< 2 शमूएल 10 >
1 १ इसके बाद अम्मोनियों का राजा मर गया, और उसका हानून नामक पुत्र उसके स्थान पर राजा हुआ।
Now after this, death came to the king of the children of Ammon, and Hanun, his son, became king in his place.
2 २ तब दाऊद ने यह सोचा, “जैसे हानून के पिता नाहाश ने मुझ को प्रीति दिखाई थी, वैसे ही मैं भी हानून को प्रीति दिखाऊँगा।” तब दाऊद ने अपने कई कर्मचारियों को उसके पास उसके पिता की मृत्यु के विषय शान्ति देने के लिये भेज दिया। और दाऊद के कर्मचारी अम्मोनियों के देश में आए।
And David said, I will be a friend to Hanun, the son of Nahash, as his father was a friend to me. So David sent his servants, to give him words of comfort on account of his father. And David's servants came into the land of the children of Ammon.
3 ३ परन्तु अम्मोनियों के हाकिम अपने स्वामी हानून से कहने लगे, “दाऊद ने जो तेरे पास शान्ति देनेवाले भेजे हैं, वह क्या तेरी समझ में तेरे पिता का आदर करने के विचार से भेजे गए हैं? वह क्या दाऊद ने अपने कर्मचारियों को तेरे पास इसी विचार से नहीं भेजा कि इस नगर में ढूँढ़-ढाँढ़ करके और इसका भेद लेकर इसको उलट दे?”
But the chiefs of the children of Ammon said to Hanun their lord, Does it seem to you that David is honouring your father by sending comforters to you? has he not sent his servants to go through the town and make secret observation of it, and overcome it?
4 ४ इसलिए हानून ने दाऊद के कर्मचारियों को पकड़ा, और उनकी आधी-आधी दाढ़ी मुँण्डवाकर और आधे वस्त्र, अर्थात् नितम्ब तक कटवाकर, उनको जाने दिया।
So Hanun took David's servants, and after cutting off half the hair on their chins, and cutting off the skirts of their robes up to the middle, he sent them away.
5 ५ इस घटना का समाचार पाकर दाऊद ने कुछ लोगों को उनसे मिलने के लिये भेजा, क्योंकि वे राजा के सामने आने से बहुत लजाते थे। और राजा ने यह कहा, “जब तक तुम्हारी दाढ़ियाँ बढ़ न जाएँ तब तक यरीहो में ठहरे रहो, फिर लौट आना।”
When David had news of it, he sent men out with the purpose of meeting them on their way, for the men were greatly shamed: and the king said, Go to Jericho till your hair is long again, and then come back.
6 ६ जब अम्मोनियों ने देखा कि हम से दाऊद अप्रसन्न है, तब अम्मोनियों ने बेत्रहोब और सोबा के बीस हजार अरामी प्यादों को, और एक हजार पुरुषों समेत माका के राजा को, और बारह हजार तोबी पुरुषों को, वेतन पर बुलवाया।
And when the children of Ammon saw that they had made themselves hated by David, they sent to the Aramaeans of Beth-rehob and Zobah, and got for payment twenty thousand footmen, and they got from the king of Maacah a thousand men, and from Tob twelve thousand.
7 ७ यह सुनकर दाऊद ने योआब और शूरवीरों की समस्त सेना को भेजा।
And hearing of this, David sent Joab and all the army and the best fighting-men.
8 ८ तब अम्मोनी निकले और फाटक ही के पास पाँति बाँधी; और सोबा और रहोब के अरामी और तोब और माका के पुरुष उनसे अलग मैदान में थे।
And the children of Ammon came out and put their forces in position at the way into the town: and the Aramaeans of Zobah and of Rehob, with the men of Tob and Maacah, were by themselves in the field.
9 ९ यह देखकर कि आगे-पीछे दोनों हमारे विरुद्ध पाँति बंधी है, योआब ने सब बड़े-बड़े इस्राएली वीरों में से बहुतों को छाँटकर अरामियों के सामने उनकी पाँति बँधाई,
Now when Joab saw that their forces were in position against him in front and at his back, he took the best of the men of Israel and put them in line against the Aramaeans;
10 १० और अन्य लोगों को अपने भाई अबीशै के हाथ सौंप दिया, और उसने अम्मोनियों के सामने उनकी पाँति बँधाई।
And the rest of the people he put in position against the children of Ammon, with Abishai, his brother, at their head.
11 ११ फिर उसने कहा, “यदि अरामी मुझ पर प्रबल होने लगें, तो तू मेरी सहायता करना; और यदि अम्मोनी तुझ पर प्रबल होने लगेंगे, तो मैं आकर तेरी सहायता करूँगा।
And he said, If the Aramaeans are stronger and get the better of me, then you are to come to my help; but if the children of Ammon get the better of you, I will come to your help.
12 १२ तू हियाव बाँध, और हम अपने लोगों और अपने परमेश्वर के नगरों के निमित्त पुरुषार्थ करें; और यहोवा जैसा उसको अच्छा लगे वैसा करे।”
Take heart, and let us be strong for our people and for the towns of our God, and may the Lord do what seems good to him.
13 १३ तब योआब और जो लोग उसके साथ थे अरामियों से युद्ध करने को निकट गए; और वे उसके सामने से भागे।
Then Joab and the people with him went forward to the fight against the Aramaeans, and they went in flight before him.
14 १४ यह देखकर कि अरामी भाग गए हैं अम्मोनी भी अबीशै के सामने से भागकर नगर के भीतर घुसे। तब योआब अम्मोनियों के पास से लौटकर यरूशलेम को आया।
And when the children of Ammon saw the flight of the Aramaeans, they themselves went in flight from Abishai, and came into the town. So Joab went back from fighting the children of Ammon and came to Jerusalem.
15 १५ फिर यह देखकर कि हम इस्राएलियों से हार गए है सब अरामी इकट्ठे हुए।
And when the Aramaeans saw that Israel had overcome them, they got themselves together.
16 १६ और हदादेजेर ने दूत भेजकर फरात के पार के अरामियों को बुलवाया; और वे हदादेजेर के सेनापति शोबक को अपना प्रधान बनाकर हेलाम को आए।
And Hadadezer sent for the Aramaeans who were on the other side of the River: and they came to Helam, with Shobach, the captain of Hadadezer's army, at their head.
17 १७ इसका समाचार पाकर दाऊद ने समस्त इस्राएलियों को इकट्ठा किया, और यरदन के पार होकर हेलाम में पहुँचा। तब अराम दाऊद के विरुद्ध पाँति बाँधकर उससे लड़ा।
And word of this was given to David: and he got all Israel together and went over Jordan and came to Helam. And the Aramaeans put their forces in position against David, and made an attack on him.
18 १८ परन्तु अरामी इस्राएलियों से भागे, और दाऊद ने अरामियों में से सात सौ रथियों और चालीस हजार सवारों को मार डाला, और उनके सेनापति शोबक को ऐसा घायल किया कि वह वहीं मर गया।
And the Aramaeans went in flight before Israel; and David put to the sword the men of seven hundred Aramaean war-carriages and forty thousand footmen, and Shobach, the captain of the army, was wounded, and came to his death there.
19 १९ यह देखकर कि हम इस्राएल से हार गए हैं, जितने राजा हदादेजेर के अधीन थे उन सभी ने इस्राएल के साथ संधि की, और उसके अधीन हो गए। इसलिए अरामी अम्मोनियों की और सहायता करने से डर गए।
And when all the kings who were servants of Hadadezer saw that they were overcome by Israel, they made peace with Israel and became their servants. So the Aramaeans, in fear, gave no more help to the children of Ammon.