< 2 राजा 4 >

1 भविष्यद्वक्ताओं के दल में से एक की स्त्री ने एलीशा की दुहाई देकर कहा, “तेरा दास मेरा पति मर गया, और तू जानता है कि वह यहोवा का भय माननेवाला था, और जिसका वह कर्जदार था, वह आया है कि मेरे दोनों पुत्रों को अपने दास बनाने के लिये ले जाए।”
وَصَرَخَتْ إِلَى أَلِيشَعَ ٱمْرَأَةٌ مِنْ نِسَاءِ بَنِي ٱلْأَنْبِيَاءِ قَائِلَةً: «إِنَّ عَبْدَكَ زَوْجِي قَدْ مَاتَ، وَأَنْتَ تَعْلَمُ أَنَّ عَبْدَكَ كَانَ يَخَافُ ٱلرَّبَّ. فَأَتَى ٱلْمُرَابِي لِيَأْخُذَ وَلَدَيَّ لَهُ عَبْدَيْنِ».١
2 एलीशा ने उससे पूछा, “मैं तेरे लिये क्या करूँ? मुझे बता कि तेरे घर में क्या है?” उसने कहा, “तेरी दासी के घर में एक हाण्डी तेल को छोड़ और कुछ नहीं है।”
فَقَالَ لَهَا أَلِيشَعُ: «مَاذَا أَصْنَعُ لَكِ؟ أَخْبِرِينِي مَاذَا لَكِ فِي ٱلْبَيْتِ؟». فَقَالَتْ: «لَيْسَ لِجَارِيَتِكَ شَيْءٌ فِي ٱلْبَيْتِ إِلَّا دُهْنَةَ زَيْتٍ».٢
3 उसने कहा, “तू बाहर जाकर अपनी सब पड़ोसिनों से खाली बर्तन माँग ले आ, और थोड़े बर्तन न लाना।
فَقَالَ: «ٱذْهَبِي ٱسْتَعِيرِي لِنَفْسِكِ أَوْعِيَةً مِنْ خَارِجٍ، مِنْ عِنْدِ جَمِيعِ جِيرَانِكِ، أَوْعِيَةً فَارِغَةً. لَا تُقَلِّلِي.٣
4 फिर तू अपने बेटों समेत अपने घर में जा, और द्वार बन्द करके उन सब बरतनों में तेल उण्डेल देना, और जो भर जाए उन्हें अलग रखना।”
ثُمَّ ٱدْخُلِي وَأَغْلِقِي ٱلْبَابَ عَلَى نَفْسِكِ وَعَلَى بَنِيكِ، وَصُبِّي فِي جَمِيعِ هَذِهِ ٱلْأَوْعِيَةِ، وَمَا ٱمْتَلَأَ ٱنْقُلِيهِ».٤
5 तब वह उसके पास से चली गई, और अपने बेटों समेत अपने घर जाकर द्वार बन्द किया; तब वे तो उसके पास बर्तन लाते गए और वह उण्डेलती गई।
فَذَهَبَتْ مِنْ عِنْدِهِ وَأَغْلَقَتِ ٱلْبَابَ عَلَى نَفْسِهَا وَعَلَى بَنِيهَا. فَكَانُوا هُمْ يُقَدِّمُونَ لَهَا ٱلْأَوْعِيَةَ وَهِيَ تَصُبُّ.٥
6 जब बर्तन भर गए, तब उसने अपने बेटे से कहा, “मेरे पास एक और भी ले आ;” उसने उससे कहा, “और बर्तन तो नहीं रहा।” तब तेल रुक गया।
وَلَمَّا ٱمْتَلَأَتِ ٱلْأَوْعِيَةُ قَالَتْ لِٱبْنِهَا: «قَدِّمْ لِي أَيْضًا وِعَاءً». فَقَالَ لَهَا: «لَا يُوجَدُ بَعْدُ وِعَاءٌ». فَوَقَفَ ٱلزَّيْتُ.٦
7 तब उसने जाकर परमेश्वर के भक्त को यह बता दिया। और उसने कहा, “जा तेल बेचकर ऋण भर दे; और जो रह जाए, उससे तू अपने पुत्रों सहित अपना निर्वाह करना।”
فَأَتَتْ وَأَخْبَرَتْ رَجُلَ ٱللهِ فَقَالَ: «ٱذْهَبِي بِيعِي ٱلزَّيْتَ وَأَوْفِي دَيْنَكِ، وَعِيشِي أَنْتِ وَبَنُوكِ بِمَا بَقِيَ».٧
8 फिर एक दिन की बात है कि एलीशा शूनेम को गया, जहाँ एक कुलीन स्त्री थी, और उसने उसे रोटी खाने के लिये विनती करके विवश किया। अतः जब जब वह उधर से जाता, तब-तब वह वहाँ रोटी खाने को उतरता था।
وَفِي ذَاتِ يَوْمٍ عَبَرَ أَلِيشَعُ إِلَى شُونَمَ. وَكَانَتْ هُنَاكَ ٱمْرَأَةٌ عَظِيمَةٌ، فَأَمْسَكَتْهُ لِيَأْكُلَ خُبْزًا. وَكَانَ كُلَّمَا عَبَرَ يَمِيلُ إِلَى هُنَاكَ لِيَأْكُلَ خُبْزًا.٨
9 और उस स्त्री ने अपने पति से कहा, “सुन यह जो बार बार हमारे यहाँ से होकर जाया करता है वह मुझे परमेश्वर का कोई पवित्र भक्त जान पड़ता है।
فَقَالَتْ لِرَجُلِهَا: «قَدْ عَلِمْتُ أَنَّهُ رَجُلُ ٱللهِ، مُقَدَّسٌ ٱلَّذِي يَمُرُّ عَلَيْنَا دَائِمًا.٩
10 १० हम दीवार पर एक छोटी उपरौठी कोठरी बनाएँ, और उसमें उसके लिये एक खाट, एक मेज, एक कुर्सी और एक दीवट रखें, कि जब जब वह हमारे यहाँ आए, तब-तब उसी में टिका करे।”
فَلْنَعْمَلْ عُلِّيَّةً عَلَى ٱلْحَائِطِ صَغِيرَةً وَنَضَعْ لَهُ هُنَاكَ سَرِيرًا وَخِوَانًا وَكُرْسِيًّا وَمَنَارَةً، حَتَّى إِذَا جَاءَ إِلَيْنَا يَمِيلُ إِلَيْهَا».١٠
11 ११ एक दिन की बात है, कि वह वहाँ जाकर उस उपरौठी कोठरी में टिका और उसी में लेट गया।
وَفِي ذَاتِ يَوْمٍ جَاءَ إِلَى هُنَاكَ وَمَالَ إِلَى ٱلْعُلِّيَّةِ وَٱضْطَجَعَ فِيهَا.١١
12 १२ और उसने अपने सेवक गेहजी से कहा, “उस शूनेमिन को बुला ले।” उसके बुलाने से वह उसके सामने खड़ी हुई।
فَقَالَ لِجِيحْزِي غُلَامِهِ: «ٱدْعُ هَذِهِ ٱلشُّونَمِيَّةَ». فَدَعَاهَا، فَوَقَفَتْ أَمَامَهُ.١٢
13 १३ तब उसने गेहजी से कहा, “इससे कह, कि तूने हमारे लिये ऐसी बड़ी चिन्ता की है, तो तेरे लिये क्या किया जाए? क्या तेरी चर्चा राजा, या प्रधान सेनापति से की जाए?” उसने उत्तर दिया, “मैं तो अपने ही लोगों में रहती हूँ।”
فَقَالَ لَهُ: «قُلْ لَهَا: هُوَذَا قَدِ ٱنْزَعَجْتِ بِسَبَبِنَا كُلَّ هَذَا ٱلِٱنْزِعَاجِ، فَمَاذَا يُصْنَعُ لَكِ؟ هَلْ لَكِ مَا يُتَكَلَّمُ بِهِ إِلَى ٱلْمَلِكِ أَوْ إِلَى رَئِيسِ ٱلْجَيْشِ؟» فَقَالَتْ: «إِنَّمَا أَنَا سَاكِنَةٌ فِي وَسْطِ شَعْبِي».١٣
14 १४ फिर उसने कहा, “तो इसके लिये क्या किया जाए?” गेहजी ने उत्तर दिया, “निश्चय उसके कोई लड़का नहीं, और उसका पति बूढ़ा है।”
ثُمَّ قَالَ: «فَمَاذَا يُصْنَعُ لَهَا؟» فَقَالَ جِيحْزِي: «إِنَّهُ لَيْسَ لَهَا ٱبْنٌ، وَرَجُلُهَا قَدْ شَاخَ».١٤
15 १५ उसने कहा, “उसको बुला ले।” और जब उसने उसे बुलाया, तब वह द्वार में खड़ी हुई।
فَقَالَ: «ٱدْعُهَا». فَدَعَاهَا، فَوَقَفَتْ فِي ٱلْبَابِ.١٥
16 १६ तब उसने कहा, “वसन्त ऋतु में दिन पूरे होने पर तू एक बेटा छाती से लगाएगी।” स्त्री ने कहा, “हे मेरे प्रभु! हे परमेश्वर के भक्त ऐसा नहीं, अपनी दासी को धोखा न दे।”
فَقَالَ: «فِي هَذَا ٱلْمِيعَادِ نَحْوَ زَمَانِ ٱلْحَيَاةِ تَحْتَضِنِينَ ٱبْنًا». فَقَالَتْ: «لَا يَا سَيِّدِي رَجُلَ ٱللهِ. لَا تَكْذِبْ عَلَى جَارِيَتِكَ».١٦
17 १७ स्त्री को गर्भ रहा, और वसन्त ऋतु का जो समय एलीशा ने उससे कहा था, उसी समय जब दिन पूरे हुए, तब उसके पुत्र उत्पन्न हुआ।
فَحَبِلَتِ ٱلْمَرْأَةُ وَوَلَدَتِ ٱبْنًا فِي ذَلِكَ ٱلْمِيعَادِ نَحْوَ زَمَانِ ٱلْحَيَاةِ، كَمَا قَالَ لَهَا أَلِيشَعُ.١٧
18 १८ जब लड़का बड़ा हो गया, तब एक दिन वह अपने पिता के पास लवनेवालों के निकट निकल गया।
وَكَبِرَ ٱلْوَلَدُ. وَفِي ذَاتِ يَوْمٍ خَرَجَ إِلَى أَبِيهِ إِلَى ٱلْحَصَّادِينَ،١٨
19 १९ और उसने अपने पिता से कहा, “आह! मेरा सिर, आह! मेरा सिर।” तब पिता ने अपने सेवक से कहा, “इसको इसकी माता के पास ले जा।”
وَقَالَ لِأَبِيهِ: «رَأْسِي، رَأْسِي». فَقَالَ لِلْغُلَامِ: «ٱحْمِلْهُ إِلَى أُمِّهِ».١٩
20 २० वह उसे उठाकर उसकी माता के पास ले गया, फिर वह दोपहर तक उसके घुटनों पर बैठा रहा, तब मर गया।
فَحَمَلَهُ وَأَتَى بِهِ إِلَى أُمِّهِ، فَجَلَسَ عَلَى رُكْبَتَيْهَا إِلَى ٱلظُّهْرِ وَمَاتَ.٢٠
21 २१ तब उसने चढ़कर उसको परमेश्वर के भक्त की खाट पर लिटा दिया, और निकलकर किवाड़ बन्द किया, तब उतर गई।
فَصَعِدَتْ وَأَضْجَعَتْهُ عَلَى سَرِيرِ رَجُلِ ٱللهِ، وَأَغْلَقَتْ عَلَيْهِ وَخَرَجَتْ.٢١
22 २२ तब उसने अपने पति से पुकारकर कहा, “मेरे पास एक सेवक और एक गदही तुरन्त भेज दे कि मैं परमेश्वर के भक्त के यहाँ झटपट हो आऊँ।”
وَنَادَتْ رَجُلَهَا وَقَالَتْ: «أَرْسِلْ لِي وَاحِدًا مِنَ ٱلْغِلْمَانِ وَإِحْدَى ٱلْأُتُنِ فَأَجْرِيَ إِلَى رَجُلِ ٱللهِ وَأَرْجِعَ».٢٢
23 २३ उसने कहा, “आज तू उसके यहाँ क्यों जाएगी? आज न तो नये चाँद का, और न विश्राम का दिन है;” उसने कहा, “कल्याण होगा।”
فَقَالَ: «لِمَاذَا تَذْهَبِينَ إِلَيْهِ ٱلْيَوْمَ؟ لَا رَأْسُ شَهْرٍ وَلَا سَبْتٌ». فَقَالَتْ: «سَلَامٌ».٢٣
24 २४ तब उस स्त्री ने गदही पर काठी बाँधकर अपने सेवक से कहा, “हाँके चल; और मेरे कहे बिना हाँकने में ढिलाई न करना।”
وَشَدَّتْ عَلَى ٱلْأَتَانِ، وَقَالَتْ لِغُلَامِهَا: «سُقْ وَسِرْ وَلَا تَتَعَوَّقْ لِأَجْلِي فِي ٱلرُّكُوبِ إِنْ لَمْ أَقُلْ لَكَ».٢٤
25 २५ तो वह चलते-चलते कर्मेल पर्वत को परमेश्वर के भक्त के निकट पहुँची। उसे दूर से देखकर परमेश्वर के भक्त ने अपने सेवक गेहजी से कहा, “देख, उधर तो वह शूनेमिन है।
وَٱنْطَلَقَتْ حَتَّى جَاءَتْ إِلَى رَجُلِ ٱللهِ إِلَى جَبَلِ ٱلْكَرْمَلِ. فَلَمَّا رَآهَا رَجُلُ ٱللهِ مِنْ بَعِيدٍ قَالَ لِجِيحْزِي غُلَامِهِ: «هُوَذَا تِلْكَ ٱلشُّونَمِيَّةُ.٢٥
26 २६ अब उससे मिलने को दौड़ जा, और उससे पूछ, कि तू कुशल से है? तेरा पति भी कुशल से है? और लड़का भी कुशल से है?” पूछने पर स्त्री ने उत्तर दिया, “हाँ, कुशल से हैं।”
اُرْكُضِ ٱلْآنَ لِلِقَائِهَا وَقُلْ لَهَا: أَسَلَامٌ لَكِ؟ أَسَلَامٌ لِزَوْجِكِ؟ أَسَلَامٌ لِلْوَلَدِ؟» فَقَالَتْ: «سَلَامٌ».٢٦
27 २७ वह पहाड़ पर परमेश्वर के भक्त के पास पहुँची, और उसके पाँव पकड़ने लगी, तब गेहजी उसके पास गया, कि उसे धक्का देकर हटाए, परन्तु परमेश्वर के भक्त ने कहा, “उसे छोड़ दे, उसका मन व्याकुल है; परन्तु यहोवा ने मुझ को नहीं बताया, छिपा ही रखा है।”
فَلَمَّا جَاءَتْ إِلَى رَجُلِ ٱللهِ إِلَى ٱلْجَبَلِ أَمْسَكَتْ رِجْلَيْهِ. فَتَقَدَّمَ جِيحْزِي لِيَدْفَعَهَا، فَقَالَ رَجُلُ ٱللهِ: «دَعْهَا لِأَنَّ نَفْسَهَا مُرَّةٌ فِيهَا وَٱلرَّبُّ كَتَمَ ٱلْأَمْرَ عَنِّي وَلَمْ يُخْبِرْنِي».٢٧
28 २८ तब वह कहने लगी, “क्या मैंने अपने प्रभु से पुत्र का वर माँगा था? क्या मैंने न कहा था मुझे धोखा न दे?”
فَقَالَتْ: «هَلْ طَلَبْتُ ٱبْنًا مِنْ سَيِّدِي؟ أَلَمْ أَقُلْ لَا تَخْدَعْنِي؟»٢٨
29 २९ तब एलीशा ने गेहजी से कहा, “अपनी कमर बाँध, और मेरी छड़ी हाथ में लेकर चला जा, मार्ग में यदि कोई तुझे मिले तो उसका कुशल न पूछना, और कोई तेरा कुशल पूछे, तो उसको उत्तर न देना, और मेरी यह छड़ी उस लड़के के मुँह पर रख देना।”
فَقَالَ لِجِيحْزِي: «أُشْدُدْ حَقَوَيْكَ وَخُذْ عُكَّازِي بِيَدِكَ وَٱنْطَلِقْ، وَإِذَا صَادَفْتَ أَحَدًا فَلَا تُبَارِكْهُ، وَإِنْ بَارَكَكَ أَحَدٌ فَلَا تُجِبْهُ. وَضَعْ عُكَّازِي عَلَى وَجْهِ ٱلصَّبِيِّ».٢٩
30 ३० तब लड़के की माँ ने एलीशा से कहा, “यहोवा के और तेरे जीवन की शपथ मैं तुझे न छोड़ूँगी।” तो वह उठकर उसके पीछे-पीछे चला।
فَقَالَتْ أُمُّ ٱلصَّبِيِّ: «حَيٌّ هُوَ ٱلرَّبُّ، وَحَيَّةٌ هِيَ نَفْسُكَ، إِنَّنِي لَا أَتْرُكُكَ». فَقَامَ وَتَبِعَهَا.٣٠
31 ३१ उनसे पहले पहुँचकर गेहजी ने छड़ी को उस लड़के के मुँह पर रखा, परन्तु कोई शब्द न सुन पड़ा, और न उसमें कोई हरकत हुई, तब वह एलीशा से मिलने को लौट आया, और उसको बता दिया, “लड़का नहीं जागा।”
وَجَازَ جِيحْزِي قُدَّامَهُمَا وَوَضَعَ ٱلْعُكَّازَ عَلَى وَجْهِ ٱلصَّبِيِّ، فَلَمْ يَكُنْ صَوْتٌ وَلَا مُصْغٍ. فَرَجَعَ لِلِقَائِهِ وَأَخْبَرَهُ قَائِلًا: «لَمْ يَنْتَبِهِ ٱلصَّبِيُّ».٣١
32 ३२ जब एलीशा घर में आया, तब क्या देखा, कि लड़का मरा हुआ उसकी खाट पर पड़ा है।
وَدَخَلَ أَلِيشَعُ ٱلْبَيْتَ وَإِذَا بِٱلصَّبِيِّ مَيْتٌ وَمُضْطَجعٌ عَلَى سَرِيرِهِ.٣٢
33 ३३ तब उसने अकेला भीतर जाकर किवाड़ बन्द किया, और यहोवा से प्रार्थना की।
فَدَخَلَ وَأَغْلَقَ ٱلْبَابَ عَلَى نَفْسَيْهِمَا كِلَيْهِمَا، وَصَلَّى إِلَى ٱلرَّبِّ.٣٣
34 ३४ तब वह चढ़कर लड़के पर इस रीति से लेट गया कि अपना मुँह उसके मुँह से और अपनी आँखें उसकी आँखों से और अपने हाथ उसके हाथों से मिला दिये और वह लड़के पर पसर गया, तब लड़के की देह गर्म होने लगी।
ثُمَّ صَعِدَ وَٱضْطَجَعَ فَوْقَ ٱلصَّبِيِّ وَوَضَعَ فَمَهُ عَلَى فَمِهِ، وَعَيْنَيْهِ عَلَى عَيْنَيْهِ، وَيَدَيْهِ عَلَى يَدَيْهِ، وَتَمَدَّدَ عَلَيْهِ فَسَخُنَ جَسَدُ ٱلْوَلَدِ.٣٤
35 ३५ वह उसे छोड़कर घर में इधर-उधर टहलने लगा, और फिर चढ़कर लड़के पर पसर गया; तब लड़के ने सात बार छींका, और अपनी आँखें खोलीं।
ثُمَّ عَادَ وَتَمَشَّى فِي ٱلْبَيْتِ تَارَةً إِلَى هُنَا وَتَارَةً إِلَى هُنَاكَ، وَصَعِدَ وَتَمَدَّدَ عَلَيْهِ فَعَطَسَ ٱلصَّبِيُّ سَبْعَ مَرَّاتٍ، ثُمَّ فَتَحَ ٱلصَّبِيُّ عَيْنَيْهِ.٣٥
36 ३६ तब एलीशा ने गेहजी को बुलाकर कहा, “शूनेमिन को बुला ले।” जब उसके बुलाने से वह उसके पास आई, “तब उसने कहा, अपने बेटे को उठा ले।”
فَدَعَا جِيحْزِي وَقَالَ: «اُدْعُ هَذِهِ ٱلشُّونَمِيَّةَ» فَدَعَاهَا. وَلَمَّا دَخَلَتْ إِلَيْهِ قَالَ: «ٱحْمِلِي ٱبْنَكِ».٣٦
37 ३७ वह भीतर गई, और उसके पाँवों पर गिर भूमि तक झुककर दण्डवत् किया; फिर अपने बेटे को उठाकर निकल गई।
فَأَتَتْ وَسَقَطَتْ عَلَى رِجْلَيْهِ وَسَجَدَتْ إِلَى ٱلْأَرْضِ، ثُمَّ حَمَلَتِ ٱبْنَهَا وَخَرَجَتْ.٣٧
38 ३८ तब एलीशा गिलगाल को लौट गया। उस समय देश में अकाल था, और भविष्यद्वक्ताओं के दल उसके सामने बैठे हुए थे, और उसने अपने सेवक से कहा, “हण्डा चढ़ाकर भविष्यद्वक्ताओं के दल के लिये कुछ पका।”
وَرَجَعَ أَلِيشَعُ إِلَى ٱلْجِلْجَالِ. وَكَانَ جُوعٌ فِي ٱلْأَرْضِ وَكَانَ بَنُو ٱلْأَنْبِيَاءِ جُلُوسًا أَمَامَهُ. فَقَالَ لِغُلَامِهِ: «ضَعِ ٱلْقِدْرَ ٱلْكَبِيرَةَ، وَٱسْلُقْ سَلِيقَةً لِبَنِي ٱلْأَنْبِيَاءِ».٣٨
39 ३९ तब कोई मैदान में साग तोड़ने गया, और कोई जंगली लता पाकर अपनी अँकवार भर जंगली फल तोड़ ले आया, और फाँक-फाँक करके पकने के लिये हण्डे में डाल दिया, और वे उसको न पहचानते थे।
وَخَرَجَ وَاحِدٌ إِلَى ٱلْحَقْلِ لِيَلْتَقِطَ بُقُولًا، فَوَجَدَ يَقْطِينًا بَرِّيًّا، فَٱلْتَقَطَ مِنْهُ قُثَّاءً بَرِّيًّا مِلْءَ ثَوْبِهِ، وَأَتَى وَقَطَّعَهُ فِي قِدْرِ ٱلسَّلِيقَةِ، لِأَنَّهُمْ لَمْ يَعْرِفُوا.٣٩
40 ४० तब उन्होंने उन मनुष्यों के खाने के लिये हण्डे में से परोसा। खाते समय वे चिल्लाकर बोल उठे, “हे परमेश्वर के भक्त हण्डे में जहर है;” और वे उसमें से खा न सके।
وَصَبُّوا لِلْقَوْمِ لِيَأْكُلُوا. وَفِيمَا هُمْ يَأْكُلُونَ مِنَ ٱلسَّلِيقَةِ صَرَخُوا وَقَالُوا: «فِي ٱلْقِدْرِ مَوْتٌ يَا رَجُلَ ٱللهِ!». وَلَمْ يَسْتَطِيعُوا أَنْ يَأْكُلُوا.٤٠
41 ४१ तब एलीशा ने कहा, “अच्छा, कुछ आटा ले आओ।” तब उसने उसे हण्डे में डालकर कहा, “उन लोगों के खाने के लिये परोस दे।” फिर हण्डे में कुछ हानि की वस्तु न रही।
فَقَالَ: «هَاتُوا دَقِيقًا». فَأَلْقَاهُ فِي ٱلْقِدْرِ وَقَالَ: «صُبَّ لِلْقَوْمِ فَيَأْكُلُوا». فَكَأَنَّهُ لَمْ يَكُنْ شَيْءٌ رَدِيءٌ فِي ٱلْقِدْرِ.٤١
42 ४२ कोई मनुष्य बालशालीशा से, पहले उपजे हुए जौ की बीस रोटियाँ, और अपनी बोरी में हरी बालें परमेश्वर के भक्त के पास ले आया; तो एलीशा ने कहा, “उन लोगों को खाने के लिये दे।”
وَجَاءَ رَجُلٌ مِنْ بَعْلِ شَلِيشَةَ وَأَحْضَرَ لِرَجُلِ ٱللهِ خُبْزَ بَاكُورَةٍ عِشْرِينَ رَغِيفًا مِنْ شَعِيرٍ، وَسَوِيقًا فِي جِرَابِهِ. فَقَالَ: «أَعْطِ ٱلشَّعْبَ لِيَأْكُلُوا».٤٢
43 ४३ उसके टहलुए ने कहा, “क्या मैं सौ मनुष्यों के सामने इतना ही रख दूँ?” उसने कहा, “लोगों को दे दे कि खाएँ, क्योंकि यहोवा यह कहता है, ‘उनके खाने के बाद कुछ बच भी जाएगा।’”
فَقَالَ خَادِمُهُ: «مَاذَا؟ هَلْ أَجْعَلُ هَذَا أَمَامَ مِئَةِ رَجُلٍ؟» فَقَالَ: «أَعْطِ ٱلشَّعْبَ فَيَأْكُلُوا، لِأَنَّهُ هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ: يَأْكُلُونَ وَيَفْضُلُ عَنْهُمْ».٤٣
44 ४४ तब उसने उनके आगे रख दिया, और यहोवा के वचन के अनुसार उनके खाने के बाद कुछ बच भी गया।
فَجَعَلَ أَمَامَهُمْ فَأَكَلُوا، وَفَضَلَ عَنْهُمْ حَسَبَ قَوْلِ ٱلرَّبِّ.٤٤

< 2 राजा 4 >