< 2 इतिहास 6 >

1 तब सुलैमान कहने लगा, “यहोवा ने कहा था, कि मैं घोर अंधकार में वास किए रहूँगा।
אָז אָמַר שְׁלֹמֹה יְהֹוָה אָמַר לִשְׁכּוֹן בָּעֲרָפֶֽל׃
2 परन्तु मैंने तेरे लिये एक वासस्थान वरन् ऐसा दृढ़ स्थान बनाया है, जिसमें तू युग-युग रहे।”
וַאֲנִי בָּנִיתִי בֵית־זְבֻל לָךְ וּמָכוֹן לְשִׁבְתְּךָ עוֹלָמִֽים׃
3 तब राजा ने इस्राएल की पूरी सभा की ओर मुँह फेरकर उसको आशीर्वाद दिया, और इस्राएल की पूरी सभा खड़ी रही।
וַיַּסֵּב הַמֶּלֶךְ אֶת־פָּנָיו וַיְבָרֶךְ אֵת כׇּל־קְהַל יִשְׂרָאֵל וְכׇל־קְהַל יִשְׂרָאֵל עוֹמֵֽד׃
4 और उसने कहा, “धन्य है इस्राएल का परमेश्वर यहोवा, जिसने अपने मुँह से मेरे पिता दाऊद को यह वचन दिया था, और अपने हाथों से इसे पूरा किया है,
וַיֹּאמֶר בָּרוּךְ יְהֹוָה אֱלֹהֵי יִשְׂרָאֵל אֲשֶׁר דִּבֶּר בְּפִיו אֵת דָּוִיד אָבִי וּבְיָדָיו מִלֵּא לֵאמֹֽר׃
5 ‘जिस दिन से मैं अपनी प्रजा को मिस्र देश से निकाल लाया, तब से मैंने न तो इस्राएल के किसी गोत्र का कोई नगर चुना जिसमें मेरे नाम के निवास के लिये भवन बनाया जाए, और न कोई मनुष्य चुना कि वह मेरी प्रजा इस्राएल पर प्रधान हो।
מִן־הַיּוֹם אֲשֶׁר הוֹצֵאתִי אֶת־עַמִּי מֵאֶרֶץ מִצְרַיִם לֹא־בָחַרְתִּֽי בְעִיר מִכֹּל שִׁבְטֵי יִשְׂרָאֵל לִבְנוֹת בַּיִת לִהְיוֹת שְׁמִי שָׁם וְלֹא־בָחַרְתִּֽי בְאִישׁ לִהְיוֹת נָגִיד עַל־עַמִּי יִשְׂרָאֵֽל׃
6 परन्तु मैंने यरूशलेम को इसलिए चुना है, कि मेरा नाम वहाँ हो, और दाऊद को चुन लिया है कि वह मेरी प्रजा इस्राएल पर प्रधान हो।’
וָֽאֶבְחַר בִּירוּשָׁלַ͏ִם לִהְיוֹת שְׁמִי שָׁם וָאֶבְחַר בְּדָוִיד לִהְיוֹת עַל־עַמִּי יִשְׂרָאֵֽל׃
7 मेरे पिता दाऊद की यह इच्छा थी कि इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के नाम का एक भवन बनवाए।
וַיְהִי עִם־לְבַב דָּוִיד אָבִי לִבְנוֹת בַּיִת לְשֵׁם יְהֹוָה אֱלֹהֵי יִשְׂרָאֵֽל׃
8 परन्तु यहोवा ने मेरे पिता दाऊद से कहा, ‘तेरी जो इच्छा है कि यहोवा के नाम का एक भवन बनाए, ऐसी इच्छा करके तूने भला तो किया;
וַיֹּאמֶר יְהֹוָה אֶל־דָּוִיד אָבִי יַעַן אֲשֶׁר הָיָה עִם־לְבָבְךָ לִבְנוֹת בַּיִת לִשְׁמִי הֱֽטִיבוֹתָ כִּי הָיָה עִם־לְבָבֶֽךָ׃
9 तो भी तू उस भवन को बनाने न पाएगा: तेरा जो निज पुत्र होगा, वही मेरे नाम का भवन बनाएगा।’
רַק אַתָּה לֹא תִבְנֶה הַבָּיִת כִּי בִנְךָ הַיּוֹצֵא מֵחֲלָצֶיךָ הוּא־יִבְנֶה הַבַּיִת לִשְׁמִֽי׃
10 १० यह वचन जो यहोवा ने कहा था, उसे उसने पूरा भी किया है; और मैं अपने पिता दाऊद के स्थान पर उठकर यहोवा के वचन के अनुसार इस्राएल की गद्दी पर विराजमान हूँ, और इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के नाम के इस भवन को बनाया है।
וַיָּקֶם יְהֹוָה אֶת־דְּבָרוֹ אֲשֶׁר דִּבֵּר וָאָקוּם תַּחַת דָּוִיד אָבִי וָאֵשֵׁב ׀ עַל־כִּסֵּא יִשְׂרָאֵל כַּֽאֲשֶׁר דִּבֶּר יְהֹוָה וָאֶבְנֶה הַבַּיִת לְשֵׁם יְהֹוָה אֱלֹהֵי יִשְׂרָאֵֽל׃
11 ११ इसमें मैंने उस सन्दूक को रख दिया है, जिसमें यहोवा की वह वाचा है, जो उसने इस्राएलियों से बाँधी थी।”
וָאָשִׂים שָׁם אֶת־הָאָרוֹן אֲשֶׁר־שָׁם בְּרִית יְהֹוָה אֲשֶׁר כָּרַת עִם־בְּנֵי יִשְׂרָאֵֽל׃
12 १२ तब वह इस्राएल की सारी सभा के देखते यहोवा की वेदी के सामने खड़ा हुआ और अपने हाथ फैलाए।
וַֽיַּעֲמֹד לִפְנֵי מִזְבַּח יְהֹוָה נֶגֶד כׇּל־קְהַל יִשְׂרָאֵל וַיִּפְרֹשׂ כַּפָּֽיו׃
13 १३ सुलैमान ने पाँच हाथ लम्बी, पाँच हाथ चौड़ी और तीन हाथ ऊँची पीतल की एक चौकी बनाकर आँगन के बीच रखवाई थी; उसी पर खड़े होकर उसने सारे इस्राएल की सभा के सामने घुटने टेककर स्वर्ग की ओर हाथ फैलाए हुए कहा,
כִּֽי־עָשָׂה שְׁלֹמֹה כִּיּוֹר נְחֹשֶׁת וַֽיִּתְּנֵהוּ בְּתוֹךְ הָעֲזָרָה חָמֵשׁ אַמּוֹת אׇרְכּוֹ וְחָמֵשׁ אַמּוֹת רׇחְבּוֹ וְאַמּוֹת שָׁלוֹשׁ קוֹמָתוֹ וַיַּעֲמֹד עָלָיו וַיִּבְרַךְ עַל־בִּרְכָּיו נֶגֶד כׇּל־קְהַל יִשְׂרָאֵל וַיִּפְרֹשׂ כַּפָּיו הַשָּׁמָֽיְמָה׃
14 १४ “हे यहोवा, हे इस्राएल के परमेश्वर, तेरे समान न तो स्वर्ग में और न पृथ्वी पर कोई परमेश्वर है: तेरे जो दास अपने सारे मन से अपने को तेरे सम्मुख जानकर चलते हैं, उनके लिये तू अपनी वाचा पूरी करता और करुणा करता रहता है।
וַיֹּאמַר יְהֹוָה אֱלֹהֵי יִשְׂרָאֵל אֵין־כָּמוֹךָ אֱלֹהִים בַּשָּׁמַיִם וּבָאָרֶץ שֹׁמֵר הַבְּרִית וְֽהַחֶסֶד לַעֲבָדֶיךָ הַהֹלְכִים לְפָנֶיךָ בְּכׇל־לִבָּֽם׃
15 १५ तूने जो वचन मेरे पिता दाऊद को दिया था, उसका तूने पालन किया है; जैसा तूने अपने मुँह से कहा था, वैसा ही अपने हाथ से उसको हमारी आँखों के सामने पूरा भी किया है।
אֲשֶׁר שָׁמַרְתָּ לְעַבְדְּךָ דָּוִיד אָבִי אֵת אֲשֶׁר־דִּבַּרְתָּ לוֹ וַתְּדַבֵּר בְּפִיךָ וּבְיָדְךָ מִלֵּאתָ כַּיּוֹם הַזֶּֽה׃
16 १६ इसलिए अब हे इस्राएल के परमेश्वर यहोवा, इस वचन को भी पूरा कर, जो तूने अपने दास मेरे पिता दाऊद को दिया था, ‘तेरे कुल में मेरे सामने इस्राएल की गद्दी पर विराजनेवाले सदा बने रहेंगे, यह हो कि जैसे तू अपने को मेरे सम्मुख जानकर चलता रहा, वैसे ही तेरे वंश के लोग अपनी चाल चलन में ऐसी चौकसी करें, कि मेरी व्यवस्था पर चलें।’
וְעַתָּה יְהֹוָה ׀ אֱלֹהֵי יִשְׂרָאֵל שְׁמֹר לְעַבְדְּךָ דָוִיד אָבִי אֵת אֲשֶׁר דִּבַּרְתָּ לּוֹ לֵאמֹר לֹא־יִכָּרֵת לְךָ אִישׁ מִלְּפָנַי יוֹשֵׁב עַל־כִּסֵּא יִשְׂרָאֵל רַק אִם־יִשְׁמְרוּ בָנֶיךָ אֶת־דַּרְכָּם לָלֶכֶת בְּתוֹרָתִי כַּאֲשֶׁר הָלַכְתָּ לְפָנָֽי׃
17 १७ अब हे इस्राएल के परमेश्वर यहोवा, जो वचन तूने अपने दास दाऊद को दिया था, वह सच्चा किया जाए।
וְעַתָּה יְהֹוָה אֱלֹהֵי יִשְׂרָאֵל יֵֽאָמֵן דְּבָרְךָ אֲשֶׁר דִּבַּרְתָּ לְעַבְדְּךָ לְדָוִֽיד׃
18 १८ “परन्तु क्या परमेश्वर सचमुच मनुष्यों के संग पृथ्वी पर वास करेगा? स्वर्ग में वरन् सबसे ऊँचे स्वर्ग में भी तू नहीं समाता, फिर मेरे बनाए हुए इस भवन में तू कैसे समाएगा?
כִּי הַֽאֻמְנָם יֵשֵׁב אֱלֹהִים אֶת־הָאָדָם עַל־הָאָרֶץ הִנֵּה שָׁמַיִם וּשְׁמֵי הַשָּׁמַיִם לֹא יְכַלְכְּלוּךָ אַף כִּֽי־הַבַּיִת הַזֶּה אֲשֶׁר בָּנִֽיתִי׃
19 १९ तो भी हे मेरे परमेश्वर यहोवा, अपने दास की प्रार्थना और गिड़गिड़ाहट की ओर ध्यान दे और मेरी पुकार और यह प्रार्थना सुन, जो मैं तेरे सामने कर रहा हूँ।
וּפָנִיתָ אֶל־תְּפִלַּת עַבְדְּךָ וְאֶל־תְּחִנָּתוֹ יְהֹוָה אֱלֹהָי לִשְׁמֹעַ אֶל־הָֽרִנָּה וְאֶל־הַתְּפִלָּה אֲשֶׁר עַבְדְּךָ מִתְפַּלֵּל לְפָנֶֽיךָ׃
20 २० वह यह है कि तेरी आँखें इस भवन की ओर, अर्थात् इसी स्थान की ओर जिसके विषय में तूने कहा है कि मैं उसमें अपना नाम रखूँगा, रात-दिन खुली रहें, और जो प्रार्थना तेरा दास इस स्थान की ओर करे, उसे तू सुन ले।
לִהְיוֹת עֵינֶיךָ פְתֻחוֹת אֶל־הַבַּיִת הַזֶּה יוֹמָם וָלַיְלָה אֶל־הַמָּקוֹם אֲשֶׁר אָמַרְתָּ לָשׂוּם שִׁמְךָ שָׁם לִשְׁמוֹעַ אֶל־הַתְּפִלָּה אֲשֶׁר יִתְפַּלֵּל עַבְדְּךָ אֶל־הַמָּקוֹם הַזֶּֽה׃
21 २१ और अपने दास, और अपनी प्रजा इस्राएल की प्रार्थना जिसको वे इस स्थान की ओर मुँह किए हुए गिड़गिड़ाकर करें, उसे सुन लेना; स्वर्ग में से जो तेरा निवास-स्थान है, सुन लेना; और सुनकर क्षमा करना।
וְשָׁמַעְתָּ אֶל־תַּחֲנוּנֵי עַבְדְּךָ וְעַמְּךָ יִשְׂרָאֵל אֲשֶׁר יִֽתְפַּלְלוּ אֶל־הַמָּקוֹם הַזֶּה וְאַתָּה תִּשְׁמַע מִמְּקוֹם שִׁבְתְּךָ מִן־הַשָּׁמַיִם וְשָׁמַעְתָּ וְסָלָֽחְתָּ׃
22 २२ “जब कोई मनुष्य किसी दूसरे के विरुद्ध अपराध करे और उसको शपथ खिलाई जाए, और वह आकर इस भवन में तेरी वेदी के सामने शपथ खाए,
אִם־יֶחֱטָא אִישׁ לְרֵעֵהוּ וְנָשָׁא־בוֹ אָלָה לְהַאֲלֹתוֹ וּבָא אָלָה לִפְנֵי מִֽזְבַּחֲךָ בַּבַּיִת הַזֶּֽה׃
23 २३ तब तू स्वर्ग में से सुनना और मानना, और अपने दासों का न्याय करके दुष्ट को बदला देना, और उसकी चाल उसी के सिर लौटा देना, और निर्दोष को निर्दोष ठहराकर, उसकी धार्मिकता के अनुसार उसको फल देना।
וְאַתָּה ׀ תִּשְׁמַע מִן־הַשָּׁמַיִם וְעָשִׂיתָ וְשָׁפַטְתָּ אֶת־עֲבָדֶיךָ לְהָשִׁיב לְרָשָׁע לָתֵת דַּרְכּוֹ בְּרֹאשׁוֹ וּלְהַצְדִּיק צַדִּיק לָתֶת לוֹ כְּצִדְקָתֽוֹ׃
24 २४ “फिर यदि तेरी प्रजा इस्राएल तेरे विरुद्ध पाप करने के कारण अपने शत्रुओं से हार जाए, और तेरी ओर फिरकर तेरा नाम मानें, और इस भवन में तुझ से प्रार्थना करें और गिड़गिड़ाएँ,
וְֽאִם־יִנָּגֵף עַמְּךָ יִשְׂרָאֵל לִפְנֵי אוֹיֵב כִּי יֶחֶטְאוּ־לָךְ וְשָׁבוּ וְהוֹדוּ אֶת־שְׁמֶךָ וְהִתְפַּֽלְלוּ וְהִֽתְחַנְּנוּ לְפָנֶיךָ בַּבַּיִת הַזֶּֽה׃
25 २५ तो तू स्वर्ग में से सुनना; और अपनी प्रजा इस्राएल का पाप क्षमा करना, और उन्हें इस देश में लौटा ले आना जिसे तूने उनको और उनके पुरखाओं को दिया है।
וְאַתָּה תִּשְׁמַע מִן־הַשָּׁמַיִם וְסָלַחְתָּ לְחַטַּאת עַמְּךָ יִשְׂרָאֵל וַהֲשֵֽׁיבוֹתָם אֶל־הָאֲדָמָה אֲשֶׁר־נָתַתָּה לָהֶם וְלַאֲבֹתֵיהֶֽם׃
26 २६ “जब वे तेरे विरुद्ध पाप करें, और इस कारण आकाश इतना बन्द हो जाए कि वर्षा न हो, ऐसे समय यदि वे इस स्थान की ओर प्रार्थना करके तेरे नाम को मानें, और तू जो उन्हें दुःख देता है, इस कारण वे अपने पाप से फिरें,
בְּהֵעָצֵר הַשָּׁמַיִם וְלֹא־יִהְיֶה מָטָר כִּי יֶחֶטְאוּ־לָךְ וְהִֽתְפַּֽלְלוּ אֶל־הַמָּקוֹם הַזֶּה וְהוֹדוּ אֶת־שְׁמֶךָ מֵחַטָּאתָם יְשׁוּבוּן כִּי תַעֲנֵֽם׃
27 २७ तो तू स्वर्ग में से सुनना, और अपने दासों और अपनी प्रजा इस्राएल के पाप को क्षमा करना; तू जो उनको वह भला मार्ग दिखाता है जिस पर उन्हें चलना चाहिये, इसलिए अपने इस देश पर जिसे तूने अपनी प्रजा का भाग करके दिया है, पानी बरसा देना।
וְאַתָּה ׀ תִּשְׁמַע הַשָּׁמַיִם וְסָלַחְתָּ לְחַטַּאת עֲבָדֶיךָ וְעַמְּךָ יִשְׂרָאֵל כִּי תוֹרֵם אֶל־הַדֶּרֶךְ הַטּוֹבָה אֲשֶׁר יֵֽלְכוּ־בָהּ וְנָֽתַתָּה מָטָר עַֽל־אַרְצְךָ אֲשֶׁר־נָתַתָּה לְעַמְּךָ לְנַחֲלָֽה׃
28 २८ “जब इस देश में अकाल या मरी या झुलस हो या गेरुई या टिड्डियाँ या कीड़े लगें, या उनके शत्रु उनके देश के फाटकों में उन्हें घेर रखें, या कोई विपत्ति या रोग हो;
רָעָב כִּֽי־יִהְיֶה בָאָרֶץ דֶּבֶר כִּֽי־יִהְיֶה שִׁדָּפוֹן וְיֵֽרָקוֹן אַרְבֶּה וְחָסִיל כִּי יִֽהְיֶה כִּי יָצַר־לוֹ אֹיְבָיו בְּאֶרֶץ שְׁעָרָיו כׇּל־נֶגַע וְכׇֽל־מַחֲלָֽה׃
29 २९ तब यदि कोई मनुष्य या तेरी सारी प्रजा इस्राएल जो अपना-अपना दुःख और अपना-अपना खेद जानकर और गिड़गिड़ाहट के साथ प्रार्थना करके अपने हाथ इस भवन की ओर फैलाएँ;
כׇּל־תְּפִלָּה כׇל־תְּחִנָּה אֲשֶׁר יִֽהְיֶה לְכׇל־הָאָדָם וּלְכֹל עַמְּךָ יִשְׂרָאֵל אֲשֶׁר יֵדְעוּ אִישׁ נִגְעוֹ וּמַכְאֹבוֹ וּפָרַשׂ כַּפָּיו אֶל־הַבַּיִת הַזֶּֽה׃
30 ३० तो तू अपने स्वर्गीय निवास-स्थान से सुनकर क्षमा करना, और एक-एक के मन की जानकर उसकी चाल के अनुसार उसे फल देना; (तू ही तो आदमियों के मन का जाननेवाला है);
וְאַתָּה תִּשְׁמַע מִן־הַשָּׁמַיִם מְכוֹן שִׁבְתֶּךָ וְסָלַחְתָּ וְנָתַתָּה לָאִישׁ כְּכׇל־דְּרָכָיו אֲשֶׁר תֵּדַע אֶת־לְבָבוֹ כִּי אַתָּה לְבַדְּךָ יָדַעְתָּ אֶת־לְבַב בְּנֵי הָאָדָֽם׃
31 ३१ कि वे जितने दिन इस देश में रहें, जिसे तूने उनके पुरखाओं को दिया था, उतने दिन तक तेरा भय मानते हुए तेरे मार्गों पर चलते रहें।
לְמַעַן יִירָאוּךָ לָלֶכֶת בִּדְרָכֶיךָ כׇּל־הַיָּמִים אֲשֶׁר־הֵם חַיִּים עַל־פְּנֵי הָאֲדָמָה אֲשֶׁר נָתַתָּה לַאֲבֹתֵֽינוּ׃
32 ३२ “फिर परदेशी भी जो तेरी प्रजा इस्राएल का न हो, जब वह तेरे बड़े नाम और बलवन्त हाथ और बढ़ाई हुई भुजा के कारण दूर देश से आए, और आकर इस भवन की ओर मुँह किए हुए प्रार्थना करे,
וְגַם אֶל־הַנׇּכְרִי אֲשֶׁר לֹא מֵעַמְּךָ יִשְׂרָאֵל הוּא וּבָא ׀ מֵאֶרֶץ רְחוֹקָה לְמַעַן שִׁמְךָ הַגָּדוֹל וְיָדְךָ הַחֲזָקָה וּֽזְרוֹעֲךָ הַנְּטוּיָה וּבָאוּ וְהִֽתְפַּֽלְלוּ אֶל־הַבַּיִת הַזֶּֽה׃
33 ३३ तब तू अपने स्वर्गीय निवास-स्थान में से सुने, और जिस बात के लिये ऐसा परदेशी तुझे पुकारे, उसके अनुसार करना; जिससे पृथ्वी के सब देशों के लोग तेरा नाम जानकर, तेरी प्रजा इस्राएल के समान तेरा भय मानें; और निश्चय करें, कि यह भवन जो मैंने बनाया है, वह तेरा ही कहलाता है।
וְאַתָּה תִּשְׁמַע מִן־הַשָּׁמַיִם מִמְּכוֹן שִׁבְתֶּךָ וְעָשִׂיתָ כְּכֹל אֲשֶׁר־יִקְרָא אֵלֶיךָ הַנׇּכְרִי לְמַעַן יֵדְעוּ כׇל־עַמֵּי הָאָרֶץ אֶת־שְׁמֶךָ וּלְיִרְאָה אֹֽתְךָ כְּעַמְּךָ יִשְׂרָאֵל וְלָדַעַת כִּֽי־שִׁמְךָ נִקְרָא עַל־הַבַּיִת הַזֶּה אֲשֶׁר בָּנִֽיתִי׃
34 ३४ “जब तेरी प्रजा के लोग जहाँ कहीं तू उन्हें भेजे वहाँ अपने शत्रुओं से लड़ाई करने को निकल जाएँ, और इस नगर की ओर जिसे तूने चुना है, और इस भवन की ओर जिसे मैंने तेरे नाम का बनाया है, मुँह किए हुए तुझ से प्रार्थना करें,
כִּֽי־יֵצֵא עַמְּךָ לַמִּלְחָמָה עַל־אֹיְבָיו בַּדֶּרֶךְ אֲשֶׁר תִּשְׁלָחֵם וְהִתְפַּֽלְלוּ אֵלֶיךָ דֶּרֶךְ הָעִיר הַזֹּאת אֲשֶׁר בָּחַרְתָּ בָּהּ וְהַבַּיִת אֲשֶׁר־בָּנִיתִי לִשְׁמֶֽךָ׃
35 ३५ तब तू स्वर्ग में से उनकी प्रार्थना और गिड़गिड़ाहट सुनना, और उनका न्याय करना।
וְשָֽׁמַעְתָּ מִן־הַשָּׁמַיִם אֶת־תְּפִלָּתָם וְאֶת־תְּחִנָּתָם וְעָשִׂיתָ מִשְׁפָּטָֽם׃
36 ३६ “निष्पाप तो कोई मनुष्य नहीं है यदि वे भी तेरे विरुद्ध पाप करें और तू उन पर कोप करके उन्हें शत्रुओं के हाथ कर दे, और वे उन्हें बन्दी बनाकर किसी देश को, चाहे वह दूर हो, चाहे निकट, ले जाएँ,
כִּי יֶחֶטְאוּ־לָךְ כִּי אֵין אָדָם אֲשֶׁר לֹא־יֶחֱטָא וְאָנַפְתָּ בָם וּנְתַתָּם לִפְנֵי אוֹיֵב וְשָׁבוּם שׁוֹבֵיהֶם אֶל־אֶרֶץ רְחוֹקָה אוֹ קְרוֹבָֽה׃
37 ३७ तो यदि वे बँधुआई के देश में सोच विचार करें, और फिरकर अपने बन्दी बनानेवालों के देश में तुझ से गिड़गिड़ाकर कहें, ‘हमने पाप किया, और कुटिलता और दुष्टता की है,’
וְהֵשִׁיבוּ אֶל־לְבָבָם בָּאָרֶץ אֲשֶׁר נִשְׁבּוּ־שָׁם וְשָׁבוּ ׀ וְהִֽתְחַנְּנוּ אֵלֶיךָ בְּאֶרֶץ שִׁבְיָם לֵאמֹר חָטָאנוּ הֶעֱוִינוּ וְרָשָֽׁעְנוּ׃
38 ३८ इसलिए यदि वे अपनी बँधुआई के देश में जहाँ वे उन्हें बन्दी बनाकर ले गए हों अपने पूरे मन और सारे जीव से तेरी ओर फिरें, और अपने इस देश की ओर जो तूने उनके पुरखाओं को दिया था, और इस नगर की ओर जिसे तूने चुना है, और इस भवन की ओर जिसे मैंने तेरे नाम का बनाया है, मुँह किए हुए तुझ से प्रार्थना करें,
וְשָׁבוּ אֵלֶיךָ בְּכׇל־לִבָּם וּבְכׇל־נַפְשָׁם בְּאֶרֶץ שִׁבְיָם אֲשֶׁר־שָׁבוּ אֹתָם וְהִֽתְפַּֽלְלוּ דֶּרֶךְ אַרְצָם אֲשֶׁר נָתַתָּה לַאֲבוֹתָם וְהָעִיר אֲשֶׁר בָּחַרְתָּ וְלַבַּיִת אֲשֶׁר־בָּנִיתִי לִשְׁמֶֽךָ׃
39 ३९ तो तू अपने स्वर्गीय निवास-स्थान में से उनकी प्रार्थना और गिड़गिड़ाहट सुनना, और उनका न्याय करना और जो पाप तेरी प्रजा के लोग तेरे विरुद्ध करें, उन्हें क्षमा करना।
וְשָׁמַעְתָּ מִן־הַשָּׁמַיִם מִמְּכוֹן שִׁבְתְּךָ אֶת־תְּפִלָּתָם וְאֶת־תְּחִנֹּתֵיהֶם וְעָשִׂיתָ מִשְׁפָּטָם וְסָלַחְתָּ לְעַמְּךָ אֲשֶׁר חָטְאוּ־לָֽךְ׃
40 ४० और हे मेरे परमेश्वर! जो प्रार्थना इस स्थान में की जाए उसकी ओर अपनी आँखें खोले रह और अपने कान लगाए रख।
עַתָּה אֱלֹהַי יִֽהְיוּ־נָא עֵינֶיךָ פְּתֻחוֹת וְאׇזְנֶיךָ קַשֻּׁבוֹת לִתְפִלַּת הַמָּקוֹם הַזֶּֽה׃
41 ४१ “अब हे यहोवा परमेश्वर, उठकर अपने सामर्थ्य के सन्दूक समेत अपने विश्रामस्थान में आ, हे यहोवा परमेश्वर तेरे याजक उद्धाररूपी वस्त्र पहने रहें, और तेरे भक्त लोग भलाई के कारण आनन्द करते रहें।
וְעַתָּה קוּמָה יְהֹוָה אֱלֹהִים לְֽנוּחֶךָ אַתָּה וַאֲרוֹן עֻזֶּךָ כֹּהֲנֶיךָ יְהֹוָה אֱלֹהִים יִלְבְּשׁוּ תְשׁוּעָה וַחֲסִידֶיךָ יִשְׂמְחוּ בַטּֽוֹב׃
42 ४२ हे यहोवा परमेश्वर, अपने अभिषिक्त की प्रार्थना को अनसुनी न कर, तू अपने दास दाऊद पर की गई करुणा के काम स्मरण रख।”
יְהֹוָה אֱלֹהִים אַל־תָּשֵׁב פְּנֵי מְשִׁיחֶךָ זׇכְרָה לְחַֽסְדֵי דָּוִיד עַבְדֶּֽךָ׃

< 2 इतिहास 6 >