< 2 इतिहास 4 >

1 फिर उसने पीतल की एक वेदी बनाई, उसकी लम्बाई और चौड़ाई बीस-बीस हाथ की और ऊँचाई दस हाथ की थी।
Then he made an altar of bronze, twenty cubits long, twenty cubits wide, and ten cubits high.
2 फिर उसने ढला हुआ एक हौद बनवाया; जो एक किनारे से दूसरे किनारे तक दस हाथ तक चौड़ा था, उसका आकार गोल था, और उसकी ऊँचाई पाँच हाथ की थी, और उसके चारों ओर का घेर तीस हाथ के नाप का था।
Also he made the molten sea of ten cubits from brim to brim. It was round, five cubits high, and thirty cubits in circumference.
3 उसके नीचे, उसके चारों ओर, एक-एक हाथ में दस-दस बैलों की प्रतिमाएँ बनी थीं, जो हौद को घेरे थीं; जब वह ढाला गया, तब ये बैल भी दो पंक्तियों में ढाले गए।
Under it was the likeness of oxen, which encircled it, for ten cubits, encircling the sea. The oxen were in two rows, cast when it was cast.
4 वह बारह बने हुए बैलों पर रखा गया, जिनमें से तीन उत्तर, तीन पश्चिम, तीन दक्षिण और तीन पूर्व की ओर मुँह किए हुए थे; और इनके ऊपर हौद रखा था, और उन सभी के पिछले अंग भीतरी भाग में पड़ते थे।
It stood on twelve oxen, three looking toward the north, three looking toward the west, three looking toward the south, and three looking toward the east; and the sea was set on them above, and all their hindquarters were inward.
5 हौद के धातु की मोटाई मुट्ठी भर की थी, और उसका किनारा कटोरे के किनारे के समान, सोसन के फूलों के काम से बना था, और उसमें तीन हजार बत भरकर समाता था।
It was a handbreadth thick. Its brim was made like the brim of a cup, like the flower of a lily. It received and held three thousand baths.
6 फिर उसने धोने के लिये दस हौदी बनवाकर, पाँच दाहिनी और पाँच बाईं ओर रख दीं। उनमें होमबलि की वस्तुएँ धोई जाती थीं, परन्तु याजकों के धोने के लिये बड़ा हौद था।
He also made ten basins, and put five on the right hand and five on the left, to wash in them. The things that belonged to the burnt offering were washed in them, but the sea was for the priests to wash in.
7 फिर उसने सोने की दस दीवट विधि के अनुसार बनवाईं, और पाँच दाहिनी ओर और पाँच बाईं ओर मन्दिर में रखवा दीं।
He made the ten lamp stands of gold according to the ordinance concerning them; and he set them in the temple, five on the right hand and five on the left.
8 फिर उसने दस मेज बनवाकर पाँच दाहिनी ओर और पाँच बाईं ओर मन्दिर में रखवा दीं। और उसने सोने के एक सौ कटोरे बनवाए।
He made also ten tables, and placed them in the temple, five on the right side and five on the left. He made one hundred basins of gold.
9 फिर उसने याजकों के आँगन और बड़े आँगन को बनवाया, और इस आँगन में फाटक बनवाकर उनके किवाड़ों पर पीतल मढ़वाया।
Furthermore he made the court of the priests, the great court, and doors for the court, and overlaid their doors with bronze.
10 १० उसने हौद को भवन की दाहिनी ओर अर्थात् पूर्व और दक्षिण के कोने की ओर रखवा दिया।
He set the sea on the right side of the house eastward, toward the south.
11 ११ हूराम ने हण्डों, फावड़ियों, और कटोरों को बनाया। इस प्रकार हूराम ने राजा सुलैमान के लिये परमेश्वर के भवन में जो काम करना था उसे पूरा किया
Huram made the pots, the shovels, and the basins. So Huram finished doing the work that he did for King Solomon in God’s house:
12 १२ अर्थात् दो खम्भे और गोलों समेत वे कँगनियाँ जो खम्भों के सिरों पर थीं, और खम्भों के सिरों पर के गोलों को ढाँकने के लिए जालियों की दो-दो पंक्ति;
the two pillars, the bowls, the two capitals which were on the top of the pillars, the two networks to cover the two bowls of the capitals that were on the top of the pillars,
13 १३ और दोनों जालियों के लिये चार सौ अनार और जो गोले खम्भों के सिरों पर थे, उनको ढाँकनेवाली एक-एक जाली के लिये अनारों की दो-दो पंक्ति बनाईं।
and the four hundred pomegranates for the two networks—two rows of pomegranates for each network, to cover the two bowls of the capitals that were on the pillars.
14 १४ फिर उसने कुर्सियाँ और कुर्सियों पर की हौदियाँ,
He also made the bases, and he made the basins on the bases—
15 १५ और उनके नीचे के बारह बैल बनाए।
one sea, and the twelve oxen under it.
16 १६ फिर हूराम-अबी ने हण्डों, फावड़ियों, काँटों और इनके सब सामान को यहोवा के भवन के लिये राजा सुलैमान की आज्ञा से झलकाए हुए पीतल के बनवाए।
Huram-abi also made the pots, the shovels, the forks, and all its vessels for King Solomon, for the LORD’s house, of bright bronze.
17 १७ राजा ने उनको यरदन की तराई में अर्थात् सुक्कोत और सारतान के बीच की चिकनी मिट्टीवाली भूमि में ढलवाया।
The king cast them in the plain of the Jordan, in the clay ground between Succoth and Zeredah.
18 १८ सुलैमान ने ये सब पात्र बहुत मात्रा में बनवाए, यहाँ तक कि पीतल के तौल का हिसाब न था।
Thus Solomon made all these vessels in great abundance, so that the weight of the bronze could not be determined.
19 १९ अतः सुलैमान ने परमेश्वर के भवन के सब पात्र, सोने की वेदी, और वे मेज जिन पर भेंट की रोटी रखी जाती थीं,
Solomon made all the vessels that were in God’s house: the golden altar, the tables with the show bread on them,
20 २० फिर दीपकों समेत शुद्ध सोने की दीवटें, जो विधि के अनुसार भीतरी कोठरी के सामने जला करती थीं।
and the lamp stands with their lamps to burn according to the ordinance before the inner sanctuary, of pure gold;
21 २१ और सोने वरन् निरे सोने के फूल, दीपक और चिमटे;
and the flowers, the lamps, and the tongs of gold that was purest gold;
22 २२ और शुद्ध सोने की कैंचियाँ, कटोरे, धूपदान और करछे बनवाए। फिर भवन के द्वार और परमपवित्र स्थान के भीतरी दरवाजे और भवन अर्थात् मन्दिर के दरवाजे सोने के बने।
and the snuffers, the basins, the spoons, and the fire pans of pure gold. As for the entry of the house, its inner doors for the most holy place and the doors of the main hall of the temple were of gold.

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