< 2 शमूएल 16 >
1 १ दाऊद चोटी पर से थोड़ी दूर बढ़ गया था, कि मपीबोशेत का कर्मचारी सीबा एक जोड़ी, जीन बाँधे हुए गदहों पर दो सौ रोटी, किशमिश की एक सौ टिकियाँ, धूपकाल के फल की एक सौ टिकियाँ, और कुप्पी भर दाखमधु, लादे हुए उससे आ मिला।
When Dauid was a little past the top of the hill, behold, Ziba the seruant of Mephibosheth mette him with a couple of asses sadled, and vpon them two hundreth cakes of bread, and an hundreth bunches of raisins, and an hundreth of dryed figges, and a bottel of wine.
2 २ राजा ने सीबा से पूछा, “इनसे तेरा क्या प्रयोजन है?” सीबा ने कहा, “गदहे तो राजा के घराने की सवारी के लिये हैं, और रोटी और धूपकाल के फल जवानों के खाने के लिये हैं, और दाखमधु इसलिए है कि जो कोई जंगल में थक जाए वह उसे पीए।”
And the King said vnto Ziba, What meanest thou by these? And Ziba said, They be asses for the kings housholde to ride on, and bread and dryed figges for the yong men to eate, and wine, that the faint may drinke in the wildernesse.
3 ३ राजा ने पूछा, “फिर तेरे स्वामी का बेटा कहाँ है?” सीबा ने राजा से कहा, “वह तो यह कहकर यरूशलेम में रह गया, कि अब इस्राएल का घराना मुझे मेरे पिता का राज्य फेर देगा।”
And the king sayde, But where is thy masters sonne? Then Ziba answered the King, Beholde, he remayneth in Ierusalem: for he sayde, This day shall the house of Israel restore me the kingdome of my father.
4 ४ राजा ने सीबा से कहा, “जो कुछ मपीबोशेत का था वह सब तुझे मिल गया।” सीबा ने कहा, “प्रणाम; हे मेरे प्रभु, हे राजा, मुझ पर तेरे अनुग्रह की दृष्टि बनी रहे।”
Then said the King to Ziba, Behold, thine are all that perteined vnto Mephibosheth. And Ziba saide, I beseech thee, let me finde grace in thy sight, my lord, O King.
5 ५ जब दाऊद राजा बहूरीम तक पहुँचा, तब शाऊल का एक कुटुम्बी वहाँ से निकला, वह गेरा का पुत्र शिमी था; और वह कोसता हुआ चला आया।
And when king Dauid came to Bahurim, behold, thence came out a man of the familie of the house of Saul, named Shimei the sonne of Gera: and he came out, and cursed.
6 ६ वह दाऊद पर, और दाऊद राजा के सब कर्मचारियों पर पत्थर फेंकने लगा; और शूरवीरों समेत सब लोग उसकी दाहिनी बाईं दोनों ओर थे।
And he cast stones at Dauid, and at all the seruants of King Dauid: and all the people, and all the men of warre were on his right hande, and on his left.
7 ७ शिमी कोसता हुआ यह बकता गया, “दूर हो खूनी, दूर हो ओछे, निकल जा, निकल जा!
And thus sayde Shimei when hee cursed, Come forth, come foorth thou murtherer, and wicked man.
8 ८ यहोवा ने तुझ से शाऊल के घराने के खून का पूरा बदला लिया है, जिसके स्थान पर तू राजा बना है; यहोवा ने राज्य को तेरे पुत्र अबशालोम के हाथ कर दिया है। और इसलिए कि तू खूनी है, तू अपनी बुराई में आप फँस गया।”
The Lord hath brought vpon thee all the blood of the house of Saul, in whose stead thou hast reigned: and the Lord hath deliuered thy kingdome into the hand of Absalom thy sonne: and beholde, thou art taken in thy wickednesse, because thou art a murtherer.
9 ९ तब सरूयाह के पुत्र अबीशै ने राजा से कहा, “यह मरा हुआ कुत्ता मेरे प्रभु राजा को क्यों श्राप देने पाए? मुझे उधर जाकर उसका सिर काटने दे।”
Then saide Abishai the sonne of Zeruiah vnto the King, Why doeth this dead dog curse my lord the King? let me goe, I pray thee, and take away his head.
10 १० राजा ने कहा, “सरूयाह के बेटों, मुझे तुम से क्या काम? वह जो कोसता है, और यहोवा ने जो उससे कहा है, कि दाऊद को श्राप दे, तो उससे कौन पूछ सकता है, कि तूने ऐसा क्यों किया?”
But the King saide, What haue I to doe with you, ye sonnes of Zeruiah? for he curseth, eue because the Lord hath bidden him curse Dauid: who dare then say, Wherfore hast thou done so?
11 ११ फिर दाऊद ने अबीशै और अपने सब कर्मचारियों से कहा, “जब मेरा निज पुत्र ही मेरे प्राण का खोजी है, तो यह बिन्यामीनी अब ऐसा क्यों न करे? उसको रहने दो, और श्राप देने दो; क्योंकि यहोवा ने उससे कहा है।
And Dauid sayd to Abishai, and to all his seruants, Beholde, my sonne which came out of mine owne bowels, seeketh my life: then howe much more now may this sonne of Iemini? Suffer him to curse: for the Lord hath bidden him.
12 १२ कदाचित् यहोवा इस उपद्रव पर, जो मुझ पर हो रहा है, दृष्टि करके आज के श्राप के बदले मुझे भला बदला दे।”
It may be that the Lord will looke on mine affliction, and doe me good for his cursing this day.
13 १३ तब दाऊद अपने जनों समेत अपने मार्ग चला गया, और शिमी उसके सामने के पहाड़ के किनारे पर से श्राप देता, और उस पर पत्थर और धूल फेंकता हुआ चला गया।
And as Dauid and his men went by the way, Shimei went by the side of the mountaine ouer against him, and cursed as he went, and threw stones against him, and cast dust.
14 १४ राजा अपने संग के सब लोगों समेत अपने ठिकाने पर थका हुआ पहुँचा; और वहाँ विश्राम किया।
Then came the King and all the people that were with him wearie, and refreshed them selues there.
15 १५ अबशालोम सब इस्राएली लोगों समेत यरूशलेम को आया, और उसके संग अहीतोपेल भी आया।
And Absalom, and all the people, the men of Israel, came to Ierusalem, and Ahithophel with him.
16 १६ जब दाऊद का मित्र एरेकी हूशै अबशालोम के पास पहुँचा, तब हूशै ने अबशालोम से कहा, “राजा चिरंजीव रहे! राजा चिरंजीव रहे!”
And when Hushai the Archite Dauids friend was come vnto Absalom, Hushai said vnto Absalom, God saue the King, God saue the King.
17 १७ अबशालोम ने उससे कहा, “क्या यह तेरी प्रीति है जो तू अपने मित्र से रखता है? तू अपने मित्र के संग क्यों नहीं गया?”
Then Absalom sayd to Hushai, Is this thy kindenes to thy friend? Why wentest thou not with thy friend?
18 १८ हूशै ने अबशालोम से कहा, “ऐसा नहीं; जिसको यहोवा और वे लोग, क्या वरन् सब इस्राएली लोग चाहें, उसी का मैं हूँ, और उसी के संग मैं रहूँगा।
Hushai then answered vnto Absalom, Nay, but whome the Lord, and this people, and all the men of Israel chuse, his will I be, and with him will I dwell.
19 १९ और फिर मैं किसकी सेवा करूँ? क्या उसके पुत्र के सामने रहकर सेवा न करूँ? जैसा मैं तेरे पिता के सामने रहकर सेवा करता था, वैसा ही तेरे सामने रहकर सेवा करूँगा।”
And moreouer vnto whome shall I doe seruice? not to his sonne? as I serued before thy father, so will I before thee.
20 २० तब अबशालोम ने अहीतोपेल से कहा, “तुम लोग अपनी सम्मति दो, कि क्या करना चाहिये?”
Then spake Absalom to Ahithophel, Giue counsell what we shall doe.
21 २१ अहीतोपेल ने अबशालोम से कहा, “जिन रखैलियों को तेरा पिता भवन की चौकसी करने को छोड़ गया, उनके पास तू जा; और जब सब इस्राएली यह सुनेंगे, कि अबशालोम का पिता उससे घिन करता है, तब तेरे सब संगी हियाव बाँधेंगे।”
And Ahithophel said vnto Absalom, Goe in to thy fathers concubines, which he hath left to keepe the house: and when all Israel shall heare, that thou art abhorred of thy father, the hands of all that are with thee, shall be strong.
22 २२ अतः उसके लिये भवन की छत के ऊपर एक तम्बू खड़ा किया गया, और अबशालोम समस्त इस्राएल के देखते अपने पिता की रखैलों के पास गया।
So they spread Absalom a tent vpon the top of the house, and Absalom went in to his fathers concubines in the sight of all Israel.
23 २३ उन दिनों जो सम्मति अहीतोपेल देता था, वह ऐसी होती थी कि मानो कोई परमेश्वर का वचन पूछ लेता हो; अहीतोपेल चाहे दाऊद को चाहे अबशालोम को, जो-जो सम्मति देता वह ऐसी ही होती थी।
And the counsell of Ahithophel which he counseled in those dayes, was like as one had asked counsell at the oracle of God: so was all the counsel of Ahithophel both with Dauid and with Absalom.