< 2 इतिहास 6 >

1 तब सुलैमान कहने लगा, “यहोवा ने कहा था, कि मैं घोर अंधकार में वास किए रहूँगा।
তখন শলোমন বললেন, “সদাপ্রভু বলেছেন যে, তিনি ঘন অন্ধকারে বাস করবেন৷
2 परन्तु मैंने तेरे लिये एक वासस्थान वरन् ऐसा दृढ़ स्थान बनाया है, जिसमें तू युग-युग रहे।”
কিন্তু আমি তোমার এক বসবাসের গৃহ নির্মাণ করলাম; এটা চিরকালের জন্য তোমার বসবাসের জায়গায়৷”
3 तब राजा ने इस्राएल की पूरी सभा की ओर मुँह फेरकर उसको आशीर्वाद दिया, और इस्राएल की पूरी सभा खड़ी रही।
পরে রাজা মুখ ফিরিয়ে সমস্ত ইস্রায়েল সমাজকে আশীর্বাদ করলেন; আর সমস্ত ইস্রায়েল সমাজ দাঁড়িয়ে থাকলো৷
4 और उसने कहा, “धन्य है इस्राएल का परमेश्वर यहोवा, जिसने अपने मुँह से मेरे पिता दाऊद को यह वचन दिया था, और अपने हाथों से इसे पूरा किया है,
আর তিনি বললেন, “ধন্য সদাপ্রভু, ইস্রায়েলের ঈশ্বর; তিনি আমার বাবা দায়ূদের কাছে নিজের মুখে এই কথা বলেছেন এবং নিজের হাতে করে এটা সফল করেছেন, যথা,
5 ‘जिस दिन से मैं अपनी प्रजा को मिस्र देश से निकाल लाया, तब से मैंने न तो इस्राएल के किसी गोत्र का कोई नगर चुना जिसमें मेरे नाम के निवास के लिये भवन बनाया जाए, और न कोई मनुष्य चुना कि वह मेरी प्रजा इस्राएल पर प्रधान हो।
যে দিন আমার প্রজাদেরকে মিশর দেশ থেকে বের করে এনেছি, সেই দিন থেকে আমি নিজের নাম স্থাপনের জন্য গৃহ তৈরীর জন্য ইস্রায়েলের সমস্ত বংশের মধ্যে কোনো নগর মনোনীত করিনি এবং নিজের প্রজা ইস্রায়েলের শাসনকর্ত্তা হবার জন্য কোনো মানুষকে মনোনীত করিনি৷
6 परन्तु मैंने यरूशलेम को इसलिए चुना है, कि मेरा नाम वहाँ हो, और दाऊद को चुन लिया है कि वह मेरी प्रजा इस्राएल पर प्रधान हो।’
কিন্তু নিজের নাম স্থাপনের জন্য আমি যিরূশালেম মনোনীত করেছি ও আমার প্রজা ইস্রায়েলের শাসনকর্ত্তা হবার জন্য দায়ূদকে মনোনীত করেছি৷
7 मेरे पिता दाऊद की यह इच्छा थी कि इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के नाम का एक भवन बनवाए।
আর ইস্রায়েলের ঈশ্বর সদাপ্রভুর নামের উদ্দেশ্যে এক গৃহ তৈরী করতে আমার বাবা দায়ূদের ইচ্ছা ছিল৷
8 परन्तु यहोवा ने मेरे पिता दाऊद से कहा, ‘तेरी जो इच्छा है कि यहोवा के नाम का एक भवन बनाए, ऐसी इच्छा करके तूने भला तो किया;
কিন্তু সদাপ্রভু আমার বাবা দায়ূদকে বললেন, ‘আমার নামের উদ্দেশ্যে একটি গৃহ তৈরী করতে তোমার ইচ্ছা হয়েছে; তোমার এইরকম ইচ্ছা হওয়া অবশ্যই ভাল৷
9 तो भी तू उस भवन को बनाने न पाएगा: तेरा जो निज पुत्र होगा, वही मेरे नाम का भवन बनाएगा।’
তবুও তুমি সেই গৃহ তৈরী করবে না, কিন্তু তোমার কটি থেকে উত্পন্ন ছেলেই আমার নামের উদ্দেশ্যে গৃহ তৈরী করবে৷’
10 १० यह वचन जो यहोवा ने कहा था, उसे उसने पूरा भी किया है; और मैं अपने पिता दाऊद के स्थान पर उठकर यहोवा के वचन के अनुसार इस्राएल की गद्दी पर विराजमान हूँ, और इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के नाम के इस भवन को बनाया है।
১০সদাপ্রভু এই যে কথা বলেছেন, তা সফল করলেন; সদাপ্রভু প্রতিজ্ঞা অনুসারে আমি আমার বাবা দায়ূদের পদে উত্পন্ন ও ইস্রায়েলের সিংহাসনে বসে ইস্রায়েলের ঈশ্বর সদাপ্রভুর নামের উদ্দেশ্যে এই গৃহ তৈরী করেছি৷
11 ११ इसमें मैंने उस सन्दूक को रख दिया है, जिसमें यहोवा की वह वाचा है, जो उसने इस्राएलियों से बाँधी थी।”
১১আর সদাপ্রভু ইস্রায়েল সন্তানদের সঙ্গে যে নিয়ম করেছিলেন, তার আধার সিন্দুক এর মধ্যে রাখলাম৷”
12 १२ तब वह इस्राएल की सारी सभा के देखते यहोवा की वेदी के सामने खड़ा हुआ और अपने हाथ फैलाए।
১২পরে তিনি সমস্ত ইস্রায়েল সমাজের উপস্থিতিতে সদাপ্রভুর যজ্ঞবেদির সামনে দাঁড়িয়ে অঞ্জলি করলেন;
13 १३ सुलैमान ने पाँच हाथ लम्बी, पाँच हाथ चौड़ी और तीन हाथ ऊँची पीतल की एक चौकी बनाकर आँगन के बीच रखवाई थी; उसी पर खड़े होकर उसने सारे इस्राएल की सभा के सामने घुटने टेककर स्वर्ग की ओर हाथ फैलाए हुए कहा,
১৩কারণ শলোমন পাঁচ হাত লম্বা, পাঁচ হাত প্রস্থ ও তিন হাত উঁচু পিতলের একটি মঞ্চ তৈরী করে উঠানের মাঝখানে রেখেছিলেন; তিনি তার উপর দাঁড়ালেন, পরে সমস্ত ইস্রায়েল সমাজের সামনে হাঁটু পেতে স্বর্গের দিকে অঞ্জলি বিস্তার করলেন;
14 १४ “हे यहोवा, हे इस्राएल के परमेश्वर, तेरे समान न तो स्वर्ग में और न पृथ्वी पर कोई परमेश्वर है: तेरे जो दास अपने सारे मन से अपने को तेरे सम्मुख जानकर चलते हैं, उनके लिये तू अपनी वाचा पूरी करता और करुणा करता रहता है।
১৪আর তিনি বললেন, “হে সদাপ্রভু, ইস্রায়েলের ঈশ্বর, স্বর্গে কি পৃথিবীতে তোমার মত ঈশ্বর নেই৷ যারা সমস্ত মনপ্রাণ দিয়ে তোমার সঙ্গে চলে, তোমার সেই দাসেদের পক্ষে তুমি নিয়ম ও দয়া পালন কর;
15 १५ तूने जो वचन मेरे पिता दाऊद को दिया था, उसका तूने पालन किया है; जैसा तूने अपने मुँह से कहा था, वैसा ही अपने हाथ से उसको हमारी आँखों के सामने पूरा भी किया है।
১৫তুমি তোমার দাস আমার বাবা দায়ূদের কাছে যা প্রতিজ্ঞা করেছিলে তা পালন করেছ, যা নিজের মুখে বলেছিলে, তা নিজের হাতে পূরণ করেছ, যেমন আজ দেখা যাচ্ছে৷
16 १६ इसलिए अब हे इस्राएल के परमेश्वर यहोवा, इस वचन को भी पूरा कर, जो तूने अपने दास मेरे पिता दाऊद को दिया था, ‘तेरे कुल में मेरे सामने इस्राएल की गद्दी पर विराजनेवाले सदा बने रहेंगे, यह हो कि जैसे तू अपने को मेरे सम्मुख जानकर चलता रहा, वैसे ही तेरे वंश के लोग अपनी चाल चलन में ऐसी चौकसी करें, कि मेरी व्यवस्था पर चलें।’
১৬এখন, হে সদাপ্রভু ইস্রায়েলের ঈশ্বর, তুমি তোমার দাস আমার বাবা দায়ূদের কাছে যা প্রতিজ্ঞা করেছিলে, তা রক্ষা কর৷ তুমি বলেছিলে, আমার দৃষ্টিতে ইস্রায়েলের সিংহাসনে বসতে তোমার বংশে লোকের অভাব হবে না, কেবলমাত্র যদি আমার সামনে তুমি যেমন চলছো, তোমার সন্তানেরা আমার সামনে সেইভাবে চলার জন্য নিজেদের পথে সাবধান থাকে৷
17 १७ अब हे इस्राएल के परमेश्वर यहोवा, जो वचन तूने अपने दास दाऊद को दिया था, वह सच्चा किया जाए।
১৭এখন, হে সদাপ্রভু, ইস্রায়েলের ঈশ্বর, তোমার দাস দায়ূদের কাছে যে কথা তুমি বলেছিলে, তা সত্য হোক৷
18 १८ “परन्तु क्या परमेश्वर सचमुच मनुष्यों के संग पृथ्वी पर वास करेगा? स्वर्ग में वरन् सबसे ऊँचे स्वर्ग में भी तू नहीं समाता, फिर मेरे बनाए हुए इस भवन में तू कैसे समाएगा?
১৮কিন্তু ঈশ্বর কি সত্যিই পৃথিবীতে মানুষের সঙ্গে বাস করবেন? দেখ, স্বর্গ ও স্বর্গের স্বর্গ তোমাকে ধরে রাখতে পারে না, তবে আমার তৈরী এই গৃহ কি পারবে?
19 १९ तो भी हे मेरे परमेश्वर यहोवा, अपने दास की प्रार्थना और गिड़गिड़ाहट की ओर ध्यान दे और मेरी पुकार और यह प्रार्थना सुन, जो मैं तेरे सामने कर रहा हूँ।
১৯সুতরাং হে সদাপ্রভু, আমার ঈশ্বর, তুমি তোমার দাসের প্রার্থনাতে ও বিনতিতে মনোযোগ দাও, তোমার দাস তোমার কাছে যেভাবে কাঁদছে ও প্রার্থনা করছে, তা শোন৷
20 २० वह यह है कि तेरी आँखें इस भवन की ओर, अर्थात् इसी स्थान की ओर जिसके विषय में तूने कहा है कि मैं उसमें अपना नाम रखूँगा, रात-दिन खुली रहें, और जो प्रार्थना तेरा दास इस स्थान की ओर करे, उसे तू सुन ले।
২০যে জায়গার বিষয়ে তুমি বলেছ যে, তোমার নাম সেই জায়গার রাখবে, সেই জায়গায় অর্থাৎ এই গৃহের ওপর দিন রাত তোমার দৃষ্টি থাকুক এবং এই জায়গায় সামনে তোমার দাস যে প্রার্থনা করে, তা শোনো৷
21 २१ और अपने दास, और अपनी प्रजा इस्राएल की प्रार्थना जिसको वे इस स्थान की ओर मुँह किए हुए गिड़गिड़ाकर करें, उसे सुन लेना; स्वर्ग में से जो तेरा निवास-स्थान है, सुन लेना; और सुनकर क्षमा करना।
২১আর তোমার দাস ও তোমার লোক ইস্রায়েল যখন এই জায়গায় সামনে প্রার্থনা করবে, তখন তাদের সব অনুরোধে কান দিও; তোমার বাসজায়গা থেকে, স্বর্গ থেকে, তাহা শুনো এবং শুনে ক্ষমা কোরো৷
22 २२ “जब कोई मनुष्य किसी दूसरे के विरुद्ध अपराध करे और उसको शपथ खिलाई जाए, और वह आकर इस भवन में तेरी वेदी के सामने शपथ खाए,
২২কেউ নিজের প্রতিবেশীর বিরুদ্ধে পাপ করলে যদি তাকে শপথ করার জন্য কোনো শপথ সুনিশ্চিত হয়, আর সে এসে এই গৃহে তোমার যজ্ঞবেদির সামনে সেই শপথ করে,
23 २३ तब तू स्वर्ग में से सुनना और मानना, और अपने दासों का न्याय करके दुष्ट को बदला देना, और उसकी चाल उसी के सिर लौटा देना, और निर्दोष को निर्दोष ठहराकर, उसकी धार्मिकता के अनुसार उसको फल देना।
২৩তবে তুমি স্বর্গ থেকে তা শুনো এবং সমাধান করে তোমার দাসদের বিচার কোরো; দোষীকে দোষী করে তার কাজের ফল তার মাথায় দিও এবং ধার্ম্মিককে ধার্মিক করে তার ধার্ম্মিকতা অনুযায়ী ফল দিও৷
24 २४ “फिर यदि तेरी प्रजा इस्राएल तेरे विरुद्ध पाप करने के कारण अपने शत्रुओं से हार जाए, और तेरी ओर फिरकर तेरा नाम मानें, और इस भवन में तुझ से प्रार्थना करें और गिड़गिड़ाएँ,
২৪তোমার প্রজা ইস্রায়েল তোমার বিরুদ্ধে পাপ করার জন্য শত্রুর সামনে আহত হওয়ার পর যদি পুনরায় ফেরে এবং এই গৃহে তোমার নাম স্তব করে তোমার কাছে প্রার্থনা ও অনুরোধ করে;
25 २५ तो तू स्वर्ग में से सुनना; और अपनी प्रजा इस्राएल का पाप क्षमा करना, और उन्हें इस देश में लौटा ले आना जिसे तूने उनको और उनके पुरखाओं को दिया है।
২৫তবে তুমি স্বর্গ থেকে তা শুনো এবং তোমার প্রজা ইস্রায়েলের পাপ ক্ষমা কোরো, আর তাদেরকে ও তার পূর্বপুরুষদেরকে এই যে দেশ দিয়েছ, এখানে পুনরায় তাদেরকে এনো৷
26 २६ “जब वे तेरे विरुद्ध पाप करें, और इस कारण आकाश इतना बन्द हो जाए कि वर्षा न हो, ऐसे समय यदि वे इस स्थान की ओर प्रार्थना करके तेरे नाम को मानें, और तू जो उन्हें दुःख देता है, इस कारण वे अपने पाप से फिरें,
২৬তোমার বিরুদ্ধে তাদের পাপের জন্য যদি আকাশ থেমে যায়, বৃষ্টি না হয়, আর লোকেরা যদি এই জায়গার সামনে প্রার্থনা করে, তোমার নামের স্তব করে এবং তোমার থেকে দুঃখ পাওয়ার পর নিজেদের পাপ থেকে ফেরে,
27 २७ तो तू स्वर्ग में से सुनना, और अपने दासों और अपनी प्रजा इस्राएल के पाप को क्षमा करना; तू जो उनको वह भला मार्ग दिखाता है जिस पर उन्हें चलना चाहिये, इसलिए अपने इस देश पर जिसे तूने अपनी प्रजा का भाग करके दिया है, पानी बरसा देना।
২৭তবে তুমি স্বর্গ থেকে তা শুনো এবং তোমার দাসের ও তোমার প্রজা ইস্রায়েলের পাপ ক্ষমা কোরো ও তাদের যাতায়াতের সত্পথ তাদেরকে দেখিও এবং তুমি তোমার প্রজাদেরকে যে দেশের অধিকার দিয়েছ, তোমার সেই দেশে বৃষ্টি পাঠিও৷
28 २८ “जब इस देश में अकाल या मरी या झुलस हो या गेरुई या टिड्डियाँ या कीड़े लगें, या उनके शत्रु उनके देश के फाटकों में उन्हें घेर रखें, या कोई विपत्ति या रोग हो;
২৮দেশের মধ্যে যদি দূর্ভিক্ষ হয়, যদি মহামারী হয়, যদি শস্যের শেষ কি ধ্বংস হয় অথবা পঙ্গপাল কিম্বা কীট হয়, যদি তাদের শত্রুরা তাদের দেশে নগরে নগরে তাদেরকে আটকে রাখে, যদি কোনো মহামারী বা রোগ দেখা হয়;
29 २९ तब यदि कोई मनुष्य या तेरी सारी प्रजा इस्राएल जो अपना-अपना दुःख और अपना-अपना खेद जानकर और गिड़गिड़ाहट के साथ प्रार्थना करके अपने हाथ इस भवन की ओर फैलाएँ;
২৯তাহলে কোনো ব্যক্তি বা তোমার সমস্ত প্রজা ইস্রায়েল, যারা প্রত্যেকে নিজেদের মনের যন্ত্রণা ও শোক জানে এবং এই গৃহের দিকে যদি অঞ্জলি দিয়ে কোনো প্রার্থনা কি অনুরোধ করে;
30 ३० तो तू अपने स्वर्गीय निवास-स्थान से सुनकर क्षमा करना, और एक-एक के मन की जानकर उसकी चाल के अनुसार उसे फल देना; (तू ही तो आदमियों के मन का जाननेवाला है);
৩০তবে তুমি তোমার বসবাসের জায়গা স্বর্গ থেকে সেটা শুনো এবং ক্ষমা কোরো এবং প্রত্যেক জনকে নিজেদের সমস্ত পথ অনুযায়ী প্রতিফল দিও; তুমি তো তাদের হৃদয় জানো; কারণ একমাত্র তুমিই মানুষের হৃদয় সম্বন্ধে জানো;
31 ३१ कि वे जितने दिन इस देश में रहें, जिसे तूने उनके पुरखाओं को दिया था, उतने दिन तक तेरा भय मानते हुए तेरे मार्गों पर चलते रहें।
৩১যেন আমাদের পূর্বপুরুষদেরকে তুমি যে দেশ দিয়েছ, এই দেশে তারা যত দিন জীবিত থাকে, তোমার পথে চলার জন্য তোমাকে ভয় করে৷
32 ३२ “फिर परदेशी भी जो तेरी प्रजा इस्राएल का न हो, जब वह तेरे बड़े नाम और बलवन्त हाथ और बढ़ाई हुई भुजा के कारण दूर देश से आए, और आकर इस भवन की ओर मुँह किए हुए प्रार्थना करे,
৩২বিশেষত তোমার প্রজা ইস্রায়েল গোষ্ঠীর নয়, এমন কোনো বিদেশী যখন তোমার মহানাম, তোমার শক্তিশালী হাত ও তোমার প্রসারিত বাহুর উদ্দেশ্যে দূর দেশ থেকে আসবে, যখন তারা এসে এই গৃহের সামনে প্রার্থনা করবে,
33 ३३ तब तू अपने स्वर्गीय निवास-स्थान में से सुने, और जिस बात के लिये ऐसा परदेशी तुझे पुकारे, उसके अनुसार करना; जिससे पृथ्वी के सब देशों के लोग तेरा नाम जानकर, तेरी प्रजा इस्राएल के समान तेरा भय मानें; और निश्चय करें, कि यह भवन जो मैंने बनाया है, वह तेरा ही कहलाता है।
৩৩তখন তুমি স্বর্গ থেকে, তোমার বসবাসের জায়গা থেকে তা শুনো এবং সেই বিদেশী যে তোমার কাছে যা কিছু প্রার্থনা করবে, সেই অনুসারে কোরো; যেন তোমার প্রজা ইস্রায়েলের মত পৃথিবীর সমস্ত জাতি তোমার নাম জানে ও তোমাকে ভয় করে এবং তারা যেন জানতে পায় যে, আমার তৈরী করা এই গৃহের উপরে তোমারই নাম মহিমান্বিত৷
34 ३४ “जब तेरी प्रजा के लोग जहाँ कहीं तू उन्हें भेजे वहाँ अपने शत्रुओं से लड़ाई करने को निकल जाएँ, और इस नगर की ओर जिसे तूने चुना है, और इस भवन की ओर जिसे मैंने तेरे नाम का बनाया है, मुँह किए हुए तुझ से प्रार्थना करें,
৩৪তুমি তোমার প্রজাদেরকে কোন পথে পাঠালে, যদি তারা তাদের শত্রুদের সঙ্গে যুদ্ধ করতে বের হয় এবং তোমার মনোনীত এই নগরের সামনে ও তোমার নামের জন্য আমার তৈরী করা গৃহের সামনে তোমার কাছে প্রার্থনা করে;
35 ३५ तब तू स्वर्ग में से उनकी प्रार्थना और गिड़गिड़ाहट सुनना, और उनका न्याय करना।
৩৫তবে তুমি স্বর্গ থেকে তাদের প্রার্থনা ও অনুরোধ শুনো এবং তাদের বিচার সম্পূর্ণ কোরো৷
36 ३६ “निष्पाप तो कोई मनुष्य नहीं है यदि वे भी तेरे विरुद्ध पाप करें और तू उन पर कोप करके उन्हें शत्रुओं के हाथ कर दे, और वे उन्हें बन्दी बनाकर किसी देश को, चाहे वह दूर हो, चाहे निकट, ले जाएँ,
৩৬তারা যদি তোমার বিরুদ্ধে পাপ করে, কারণ পাপ করে না, এমন কোনো মানুষ নেই এবং তুমি যদি তাদের প্রতি প্রচন্ড রেগে গিয়ে শত্রুর হাতে তাদেরকে সমর্পণ করো ও শত্রুরা তাদেরকে বন্দী করে দূরের কিংবা কাছের কোনো দেশে নিয়ে যাবে;
37 ३७ तो यदि वे बँधुआई के देश में सोच विचार करें, और फिरकर अपने बन्दी बनानेवालों के देश में तुझ से गिड़गिड़ाकर कहें, ‘हमने पाप किया, और कुटिलता और दुष्टता की है,’
৩৭তবুও যে দেশে তারা বন্দী হিসাবে নীত হয়েছে, সেই দেশে যদি মনে মনে বিবেচনা করে ও ফেরে, নিজেদের বন্দিত্বের দেশে তোমার কাছে অনুরোধ করে যদি বলে, আমরা পাপ করেছি; অপরাধ করেছি ও দুষ্টুমি করেছি
38 ३८ इसलिए यदि वे अपनी बँधुआई के देश में जहाँ वे उन्हें बन्दी बनाकर ले गए हों अपने पूरे मन और सारे जीव से तेरी ओर फिरें, और अपने इस देश की ओर जो तूने उनके पुरखाओं को दिया था, और इस नगर की ओर जिसे तूने चुना है, और इस भवन की ओर जिसे मैंने तेरे नाम का बनाया है, मुँह किए हुए तुझ से प्रार्थना करें,
৩৮এবং যে দেশে বন্দী হিসাবে নীত হয়েছি, সেই বন্দিত্বের দেশে যদি সমস্ত হৃদয় দিয়ে ও সমস্ত প্রাণের সঙ্গে তোমার কাছে ফিরে আসে এবং তুমি তাদের পূর্বপুরুষদেরকে যে দেশ দিয়েছ, আপনাদের সেই দেশের সামনে, তোমার মনোনীত নগরের সামনে ও তোমার নামের জন্য আমার তৈরী করা গৃহের সামনে যদি প্রার্থনা করে;
39 ३९ तो तू अपने स्वर्गीय निवास-स्थान में से उनकी प्रार्थना और गिड़गिड़ाहट सुनना, और उनका न्याय करना और जो पाप तेरी प्रजा के लोग तेरे विरुद्ध करें, उन्हें क्षमा करना।
৩৯তবে তুমি স্বর্গ থেকে, তোমার বাসজায়গা থেকে তাদের প্রার্থনা ও অনুরোধ শুনো এবং তাদের বিচার সম্পূর্ণ কোরো; আর তোমার যে প্রজারা তোমার বিরুদ্ধে পাপ করেছে, তাদের ক্ষমা কোরো৷
40 ४० और हे मेरे परमेश्वर! जो प्रार्थना इस स्थान में की जाए उसकी ओर अपनी आँखें खोले रह और अपने कान लगाए रख।
৪০এখন, হে আমার ঈশ্বর, অনুরোধ করি, এই জায়গায় যে প্রার্থনা হবে, তার প্রতি যেন তোমার দৃষ্টি ও কান খোলা থাকে৷
41 ४१ “अब हे यहोवा परमेश्वर, उठकर अपने सामर्थ्य के सन्दूक समेत अपने विश्रामस्थान में आ, हे यहोवा परमेश्वर तेरे याजक उद्धाररूपी वस्त्र पहने रहें, और तेरे भक्त लोग भलाई के कारण आनन्द करते रहें।
৪১হে সদাপ্রভু ঈশ্বর, এখন তুমি উঠে তোমার বিশ্রামের জায়গায় যাও; তুমি ও তোমার শক্তির সিন্দুক৷ হে সদাপ্রভু ঈশ্বর, তোমার যাজকরা পরিত্রানের পোশাক পড়ুক ও তোমার সাধুরা মঙ্গলের জন্য আনন্দ করুক৷
42 ४२ हे यहोवा परमेश्वर, अपने अभिषिक्त की प्रार्थना को अनसुनी न कर, तू अपने दास दाऊद पर की गई करुणा के काम स्मरण रख।”
৪২হে সদাপ্রভু ঈশ্বর, তুমি তোমার অভিষিক্তের মুখ ফিরিয়ে দিও না, তোমার দাস দায়ূদের প্রতি করা সমস্ত দয়া স্মরণ কর৷”

< 2 इतिहास 6 >