< 2 राजा 18 >

1 एला के पुत्र इस्राएल के राजा होशे के राज्य के तीसरे वर्ष में यहूदा के राजा आहाज का पुत्र हिजकिय्याह राजा हुआ।
وَفِي السَّنَةِ الثَّالِثَةِ لِحُكْمِ هُوشَعَ بْنِ أَيَلَةَ مَلِكِ إِسْرَائِيلَ، اعْتَلَى حَزَقِيَّا بْنُ آحَازَ عَرْشَ يَهُوذَا،١
2 जब वह राज्य करने लगा तब पच्चीस वर्ष का था, और उनतीस वर्ष तक यरूशलेम में राज्य करता रहा। उसकी माता का नाम अबी था, जो जकर्याह की बेटी थी।
وَكَانَ لَهُ مِنَ الْعُمْرِ خَمْسٌ وَعِشْرُونَ سَنَةً حِينَ مَلَكَ، وَدَامَ حُكْمُهُ فِي أُورُشَلِيمَ تِسْعاً وَعِشْرِينَ سَنَةً، وَاسْمُ أُمِّهِ أَبِي ابْنَةُ زَكَرِيَّا،٢
3 जैसे उसके मूलपुरुष दाऊद ने किया था जो यहोवा की दृष्टि में ठीक है वैसा ही उसने भी किया।
وَصَنَعَ مَا هُوَ صَالِحٌ فِي عَيْنَيِ الرَّبِّ عَلَى نَهْجِ أَبِيهِ دَاوُدَ،٣
4 उसने ऊँचे स्थान गिरा दिए, लाठों को तोड़ दिया, अशेरा को काट डाला। पीतल का जो साँप मूसा ने बनाया था, उसको उसने इस कारण चूर चूरकर दिया, कि उन दिनों तक इस्राएली उसके लिये धूप जलाते थे; और उसने उसका नाम नहुशतान रखा।
فَأَزَالَ مَعَابِدَ الْمُرْتَفَعَاتِ، وَحَطَّمَ التَّمَاثِيلَ، وَقَطَّعَ أَصْنَامَ عَشْتَارُوثَ، وَسَحَقَ حَيَّةَ النُّحَاسِ الَّتِي صَنَعَهَا مُوسَى لأَنَّ بَنِي إِسْرَائِيلَ ظَلُّوا حَتَّى تِلْكَ الأَيَّامِ يُوْقِدُونَ لَهَا، وَدَعُوهَا نَحُشْتَانَ.٤
5 वह इस्राएल के परमेश्वर यहोवा पर भरोसा रखता था, और उसके बाद यहूदा के सब राजाओं में कोई उसके बराबर न हुआ, और न उससे पहले भी ऐसा कोई हुआ था।
وَاتَّكَلَ عَلَى الرَّبِّ إِلَهِ إِسْرَائِيلَ فَلَمْ يَأْتِ قَبْلَهُ وَلا بَعْدَهُ مَلِكٌ نَظِيرُهُ بَيْنَ مُلُوكِ يَهُوذَا.٥
6 और वह यहोवा से लिपटा रहा और उसके पीछे चलना न छोड़ा; और जो आज्ञाएँ यहोवा ने मूसा को दी थीं, उनका वह पालन करता रहा।
وَالْتَصَقَ بِالرَّبِّ وَلَمْ يَحِدْ عَنْ طَرِيقِهِ، بَلْ أَطَاعَ وَصَايَاهُ الَّتِي أَمَرَ بِها الرَّبُّ مُوسَى.٦
7 इसलिए यहोवा उसके संग रहा; और जहाँ कहीं वह जाता था, वहाँ उसका काम सफल होता था। और उसने अश्शूर के राजा से बलवा करके, उसकी अधीनता छोड़ दी।
لِذَلِكَ كَانَ الرَّبُّ مَعَهُ وَكَلَّلَ أَعْمَالَهُ بِالنَّجَاحِ. وَثَارَ عَلَى مَلِكِ أَشُّورَ وَأَبَى الْخُضُوعَ لَهُ،٧
8 उसने पलिश्तियों को गाज़ा और उसकी सीमा तक, पहरुओं के गुम्मट और गढ़वाले नगर तक मारा।
وَدَحَرَ الْفِلِسْطِينِيِّينَ مِنْ بُرْجِ النَّوَاطِيرِ إِلَى الْمَدِينَةِ الْمُحَصَّنَةِ حَتَّى بَلَغَ غَزَّةَ وَضَوَاحِيَهَا.٨
9 राजा हिजकिय्याह के राज्य के चौथे वर्ष में जो एला के पुत्र इस्राएल के राजा होशे के राज्य का सातवाँ वर्ष था, अश्शूर के राजा शल्मनेसेर ने सामरिया पर चढ़ाई करके उसे घेर लिया।
وَفِي السَّنَةِ الرَّابِعَةِ لِحُكْمِ الْمَلِكِ حَزَقِيَّا، الْمُوَافِقَةِ لِلسَّنَةِ السَّابِعَةِ لاِعْتِلاءِ هُوشَعَ بْنِ أَيْلَةَ عَرْشَ إِسْرَائِيلَ، زَحَفَ شَلْمَنْأَسَرُ مَلِكُ أَشُورَ عَلَى السَّامِرَةِ وَحَاصَرَهَا،٩
10 १० और तीन वर्ष के बीतने पर उन्होंने उसको ले लिया। इस प्रकार हिजकिय्याह के राज्य के छठवें वर्ष में जो इस्राएल के राजा होशे के राज्य का नौवाँ वर्ष था, सामरिया ले लिया गया।
وَتَمَكَّنَ مِنَ الاسْتِيلاءِ عَلَيْهَا فِي نِهَايَةِ ثَلاثِ سَنَوَاتٍ، أَيْ فِي السَّنَةِ السَّادِسَةِ لِمُلْكِ حَزَقِيَّا، الْمُوَافِقَةِ لِلسَّنَةِ التَّاسِعَةِ لِحُكْمِ هُوشَعَ مَلِكِ إِسْرَائِيلَ.١٠
11 ११ तब अश्शूर का राजा इस्राएलियों को बन्दी बनाकर अश्शूर में ले गया, और हलह में और गोजान की नदी हाबोर के पास और मादियों के नगरों में उसे बसा दिया।
وَسَبَى مَلِكُ أَشُورَ سُكَّانَ إِسْرَائِيلَ إِلَى أَشُورَ، وَأَسْكَنَهُمْ فِي مَدِينَةِ حَلَحَ وَعَلَى ضِفَافِ نَهْرِ خَابُورَ فِي مِنْطَقَةِ جُوزَانَ وَفِي مُدُنِ مَادِي،١١
12 १२ इसका कारण यह था, कि उन्होंने अपने परमेश्वर यहोवा की बात न मानी, वरन् उसकी वाचा को तोड़ा, और जितनी आज्ञाएँ यहोवा के दास मूसा ने दी थीं, उनको टाल दिया और न उनको सुना और न उनके अनुसार किया।
لأَنَّهُمْ أَبَوْا الاسْتِمَاعَ لِصَوْتِ الرَّبِّ إِلَهِهِمْ، وَنَكَثُوا عَهْدَهُ وَكُلَّ مَا أَمَرَ بِهِ مُوسَى عَبْدُ الرَّبِّ، وَلَمْ يَعْمَلُوا بِها.١٢
13 १३ हिजकिय्याह राजा के राज्य के चौदहवें वर्ष में अश्शूर के राजा सन्हेरीब ने यहूदा के सब गढ़वाले नगरों पर चढ़ाई करके उनको ले लिया।
وَفِي السَّنَةِ الرَّابِعَةِ عَشْرَةَ مِنْ حُكْمِ الْمَلِكِ حَزَقِيَّا اجْتَاحَ سَنْحَارِيبُ مَلِكُ أَشُورَ جَمِيعَ مُدُنِ يَهُوذَا الْحَصِينَةِ وَاسْتَوْلَى عَلَيْهَا.١٣
14 १४ तब यहूदा के राजा हिजकिय्याह ने अश्शूर के राजा के पास लाकीश को सन्देश भेजा, “मुझसे अपराध हुआ, मेरे पास से लौट जा; और जो भार तू मुझ पर डालेगा उसको मैं उठाऊँगा।” तो अश्शूर के राजा ने यहूदा के राजा हिजकिय्याह के लिये तीन सौ किक्कार चाँदी और तीस किक्कार सोना ठहरा दिया।
وَأَرْسَلَ حَزَقِيَّا مَلِكُ يَهُوذَا يَقُولُ لِمَلِكِ أَشُورَ فِي لَخِيشَ: «أَخْطَأْتُ، فَارْتَحِلْ عَنِّي، وَأَنَا أَدْفَعُ مَا تَفْرِضُهُ عَلَيَّ مِنْ جِزْيَةٍ». فَفَرَضَ مَلِكُ أَشُّورَ عَلَى حَزَقِيَّا مَلِكِ يَهُوذَا ثَلاثَ مِئَةِ وَزْنَةٍ مِنَ الْفِضَّةِ (نَحْوَ أَلْفٍ وَثَمَانِينَ كِيلُو جِرَاماً)، وثَلاثِينَ وَزْنَةً مِنَ الذَّهَبِ (نَحْوَ مِئَةٍ وَثَمَانِيَةِ كِيلُو جِرَامَاتٍ).١٤
15 १५ तब जितनी चाँदी यहोवा के भवन और राजभवन के भण्डारों में मिली, उस सब को हिजकिय्याह ने उसे दे दिया।
فَجَمَعَ حَزَقِيَّا كُلَّ مَا فِي بَيْتِ الرَّبِّ وَخَزَائِنِ قَصْرِ الْمَلِكِ مِنْ فِضَّةٍ وَذَهَبٍ وَدَفَعَهَا لَهُ.١٥
16 १६ उस समय हिजकिय्याह ने यहोवा के मन्दिर के दरवाज़ो से और उन खम्भों से भी जिन पर यहूदा के राजा हिजकिय्याह ने सोना मढ़ा था, सोने को छीलकर अश्शूर के राजा को दे दिया।
كَمَا قَشَّرَ الذَّهَبَ الَّذِي كَانَ قَدْ غَشَّى بِهِ أَبْوَابَ هَيْكَلِ الرَّبِّ وَالدَّعَائِمَ، وَبَعَثَ بِهِ إِلَى مَلِكِ أَشُورَ.١٦
17 १७ तो भी अश्शूर के राजा ने तर्त्तान, रबसारीस और रबशाके को बड़ी सेना देकर, लाकीश से यरूशलेम के पास हिजकिय्याह राजा के विरुद्ध भेज दिया। अतः वे यरूशलेम को गए और वहाँ पहुँचकर ऊपर के जलकुण्ड की नाली के पास धोबियों के खेत की सड़क पर जाकर खड़े हुए।
وَرَغْمَ ذَلِكَ أَرْسَلَ مَلِكُ أَشُورَ إِلَى حَزَقِيَّا قَائِدَ جَيْشِهِ وَوَزِيرَ خَزَائِنِهِ وَرَئِيسَ أَرْكَانِ قُوَّاتِهِ مِنْ لَخِيشَ، عَلَى رَأْسِ جَيْشٍ جَرَّارٍ لِمُحَاصَرَةِ أُورُشَلِيمَ. فَزَحَفُوا عَلَيْهَا، وَأَحَاطُوا بِها وَعَسْكَرُوا عِنْدَ قَنَاةِ الْبِرْكَةِ الْعُلْيَا فِي طَرِيقِ حَقْلِ الْقَصَّارِ.١٧
18 १८ जब उन्होंने राजा को पुकारा, तब हिल्किय्याह का पुत्र एलयाकीम जो राजघराने के काम पर था, और शेबना जो मंत्री था और आसाप का पुत्र योआह जो इतिहास का लिखनेवाला था, ये तीनों उनके पास बाहर निकल गए।
فَاسْتَدْعَوْا الْمَلِكَ. فَبَعَثَ حَزَقِيَّا إِلَيْهِمْ أَلْيَاقِيمَ بْنَ حِلْقِيَّا مُدِيرَ شُؤونِ الْقَصْرِ. وَشِبْنَةَ الْكَاتِبَ وَيُوَاخَ بْنَ آسَافَ مُسَجِّلَ الْمَلِكِ.١٨
19 १९ रबशाके ने उनसे कहा, “हिजकिय्याह से कहो, कि महाराजाधिराज अर्थात् अश्शूर का राजा यह कहता है, ‘तू किस पर भरोसा करता है?
فَقَالَ لَهُمْ قَائِدُ جَيْشِ أَشُورَ: «بَلِّغُوا حَزَقِيَّا أَنَّ هَذَا مَا يَقُولُهُ الْمَلِكُ الْعَظِيمُ، مَلِكُ أَشُورَ: عَلَى مَاذَا تَتَّكِلُ؟١٩
20 २० तू जो कहता है, कि मेरे यहाँ युद्ध के लिये युक्ति और पराक्रम है, वह तो केवल बात ही बात है। तू किस पर भरोसा रखता है कि तूने मुझसे बलवा किया है?
أَظَنَنْتَ أَنَّ مُجَرَّدَ الْكَلامِ يُشَكِّلُ خُطَّةً وَقُوَّةً لِخَوْضِ الْحَرْبِ؟ عَلَى مَنِ اعْتَمَدْتَ حَتَّى تَمَرَّدْتَ عَلَيَّ؟٢٠
21 २१ सुन, तू तो उस कुचले हुए नरकट अर्थात् मिस्र पर भरोसा रखता है, उस पर यदि कोई टेक लगाए, तो वह उसके हाथ में चुभकर छेदेगा। मिस्र का राजा फ़िरौन अपने सब भरोसा रखनेवालों के लिये ऐसा ही है।
هَا أَنْتَ تَتَّكِلُ عَلَى عُكَّازِ هَذِهِ الْقَصَبَةِ الْمَرْضُوضَةِ مِصْرَ، الَّتِي تَثْقُبُ كَفَّ كُلِّ مَنْ يَتَوَكَّأُ عَلَيْهَا! هَكَذَا يَكُونُ فِرْعَوْنُ مَلِكُ مِصْرَ لِكُلِّ مَنْ يَتَّكِلُ عَلَيْهِ!٢١
22 २२ फिर यदि तुम मुझसे कहो, कि हमारा भरोसा अपने परमेश्वर यहोवा पर है, तो क्या यह वही नहीं है जिसके ऊँचे स्थानों और वेदियों को हिजकिय्याह ने दूर करके यहूदा और यरूशलेम से कहा, कि तुम इसी वेदी के सामने जो यरूशलेम में है दण्डवत् करना?’
وَإذَا قُلْتُمْ لِي إِنَّكُمْ تَوَكَّلْتُمْ عَلَى الرَّبِّ إِلَهِكُمْ. أَفَلَيْسَ هُوَ الَّذِي أَزَالَ حَزَقِيَّا مُرْتَفَعَاتِهِ وَمَذَابِحَهُ، وَأَمَرَ يَهُوذَا وَأَهْلَ أُورُشَلِيمَ أَنْ يَسْجُدُوا فَقَطْ أَمَامَ هَذَا الْمَذْبَحِ الْقَائِمِ فِي أُورُشَلِيمَ؟٢٢
23 २३ तो अब मेरे स्वामी अश्शूर के राजा के पास कुछ बन्धक रख, तब मैं तुझे दो हजार घोड़े दूँगा, क्या तू उन पर सवार चढ़ा सकेगा कि नहीं?
وَالآنَ لِيَعْقِدْ حَزَقِيَّا رِهَاناً مَعَ سَيِّدِي مَلِكِ أَشُورَ، فَأُعْطِيَكَ أَلْفَيْ فَرَسٍ، إِنِ اسْتَطَعْتَ أَنْ تَجِدَ لَهَا فُرْسَاناً يَمْتَطُونَهَا.٢٣
24 २४ फिर तू मेरे स्वामी के छोटे से छोटे कर्मचारी का भी कहा न मानकर क्यों रथों और सवारों के लिये मिस्र पर भरोसा रखता है?
فَكَيْفَ يُمْكِنُكَ أَنْ تَصُدَّ قَائِداً وَاحِداً مِنْ أَقَلِّ قَادَةِ سَيِّدِي شَأْناً، فِي حِينِ أَنَّكَ تَعْتَمِدُ عَلَى مِصْرَ لإِمْدَادِكَ بِالْمَرْكَبَاتِ وَالْفُرْسَانِ؟٢٤
25 २५ क्या मैंने यहोवा के बिना कहे, इस स्थान को उजाड़ने के लिये चढ़ाई की है? यहोवा ने मुझसे कहा है, कि उस देश पर चढ़ाई करके उसे उजाड़ दे।”
ثُمَّ هَلْ مِنْ غَيْرِ مَشُورَةِ الرَّبِّ زَحَفْتُ عَلَى هَذِهِ الدِّيَارِ لأُدَمِّرَهَا؟ لَقَدْ قَالَ لِيَ الرَّبُّ هَاجِمْ هَذِهِ الدِّيَارَ وَخَرِّبْهَا».٢٥
26 २६ तब हिल्किय्याह के पुत्र एलयाकीम और शेबना योआह ने रबशाके से कहा, “अपने दासों से अरामी भाषा में बातें कर, क्योंकि हम उसे समझते हैं; और हम से यहूदी भाषा में शहरपनाह पर बैठे हुए लोगों के सुनते बातें न कर।”
فَقَالَ أَلْيَاقِيمُ بْنُ حِلْقِيَّا وَشِبْنَةُ وَيُوَاخُ لِقَائِدِ الْجَيْشِ: «خَاطِبْ عَبِيدَكَ بِالأَرَامِيَّةِ لأَنَّنَا نَفْهَمُهَا، وَلا تُخَاطِبْنَا بِاللُّغَةِ الْيَهُودِيَّةِ لِئَلّا يَسْمَعَ الشَّعْبُ الْمُتَجَمِّعُ عَلَى السُّورِ».٢٦
27 २७ रबशाके ने उनसे कहा, “क्या मेरे स्वामी ने मुझे तुम्हारे स्वामी ही के, या तुम्हारे ही पास ये बातें कहने को भेजा है? क्या उसने मुझे उन लोगों के पास नहीं भेजा, जो शहरपनाह पर बैठे हैं, ताकि तुम्हारे संग उनको भी अपना मल खाना और अपना मूत्र पीना पड़े?”
فَأَجَابَهُمْ قَائِدُ الْجَيْشِ: «أَتَظُنُّ أَنَّ سَيِّدِي قَدْ أَرْسَلَنَا لِنَتَحَدَّثَ إِلَيْكُمْ وَإِلَى مَلِكِكُمْ فَقَطْ بِهَذَا الْكَلامِ؟ أَلَيْسَ هَذَا الْكَلامُ مُوَجَّهاً إِلَى الرِّجَالِ الْمُتَجَمِّعِينَ عَلَى السُّورِ الَّذِينَ سَيَأْكُلُونَ مِثْلَكُمْ بِرَازَهُمْ وَيَشْرَبُونَ بَوْلَهُمْ؟»٢٧
28 २८ तब रबशाके ने खड़े हो, यहूदी भाषा में ऊँचे शब्द से कहा, “महाराजाधिराज अर्थात् अश्शूर के राजा की बात सुनो।
ثُمَّ وَقَفَ قَائِدُ الْجَيْشِ وَنَادَى بِأَعْلَى صَوْتِهِ قَائِلاً بِالْيَهُودِيَّةِ: «اسْمَعُوا كَلامَ الْمَلِكِ الْعَظِيمِ مَلِكِ أَشُورَ.٢٨
29 २९ राजा यह कहता है, ‘हिजकिय्याह तुम को धोखा देने न पाए, क्योंकि वह तुम्हें मेरे हाथ से बचा न सकेगा।
لَا يَخْدَعْكُمْ حَزَقِيَّا لأَنَّهُ عَاجِزٌ عَنْ إِنْقَاذِكُمْ٢٩
30 ३० और वह तुम से यह कहकर यहोवा पर भरोसा कराने न पाए, कि यहोवा निश्चय हमको बचाएगा और यह नगर अश्शूर के राजा के वश में न पड़ेगा।
وَلا يُقْنِعْكُمْ حَزَقِيَّا بِالاتِّكَالِ عَلَى الرَّبِّ قَائِلاً: إِنَّهُ حَتْماً يُنْقِذُنَا وَلَنْ يَسْتَوْلِيَ مَلِكُ أَشُورَ عَلَى هَذِهِ الْمَدِينَةِ.٣٠
31 ३१ हिजकिय्याह की मत सुनो। अश्शूर का राजा कहता है कि भेंट भेजकर मुझे प्रसन्न करो और मेरे पास निकल आओ, और प्रत्येक अपनी-अपनी दाखलता और अंजीर के वृक्ष के फल खाता और अपने-अपने कुण्ड का पानी पीता रहे।
لَا تُصْغُوا إِلَيْهِ لأَنَّهُ هَكَذَا يَقُولُ مَلِكُ أَشُّورَ: اعْقِدُوا مَعِي صُلْحاً، وَاسْتَسْلِمُوا إِلَيَّ، فَيَأْكُلَ عِنْدَئِذٍ كُلُّ وَاحِدٍ مِنْ كَرْمِهِ وَمِنْ تِينَتِهِ وَيَشْرَبَ مِنْ بِئْرِهِ.٣١
32 ३२ तब मैं आकर तुम को ऐसे देश में ले जाऊँगा, जो तुम्हारे देश के समान अनाज और नये दाखमधु का देश, रोटी और दाख की बारियों का देश, जैतून और मधु का देश है, वहाँ तुम मरोगे नहीं, जीवित रहोगे; तो जब हिजकिय्याह यह कहकर तुम को बहकाए, कि यहोवा हमको बचाएगा, तब उसकी न सुनना।
إِلَى أَنْ آتِيَ وَأَنْقُلَكُمْ إِلَى أَرْضٍ كَأَرْضِكُمْ، أَرْضِ قَمْحٍ وَخَمْرٍ وَخُبْزٍ وَكُرُومٍ وَزَيْتُونٍ وَعَسَلٍ. فَاحْيَوْا وَلا تَمُوتُوا. لَا تُصْغُوا إِلَى حَزَقِيَّا لأَنَّهُ يُغْرِيكُمْ بِقَوْلِهِ إِنَّ الرَّبَّ لابُدَّ أَنْ يُنْقِذَنَا.٣٢
33 ३३ क्या और जातियों के देवताओं ने अपने-अपने देश को अश्शूर के राजा के हाथ से कभी बचाया है?
فَهَلْ أَنْقَذَتْ آلِهَةُ الأُمَمِ أَرَاضِيهَا مِنْ مَلِكِ أَشُورَ؟٣٣
34 ३४ हमात और अर्पाद के देवता कहाँ रहे? सपर्वैम, हेना और इव्वा के देवता कहाँ रहे? क्या उन्होंने सामरिया को मेरे हाथ से बचाया है,
أَيْنَ آلِهَةُ حَمَاةَ وَأَرْفَادَ؟ أَيْنَ آلِهَةُ سَفْرَوَايِمَ وَهَيْنَعَ وَعَوَّا؟ هَلْ أَنْقَذَتِ السَّامِرَةَ مِنْ يَدِي؟٣٤
35 ३५ देश-देश के सब देवताओं में से ऐसा कौन है, जिसने अपने देश को मेरे हाथ से बचाया हो? फिर क्या यहोवा यरूशलेम को मेरे हाथ से बचाएगा।’”
مَنْ مِنْ كُلِّ آلِهَةِ الْبِلادِ الَّتِي اسْتَوْلَيْتُ عَلَيْهَا أَنْقَذَ أَرْضَهُ مِنْ يَدِي، حَتَّى يُنْقِذَ الرَّبُّ أُورُشَلِيمَ مِنِّي؟»٣٥
36 ३६ परन्तु सब लोग चुप रहे और उसके उत्तर में एक बात भी न कही, क्योंकि राजा की ऐसी आज्ञा थी, कि उसको उत्तर न देना।
فَصَمَتَ الشَّعْبُ وَلَمْ يُجِبْهُ أَحَدٌ بِكَلِمَةٍ، لأَنَّ الْمَلِكَ أَمَرَهُمْ بِعَدَمِ الرَّدِّ عَلَيْهِ.٣٦
37 ३७ तब हिल्किय्याह का पुत्र एलयाकीम जो राजघराने के काम पर था, और शेबना जो मंत्री था, और आसाप का पुत्र योआह जो इतिहास का लिखनेवाला था, अपने वस्त्र फाड़े हुए, हिजकिय्याह के पास जाकर रबशाके की बातें कह सुनाईं।
ثُمَّ رَجَعَ أَلْيَاقِيمُ بْنُ حِلْقِيَّا مُدِيرُ شُؤُونِ الْقَصْر، وَشِبْنَةُ الْكَاتِبُ وَيُوَاخُ بْنُ آسَافَ الْمُسَجِّلُ إِلَى حَزَقِيَّا بِثِيَابٍ مُمَزَّقَةٍ، وَأَبْلَغُوهُ كَلامَ الْقَائِدِ الأَشُورِيِّ.٣٧

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