< 2 शमूएल 13 >

1 तामार नामक एक सुन्दरी जो दाऊद के पुत्र अबशालोम की बहन थी, उस पर दाऊद का पुत्र अम्नोन मोहित हुआ।
וַיְהִ֣י אַֽחֲרֵי־כֵ֗ן וּלְאַבְשָׁל֧וֹם בֶּן־דָּוִ֛ד אָח֥וֹת יָפָ֖ה וּשְׁמָ֣הּ תָּמָ֑ר וַיֶּאֱהָבֶ֖הָ אַמְנ֥וֹן בֶּן־דָּוִֽד׃
2 अम्नोन अपनी बहन तामार के कारण ऐसा विकल हो गया कि बीमार पड़ गया; क्योंकि वह कुमारी थी, और उसके साथ कुछ करना अम्नोन को कठिन जान पड़ता था।
וַיֵּ֨צֶר לְאַמְנ֜וֹן לְהִתְחַלּ֗וֹת בַּֽעֲבוּר֙ תָּמָ֣ר אֲחֹת֔וֹ כִּ֥י בְתוּלָ֖ה הִ֑יא וַיִּפָּלֵא֙ בְּעֵינֵ֣י אַמְנ֔וֹן לַעֲשׂ֥וֹת לָ֖הּ מְאֽוּמָה׃
3 अम्नोन के योनादाब नामक एक मित्र था, जो दाऊद के भाई शिमआह का बेटा था, और वह बड़ा चतुर था।
וּלְאַמְנ֣וֹן רֵ֗עַ וּשְׁמוֹ֙ יֽוֹנָדָ֔ב בֶּן־שִׁמְעָ֖ה אֲחִ֣י דָוִ֑ד וְי֣וֹנָדָ֔ב אִ֥ישׁ חָכָ֖ם מְאֹֽד׃
4 और उसने अम्नोन से कहा, “हे राजकुमार, क्या कारण है कि तू प्रतिदिन ऐसा दुबला होता जाता है क्या तू मुझे न बताएगा?” अम्नोन ने उससे कहा, “मैं तो अपने भाई अबशालोम की बहन तामार पर मोहित हूँ।”
וַיֹּ֣אמֶר ל֗וֹ מַדּ֣וּעַ אַ֠תָּה כָּ֣כָה דַּ֤ל בֶּן־הַמֶּ֙לֶךְ֙ בַּבֹּ֣קֶר בַּבֹּ֔קֶר הֲל֖וֹא תַּגִּ֣יד לִ֑י וַיֹּ֤אמֶר לוֹ֙ אַמְנ֔וֹן אֶת־תָּמָ֗ר אֲח֛וֹת אַבְשָׁלֹ֥ם אָחִ֖י אֲנִ֥י אֹהֵֽב׃
5 योनादाब ने उससे कहा, “अपने पलंग पर लेटकर बीमार बन जा; और जब तेरा पिता तुझे देखने को आए, तब उससे कहना, ‘मेरी बहन तामार आकर मुझे रोटी खिलाएँ, और भोजन को मेरे सामने बनाए, कि मैं उसको देखकर उसके हाथ से खाऊँ।’”
וַיֹּ֤אמֶר לוֹ֙ יְה֣וֹנָדָ֔ב שְׁכַ֥ב עַל־מִשְׁכָּבְךָ֖ וְהִתְחָ֑ל וּבָ֧א אָבִ֣יךָ לִרְאוֹתֶ֗ךָ וְאָמַרְתָּ֣ אֵלָ֡יו תָּ֣בֹא נָא֩ תָמָ֨ר אֲחוֹתִ֜י וְתַבְרֵ֣נִי לֶ֗חֶם וְעָשְׂתָ֤ה לְעֵינַי֙ אֶת־הַבִּרְיָ֔ה לְמַ֙עַן֙ אֲשֶׁ֣ר אֶרְאֶ֔ה וְאָכַלְתִּ֖י מִיָּדָֽהּ׃
6 अतः अम्नोन लेटकर बीमार बना; और जब राजा उसे देखने आया, तब अम्नोन ने राजा से कहा, “मेरी बहन तामार आकर मेरे देखते दो पूरियां बनाए, कि मैं उसके हाथ से खाऊँ।”
וַיִּשְׁכַּ֥ב אַמְנ֖וֹן וַיִּתְחָ֑ל וַיָּבֹ֨א הַמֶּ֜לֶךְ לִרְאֹת֗וֹ וַיֹּ֨אמֶר אַמְנ֤וֹן אֶל־הַמֶּ֙לֶךְ֙ תָּֽבוֹא־נָ֞א תָּמָ֣ר אֲחֹתִ֗י וּתְלַבֵּ֤ב לְעֵינַי֙ שְׁתֵּ֣י לְבִב֔וֹת וְאֶבְרֶ֖ה מִיָּדָֽהּ׃
7 तब दाऊद ने अपने घर तामार के पास यह कहला भेजा, “अपने भाई अम्नोन के घर जाकर उसके लिये भोजन बना।”
וַיִּשְׁלַ֥ח דָּוִ֛ד אֶל־תָּמָ֖ר הַבַּ֣יְתָה לֵאמֹ֑ר לְכִ֣י נָ֗א בֵּ֚ית אַמְנ֣וֹן אָחִ֔יךְ וַעֲשִׂי־ל֖וֹ הַבִּרְיָֽה׃
8 तब तामार अपने भाई अम्नोन के घर गई, और वह पड़ा हुआ था। तब उसने आटा लेकर गूँधा, और उसके देखते पूरियां पकाईं।
וַתֵּ֣לֶךְ תָּמָ֗ר בֵּ֛ית אַמְנ֥וֹן אָחִ֖יהָ וְה֣וּא שֹׁכֵ֑ב וַתִּקַּ֨ח אֶת־הַבָּצֵ֤ק ותלוש וַתְּלַבֵּ֣ב לְעֵינָ֔יו וַתְּבַשֵּׁ֖ל אֶת־הַלְּבִבֽוֹת׃
9 तब उसने थाल लेकर उनको उसके लिये परोसा, परन्तु उसने खाने से इन्कार किया। तब अम्नोन ने अपने दासों से कहा, “मेरे आस-पास से सब लोगों को निकाल दो।” तब सब लोग उसके पास से निकल गए।
וַתִּקַּ֤ח אֶת־הַמַּשְׂרֵת֙ וַתִּצֹ֣ק לְפָנָ֔יו וַיְמָאֵ֖ן לֶאֱכ֑וֹל וַיֹּ֣אמֶר אַמְנ֗וֹן הוֹצִ֤יאוּ כָל־אִישׁ֙ מֵֽעָלַ֔י וַיֵּצְא֥וּ כָל־אִ֖ישׁ מֵעָלָֽיו׃
10 १० तब अम्नोन ने तामार से कहा, “भोजन को कोठरी में ले आ, कि मैं तेरे हाथ से खाऊँ।” तो तामार अपनी बनाई हुई पूरियों को उठाकर अपने भाई अम्नोन के पास कोठरी में ले गई।
וַיֹּ֨אמֶר אַמְנ֜וֹן אֶל־תָּמָ֗ר הָבִ֤יאִי הַבִּרְיָה֙ הַחֶ֔דֶר וְאֶבְרֶ֖ה מִיָּדֵ֑ךְ וַתִּקַּ֣ח תָּמָ֗ר אֶת־הַלְּבִבוֹת֙ אֲשֶׁ֣ר עָשָׂ֔תָה וַתָּבֵ֛א לְאַמְנ֥וֹן אָחִ֖יהָ הֶחָֽדְרָה׃
11 ११ जब वह उनको उसके खाने के लिये निकट ले गई, तब उसने उसे पकड़कर कहा, “हे मेरी बहन, आ, मुझसे मिल।”
וַתַּגֵּ֥שׁ אֵלָ֖יו לֶֽאֱכֹ֑ל וַיַּֽחֲזֶק־בָּהּ֙ וַיֹּ֣אמֶר לָ֔הּ בּ֛וֹאִי שִׁכְבִ֥י עִמִּ֖י אֲחוֹתִֽי׃
12 १२ उसने कहा, “हे मेरे भाई, ऐसा नहीं, मुझे भ्रष्ट न कर; क्योंकि इस्राएल में ऐसा काम होना नहीं चाहिये; ऐसी मूर्खता का काम न कर।
וַתֹּ֣אמֶר ל֗וֹ אַל־אָחִי֙ אַל־תְּעַנֵּ֔נִי כִּ֛י לֹא־יֵֽעָשֶׂ֥ה כֵ֖ן בְּיִשְׂרָאֵ֑ל אַֽל־תַּעֲשֵׂ֖ה אֶת־הַנְּבָלָ֥ה הַזֹּֽאת׃
13 १३ फिर मैं अपनी नामधराई लिये हुए कहाँ जाऊँगी? और तू इस्राएलियों में एक मूर्ख गिना जाएगा। तू राजा से बातचीत कर, वह मुझ को तुझे ब्याह देने के लिये मना न करेगा।”
וַאֲנִ֗י אָ֤נָה אוֹלִיךְ֙ אֶת־חֶרְפָּתִ֔י וְאַתָּ֗ה תִּהְיֶ֛ה כְּאַחַ֥ד הַנְּבָלִ֖ים בְּיִשְׂרָאֵ֑ל וְעַתָּה֙ דַּבֶּר־נָ֣א אֶל־הַמֶּ֔לֶךְ כִּ֛י לֹ֥א יִמְנָעֵ֖נִי מִמֶּֽךָּ׃
14 १४ परन्तु उसने उसकी न सुनी; और उससे बलवान होने के कारण उसके साथ कुकर्म करके उसे भ्रष्ट किया।
וְלֹ֥א אָבָ֖ה לִשְׁמֹ֣עַ בְּקוֹלָ֑הּ וַיֶּחֱזַ֤ק מִמֶּ֙נָּה֙ וַיְעַנֶּ֔הָ וַיִּשְׁכַּ֖ב אֹתָֽהּ׃
15 १५ तब अम्नोन उससे अत्यन्त बैर रखने लगा; यहाँ तक कि यह बैर उसके पहले मोह से बढ़कर हुआ। तब अम्नोन ने उससे कहा, “उठकर चली जा।”
וַיִּשְׂנָאֶ֣הָ אַמְנ֗וֹן שִׂנְאָה֙ גְּדוֹלָ֣ה מְאֹ֔ד כִּ֣י גְדוֹלָ֗ה הַשִּׂנְאָה֙ אֲשֶׁ֣ר שְׂנֵאָ֔הּ מֵאַהֲבָ֖ה אֲשֶׁ֣ר אֲהֵבָ֑הּ וַֽיֹּאמֶר־לָ֥הּ אַמְנ֖וֹן ק֥וּמִי לֵֽכִי׃
16 १६ उसने कहा, “ऐसा नहीं, क्योंकि यह बड़ा उपद्रव, अर्थात् मुझे निकाल देना उस पहले से बढ़कर है जो तूने मुझसे किया है।” परन्तु उसने उसकी न सुनी।
וַתֹּ֣אמֶר ל֗וֹ אַל־אוֹדֹ֞ת הָרָעָ֤ה הַגְּדוֹלָה֙ הַזֹּ֔את מֵאַחֶ֛רֶת אֲשֶׁר־עָשִׂ֥יתָ עִמִּ֖י לְשַׁלְּחֵ֑נִי וְלֹ֥א אָבָ֖ה לִשְׁמֹ֥עַֽ לָֽהּ׃
17 १७ तब उसने अपने सेवक जवान को बुलाकर कहा, “इस स्त्री को मेरे पास से बाहर निकाल दे, और उसके पीछे किवाड़ में चिटकनी लगा दे।”
וַיִּקְרָ֗א אֶֽת־נַעֲרוֹ֙ מְשָׁ֣רְת֔וֹ וַיֹּ֕אמֶר שִׁלְחוּ־נָ֥א אֶת־זֹ֛את מֵעָלַ֖י הַח֑וּצָה וּנְעֹ֥ל הַדֶּ֖לֶת אַחֲרֶֽיהָ׃
18 १८ वह तो रंगबिरंगी कुर्ती पहने थी; क्योंकि जो राजकुमारियाँ कुँवारी रहती थीं वे ऐसे ही वस्त्र पहनती थीं। अतः अम्नोन के टहलुए ने उसे बाहर निकालकर उसके पीछे किवाड़ में चिटकनी लगा दी।
וְעָלֶ֙יהָ֙ כְּתֹ֣נֶת פַּסִּ֔ים כִּי֩ כֵ֨ן תִּלְבַּ֧שְׁןָ בְנוֹת־הַמֶּ֛לֶךְ הַבְּתוּלֹ֖ת מְעִילִ֑ים וַיֹּצֵ֨א אוֹתָ֤הּ מְשָֽׁרְתוֹ֙ הַח֔וּץ וְנָעַ֥ל הַדֶּ֖לֶת אַחֲרֶֽיהָ׃
19 १९ तब तामार ने अपने सिर पर राख डाली, और अपनी रंगबिरंगी कुर्ती को फाड़ डाला; और सिर पर हाथ रखे चिल्लाती हुई चली गई।
וַתִּקַּ֨ח תָּמָ֥ר אֵ֙פֶר֙ עַל־רֹאשָׁ֔הּ וּכְתֹ֧נֶת הַפַּסִּ֛ים אֲשֶׁ֥ר עָלֶ֖יהָ קָרָ֑עָה וַתָּ֤שֶׂם יָדָהּ֙ עַל־רֹאשָׁ֔הּ וַתֵּ֥לֶךְ הָל֖וֹךְ וְזָעָֽקָה׃
20 २० उसके भाई अबशालोम ने उससे पूछा, “क्या तेरा भाई अम्नोन तेरे साथ रहा है? परन्तु अब, हे मेरी बहन, चुप रह, वह तो तेरा भाई है; इस बात की चिन्ता न कर।” तब तामार अपने भाई अबशालोम के घर में मन मारे बैठी रही।
וַיֹּ֨אמֶר אֵלֶ֜יהָ אַבְשָׁל֣וֹם אָחִ֗יהָ הַאֲמִינ֣וֹן אָחִיךְ֮ הָיָ֣ה עִמָּךְ֒ וְעַתָּ֞ה אֲחוֹתִ֤י הַחֲרִ֙ישִׁי֙ אָחִ֣יךְ ה֔וּא אַל־תָּשִׁ֥יתִי אֶת־לִבֵּ֖ךְ לַדָּבָ֣ר הַזֶּ֑ה וַתֵּ֤שֶׁב תָּמָר֙ וְשֹׁ֣מֵמָ֔ה בֵּ֖ית אַבְשָׁל֥וֹם אָחִֽיהָ׃
21 २१ जब ये सब बातें दाऊद राजा के कान में पड़ीं, तब वह बहुत झुँझला उठा।
וְהַמֶּ֣לֶךְ דָּוִ֔ד שָׁמַ֕ע אֵ֥ת כָּל־הַדְּבָרִ֖ים הָאֵ֑לֶּה וַיִּ֥חַר ל֖וֹ מְאֹֽד׃
22 २२ और अबशालोम ने अम्नोन से भला-बुरा कुछ न कहा, क्योंकि अम्नोन ने उसकी बहन तामार को भ्रष्ट किया था, इस कारण अबशालोम उससे घृणा करता था।
וְלֹֽא־דִבֶּ֧ר אַבְשָׁל֛וֹם עִם־אַמְנ֖וֹן לְמֵרָ֣ע וְעַד־ט֑וֹב כִּֽי־שָׂנֵ֤א אַבְשָׁלוֹם֙ אֶת־אַמְנ֔וֹן עַל־דְּבַר֙ אֲשֶׁ֣ר עִנָּ֔ה אֵ֖ת תָּמָ֥ר אֲחֹתֽוֹ׃ פ
23 २३ दो वर्ष के बाद अबशालोम ने एप्रैम के निकट के बाल्हासोर में अपनी भेड़ों का ऊन कतरवाया और अबशालोम ने सब राजकुमारों को नेवता दिया।
וַֽיְהִי֙ לִשְׁנָתַ֣יִם יָמִ֔ים וַיִּהְי֤וּ גֹֽזְזִים֙ לְאַבְשָׁל֔וֹם בְּבַ֥עַל חָצ֖וֹר אֲשֶׁ֣ר עִם־אֶפְרָ֑יִם וַיִּקְרָ֥א אַבְשָׁל֖וֹם לְכָל־בְּנֵ֥י הַמֶּֽלֶךְ׃
24 २४ वह राजा के पास जाकर कहने लगा, “विनती यह है, कि तेरे दास की भेड़ों का ऊन कतरा जाता है, इसलिए राजा अपने कर्मचारियों समेत अपने दास के संग चले।”
וַיָּבֹ֤א אַבְשָׁלוֹם֙ אֶל־הַמֶּ֔לֶךְ וַיֹּ֕אמֶר הִנֵּה־נָ֥א גֹזְזִ֖ים לְעַבְדֶּ֑ךָ יֵֽלֶךְ־נָ֥א הַמֶּ֛לֶךְ וַעֲבָדָ֖יו עִם־עַבְדֶּֽךָ׃
25 २५ राजा ने अबशालोम से कहा, “हे मेरे बेटे, ऐसा नहीं; हम सब न चलेंगे, ऐसा न हो कि तुझे अधिक कष्ट हो।” तब अबशालोम ने विनती करके उस पर दबाव डाला, परन्तु उसने जाने से इन्कार किया, तो भी उसे आशीर्वाद दिया।
וַיֹּ֨אמֶר הַמֶּ֜לֶךְ אֶל־אַבְשָׁל֗וֹם אַל־בְּנִי֙ אַל־נָ֤א נֵלֵךְ֙ כֻּלָּ֔נוּ וְלֹ֥א נִכְבַּ֖ד עָלֶ֑יךָ וַיִּפְרָץ־בּ֛וֹ וְלֹֽא־אָבָ֥ה לָלֶ֖כֶת וַֽיְבָרֲכֵֽהוּ׃
26 २६ तब अबशालोम ने कहा, “यदि तू नहीं तो मेरे भाई अम्नोन को हमारे संग जाने दे।” राजा ने उससे पूछा, “वह तेरे संग क्यों चले?”
וַיֹּ֙אמֶר֙ אַבְשָׁל֔וֹם וָלֹ֕א יֵֽלֶךְ־נָ֥א אִתָּ֖נוּ אַמְנ֣וֹן אָחִ֑י וַיֹּ֤אמֶר לוֹ֙ הַמֶּ֔לֶךְ לָ֥מָּה יֵלֵ֖ךְ עִמָּֽךְ׃
27 २७ परन्तु अबशालोम ने उसे ऐसा दबाया कि उसने अम्नोन और सब राजकुमारों को उसके साथ जाने दिया।
וַיִּפְרָץ־בּ֖וֹ אַבְשָׁל֑וֹם וַיִּשְׁלַ֤ח אִתּוֹ֙ אֶת־אַמְנ֔וֹן וְאֵ֖ת כָּל־בְּנֵ֥י הַמֶּֽלֶךְ׃ ס
28 २८ तब अबशालोम ने अपने सेवकों को आज्ञा दी, “सावधान रहो और जब अम्नोन दाखमधु पीकर नशे में आ जाए, और मैं तुम से कहूँ, ‘अम्नोन को मार डालना।’ क्या इस आज्ञा का देनेवाला मैं नहीं हूँ? हियाव बाँधकर पुरुषार्थ करना।”
וַיְצַו֩ אַבְשָׁל֨וֹם אֶת־נְעָרָ֜יו לֵאמֹ֗ר רְא֣וּ נָ֠א כְּט֨וֹב לֵב־אַמְנ֤וֹן בַּיַּ֙יִן֙ וְאָמַרְתִּ֣י אֲלֵיכֶ֔ם הַכּ֧וּ אֶת־אַמְנ֛וֹן וַהֲמִתֶּ֥ם אֹת֖וֹ אַל־תִּירָ֑אוּ הֲל֗וֹא כִּ֤י אָֽנֹכִי֙ צִוִּ֣יתִי אֶתְכֶ֔ם חִזְק֖וּ וִהְי֥וּ לִבְנֵי־חָֽיִל׃
29 २९ अतः अबशालोम के सेवकों ने अम्नोन के साथ अबशालोम की आज्ञा के अनुसार किया। तब सब राजकुमार उठ खड़े हुए, और अपने-अपने खच्चर पर चढ़कर भाग गए।
וַֽיַּעֲשׂ֞וּ נַעֲרֵ֤י אַבְשָׁלוֹם֙ לְאַמְנ֔וֹן כַּאֲשֶׁ֥ר צִוָּ֖ה אַבְשָׁל֑וֹם וַיָּקֻ֣מוּ ׀ כָּל־בְּנֵ֣י הַמֶּ֗לֶךְ וַֽיִּרְכְּב֛וּ אִ֥ישׁ עַל־פִּרְדּ֖וֹ וַיָּנֻֽסוּ׃
30 ३० वे मार्ग ही में थे, कि दाऊद को यह समाचार मिला, “अबशालोम ने सब राजकुमारों को मार डाला, और उनमें से एक भी नहीं बचा।”
וַֽיְהִי֙ הֵ֣מָּה בַדֶּ֔רֶךְ וְהַשְּׁמֻעָ֣ה בָ֔אָה אֶל־דָּוִ֖ד לֵאמֹ֑ר הִכָּ֤ה אַבְשָׁלוֹם֙ אֶת־כָּל־בְּנֵ֣י הַמֶּ֔לֶךְ וְלֹֽא־נוֹתַ֥ר מֵהֶ֖ם אֶחָֽד׃ ס
31 ३१ तब दाऊद ने उठकर अपने वस्त्र फाड़े, और भूमि पर गिर पड़ा, और उसके सब कर्मचारी वस्त्र फाड़े हुए उसके पास खड़े रहे।
וַיָּ֧קָם הַמֶּ֛לֶךְ וַיִּקְרַ֥ע אֶת־בְּגָדָ֖יו וַיִּשְׁכַּ֣ב אָ֑רְצָה וְכָל־עֲבָדָ֥יו נִצָּבִ֖ים קְרֻעֵ֥י בְגָדִֽים׃ ס
32 ३२ तब दाऊद के भाई शिमआह के पुत्र योनादाब ने कहा, “मेरा प्रभु यह न समझे कि सब जवान, अर्थात् राजकुमार मार डाले गए हैं, केवल अम्नोन मारा गया है; क्योंकि जिस दिन उसने अबशालोम की बहन तामार को भ्रष्ट किया, उसी दिन से अबशालोम की आज्ञा से ऐसी ही बात निश्चित थी।
וַיַּ֡עַן יוֹנָדָ֣ב ׀ בֶּן־שִׁמְעָ֨ה אֲחִֽי־דָוִ֜ד וַיֹּ֗אמֶר אַל־יֹאמַ֤ר אֲדֹנִי֙ אֵ֣ת כָּל־הַנְּעָרִ֤ים בְּנֵֽי־הַמֶּ֙לֶךְ֙ הֵמִ֔יתוּ כִּֽי־אַמְנ֥וֹן לְבַדּ֖וֹ מֵ֑ת כִּֽי־עַל־פִּ֤י אַבְשָׁלוֹם֙ הָיְתָ֣ה שׂוּמָ֔ה מִיּוֹם֙ עַנֹּת֔וֹ אֵ֖ת תָּמָ֥ר אֲחֹתֽוֹ׃
33 ३३ इसलिए अब मेरा प्रभु राजा अपने मन में यह समझकर कि सब राजकुमार मर गए उदास न हो; क्योंकि केवल अम्नोन ही मारा गया है।”
וְעַתָּ֡ה אַל־יָשֵׂם֩ אֲדֹנִ֨י הַמֶּ֤לֶךְ אֶל־לִבּוֹ֙ דָּבָ֣ר לֵאמֹ֔ר כָּל־בְּנֵ֥י הַמֶּ֖לֶךְ מֵ֑תוּ כִּֽי־אִם־אַמְנ֥וֹן לְבַדּ֖וֹ מֵֽת׃ פ
34 ३४ इतने में अबशालोम भाग गया। और जो जवान पहरा देता था उसने आँखें उठाकर देखा, कि पीछे की ओर से पहाड़ के पास के मार्ग से बहुत लोग चले आ रहे हैं।
וַיִּבְרַ֖ח אַבְשָׁל֑וֹם וַיִּשָּׂ֞א הַנַּ֤עַר הַצֹּפֶה֙ אֶת־עינו וַיַּ֗רְא וְהִנֵּ֨ה עַם־רַ֜ב הֹלְכִ֥ים מִדֶּ֛רֶךְ אַחֲרָ֖יו מִצַּ֥ד הָהָֽר׃
35 ३५ तब योनादाब ने राजा से कहा, “देख, राजकुमार तो आ गए हैं; जैसा तेरे दास ने कहा था वैसा ही हुआ।”
וַיֹּ֤אמֶר יֽוֹנָדָב֙ אֶל־הַמֶּ֔לֶךְ הִנֵּ֥ה בְנֵֽי־הַמֶּ֖לֶךְ בָּ֑אוּ כִּדְבַ֥ר עַבְדְּךָ֖ כֵּ֥ן הָיָֽה׃
36 ३६ वह कह ही चुका था, कि राजकुमार पहुँच गए, और चिल्ला चिल्लाकर रोने लगे; और राजा भी अपने सब कर्मचारियों समेत बिलख-बिलख कर रोने लगा।
וַיְהִ֣י ׀ כְּכַלֹּת֣וֹ לְדַבֵּ֗ר וְהִנֵּ֤ה בְנֵֽי־הַמֶּ֙לֶךְ֙ בָּ֔אוּ וַיִּשְׂא֥וּ קוֹלָ֖ם וַיִּבְכּ֑וּ וְגַם־הַמֶּ֙לֶךְ֙ וְכָל־עֲבָדָ֔יו בָּכ֕וּ בְּכִ֖י גָּד֥וֹל מְאֹֽד׃
37 ३७ अबशालोम तो भागकर गशूर के राजा अम्मीहूद के पुत्र तल्मै के पास गया। और दाऊद अपने पुत्र के लिये दिन-दिन विलाप करता रहा।
וְאַבְשָׁל֣וֹם בָּרַ֔ח וַיֵּ֛לֶךְ אֶל־תַּלְמַ֥י בֶּן־עמיחור מֶ֣לֶךְ גְּשׁ֑וּר וַיִּתְאַבֵּ֥ל עַל־בְּנ֖וֹ כָּל־הַיָּמִֽים׃
38 ३८ अतः अबशालोम भागकर गशूर को गया, तब वहाँ तीन वर्ष तक रहा।
וְאַבְשָׁל֥וֹם בָּרַ֖ח וַיֵּ֣לֶךְ גְּשׁ֑וּר וַיְהִי־שָׁ֖ם שָׁלֹ֥שׁ שָׁנִֽים׃
39 ३९ दाऊद के मन में अबशालोम के पास जाने की बड़ी लालसा रही; क्योंकि अम्नोन जो मर गया था, इस कारण उसने उसके विषय में शान्ति पाई।
וַתְּכַל֙ דָּוִ֣ד הַמֶּ֔לֶךְ לָצֵ֖את אֶל־אַבְשָׁל֑וֹם כִּֽי־נִחַ֥ם עַל־אַמְנ֖וֹן כִּֽי־מֵֽת׃ ס

< 2 शमूएल 13 >