< 2 राजा 7 >

1 तब एलीशा ने कहा, “यहोवा का वचन सुनो, यहोवा यह कहता है, ‘कल इसी समय सामरिया के फाटक में सआ भर मैदा एक शेकेल में और दो सआ जौ भी एक शेकेल में बिकेगा।’”
Elisha said, “Hear the LORD’s word. The LORD says, ‘Tomorrow about this time a seah of fine flour will be sold for a shekel, and two seahs of barley for a shekel, in the gate of Samaria.’”
2 तब उस सरदार ने जिसके हाथ पर राजा तकिया करता था, परमेश्वर के भक्त को उत्तर देकर कहा, “सुन, चाहे यहोवा आकाश के झरोखे खोले, तो भी क्या ऐसी बात हो सकेगी?” उसने कहा, “सुन, तू यह अपनी आँखों से तो देखेगा, परन्तु उस अन्न में से कुछ खाने न पाएगा।”
Then the captain on whose hand the king leaned answered the man of God, and said, “Behold, if the LORD made windows in heaven, could this thing be?” He said, “Behold, you will see it with your eyes, but will not eat of it.”
3 चार कोढ़ी फाटक के बाहर थे; वे आपस में कहने लगे, “हम क्यों यहाँ बैठे-बैठे मर जाएँ?
Now there were four leprous men at the entrance of the gate. They said to one another, “Why do we sit here until we die?
4 यदि हम कहें, ‘नगर में जाएँ,’ तो वहाँ मर जाएँगे; क्योंकि वहाँ अकाल पड़ा है, और यदि हम यहीं बैठे रहें, तो भी मर ही जाएँगे। तो आओ हम अराम की सेना में पकड़े जाएँ; यदि वे हमको जिलाए रखें तो हम जीवित रहेंगे, और यदि वे हमको मार डालें, तो भी हमको मरना ही है।”
If we say, ‘We will enter into the city,’ then the famine is in the city, and we will die there. If we sit still here, we also die. Now therefore come, and let’s surrender to the army of the Syrians. If they save us alive, we will live; and if they kill us, we will only die.”
5 तब वे साँझ को अराम की छावनी में जाने को चले, और अराम की छावनी की छोर पर पहुँचकर क्या देखा, कि वहाँ कोई नहीं है।
They rose up in the twilight to go to the camp of the Syrians. When they had come to the outermost part of the camp of the Syrians, behold, no man was there.
6 क्योंकि प्रभु ने अराम की सेना को रथों और घोड़ों की और भारी सेना की सी आहट सुनाई थी, और वे आपस में कहने लगे थे, “सुनो, इस्राएल के राजा ने हित्ती और मिस्री राजाओं को वेतन पर बुलवाया है कि हम पर चढ़ाई करें।”
For the Lord had made the army of the Syrians to hear the sound of chariots and the sound of horses, even the noise of a great army; and they said to one another, “Behold, the king of Israel has hired against us the kings of the Hittites and the kings of the Egyptians to attack us.”
7 इसलिए वे साँझ को उठकर ऐसे भाग गए, कि अपने डेरे, घोड़े, गदहे, और छावनी जैसी की तैसी छोड़कर अपना-अपना प्राण लेकर भाग गए।
Therefore they arose and fled in the twilight, and left their tents, their horses, and their donkeys, even the camp as it was, and fled for their life.
8 जब वे कोढ़ी छावनी की छोर के डेरों के पास पहुँचे, तब एक डेरे में घुसकर खाया पिया, और उसमें से चाँदी, सोना और वस्त्र ले जाकर छिपा रखा; फिर लौटकर दूसरे डेरे में घुस गए और उसमें से भी ले जाकर छिपा रखा।
When these lepers came to the outermost part of the camp, they went into one tent, and ate and drank, then carried away silver, gold, and clothing and went and hid it. Then they came back, and entered into another tent and carried things from there also, and went and hid them.
9 तब वे आपस में कहने लगे, “जो हम कर रहे हैं वह अच्छा काम नहीं है, यह आनन्द के समाचार का दिन है, परन्तु हम किसी को नहीं बताते। जो हम पौ फटने तक ठहरे रहें तो हमको दण्ड मिलेगा; सो अब आओ हम राजा के घराने के पास जाकर यह बात बता दें।”
Then they said to one another, “We aren’t doing right. Today is a day of good news, and we keep silent. If we wait until the morning light, punishment will overtake us. Now therefore come, let’s go and tell the king’s household.”
10 १० तब वे चले और नगर के चौकीदारों को बुलाकर बताया, “हम जो अराम की छावनी में गए, तो क्या देखा, कि वहाँ कोई नहीं है, और मनुष्य की कुछ आहट नहीं है, केवल बंधे हुए घोड़े और गदहे हैं, और डेरे जैसे के तैसे हैं।”
So they came and called to the city gatekeepers; and they told them, “We came to the camp of the Syrians, and, behold, there was no man there, not even a man’s voice, but the horses tied, and the donkeys tied, and the tents as they were.”
11 ११ तब चौकीदारों ने पुकारके राजभवन के भीतर समाचार दिया।
Then the gatekeepers called out and told it to the king’s household within.
12 १२ तब राजा रात ही को उठा, और अपने कर्मचारियों से कहा, “मैं तुम्हें बताता हूँ कि अरामियों ने हम से क्या किया है? वे जानते हैं, कि हम लोग भूखे हैं इस कारण वे छावनी में से मैदान में छिपने को यह कहकर गए हैं, कि जब वे नगर से निकलेंगे, तब हम उनको जीवित ही पकड़कर नगर में घुसने पाएँगे।”
The king arose in the night, and said to his servants, “I will now show you what the Syrians have done to us. They know that we are hungry. Therefore they have gone out of the camp to hide themselves in the field, saying, ‘When they come out of the city, we shall take them alive, and get into the city.’”
13 १३ परन्तु राजा के किसी कर्मचारी ने उत्तर देकर कहा, “जो घोड़े नगर में बच रहे हैं उनमें से लोग पाँच घोड़े लें, और उनको भेजकर हम हाल जान लें। वे तो इस्राएल की सब भीड़ के समान हैं जो नगर में रह गई है वरन् इस्राएल की जो भीड़ मर मिट गई है वे उसी के समान हैं।”
One of his servants answered, “Please let some people take five of the horses that remain, which are left in the city. Behold, they are like all the multitude of Israel who are left in it. Behold, they are like all the multitude of Israel who are consumed. Let’s send and see.”
14 १४ अतः उन्होंने दो रथ और उनके घोड़े लिये, और राजा ने उनको अराम की सेना के पीछे भेजा; और कहा, “जाओ, देखो।”
Therefore they took two chariots with horses; and the king sent them out to the Syrian army, saying, “Go and see.”
15 १५ तब वे यरदन तक उनके पीछे चले गए, और क्या देखा, कि पूरा मार्ग वस्त्रों और पात्रों से भरा पड़ा है, जिन्हें अरामियों ने उतावली के मारे फेंक दिया था; तब दूत लौट आए, और राजा से यह कह सुनाया।
They went after them to the Jordan; and behold, all the path was full of garments and equipment which the Syrians had cast away in their haste. The messengers returned and told the king.
16 १६ तब लोगों ने निकलकर अराम के डेरों को लूट लिया; और यहोवा के वचन के अनुसार एक सआ मैदा एक शेकेल में, और दो सआ जौ एक शेकेल में बिकने लगा।
The people went out and plundered the camp of the Syrians. So a seah of fine flour was sold for a shekel, and two measures of barley for a shekel, according to the LORD’s word.
17 १७ अब राजा ने उस सरदार को जिसके हाथ पर वह तकिया करता था फाटक का अधिकारी ठहराया; तब वह फाटक में लोगों के पाँवों के नीचे दबकर मर गया। यह परमेश्वर के भक्त के उस वचन के अनुसार हुआ जो उसने राजा से उसके यहाँ आने के समय कहा था।
The king had appointed the captain on whose hand he leaned to be in charge of the gate; and the people trampled over him in the gate, and he died as the man of God had said, who spoke when the king came down to him.
18 १८ परमेश्वर के भक्त ने जैसा राजा से यह कहा था, “कल इसी समय सामरिया के फाटक में दो सआ जौ एक शेकेल में, और एक सआ मैदा एक शेकेल में बिकेगा,” वैसा ही हुआ।
It happened as the man of God had spoken to the king, saying, “Two seahs of barley for a shekel, and a seah of fine flour for a shekel, shall be tomorrow about this time in the gate of Samaria;”
19 १९ और उस सरदार ने परमेश्वर के भक्त को, उत्तर देकर कहा था, “सुन चाहे यहोवा आकाश में झरोखे खोले तो भी क्या ऐसी बात हो सकेगी?” और उसने कहा था, “सुन, तू यह अपनी आँखों से तो देखेगा, परन्तु उस अन्न में से खाने न पाएगा।”
and that captain answered the man of God, and said, “Now, behold, if the LORD made windows in heaven, might such a thing be?” and he said, “Behold, you will see it with your eyes, but will not eat of it.”
20 २० अतः उसके साथ ठीक वैसा ही हुआ, अतएव वह फाटक में लोगों के पाँवों के नीचे दबकर मर गया।
It happened like that to him, for the people trampled over him in the gate, and he died.

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