< 2 इतिहास 35 >
1 १ योशिय्याह ने यरूशलेम में यहोवा के लिये फसह पर्व माना और पहले महीने के चौदहवें दिन को फसह का पशुबलि किया गया।
Und [2. Kön. 23,21] Josia feierte dem Jehova Passah zu Jerusalem; und man schlachtete das Passah am Vierzehnten des ersten Monats.
2 २ उसने याजकों को अपने-अपने काम में ठहराया, और यहोवा के भवन में सेवा करने को उनका हियाव बन्धाया।
Und er stellte die Priester in ihre Ämter und ermutigte sie zum Dienst des Hauses Jehovas.
3 ३ फिर लेवीय जो सब इस्राएलियों को सिखाते और यहोवा के लिये पवित्र ठहरे थे, उनसे उसने कहा, “तुम पवित्र सन्दूक को उस भवन में रखो जो दाऊद के पुत्र इस्राएल के राजा सुलैमान ने बनवाया था; अब तुम को कंधों पर बोझ उठाना न होगा। अब अपने परमेश्वर यहोवा की और उसकी प्रजा इस्राएल की सेवा करो।
Und er sprach zu den Leviten, welche ganz Israel unterwiesen, die Jehova geheiligt waren: Setzet die heilige Lade in das Haus, welches Salomo, der Sohn Davids, der König von Israel, gebaut hat; ihr habt sie nicht mehr auf der Schulter zu tragen. Dienet nunmehr Jehova, eurem Gott, und seinem Volke Israel;
4 ४ इस्राएल के राजा दाऊद और उसके पुत्र सुलैमान दोनों की लिखी हुई विधियों के अनुसार, अपने-अपने पितरों के अनुसार, अपने-अपने दल में तैयार रहो।
und bereitet euch nach euren Vaterhäusern, in euren Abteilungen, nach der Schrift Davids, des Königs von Israel, und nach der Schrift seines Sohnes Salomo;
5 ५ तुम्हारे भाई लोगों के पितरों के घरानों के भागों के अनुसार पवित्रस्थान में खड़े रहो, अर्थात् उनके एक भाग के लिये लेवियों के एक-एक पितर के घराने का एक भाग हो।
und stellet euch im Heiligtum auf nach den [O. für die] Klassen der Vaterhäuser eurer Brüder, der Kinder des Volkes, und zwar je eine Abteilung eines Vaterhauses der Leviten;
6 ६ फसह के पशुओं को बलि करो, और अपने-अपने को पवित्र करके अपने भाइयों के लिये तैयारी करो कि वे यहोवा के उस वचन के अनुसार कर सकें, जो उसने मूसा के द्वारा कहा था।”
und schlachtet das Passah, und heiliget euch und bereitet es für eure Brüder, daß ihr tuet nach dem Worte Jehovas durch Mose.
7 ७ फिर योशिय्याह ने सब लोगों को जो वहाँ उपस्थित थे, तीस हजार भेड़ों और बकरियों के बच्चे और तीन हजार बैल दिए थे; ये सब फसह के बलिदानों के लिये राजा की सम्पत्ति में से दिए गए थे।
Und Josia schenkte [S. die Anm. zu Kap. 30,24] den Kindern des Volkes an Kleinvieh: Lämmer und Ziegenböcklein, -alles zu den Passahopfern für alle, die sich vorfanden-30000 an der Zahl, und 3000 Rinder; das war von der Habe des Königs.
8 ८ उसके हाकिमों ने प्रजा के लोगों, याजकों और लेवियों को स्वेच्छाबलियों के लिये पशु दिए। और हिल्किय्याह, जकर्याह और यहीएल नामक परमेश्वर के भवन के प्रधानों ने याजकों को दो हजार छः सौ भेड़-बकरियाँ और तीन सौ बैल फसह के बलिदानों के लिए दिए।
Und seine Obersten schenkten [S. die Anm. zu Kap. 30,24] freiwillig für das Volk, für die Priester und für die Leviten. Hilkija und Sekarja und Jechiel, die Fürsten [O. Oberaufseher] des Hauses Gottes, gaben den Priestern zu den Passahopfern 2600 Stück Kleinvieh und 300 Rinder.
9 ९ कोनन्याह ने और शमायाह और नतनेल जो उसके भाई थे, और हशब्याह, यीएल और योजाबाद नामक लेवियों के प्रधानों ने लेवियों को पाँच हजार भेड़-बकरियाँ, और पाँच सौ बैल फसह के बलिदानों के लिये दिए।
Und Konanja, und Schemanja und Nethaneel, seine Brüder, und Haschabja und Jeghiel und Josabad, die Obersten der Leviten, schenkten [S. die Anm. zu Kap. 30,24] den Leviten zu den Passahopfern 5000 Stück Kleinvieh und 500 Rinder.
10 १० इस प्रकार उपासना की तैयारी हो गई, और राजा की आज्ञा के अनुसार याजक अपने-अपने स्थान पर, और लेवीय अपने-अपने दल में खड़े हुए।
Und der Dienst wurde eingerichtet; und die Priester standen an ihrer Stelle und die Leviten in ihren Abteilungen, nach dem Gebote des Königs.
11 ११ तब फसह के पशुबलि किए गए, और याजक बलि करनेवालों के हाथ से लहू को लेकर छिड़क देते और लेवीय उनकी खाल उतारते गए।
Und sie schlachteten das Passah; und die Priester sprengten das Blut aus ihrer Hand, und die Leviten zogen die Haut ab.
12 १२ तब उन्होंने होमबलि के पशु इसलिए अलग किए कि उन्हें लोगों के पितरों के घरानों के भागों के अनुसार दें, कि वे उन्हें यहोवा के लिये चढ़वा दें जैसा कि मूसा की पुस्तक में लिखा है; और बैलों को भी उन्होंने वैसा ही किया।
Und sie taten die Brandopfer beiseite, um sie den Klassen der Vaterhäuser der Kinder des Volkes zu geben, um sie Jehova darzubringen, wie im Buche Moses geschrieben steht; und ebenso taten sie mit den Rindern.
13 १३ तब उन्होंने फसह के पशुओं का माँस विधि के अनुसार आग में भूना, और पवित्र वस्तुएँ, हाँड़ियों और हण्डों और थालियों में सिझा कर फुर्ती से लोगों को पहुँचा दिया।
Und sie brieten das Passah am Feuer nach der Vorschrift; und die geheiligten Dinge kochten sie in Töpfen und in Kesseln und in Schüsseln, und verteilten sie eilends an alle Kinder des Volkes.
14 १४ तब उन्होंने अपने लिये और याजकों के लिये तैयारी की, क्योंकि हारून की सन्तान के याजक होमबलि के पशु और चर्बी रात तक चढ़ाते रहे, इस कारण लेवियों ने अपने लिये और हारून की सन्तान के याजकों के लिये तैयारी की।
Und danach bereiteten sie für sich und für die Priester; denn die Priester, die Söhne Aarons, waren mit dem Opfern der Brandopfer und der Fettstücke bis zur Nacht beschäftigt; und so bereiteten die Leviten für sich und für die Priester, die Söhne Aarons.
15 १५ आसाप के वंश के गवैये, दाऊद, आसाप, हेमान और राजा के दर्शी यदूतून की आज्ञा के अनुसार अपने-अपने स्थान पर रहे, और द्वारपाल एक-एक फाटक पर रहे। उन्हें अपना-अपना काम छोड़ना न पड़ा, क्योंकि उनके भाई लेवियों ने उनके लिये तैयारी की।
Und die Sänger, die Söhne Asaphs, waren an ihrer Stelle, nach dem Gebote Davids und Asaphs und Hemans und Jeduthuns, des Sehers des Königs; und die Torhüter waren an jedem Tore: sie hatten nicht nötig, von ihrem Dienste zu weichen, weil ihre Brüder, die Leviten, für sie bereiteten.
16 १६ अतः उसी दिन राजा योशिय्याह की आज्ञा के अनुसार फसह मनाने और यहोवा की वेदी पर होमबलि चढ़ाने के लिये यहोवा की सारी उपासना की तैयारी की गई।
Und so wurde der ganze Dienst Jehovas an jenem Tage eingerichtet, um das Passah zu feiern und die Brandopfer auf dem Altar Jehovas zu opfern, nach dem Gebote des Königs Josia.
17 १७ जो इस्राएली वहाँ उपस्थित थे उन्होंने फसह को उसी समय और अख़मीरी रोटी के पर्व को सात दिन तक माना।
Und die Kinder Israel, die sich vorfanden, feierten das Passah zu selbiger Zeit, und das Fest der ungesäuerten Brote sieben Tage lang.
18 १८ इस फसह के बराबर शमूएल नबी के दिनों से इस्राएल में कोई फसह मनाया न गया था, और न इस्राएल के किसी राजा ने ऐसा मनाया, जैसा योशिय्याह और याजकों, लेवियों और जितने यहूदी और इस्राएली उपस्थित थे, उन्होंने और यरूशलेम के निवासियों ने मनाया।
Und es war kein solches Passah in Israel gefeiert worden wie dieses, seit den Tagen Samuels, des Propheten; und alle Könige von Israel hatten kein Passah gefeiert wie dasjenige, welches Josia feierte und die Priester und die Leviten und ganz Juda und Israel, das sich vorfand, und die Bewohner von Jerusalem.
19 १९ यह फसह योशिय्याह के राज्य के अठारहवें वर्ष में मनाया गया।
Im achtzehnten Jahre der Regierung Josias ist dieses Passah gefeiert worden.
20 २० इसके बाद जब योशिय्याह भवन को तैयार कर चुका, तब मिस्र के राजा नको ने फरात के पास के कर्कमीश नगर से लड़ने को चढ़ाई की, और योशिय्याह उसका सामना करने को गया।
Nach allem diesem, als Josia das Haus eingerichtet hatte, zog Neko, der König von Ägypten, hinauf, um wider [O. zu] Karchemis am Phrat zu streiten; und Josia zog aus, ihm entgegen.
21 २१ परन्तु उसने उसके पास दूतों से कहला भेजा, “हे यहूदा के राजा मेरा तुझ से क्या काम! आज मैं तुझ पर नहीं उसी कुल पर चढ़ाई कर रहा हूँ, जिसके साथ मैं युद्ध करता हूँ; फिर परमेश्वर ने मुझसे फुर्ती करने को कहा है। इसलिए परमेश्वर जो मेरे संग है, उससे अलग रह, कहीं ऐसा न हो कि वह तुझे नाश करे।”
Da sandte er Boten zu ihm und ließ ihm sagen: Was haben wir miteinander zu schaffen, König von Juda? Nicht wider dich komme ich heute, sondern wider das Haus, mit dem ich Krieg führe; und Gott hat gesagt, daß ich eilen sollte. Stehe ab von Gott, der mit mir ist, daß er dich nicht verderbe!
22 २२ परन्तु योशिय्याह ने उससे मुँह न मोड़ा, वरन् उससे लड़ने के लिये भेष बदला, और नको के उन वचनों को न माना जो उसने परमेश्वर की ओर से कहे थे, और मगिद्दो की तराई में उससे युद्ध करने को गया।
Aber Josia wandte sein Angesicht nicht von ihm ab, sondern verkleidete sich, um wider ihn zu streiten; und er hörte nicht auf die Worte Nekos, die aus dem Munde Gottes kamen. Und er kam in das Tal [Eig. die Talebene, Niederung] Megiddo, um zu streiten.
23 २३ तब धनुर्धारियों ने राजा योशिय्याह की ओर तीर छोड़े; और राजा ने अपने सेवकों से कहा, “मैं बहुत घायल हो गया हूँ, इसलिए मुझे यहाँ से ले चलो।”
Und die Schützen schossen auf den König Josia. Da sprach der König zu seinen Knechten: Bringet mich hinweg, denn ich bin schwer verwundet!
24 २४ तब उसके सेवकों ने उसको रथ पर से उतारकर उसके दूसरे रथ पर चढ़ाया, और यरूशलेम ले गये। वहाँ वह मर गया और उसके पुरखाओं के कब्रिस्तान में उसको मिट्टी दी गई। यहूदियों और यरूशलेमियों ने योशिय्याह के लिए विलाप किया।
Und seine Knechte brachten ihn von dem Wagen hinweg und setzten ihn auf den zweiten Wagen, den er hatte, und führten ihn nach Jerusalem. Und er starb und wurde in den Gräbern seiner Väter begraben; und ganz Juda und Jerusalem trauerten um Josia.
25 २५ यिर्मयाह ने योशिय्याह के लिये विलाप का गीत बनाया और सब गानेवाले और गानेवालियाँ अपने विलाप के गीतों में योशिय्याह की चर्चा आज तक करती हैं। इनका गाना इस्राएल में एक विधि के तुल्य ठहराया गया और ये बातें विलापगीतों में लिखी हुई हैं।
Und Jeremia stimmte ein Klagelied über Josia an. Und alle Sänger und Sängerinnen haben in ihren Klageliedern von Josia geredet bis auf den heutigen Tag; und man machte sie zu einem Gebrauch in Israel. Und siehe, sie sind geschrieben in den Klageliedern.
26 २६ योशिय्याह के और काम और भक्ति के जो काम उसने उसी के अनुसार किए जो यहोवा की व्यवस्था में लिखा हुआ है।
Und das Übrige der Geschichte Josias und seine guten [Eig. frommen] Taten, nach dem, was im Gesetz Jehovas geschrieben steht,
27 २७ आदि से अन्त तक उसके सब काम इस्राएल और यहूदा के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में लिखे हुए हैं।
und seine Geschichte, die erste und die letzte, siehe, sie ist geschrieben in dem Buche der Könige von Israel und Juda.