< प्रेरितों के काम 10 >

1 कैसरिया में कुरनेलियुस नामक एक मनुष्य था, जो इतालियानी नाम सैन्य-दल का सूबेदार था।
Vir autem quidam erat in Cæsarea, nomine Cornelius, centurio cohortis quæ dicitur Italica,
2 वह भक्त था, और अपने सारे घराने समेत परमेश्वर से डरता था, और यहूदी लोगों को बहुत दान देता, और बराबर परमेश्वर से प्रार्थना करता था।
religiosus, ac timens Deum cum omni domo sua, faciens eleemosynas multas plebi, et deprecans Deum semper.
3 उसने दिन के तीसरे पहर के निकट दर्शन में स्पष्ट रूप से देखा कि परमेश्वर के एक स्वर्गदूत ने उसके पास भीतर आकर कहा, “हे कुरनेलियुस।”
Is vidit in visu manifeste, quasi hora diei nona, angelum Dei introëuntem ad se, et dicentem sibi: Corneli.
4 उसने उसे ध्यान से देखा और डरकर कहा, “हे स्वामी क्या है?” उसने उससे कहा, “तेरी प्रार्थनाएँ और तेरे दान स्मरण के लिये परमेश्वर के सामने पहुँचे हैं।
At ille intuens eum, timore correptus, dixit: Quid est, domine? Dixit autem illi: Orationes tuæ et eleemosynæ tuæ ascenderunt in memoriam in conspectu Dei.
5 और अब याफा में मनुष्य भेजकर शमौन को, जो पतरस कहलाता है, बुलवा ले।
Et nunc mitte viros in Joppen, et accersi Simonem quemdam, qui cognominatur Petrus:
6 वह शमौन, चमड़े का धन्धा करनेवाले के यहाँ अतिथि है, जिसका घर समुद्र के किनारे है।”
hic hospitatur apud Simonem quemdam coriarium, cujus est domus juxta mare: hic dicet tibi quid te oporteat facere.
7 जब वह स्वर्गदूत जिसने उससे बातें की थी चला गया, तो उसने दो सेवक, और जो उसके पास उपस्थित रहा करते थे उनमें से एक भक्त सिपाही को बुलाया,
Et cum discessisset angelus qui loquebatur illi, vocavit duos domesticos suos, et militem metuentem Dominum ex his qui illi parebant.
8 और उन्हें सब बातें बताकर याफा को भेजा।
Quibus cum narrasset omnia, misit illos in Joppen.
9 दूसरे दिन जब वे चलते-चलते नगर के पास पहुँचे, तो दोपहर के निकट पतरस छत पर प्रार्थना करने चढ़ा।
Postera autem die, iter illis facientibus, et appropinquantibus civitati, ascendit Petrus in superiora ut oraret circa horam sextam.
10 १० उसे भूख लगी और कुछ खाना चाहता था, परन्तु जब वे तैयार कर रहे थे तो वह बेसुध हो गया।
Et cum esuriret, voluit gustare. Parantibus autem illis, cecidit super eum mentis excessus:
11 ११ और उसने देखा, कि आकाश खुल गया; और एक बड़ी चादर, पात्र के समान चारों कोनों से लटकाया हुआ, पृथ्वी की ओर उतर रहा है।
et vidit cælum apertum, et descendens vas quoddam, velut linteum magnum, quatuor initiis submitti de cælo in terram,
12 १२ जिसमें पृथ्वी के सब प्रकार के चौपाए और रेंगनेवाले जन्तु और आकाश के पक्षी थे।
in quo erant omnia quadrupedia, et serpentia terræ, et volatilia cæli.
13 १३ और उसे एक ऐसी वाणी सुनाई दी, “हे पतरस उठ, मार और खा।”
Et facta est vox ad eum: Surge, Petre: occide, et manduca.
14 १४ परन्तु पतरस ने कहा, “नहीं प्रभु, कदापि नहीं; क्योंकि मैंने कभी कोई अपवित्र या अशुद्ध वस्तु नहीं खाई है।”
Ait autem Petrus: Absit Domine, quia numquam manducavi omne commune et immundum.
15 १५ फिर दूसरी बार उसे वाणी सुनाई दी, “जो कुछ परमेश्वर ने शुद्ध ठहराया है, उसे तू अशुद्ध मत कह।”
Et vox iterum secundo ad eum: Quod Deus purificavit, tu commune ne dixeris.
16 १६ तीन बार ऐसा ही हुआ; तब तुरन्त वह चादर आकाश पर उठा लिया गया।
Hoc autem factum est per ter: et statim receptum est vas in cælum.
17 १७ जब पतरस अपने मन में दुविधा में था, कि यह दर्शन जो मैंने देखा क्या है, तब वे मनुष्य जिन्हें कुरनेलियुस ने भेजा था, शमौन के घर का पता लगाकर द्वार पर आ खड़े हुए।
Et dum intra se hæsitaret Petrus quidnam esset visio quam vidisset, ecce viri qui missi erant a Cornelio, inquirentes domum Simonis astiterunt ad januam.
18 १८ और पुकारकर पूछने लगे, “क्या शमौन जो पतरस कहलाता है, यहाँ पर अतिथि है?”
Et cum vocassent, interrogabant, si Simon qui cognominatur Petrus illic haberet hospitium.
19 १९ पतरस जो उस दर्शन पर सोच ही रहा था, कि आत्मा ने उससे कहा, “देख, तीन मनुष्य तुझे खोज रहे हैं।
Petro autem cogitante de visione, dixit Spiritus ei: Ecce viri tres quærunt te.
20 २० अतः उठकर नीचे जा, और निःसंकोच उनके साथ हो ले; क्योंकि मैंने ही उन्हें भेजा है।”
Surge itaque, descende, et vade cum eis nihil dubitans: quia ego misi illos.
21 २१ तब पतरस ने नीचे उतरकर उन मनुष्यों से कहा, “देखो, जिसको तुम खोज रहे हो, वह मैं ही हूँ; तुम्हारे आने का क्या कारण है?”
Descendens autem Petrus ad viros, dixit: Ecce ego sum, quem quæritis: quæ causa est, propter quam venistis?
22 २२ उन्होंने कहा, “कुरनेलियुस सूबेदार जो धर्मी और परमेश्वर से डरनेवाला और सारी यहूदी जाति में सुनाम मनुष्य है, उसने एक पवित्र स्वर्गदूत से यह निर्देश पाया है, कि तुझे अपने घर बुलाकर तुझ से उपदेश सुने।”
Qui dixerunt: Cornelius centurio, vir justus et timens Deum, et testimonium habens ab universa gente Judæorum, responsum accepit ab angelo sancto accersire te in domum suam, et audire verba abs te.
23 २३ तब उसने उन्हें भीतर बुलाकर उनको रहने की जगह दी। और दूसरे दिन, वह उनके साथ गया; और याफा के भाइयों में से कुछ उसके साथ हो लिए।
Introducens ergo eos, recepit hospitio. Sequenti autem die, surgens profectus est cum illis, et quidam ex fratribus ab Joppe comitati sunt eum.
24 २४ दूसरे दिन वे कैसरिया में पहुँचे, और कुरनेलियुस अपने कुटुम्बियों और प्रिय मित्रों को इकट्ठे करके उनकी प्रतीक्षा कर रहा था।
Altera autem die introivit Cæsaream. Cornelius vero exspectabat illos, convocatis cognatis suis et necessariis amicis.
25 २५ जब पतरस भीतर आ रहा था, तो कुरनेलियुस ने उससे भेंट की, और उसके पाँवों पर गिरकर उसे प्रणाम किया।
Et factum est cum introisset Petrus, obvius venit ei Cornelius, et procidens ad pedes ejus adoravit.
26 २६ परन्तु पतरस ने उसे उठाकर कहा, “खड़ा हो, मैं भी तो मनुष्य ही हूँ।”
Petrus vero elevavit eum, dicens: Surge: et ego ipse homo sum.
27 २७ और उसके साथ बातचीत करता हुआ भीतर गया, और बहुत से लोगों को इकट्ठे देखकर
Et loquens cum illo intravit, et invenit multos qui convenerant:
28 २८ उनसे कहा, “तुम जानते हो, कि अन्यजाति की संगति करना या उसके यहाँ जाना यहूदी के लिये अधर्म है, परन्तु परमेश्वर ने मुझे बताया है कि किसी मनुष्य को अपवित्र या अशुद्ध न कहूँ।
dixitque ad illos: Vos scitis quomodo abominatum sit viro Judæo conjungi aut accedere ad alienigenam: sed mihi ostendit Deus neminem communem aut immundum dicere hominem.
29 २९ इसलिए मैं जब बुलाया गया तो बिना कुछ कहे चला आया। अब मैं पूछता हूँ कि मुझे किस काम के लिये बुलाया गया है?”
Propter quod sine dubitatione veni accersitus. Interrogo ergo, quam ob causam accersistis me?
30 ३० कुरनेलियुस ने कहा, “चार दिन पहले, इसी समय, मैं अपने घर में तीसरे पहर को प्रार्थना कर रहा था; कि एक पुरुष चमकीला वस्त्र पहने हुए, मेरे सामने आ खड़ा हुआ।
Et Cornelius ait: A nudiusquarta die usque ad hanc horam, orans eram hora nona in domo mea, et ecce vir stetit ante me in veste candida, et ait:
31 ३१ और कहने लगा, ‘हे कुरनेलियुस, तेरी प्रार्थना सुन ली गई है और तेरे दान परमेश्वर के सामने स्मरण किए गए हैं।
Corneli, exaudita est oratio tua, et eleemosynæ tuæ commemoratæ sunt in conspectu Dei.
32 ३२ इसलिए किसी को याफा भेजकर शमौन को जो पतरस कहलाता है, बुला। वह समुद्र के किनारे शमौन जो, चमड़े का धन्धा करनेवाले के घर में अतिथि है।’
Mitte ergo in Joppen, et accersi Simonem qui cognominatur Petrus: hic hospitatur in domo Simonis coriarii juxta mare.
33 ३३ तब मैंने तुरन्त तेरे पास लोग भेजे, और तूने भला किया जो आ गया। अब हम सब यहाँ परमेश्वर के सामने हैं, ताकि जो कुछ परमेश्वर ने तुझ से कहा है उसे सुनें।”
Confestim ergo misi ad te: et tu benefecisti veniendo. Nunc ergo omnes nos in conspectu tuo adsumus audire omnia quæcumque tibi præcepta sunt a Domino.
34 ३४ तब पतरस ने मुँह खोलकर कहा, अब मुझे निश्चय हुआ, कि परमेश्वर किसी का पक्ष नहीं करता,
Aperiens autem Petrus os suum, dixit: In veritate comperi quia non est personarum acceptor Deus;
35 ३५ वरन् हर जाति में जो उससे डरता और धार्मिक काम करता है, वह उसे भाता है।
sed in omni gente qui timet eum, et operatur justitiam, acceptus est illi.
36 ३६ जो वचन उसने इस्राएलियों के पास भेजा, जबकि उसने यीशु मसीह के द्वारा जो सब का प्रभु है, शान्ति का सुसमाचार सुनाया।
Verbum misit Deus filiis Israël, annuntians pacem per Jesum Christum (hic est omnium Dominus).
37 ३७ वह वचन तुम जानते हो, जो यूहन्ना के बपतिस्मा के प्रचार के बाद गलील से आरम्भ होकर सारे यहूदिया में फैल गया:
Vos scitis quod factum est verbum per universam Judæam: incipiens enim a Galilæa post baptismum quod prædicavit Joannes,
38 ३८ परमेश्वर ने किस रीति से यीशु नासरी को पवित्र आत्मा और सामर्थ्य से अभिषेक किया; वह भलाई करता, और सब को जो शैतान के सताए हुए थे, अच्छा करता फिरा, क्योंकि परमेश्वर उसके साथ था।
Jesum a Nazareth: quomodo unxit eum Deus Spiritu Sancto, et virtute, qui pertransiit benefaciendo, et sanando omnes oppressos a diabolo, quoniam Deus erat cum illo.
39 ३९ और हम उन सब कामों के गवाह हैं; जो उसने यहूदिया के देश और यरूशलेम में भी किए, और उन्होंने उसे काठ पर लटकाकर मार डाला।
Et nos testes sumus omnium quæ fecit in regione Judæorum, et Jerusalem, quem occiderunt suspendentes in ligno.
40 ४० उसको परमेश्वर ने तीसरे दिन जिलाया, और प्रगट भी कर दिया है।
Hunc Deus suscitavit tertia die, et dedit eum manifestum fieri,
41 ४१ सब लोगों को नहीं वरन् उन गवाहों को जिन्हें परमेश्वर ने पहले से चुन लिया था, अर्थात् हमको जिन्होंने उसके मरे हुओं में से जी उठने के बाद उसके साथ खाया पीया;
non omni populo, sed testibus præordinatis a Deo: nobis, qui manducavimus et bibimus cum illo postquam resurrexit a mortuis.
42 ४२ और उसने हमें आज्ञा दी कि लोगों में प्रचार करो और गवाही दो, कि यह वही है जिसे परमेश्वर ने जीवितों और मरे हुओं का न्यायी ठहराया है।
Et præcepit nobis prædicare populo, et testificari, quia ipse est qui constitutus est a Deo judex vivorum et mortuorum.
43 ४३ उसकी सब भविष्यद्वक्ता गवाही देते है कि जो कोई उस पर विश्वास करेगा, उसको उसके नाम के द्वारा पापों की क्षमा मिलेगी।
Huic omnes prophetæ testimonium perhibent remissionem peccatorum accipere per nomen ejus omnes qui credunt in eum.
44 ४४ पतरस ये बातें कह ही रहा था कि पवित्र आत्मा वचन के सब सुननेवालों पर उतर आया।
Adhuc loquente Petro verba hæc, cecidit Spiritus Sanctus super omnes qui audiebant verbum.
45 ४५ और जितने खतना किए हुए विश्वासी पतरस के साथ आए थे, वे सब चकित हुए कि अन्यजातियों पर भी पवित्र आत्मा का दान उण्डेला गया है।
Et obstupuerunt ex circumcisione fideles qui venerant cum Petro, quia et in nationes gratia Spiritus Sancti effusa est.
46 ४६ क्योंकि उन्होंने उन्हें भाँति-भाँति की भाषा बोलते और परमेश्वर की बड़ाई करते सुना। इस पर पतरस ने कहा,
Audiebant enim illos loquentes linguis, et magnificantes Deum.
47 ४७ “क्या अब कोई इन्हें जल से रोक सकता है कि ये बपतिस्मा न पाएँ, जिन्होंने हमारे समान पवित्र आत्मा पाया है?”
Tunc respondit Petrus: Numquid aquam quis prohibere potest ut non baptizentur hi qui Spiritum Sanctum acceperunt sicut et nos?
48 ४८ और उसने आज्ञा दी कि उन्हें यीशु मसीह के नाम में बपतिस्मा दिया जाए। तब उन्होंने उससे विनती की, कि कुछ दिन और हमारे साथ रह।
Et jussit eos baptizari in nomine Domini Jesu Christi. Tunc rogaverunt eum ut maneret apud eos aliquot diebus.

< प्रेरितों के काम 10 >