< प्रेरितों के काम 11 >
1 १ और प्रेरितों और भाइयों ने जो यहूदिया में थे सुना, कि अन्यजातियों ने भी परमेश्वर का वचन मान लिया है।
Now the Apostles and brethren who were in Jerusalem, heard, that the Gentiles also had received the word of God.
2 २ और जब पतरस यरूशलेम में आया, तो खतना किए हुए लोग उससे वाद-विवाद करने लगे,
And when Peter was come up to Jerusalem, they who were of the circumcision contended with him,
3 ३ “तूने खतनारहित लोगों के यहाँ जाकर उनके साथ खाया।”
saying, You did go in to men who were uncircumcised, and did eat with them.
4 ४ तब पतरस ने उन्हें आरम्भ से क्रमानुसार कह सुनाया;
And Peter beginning, opened to them the matter in order, saying,
5 ५ “मैं याफा नगर में प्रार्थना कर रहा था, और बेसुध होकर एक दर्शन देखा, कि एक बड़ी चादर, एक पात्र के समान चारों कोनों से लटकाया हुआ, आकाश से उतरकर मेरे पास आया।
I was praying in the city of Joppa; and, in a trance, I saw a vision, something like a great sheet descending from heaven, let down by the four corners, and it came close to me:
6 ६ जब मैंने उस पर ध्यान किया, तो पृथ्वी के चौपाए और वन पशु और रेंगनेवाले जन्तु और आकाश के पक्षी देखे;
and looking attentively upon it, I observed, and saw four-footed creatures of the earth, and wild beasts, and reptiles, and fowls of the air:
7 ७ और यह आवाज भी सुना, ‘हे पतरस उठ मार और खा।’
and I heard a voice saying to me, Arise, Peter, kill, and eat:
8 ८ मैंने कहा, ‘नहीं प्रभु, नहीं; क्योंकि कोई अपवित्र या अशुद्ध वस्तु मेरे मुँह में कभी नहीं गई।’
but I said, By no means, Lord; for nothing common or unclean has ever entered into my mouth.
9 ९ इसके उत्तर में आकाश से दोबारा आवाज आई, ‘जो कुछ परमेश्वर ने शुद्ध ठहराया है, उसे अशुद्ध मत कह।’
And the voice answered me the second time from heaven, Those things which God has cleansed, do not you call common.
10 १० तीन बार ऐसा ही हुआ; तब सब कुछ फिर आकाश पर खींच लिया गया।
And this was done three times. And all the things were drawn up again into heaven.
11 ११ तब तुरन्त तीन मनुष्य जो कैसरिया से मेरे पास भेजे गए थे, उस घर पर जिसमें हम थे, आ खड़े हुए।
And behold, at that instant, three men were come to the house in which I was, sent from Cesarea to me.
12 १२ तब आत्मा ने मुझसे उनके साथ बेझिझक हो लेने को कहा, और ये छः भाई भी मेरे साथ हो लिए; और हम उस मनुष्य के घर में गए।
And the Spirit commanded me to go with them, without any scruple: and these six brethren also went along with me. And we entered into the man's house:
13 १३ और उसने बताया, कि मैंने एक स्वर्गदूत को अपने घर में खड़ा देखा, जिसने मुझसे कहा, ‘याफा में मनुष्य भेजकर शमौन को जो पतरस कहलाता है, बुलवा ले।
and he told us how he had seen a messenger standing in his house, and saying to him, Send to Joppa, and bring hither Simon, whose surname is Peter;
14 १४ वह तुझ से ऐसी बातें कहेगा, जिनके द्वारा तू और तेरा सारा घराना उद्धार पाएगा।’
who shall speak words to you, by which you and all your family shall be saved.
15 १५ जब मैं बातें करने लगा, तो पवित्र आत्मा उन पर उसी रीति से उतरा, जिस रीति से आरम्भ में हम पर उतरा था।
And as I began to speak, the Holy Spirit fell upon them, as as on us at the beginning.
16 १६ तब मुझे प्रभु का वह वचन स्मरण आया; जो उसने कहा, ‘यूहन्ना ने तो पानी से बपतिस्मा दिया, परन्तु तुम पवित्र आत्मा से बपतिस्मा पाओगे।’
And I remembered the word of the Lord, how he said, John immersed in water; but you shall be immersed in the Holy Spirit.
17 १७ अतः जबकि परमेश्वर ने उन्हें भी वही दान दिया, जो हमें प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास करने से मिला; तो मैं कौन था जो परमेश्वर को रोक सकता था?”
Since, therefore, God gave to them the same gift as he did to us, who had believed on the Lord Jesus Christ, what was I, that I should be able to obstruct God?
18 १८ यह सुनकर, वे चुप रहे, और परमेश्वर की बड़ाई करके कहने लगे, “तब तो परमेश्वर ने अन्यजातियों को भी जीवन के लिये मन फिराव का दान दिया है।”
And when they heard these things, they acquiesced, and glorified God; saying, God has, then, given to the Gentile also reformation to life.
19 १९ जो लोग उस क्लेश के मारे जो स्तिफनुस के कारण पड़ा था, तितर-बितर हो गए थे, वे फिरते-फिरते फीनीके और साइप्रस और अन्ताकिया में पहुँचे; परन्तु यहूदियों को छोड़ किसी और को वचन न सुनाते थे।
Now, indeed, those who had been dispersed, on account of the distress which arose about Stephen, had traveled as far as Phenicia, and Cyprus, and Antioch, speaking the word to none but Jews only.
20 २० परन्तु उनमें से कुछ साइप्रस वासी और कुरेनी थे, जो अन्ताकिया में आकर यूनानियों को भी प्रभु यीशु का सुसमाचार की बातें सुनाने लगे।
Yet some of the, being men of Cyprus, and Cyrene; when they came to Antioch, spoke to the Greeks, announcing the glad tidings concerning the Lord Jesus.
21 २१ और प्रभु का हाथ उन पर था, और बहुत लोग विश्वास करके प्रभु की ओर फिरे।
And the hand of the Lord was with them, and a great number believed, and turned to the Lord.
22 २२ तब उनकी चर्चा यरूशलेम की कलीसिया के सुनने में आई, और उन्होंने बरनबास को अन्ताकिया भेजा।
And the report concerning them came to the ears of the congregation that was at Jerusalem; and they sent Barnabas, to go as far as Antioch.
23 २३ वह वहाँ पहुँचकर, और परमेश्वर के अनुग्रह को देखकर आनन्दित हुआ; और सब को उपदेश दिया कि तन मन लगाकर प्रभु से लिपटे रहें।
Who, when he was come, and beheld the favor of God, rejoiced, and exhorted them all to adhere to the Lord, with full determination of heart;
24 २४ क्योंकि वह एक भला मनुष्य था; और पवित्र आत्मा और विश्वास से परिपूर्ण था; और बहुत से लोग प्रभु में आ मिले।
for he was a good man, and full of the Holy Spirit, and of faith: and a considerable number were added to the Lord.
25 २५ तब वह शाऊल को ढूँढ़ने के लिये तरसुस को चला गया।
Then Barnabas went to Tarsus, to seek Saul;
26 २६ और जब उनसे मिला तो उसे अन्ताकिया में लाया, और ऐसा हुआ कि वे एक वर्ष तक कलीसिया के साथ मिलते और बहुत से लोगों को उपदेश देते रहे, और चेले सबसे पहले अन्ताकिया ही में मसीही कहलाए।
and finding him, he brought him to Antioch. And it came to pass, that they assembled with the congregation, for a whole year, and taught considerable numbers; and the disciples were first named Christians at Antioch.
27 २७ उन्हीं दिनों में कई भविष्यद्वक्ता यरूशलेम से अन्ताकिया में आए।
And in these days prophets came from Jerusalem to Antioch.
28 २८ उनमें से अगबुस ने खड़े होकर आत्मा की प्रेरणा से यह बताया, कि सारे जगत में बड़ा अकाल पड़ेगा, और वह अकाल क्लौदियुस के समय में पड़ा।
And one of them, whose name was Agabus, stood up, and signified by the Spirit, that there should be a great famine over all the land: which came to pass in the days of Claudius.
29 २९ तब चेलों ने निर्णय किया कि हर एक अपनी-अपनी पूँजी के अनुसार यहूदिया में रहनेवाले भाइयों की सेवा के लिये कुछ भेजे।
And the disciples determined, that, according to the respective abilities of each, they should send to the assistance of the brethren who dwelt in Judea.
30 ३० और उन्होंने ऐसा ही किया; और बरनबास और शाऊल के हाथ प्राचीनों के पास कुछ भेज दिया।
And this they did, sending it to the elders, by the hands of Barnabas and Saul.