरबे नगरों में, और आस-पास के प्रदेशों में भाग गए।
ⲋ̅ⲁⲩⲉⲓⲙⲉ ⲁⲩⲱ ⲁⲩⲡⲱⲧ ⲉϩⲣⲁⲓ̈ ⲉⲙ̅ⲡⲟⲗⲓⲥ ⲛ̅ⲧⲗⲩⲕⲁⲟⲛⲓⲁ. ⲗⲩⲥⲇⲣⲁ ⲙⲛ̅ⲧⲉⲣⲃⲏ ⲁⲩⲱ ⲧⲡⲉⲣⲓⲭⲱⲣⲟⲥ
7 और वहाँ सुसमाचार सुनाने लगे।
ⲍ̅ⲁⲩⲱ ⲛⲉⲩⲉⲩⲁⲅⲅⲉⲗⲓⲍⲉ ϩⲙ̅ⲡⲙⲁ ⲉⲧⲙ̅ⲙⲁⲩ
8 लुस्त्रा में एक मनुष्य बैठा था, जो पाँवों का निर्बल था। वह जन्म ही से लँगड़ा था, और कभी न चला था।
ⲏ̅ⲛⲉⲩⲛ̅ⲟⲩⲣⲱⲙⲉ ⲇⲉ ϩⲛ̅ⲗⲩⲥⲇⲣⲁ ⲛ̅ϭⲱⲃ ⲛ̅ⲛⲉϥⲟⲩⲉⲣⲏⲧⲉ. ⲉϥϩⲙⲟⲟⲥ ⲉⲩϭⲁⲗⲉ ⲡⲉ ϫⲓⲛⲛ̅ϩⲏⲧⲥ̅ ⲛ̅ⲧⲉϥⲙⲁⲁⲩ ⲙ̅ⲡϥ̅ⲙⲟⲟϣⲉ ⲉⲛⲉϩ.
9 वह पौलुस को बातें करते सुन रहा था और पौलुस ने उसकी ओर टकटकी लगाकर देखा कि इसको चंगा हो जाने का विश्वास है।
ⲑ̅ⲡⲁⲓ̈ ⲛⲉϥⲥⲱⲧⲙ̅ ⲡⲉ ⲉⲡⲁⲩⲗⲟⲥ ⲉϥϣⲁϫⲉ. ⲛ̅ⲧⲟϥ ⲇⲉ ⲁϥⲉⲓⲱⲣⲙ̅ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲉϩⲣⲁϥ ⲁϥⲉⲓⲙⲉ ϫⲉ ⲟⲩⲛ̅ⲧϥ̅ⲡⲓⲥⲧⲓⲥ ⲙ̅ⲙⲁⲩ ⲉⲧⲣⲉϥⲟⲩϫⲁⲓ̈.
10 १० और ऊँचे शब्द से कहा, “अपने पाँवों के बल सीधा खड़ा हो।” तब वह उछलकर चलने फिरने लगा।
ⲓ̅ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁϥ ϩⲛ̅ⲟⲩⲛⲟϭ ⲛ̅ⲥⲙⲏ ϫⲉ ⲉⲓ̈ϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ⲛⲁⲕ ϩⲙ̅ⲡⲣⲁⲛ ⲛ̅ⲓ̅ⲥ̅ ⲡⲉⲭ̅ⲥ̅. ⲧⲱⲟⲩⲛ ⲛⲅ̅ⲁϩⲉⲣⲁⲧⲕ̅ ϩⲓϫⲛ̅ⲛⲉⲕⲟⲩⲉⲣⲏⲧⲉ. ⲁⲩⲱ ⲁϥϥⲟϭϥ̅ ⲁϥⲙⲟⲟϣⲉ.
11 ११ लोगों ने पौलुस का यह काम देखकर लुकाउनिया भाषा में ऊँचे शब्द से कहा, “देवता मनुष्यों के रूप में होकर हमारे पास उतर आए हैं।”
ⲓ̅ⲁ̅ⲙ̅ⲙⲏⲏϣⲉ ⲇⲉ ⲛ̅ⲧⲉⲣⲟⲩⲛⲁⲩ ⲉⲡⲉⲛⲧⲁⲡⲁⲩⲗⲟⲥ ⲁⲁϥ. ⲁⲩϥⲓϩⲣⲁⲩ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲧⲉⲩⲁⲥⲡⲉ ⲉⲩϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲛ̅ⲧⲁⲛ̅ⲛⲟⲩⲧⲉ ⲉⲓⲛⲉ ⲛ̅ⲛ̅ⲣⲱⲙⲉ ⲁⲩⲉⲓ ⲉϩⲣⲁⲓ̈ ϣⲁⲣⲟⲛ.
12 १२ और उन्होंने बरनबास को ज्यूस, और पौलुस को हिर्मेस कहा क्योंकि वह बातें करने में मुख्य था।
ⲓ̅ⲃ̅ⲁⲩⲱ ⲁⲩⲙⲟⲩⲧⲉ ⲉⲃⲁⲣⲛⲁⲃⲁⲥ ϫⲉ ⲡⲍⲉⲩⲥ. ⲡⲁⲩⲗⲟⲥ ⲇⲉ ϫⲉ ⲡϩⲣ̅ⲙⲏⲥ. ⲉⲡⲉⲓⲇⲏ ⲛ̅ⲧⲟϥ ⲡⲉ ⲛⲉⲩⲛ̅ϭⲟⲙ ⲙ̅ⲙⲟϥ ⲡⲉ ϩⲙ̅ⲡϣⲁϫⲉ.
13 १३ और ज्यूस के उस मन्दिर का पुजारी जो उनके नगर के सामने था, बैल और फूलों के हार फाटकों पर लाकर लोगों के साथ बलिदान करना चाहता था।
ⲓ̅ⲅ̅ⲡⲟⲩⲏⲏⲃ ⲇⲉ ⲙ̅ⲡⲍⲉⲩⲥ ⲉⲧⲙ̅ⲡⲃⲟⲗ ⲛ̅ⲧⲡⲟⲗⲓⲥ. ⲁϥⲉⲓⲛⲉ ⲛ̅ϩⲉⲛⲙⲁⲥⲉ ⲙⲛ̅ϩⲉⲛⲕⲗⲟⲙ ⲉⲣⲛ̅ⲛ̅ⲣⲟ (ⲙ)ⲛ̅ⲙ̅ⲙⲏⲏϣⲉ. ⲁϥⲟⲩⲱϣ ⲉⲧⲁⲗⲉⲑⲩⲥⲓⲁ ⲉϩⲣⲁⲓ̈.
14 १४ परन्तु बरनबास और पौलुस प्रेरितों ने जब सुना, तो अपने कपड़े फाड़े, और भीड़ की ओर लपक गए, और पुकारकर कहने लगे,
ⲓ̅ⲇ̅ⲛ̅ⲧⲉⲣⲟⲩⲥⲱⲧⲙ̅ ⲇⲉ ⲛ̅ϭⲓⲛⲁⲡⲟⲥⲧⲟⲗⲟⲥ ⲃⲁⲣⲛⲁⲃⲁⲥ ⲙⲛ̅ⲡⲁⲩⲗⲟⲥ. ⲁⲩⲡⲉϩⲛⲉⲩϩⲟⲉⲓⲧⲉ ⲁⲩⲱ ⲁⲩⲡⲱⲧ ⲉⲃⲟⲗ ⲉⲡⲙⲏⲏϣⲉ. ⲁⲩⲁϣⲕⲁⲕ ⲉⲃⲟⲗ
15 १५ “हे लोगों, तुम क्या करते हो? हम भी तो तुम्हारे समान दुःख-सुख भोगी मनुष्य हैं, और तुम्हें सुसमाचार सुनाते हैं, कि तुम इन व्यर्थ वस्तुओं से अलग होकर जीविते परमेश्वर की ओर फिरो, जिसने स्वर्ग और पृथ्वी और समुद्र और जो कुछ उनमें है बनाया।
ⲓ̅ⲉ̅ⲉⲩϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲛ̅ⲣⲱⲙⲉ. ⲟⲩ ⲛⲉ ⲛⲁⲓ̈ ⲉⲧⲉⲧⲛ̅ⲉⲓⲣⲉ ⲙ̅ⲙⲟⲟⲩ. ⲁⲛⲟⲛ ϩⲱⲱⲛ ⲟⲛ ⲁⲛϩⲉⲛⲣⲱⲙⲉ (ⲛⲧⲉⲧⲛϩⲉ) ⲉⲛⲧⲁϣⲉⲟⲉⲓϣ ⲛⲏⲧⲛ̅ ⲉⲥⲁϩⲉⲧⲏⲩⲧⲛ̅ ⲉⲃⲟⲗ ⲛ̅ⲛⲉⲓ̈ⲡⲉⲧϣⲟⲩⲉⲓⲧ. ⲉⲕⲧⲉⲧⲏⲩⲧⲛ̅ ⲉⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲉⲧⲟⲛϩ̅. ⲡⲁⲓ̈ ⲛ̅ⲧⲁϥⲧⲁⲙⲓⲉⲧⲡⲉ ⲙⲛ̅ⲡⲕⲁϩ. ⲙⲛ̅ⲑⲁⲗⲁⲥⲥⲁ ⲁⲩⲱ ⲛⲉⲧⲛ̅ϩⲏⲧⲟⲩ ⲧⲏⲣⲟⲩ.
16 १६ उसने बीते समयों में सब जातियों को अपने-अपने मार्गों में चलने दिया।
ⲓ̅ⲋ̅ⲡⲁⲓ̈ ϩⲛ̅ⲛ̅ϫⲱⲙ ⲛ̅ⲧⲁⲩⲟⲩⲉⲓⲛⲉ. ⲁϥⲕⲱ ⲛ̅ⲛ̅ϩⲉⲑⲛⲟⲥ ⲧⲏⲣⲟⲩ ⲉⲧⲣⲉⲩⲃⲱⲕ ϩⲛ̅ⲛⲉⲩϩⲓⲟⲟⲩⲉ.
17 १७ तो भी उसने अपने आपको बे-गवाह न छोड़ा; किन्तु वह भलाई करता रहा, और आकाश से वर्षा और फलवन्त ऋतु देकर तुम्हारे मन को भोजन और आनन्द से भरता रहा।”
ⲓ̅ⲍ̅ⲕⲁⲓⲧⲟⲓ ⲟⲛ ⲙ̅ⲡϥ̅ϭⲱ ⲛ̅ⲟⲩⲉϣ ⲛ̅ⲣ̅ⲙⲛ̅ⲧⲣⲉ ⲙ̅ⲙⲟϥ ⲛⲁⲩ. ⲉϥⲣ̅ⲡⲉⲧⲛⲁⲛⲟⲩϥ ⲛⲁⲩ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲧⲡⲉ. ⲉϥϯ ⲛ̅ϩⲉⲛϩⲱⲟⲩ ⲙⲛ̅ϩⲉⲛⲟⲩⲟⲓ̈ϣ ⲛ̅ⲣⲉϥϯⲕⲁⲣⲡⲟⲥ. ⲉϥⲧⲥⲓⲟ ⲛ̅ⲛⲉⲩϩⲏⲧ ⲛ̅ⲧⲣⲩⲫⲏ ϩⲓⲟⲩⲛⲟϥ.
18 १८ यह कहकर भी उन्होंने लोगों को बड़ी कठिनाई से रोका कि उनके लिये बलिदान न करें।
ⲓ̅ⲏ̅ⲛⲁⲓ̈ ⲇⲉ ⲉⲩϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲟⲩ ⲙⲟⲅⲓⲥ ⲁⲩⲧⲣⲉⲙ̅ⲙⲏⲏϣⲉ ⲉⲧⲙ̅ϣⲱⲱⲧ ⲛⲁⲩ.
19 १९ परन्तु कितने यहूदियों ने अन्ताकिया और इकुनियुम से आकर लोगों को अपनी ओर कर लिया, और पौलुस पर पथराव किया, और मरा समझकर उसे नगर के बाहर घसीट ले गए।
ⲓ̅ⲑ̅ⲁⲩⲉⲓ ⲇⲉ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲧⲁⲛⲧⲓⲟⲭⲓⲁ ⲙⲛ̅ϩⲓⲕⲟⲛⲓⲟⲥ ⲛ̅ϭⲓϩⲉⲛⲓ̈ⲟⲩⲇⲁⲓ̈ ⲁⲩⲡⲓⲑⲉ ⲛ̅ⲙ̅ⲙⲏⲏϣⲉ ⲁⲩϩⲓⲱⲛⲉ ⲉⲡⲁⲩⲗⲟⲥ ⲁⲩⲥⲩⲣⲣⲁ ⲙ̅ⲙⲟϥ ⲡⲃⲟⲗ ⲛ̅ⲧⲡⲟⲗⲓⲥ. ⲉⲩⲙⲉⲉⲩⲉ ϫⲉ ⲁϥⲙⲟⲩ.
20 २० पर जब चेले उसकी चारों ओर आ खड़े हुए, तो वह उठकर नगर में गया और दूसरे दिन बरनबास के साथ दिरबे को चला गया।
ⲕ̅ⲛ̅ⲧⲉⲣⲉⲙ̅ⲙⲁⲑⲏⲧⲏⲥ ⲇⲉ ⲕⲱⲧⲉ ⲉⲣⲟϥ. ⲛ̅ⲧⲉⲣⲉⲣⲟⲩϩⲉ ϣⲱⲡⲉ ⲁϥⲧⲱⲟⲩⲛ ⲁϥⲃⲱⲕ. ⲉϩⲟⲩⲛ ⲉⲧⲡⲟⲗⲓⲥ. ⲙ̅ⲡⲉϥⲣⲁⲥⲧⲉ ⲇⲉ ⲁϥⲉⲓ ⲉⲃⲟⲗ ⲙⲛ̅ⲃⲁⲣⲛⲁⲃⲁⲥ ⲉⲧⲉⲣⲃⲏ.
21 २१ और वे उस नगर के लोगों को सुसमाचार सुनाकर, और बहुत से चेले बनाकर, लुस्त्रा और इकुनियुम और अन्ताकिया को लौट आए।
ⲕ̅ⲁ̅ⲛ̅ⲧⲉⲣⲟⲩⲧⲁϣⲉⲟⲓ̈ϣ ⲇⲉ ⲛ̅ⲧⲡⲟⲗⲓⲥ ⲉⲧⲙ̅ⲙⲁⲩ. ⲁⲩⲱ ⲁⲩϯⲥⲃⲱ ⲛ̅ⲟⲩⲙⲏⲏϣⲉ. ⲁⲩⲕⲟⲧⲟⲩ ⲉϩⲣⲁⲓ̈ ⲉⲗⲩⲥⲧⲣⲟⲥ ⲙⲛ̅ϩⲓⲕⲟⲛⲓⲟⲥ ⲙⲛ̅ⲧⲁⲛⲧⲓⲟⲭⲓⲁ.
22 २२ और चेलों के मन को स्थिर करते रहे और यह उपदेश देते थे कि विश्वास में बने रहो; और यह कहते थे, “हमें बड़े क्लेश उठाकर परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना होगा।”
ⲕ̅ⲃ̅ⲉⲩⲧⲁϫⲣⲟ ⲛ̅ⲛⲉⲯⲩⲭⲏ ⲛ̅ⲙ̅ⲙⲁⲑⲏⲧⲏⲥ. ⲉⲩⲥⲟⲡⲥ̅ ⲙ̅ⲙⲟⲟⲩ ⲉⲧⲣⲉⲩϭⲱ ϩⲛ̅ⲧⲡⲓⲥⲧⲓⲥ. ⲁⲩⲱ ⲉⲩϫⲱ ⲙⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲓⲧⲛ̅ϩⲁϩ ⲛ̅ⲑⲗⲓⲯⲓⲥ ⲉⲛⲁⲃⲱⲕ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲉⲧⲙⲛ̅ⲧⲉⲣⲟ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ.
23 २३ और उन्होंने हर एक कलीसिया में उनके लिये प्राचीन ठहराए, और उपवास सहित प्रार्थना करके उन्हें प्रभु के हाथ सौंपा जिस पर उन्होंने विश्वास किया था।
ⲕ̅ⲅ̅ⲁⲩⲥⲙⲓⲛⲉ ⲇⲉ ⲛⲁⲩ ⲛ̅ϩⲉⲛⲡⲣⲉⲥⲃⲩⲧⲉⲣⲟⲥ ⲕⲁⲧⲁⲉⲕⲕⲗⲏⲥⲓⲁ. ⲁⲩϣⲗⲏⲗ ⲙⲛ̅ϩⲉⲛⲛⲏⲥⲧⲓⲁ ⲁⲩϯ ⲙ̅ⲙⲟⲟⲩ ⲉⲧⲟⲟⲧϥ̅ ⲙ̅ⲡϫⲟⲉⲓⲥ ⲡⲁⲓ̈ ⲛ̅ⲧⲁⲩⲡⲓⲥⲧⲉⲩⲉ ⲉⲣⲟϥ.
24 २४ और पिसिदिया से होते हुए वे पंफूलिया में पहुँचे;
ⲕ̅ⲇ̅ⲁⲩⲱ ⲛ̅ⲧⲉⲣⲟⲩⲙⲟⲩϣⲧ̅ ⲛ̅ⲧⲡⲏⲥⲓⲇⲓⲁ ⲁⲩⲉⲓ ⲉⲡⲉⲣⲅⲏ ⲛ̅ⲧⲡⲁⲙⲫⲩⲗⲓⲁ.
25 २५ और पिरगा में वचन सुनाकर अत्तलिया में आए।
ⲕ̅ⲉ̅ⲁⲩⲱ ⲛ̅ⲧⲉⲣⲟⲩϫⲉⲡϣⲁϫⲉ ϩⲙ̅ⲡⲙⲁ ⲉⲧⲙ̅ⲙⲁⲩ ⲁⲩⲃⲱⲕ ⲉⲁⲧⲧⲁⲗⲓⲁ.
26 २६ और वहाँ से जहाज द्वारा अन्ताकिया गये, जहाँ वे उस काम के लिये जो उन्होंने पूरा किया था परमेश्वर के अनुग्रह में सौंपे गए।
ⲕ̅ⲋ̅ⲉⲃⲟⲗ ⲇⲉ ϩⲙ̅ⲡⲙⲁ ⲉⲧⲙ̅ⲙⲁⲩ ⲁⲩⲥϭⲏⲣ ⲉϩⲣⲁⲓ̈ ⲉⲧⲁⲛⲧⲓⲟⲭⲓⲁ. ⲙ̅ⲡⲙⲁ ⲛ̅ⲧⲁⲩⲧⲁⲁⲩ ⲛ̅ϩⲏⲧϥ̅ ϩⲛ̅ⲧⲉⲭⲁⲣⲓⲥ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲉⲡϩⲱⲃ ⲛ̅ⲧⲁⲩϫⲟⲕϥ̅ ⲉⲃⲟⲗ.
27 २७ वहाँ पहुँचकर, उन्होंने कलीसिया इकट्ठी की और बताया, कि परमेश्वर ने हमारे साथ होकर कैसे बड़े-बड़े काम किए! और अन्यजातियों के लिये विश्वास का द्वार खोल दिया।
ⲕ̅ⲍ̅ⲛ̅ⲧⲉⲣⲟⲩⲉⲓ ⲇⲉ ⲁⲩⲥⲱⲟⲩϩ ⲛ̅ⲧⲉⲕⲕⲗⲏⲥⲓⲁ. ⲁⲩϫⲱ ⲉⲣⲟⲟⲩ ⲛ̅ϩⲱⲃ ⲛⲓⲙ ⲛ̅ⲧⲁⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲁⲁⲩ ⲛⲙ̅ⲙⲁⲩ. ⲁⲩⲱ ⲛ̅ⲑⲉ ⲛ̅ⲧⲁϥⲟⲩⲱⲛ ⲛ̅ⲟⲩⲣⲟ ⲙ̅ⲡⲓⲥⲧⲓⲥ ⲛ̅ⲛ̅ϩⲉⲑⲛⲟⲥ.
28 २८ और वे चेलों के साथ बहुत दिन तक रहे।
ⲕ̅ⲏ̅ⲁⲩϣⲱⲡⲉ ⲇⲉ ⲙ̅ⲙⲁⲩ ⲛ̅ⲟⲩⲛⲟϭ ⲛ̅ⲟⲩⲟⲉⲓϣ ⲙⲛ̅ⲙ̅ⲙⲁⲑⲏⲧⲏⲥ.

< प्रेरितों के काम 14 >