< 2 शमूएल 17 >
1 १ फिर अहीतोपेल ने अबशालोम से कहा, “मुझे बारह हजार पुरुष छाँटने दे, और मैं उठकर आज ही रात को दाऊद का पीछा करूँगा।
And Achitophel said to Absalom: I will choose me twelve thousand men, and I will arise and pursue after David this night.
2 २ और जब वह थका-माँदा और निर्बल होगा, तब मैं उसे पकड़ूँगा, और डराऊँगा; और जितने लोग उसके साथ हैं सब भागेंगे। और मैं राजा ही को मारूँगा,
And coming upon him (for he is now weary, and weak handed) I will defeat him: and when all the people is put to flight that is with him, I will kill the king who will be left alone.
3 ३ और मैं सब लोगों को तेरे पास लौटा लाऊँगा; जिस मनुष्य का तू खोजी है उसके मिलने से समस्त प्रजा का मिलना हो जाएगा, और समस्त प्रजा कुशल क्षेम से रहेगी।”
And I will bring back all the people, as if they were but one man: for thou seekest but one man: and all the people shall be in peace.
4 ४ यह बात अबशालोम और सब इस्राएली पुरनियों को उचित मालूम पड़ी।
And his saying pleased Absalom, and all the ancients of Israel.
5 ५ फिर अबशालोम ने कहा, “एरेकी हूशै को भी बुला ला, और जो वह कहेगा हम उसे भी सुनें।”
But Absalom said: Call Chusai the Arachite, and let us hear what he also saith.
6 ६ जब हूशै अबशालोम के पास आया, तब अबशालोम ने उससे कहा, “अहीतोपेल ने तो इस प्रकार की बात कही है; क्या हम उसकी बात मानें कि नहीं? यदि नहीं, तो तू कह दे।”
And when Chusai was come to Absalom, Absalom said to him: Achitophel hath spoken after this manner: shall we do it or not? what counsel dost thou give?
7 ७ हूशै ने अबशालोम से कहा, “जो सम्मति अहीतोपेल ने इस बार दी, वह अच्छी नहीं।”
And Chusai said to Absalom: The counsel that Achitophel hath given this time is not good.
8 ८ फिर हूशै ने कहा, “तू तो अपने पिता और उसके जनों को जानता है कि वे शूरवीर हैं, और बच्चा छीनी हुई रीछनी के समान क्रोधित होंगे। तेरा पिता योद्धा है; और अन्य लोगों के साथ रात नहीं बिताता।
And again Chusai said: Thou knowest thy father, and the men that are with him, that they are very valiant, and bitter in their mind, as a bear raging in the wood when her whelps are taken away: and thy father is a warrior, and will not lodge with the people.
9 ९ इस समय तो वह किसी गड्ढे, या किसी दूसरे स्थान में छिपा होगा। जब इनमें से पहले ही आक्रमण में कोई-कोई मारे जाएँ, तब इसके सब सुननेवाले कहने लगेंगे, ‘अबशालोम के पक्षवाले हार गए।’
Perhaps he now lieth hid in pits, or in some other place where he list: and when any one shall fall at the first, every one that heareth it shall say: There is a slaughter among the people that followed Absalom.
10 १० तब वीर का हृदय, जो सिंह का सा होता है, उसका भी साहस टूट जाएगा, समस्त इस्राएल जानता है कि तेरा पिता वीर है, और उसके संगी बड़े योद्धा हैं।
And the most valiant man whose heart is as the heart of a lion, shall melt for fear: for all the people of Israel know thy father to be a valiant man, and that all who are with him are valiant.
11 ११ इसलिए मेरी सम्मति यह है कि दान से लेकर बेर्शेबा तक रहनेवाले समस्त इस्राएली तेरे पास समुद्र तट के रेतकणों के समान इकट्ठे किए जाएँ, और तू आप ही युद्ध को जाए।
But this seemeth to me to be good counsel: Let all Israel be gathered to thee, from Dan to Bersabee, as the sand of the sea which cannot be numbered: and thou shalt be in the midst of them.
12 १२ और जब हम उसको किसी न किसी स्थान में जहाँ वह मिले जा पकड़ेंगे, तब जैसे ओस भूमि पर गिरती है वैसे ही हम उस पर टूट पड़ेंगे; तब न तो वह बचेगा, और न उसके संगियों में से कोई बचेगा।
And we shall come upon him in what place soever he shall be found: and we shall cover him, as the dew falleth upon the ground, and we shall not leave of the men that are with him, not so much as one.
13 १३ यदि वह किसी नगर में घुसा हो, तो सब इस्राएली उस नगर के पास रस्सियाँ ले आएँगे, और हम उसे नदी में खींचेंगे, यहाँ तक कि उसका एक छोटा सा पत्थर भी न रह जाएगा।”
And if he shall enter into any city, all Israel shall cast ropes round about that city, and we will draw it into the river, so that there shall not be found so much as one small stone thereof.
14 १४ तब अबशालोम और सब इस्राएली पुरुषों ने कहा, “एरेकी हूशै की सम्मति अहीतोपेल की सम्मति से उत्तम है।” यहोवा ने तो अहीतोपेल की अच्छी सम्मति को निष्फल करने की ठानी थी, कि वह अबशालोम ही पर विपत्ति डाले।
And Absalom, and all the men of Israel said: The counsel of Chusai the Arachite is better than the counsel of Achitophel: and by the will of the Lord the profitable counsel of Achitophel was defeated, that the Lord might bring evil upon Absalom.
15 १५ तब हूशै ने सादोक और एब्यातार याजकों से कहा, “अहीतोपेल ने तो अबशालोम और इस्राएली पुरनियों को इस-इस प्रकार की सम्मति दी; और मैंने इस-इस प्रकार की सम्मति दी है।
And Chusai said to Sadoc and Abiathar the priests: Thus and thus did Achitophel counsel Absalom, and the ancients of Israel: and thus and thus did I counsel them.
16 १६ इसलिए अब फुर्ती कर दाऊद के पास कहला भेजो, ‘आज रात जंगली घाट के पास न ठहरना, अवश्य पार ही हो जाना; ऐसा न हो कि राजा और जितने लोग उसके संग हों, सब नष्ट हो जाएँ।’”
Now therefore send quickly, and tell David, saying: Tarry not this night in the plains of the wilderness, but without delay pass over: lest the king be swallowed up, and all the people that is with him.
17 १७ योनातान और अहीमास एनरोगेल के पास ठहरे रहे; और एक दासी जाकर उन्हें सन्देशा दे आती थी, और वे जाकर राजा दाऊद को सन्देशा देते थे; क्योंकि वे किसी के देखते नगर में नहीं जा सकते थे।
And Jonathan and Achimaas stayed by the fountain Rogel: and there went a maid and told them: and they went forward, to carry the message to king David, for they might not be seen, nor enter into the city.
18 १८ एक लड़के ने उन्हें देखकर अबशालोम को बताया; परन्तु वे दोनों फुर्ती से चले गए, और एक बहूरीमवासी मनुष्य के घर पहुँचकर जिसके आँगन में कुआँ था उसमें उतर गए।
But a certain boy saw them, and told Absalom: but they making haste went into the house of a certain man in Bahurim, who had a well in his court, and they went down into it.
19 १९ तब उसकी स्त्री ने कपड़ा लेकर कुएँ के मुँह पर बिछाया, और उसके ऊपर दला हुआ अन्न फैला दिया; इसलिए कुछ मालूम न पड़ा।
And a woman took, and spread a covering over the mouth of the well, as it were to dry sodden barley: and so the thing was not known.
20 २० तब अबशालोम के सेवक उस घर में उस स्त्री के पास जाकर कहने लगे, “अहीमास और योनातान कहाँ हैं?” तब स्त्री ने उनसे कहा, “वे तो उस छोटी नदी के पार गए।” तब उन्होंने उन्हें ढूँढ़ा, और न पाकर यरूशलेम को लौटे।
And when Absalom’s servants were come into the house, they said to the woman: Where is Achimaas and Jonathan? and the woman answered them: They passed on in haste, after they had tasted a little water. But they that sought them, when they found them not, returned into Jerusalem.
21 २१ जब वे चले गए, तब ये कुएँ में से निकले, और जाकर दाऊद राजा को समाचार दिया; और दाऊद से कहा, “तुम लोग चलो, फुर्ती करके नदी के पार हो जाओ; क्योंकि अहीतोपेल ने तुम्हारी हानि की ऐसी-ऐसी सम्मति दी है।”
And when they were gone, they came up out of the well, and going on told king David, and said: Arise, and pass quickly over the river: for this manner of counsel has Achitophel given against you.
22 २२ तब दाऊद अपने सब संगियों समेत उठकर यरदन पार हो गया; और पौ फटने तक उनमें से एक भी न रह गया जो यरदन के पार न हो गया हो।
So David arose, and all the people that were with him, and they passed over the Jordan, until it grew light, and not one of them was left that was not gone over the river.
23 २३ जब अहीतोपेल ने देखा कि मेरी सम्मति के अनुसार काम नहीं हुआ, तब उसने अपने गदहे पर काठी कसी, और अपने नगर में जाकर अपने घर में गया। और अपने घराने के विषय जो-जो आज्ञा देनी थी वह देकर अपने को फांसी लगा ली; और वह मर गया, और उसके पिता के कब्रिस्तान में उसे मिट्टी दे दी गई।
But Achitophel seeing that his counsel was not followed, saddled his ass, and arose and went home to his house and to his city, and putting his house in order, hanged himself, and was buried in the sepulchre of his father.
24 २४ तब दाऊद महनैम में पहुँचा। और अबशालोम सब इस्राएली पुरुषों समेत यरदन के पार गया।
But David came to the camp, and Absalom passed over the Jordan, be and all the men of Israel with him.
25 २५ अबशालोम ने अमासा को योआब के स्थान पर प्रधान सेनापति ठहराया। यह अमासा एक इस्राएली पुरुष का पुत्र था जिसका नाम यित्रो था, और वह योआब की माता, सरूयाह की बहन, अबीगैल नामक नाहाश की बेटी के संग सोया था।
Now Absalom appointed Amasa in Joab’s stead over the army: and Amasa was the son of a man who was called Jethra of Jezrael, who went in to Abigail the daughter of Naas, the sister of Sarvia who was the mother of Joab.
26 २६ और इस्राएलियों ने और अबशालोम ने गिलाद देश में छावनी डाली
And Israel camped with Absalom in the land of Galaad.
27 २७ जब दाऊद महनैम में आया, तब अम्मोनियों के रब्बाह के निवासी नाहाश का पुत्र शोबी, और लोदबरवासी अम्मीएल का पुत्र माकीर, और रोगलीमवासी गिलादी बर्जिल्लै,
And when David was come to the camp, Sobi the son of Naas of Rabbath of the children of Ammon, and Machir the son of Ammihel of Lodabar, and Berzellai the Galaadite of Rogelim,
28 २८ चारपाइयाँ, तसले मिट्टी के बर्तन, गेहूँ, जौ, मैदा, लोबिया, मसूर, भुने चने,
Brought him beds, and tapestry, and earthen vessels, and wheat, and barley, and meal, and parched corn, and beans, and lentils, and fried pulse,
29 २९ मधु, मक्खन, भेड़-बकरियाँ, और गाय के दही का पनीर, दाऊद और उसके संगियों के खाने को यह सोचकर ले आए, “जंगल में वे लोग भूखे प्यासे और थके-माँदे होंगे।”
And honey, and butter, and sheep, and fat calves, and they gave to David and the people that were with him, to eat: for they suspected that the people were faint with hunger and thirst in the wilderness.