< 2 राजा 20 >
1 १ उन दिनों में हिजकिय्याह ऐसा रोगी हुआ कि मरने पर था, और आमोस के पुत्र यशायाह भविष्यद्वक्ता ने उसके पास जाकर कहा, “यहोवा यह कहता है, कि अपने घराने के विषय जो आज्ञा देनी हो वह दे; क्योंकि तू नहीं बचेगा, मर जाएगा।”
In diebus illis aegrotavit Ezechias usque ad mortem: et venit ad eum Isaias filius Amos, propheta, dixitque ei: Haec dicit Dominus Deus: Dispone domui tuae: morieris enim tu, et non vives.
2 २ तब उसने दीवार की ओर मुँह फेर, यहोवा से प्रार्थना करके कहा, “हे यहोवा!
Qui convertit faciem suam ad parietem, et oravit Dominum, dicens:
3 ३ मैं विनती करता हूँ, स्मरण कर, कि मैं सच्चाई और खरे मन से अपने को तेरे सम्मुख जानकर चलता आया हूँ; और जो तुझे अच्छा लगता है वही मैं करता आया हूँ।” तब हिजकिय्याह फूट फूटकर रोया।
Obsecro Domine, memento quaeso quomodo ambulaverim coram te in veritate, et in corde perfecto, et quod placitum est coram te, fecerim. Flevit itaque Ezechias fletu magno.
4 ४ तब ऐसा हुआ कि यशायाह आँगन के बीच तक जाने भी न पाया था कि यहोवा का यह वचन उसके पास पहुँचा,
Et antequam egrederetur Isaias mediam partem atrii, factus est sermo Domini ad eum, dicens:
5 ५ “लौटकर मेरी प्रजा के प्रधान हिजकिय्याह से कह, कि तेरे मूलपुरुष दाऊद का परमेश्वर यहोवा यह कहता है, कि मैंने तेरी प्रार्थना सुनी और तेरे आँसू देखे हैं; देख, मैं तुझे चंगा करता हूँ; परसों तू यहोवा के भवन में जा सकेगा।
Revertere, et dic Ezechiae duci populi mei: Haec dicit Dominus Deus David patris tui: Audivi orationem tuam, et vidi lacrymas tuas: et ecce sanavi te, die tertio ascendes templum Domini.
6 ६ मैं तेरी आयु पन्द्रह वर्ष और बढ़ा दूँगा। अश्शूर के राजा के हाथ से तुझे और इस नगर को बचाऊँगा, और मैं अपने निमित्त और अपने दास दाऊद के निमित्त इस नगर की रक्षा करूँगा।”
Et addam diebus tuis quindecim annos: sed et de manu regis Assyriorum liberabo te, et civitatem hanc, et protegam urbem istam propter me, et propter David servum meum.
7 ७ तब यशायाह ने कहा, “अंजीरों की एक टिकिया लो।” जब उन्होंने उसे लेकर फोड़े पर बाँधा, तब वह चंगा हो गया।
Dixitque Isaias: Afferte massam ficorum. Quam cum attulissent, et posuissent super hulcus eius, curatus est.
8 ८ हिजकिय्याह ने यशायाह से पूछा, “यहोवा जो मुझे चंगा करेगा और मैं परसों यहोवा के भवन को जा सकूँगा, इसका क्या चिन्ह होगा?”
Dixerat autem Ezechias ad Isaiam: Quod erit signum, quia Dominus me sanabit, et quia ascensurus sum die tertia templum Domini?
9 ९ यशायाह ने कहा, “यहोवा जो अपने कहे हुए वचन को पूरा करेगा, इस बात का यहोवा की ओर से तेरे लिये यह चिन्ह होगा, कि धूपघड़ी की छाया दस अंश आगे बढ़ जाएगी, या दस अंश घट जाएगी।”
Cui ait Isaias: Hoc erit signum a Domino, quod facturus sit Dominus sermonem, quem locutus est: Vis ut ascendat umbra decem lineis, an ut revertatur totidem gradibus?
10 १० हिजकिय्याह ने कहा, “छाया का दस अंश आगे बढ़ना तो हलकी बात है, इसलिए ऐसा हो कि छाया दस अंश पीछे लौट जाए।”
Et ait Ezechias: Facile est, umbram crescere decem lineis: nec hoc volo ut fiat, sed ut revertatur retrorsum decem gradibus.
11 ११ तब यशायाह भविष्यद्वक्ता ने यहोवा को पुकारा, और आहाज की धूपघड़ी की छाया, जो दस अंश ढल चुकी थी, यहोवा ने उसको पीछे की ओर लौटा दिया।
Invocavit itaque Isaias propheta Dominum, et reduxit umbram per lineas, quibus iam descenderat in horologio Achaz, retrorsum decem gradibus.
12 १२ उस समय बलदान का पुत्र बरोदक-बलदान जो बाबेल का राजा था, उसने हिजकिय्याह के रोगी होने की चर्चा सुनकर, उसके पास पत्री और भेंट भेजी।
In tempore illo misit Berodach Baladan, filius Baladan, rex Babyloniorum litteras et munera ad Ezechiam: audierat enim quod aegrotasset Ezechias.
13 १३ उनके लानेवालों की मानकर हिजकिय्याह ने उनको अपने अनमोल पदार्थों का सब भण्डार, और चाँदी और सोना और सुगन्ध-द्रव्य और उत्तम तेल और अपने हथियारों का पूरा घर और अपने भण्डारों में जो-जो वस्तुएँ थीं, वे सब दिखाईं; हिजकिय्याह के भवन और राज्य भर में कोई ऐसी वस्तु न रही, जो उसने उन्हें न दिखाई हो।
Laetatus est autem in adventu eorum Ezechias, et ostendit eis domum aromatum, et aurum et argentum, et pigmenta varia, unguenta quoque, et domum vasorum suorum, et omnia quae habere poterat in thesauris suis. Non fuit quod non monstraret eis Ezechias in domo sua, et in omni potestate sua.
14 १४ तब यशायाह भविष्यद्वक्ता ने हिजकिय्याह राजा के पास जाकर पूछा, “वे मनुष्य क्या कह गए? और कहाँ से तेरे पास आए थे?” हिजकिय्याह ने कहा, “वे तो दूर देश से अर्थात् बाबेल से आए थे।”
Venit autem Isaias propheta ad regem Ezechiam, dixitque ei: Quid dixerunt viri isti? aut unde venerunt ad te? Cui ait Ezechias: De terra longinqua venerunt ad me de Babylone.
15 १५ फिर उसने पूछा, “तेरे भवन में उन्होंने क्या-क्या देखा है?” हिजकिय्याह ने कहा, “जो कुछ मेरे भवन में है, वह सब उन्होंने देखा। मेरे भण्डारों में कोई ऐसी वस्तु नहीं, जो मैंने उन्हें न दिखाई हो।”
At ille respondit: Quid viderunt in domo tua? Ait Ezechias: Omnia quaecumque sunt in domo mea, viderunt: nihil est quod non monstraverim eis in thesauris meis.
16 १६ तब यशायाह ने हिजकिय्याह से कहा, “यहोवा का वचन सुन ले।
Dixit itaque Isaias Ezechiae: Audi sermonem Domini:
17 १७ ऐसे दिन आनेवाले हैं, जिनमें जो कुछ तेरे भवन में हैं, और जो कुछ तेरे पुरखाओं का रखा हुआ आज के दिन तक भण्डारों में है वह सब बाबेल को उठ जाएगा; यहोवा यह कहता है, कि कोई वस्तु न बचेगी।
Ecce dies venient, et auferentur omnia, quae sunt in domo tua, et quae condiderunt patres tui usque in diem hanc, in Babylonem: non remanebit quidquam, ait Dominus.
18 १८ और जो पुत्र तेरे वंश में उत्पन्न हों, उनमें से भी कुछ को वे बन्दी बनाकर ले जाएँगे; और वे खोजे बनकर बाबेल के राजभवन में रहेंगे।”
Sed et de filiis tuis qui egredientur ex te, quos generabis, tollentur, et erunt eunuchi in palatio regis Babylonis.
19 १९ तब हिजकिय्याह ने यशायाह से कहा, “यहोवा का वचन जो तूने कहा है, वह भला ही है;” क्योंकि उसने सोचा, “यदि मेरे दिनों में शान्ति और सच्चाई बनी रहेंगी? तो क्या यह भला नहीं है?”
Dixit Ezechias ad Isaiam: Bonus sermo Domini, quem locutus es: sit pax et veritas in diebus meis.
20 २० हिजकिय्याह के और सब काम और उसकी सारी वीरता और किस रीति उसने एक जलाशय और नहर खुदवाकर नगर में पानी पहुँचा दिया, यह सब क्या यहूदा के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखा है?
Reliqua autem sermonum Ezechiae, et omnis fortitudo eius, et quomodo fecerit piscinam, et aquaeductum, et introduxerit aquas in civitatem, nonne haec scripta sunt in Libro sermonum dierum regum Iuda?
21 २१ अन्त में हिजकिय्याह मरकर अपने पुरखाओं के संग जा मिला और उसका पुत्र मनश्शे उसके स्थान पर राज्य करने लगा।
Dormivitque Ezechias cum patribus suis, et regnavit Manasses filius eius pro eo.