< 2 इतिहास 17 >

1 उसका पुत्र यहोशापात उसके स्थान पर राज्य करने लगा, और इस्राएल के विरुद्ध अपना बल बढ़ाया।
וַיִּמְלֹ֛ךְ יְהוֹשָׁפָ֥ט בְּנ֖וֹ תַּחְתָּ֑יו וַיִּתְחַזֵּ֖ק עַל־יִשְׂרָאֵֽל ׃
2 उसने यहूदा के सब गढ़वाले नगरों में सिपाहियों के दल ठहरा दिए, और यहूदा के देश में और एप्रैम के उन नगरों में भी जो उसके पिता आसा ने ले लिये थे, सिपाहियों की चौकियाँ बैठा दीं।
וַיִּ֨תֶּן־חַ֔יִל בְּכָל־עָרֵ֥י יְהוּדָ֖ה הַבְּצֻר֑וֹת וַיִּתֵּ֤ן נְצִיבִים֙ בְּאֶ֣רֶץ יְהוּדָ֔ה וּבְעָרֵ֣י אֶפְרַ֔יִם אֲשֶׁ֥ר לָכַ֖ד אָסָ֥א אָבִֽיו׃
3 यहोवा यहोशापात के संग रहा, क्योंकि उसने अपने मूलपुरुष दाऊद की प्राचीन चाल का अनुसरण किया और बाल देवताओं की खोज में न लगा।
וַיְהִ֥י יְהוָ֖ה עִם־יְהוֹשָׁפָ֑ט כִּ֣י הָלַ֗ךְ בְּדַרְכֵ֞י דָּוִ֤יד אָבִיו֙ הָרִ֣אשֹׁנִ֔ים וְלֹ֥א דָרַ֖שׁ לַבְּעָלִֽים׃
4 वरन् वह अपने पिता के परमेश्वर की खोज में लगा रहता था और उसी की आज्ञाओं पर चलता था, और इस्राएल के से काम नहीं करता था।
כִּ֠י לֵֽאלֹהֵ֤י אָבִיו֙ דָּרָ֔שׁ וּבְמִצְוֺתָ֖יו הָלָ֑ךְ וְלֹ֖א כְּמַעֲשֵׂ֥ה יִשְׂרָאֵֽל׃
5 इस कारण यहोवा ने राज्य को उसके हाथ में दृढ़ किया, और सारे यहूदी उसके पास भेंट लाया करते थे, और उसके पास बहुत धन हो गया और उसका वैभव बढ़ गया।
וַיָּ֨כֶן יְהוָ֤ה אֶת־הַמַּמְלָכָה֙ בְּיָד֔וֹ וַיִּתְּנ֧וּ כָל־יְהוּדָ֛ה מִנְחָ֖ה לִיהוֹשָׁפָ֑ט וַֽיְהִי־ל֥וֹ עֹֽשֶׁר־וְכָב֖וֹד לָרֹֽב׃
6 यहोवा के मार्गों पर चलते-चलते उसका मन मगन हो गया; फिर उसने यहूदा से ऊँचे स्थान और अशेरा नामक मूरतें दूर कर दीं।
וַיִּגְבַּ֥הּ לִבּ֖וֹ בְּדַרְכֵ֣י יְהוָ֑ה וְע֗וֹד הֵסִ֛יר אֶת־הַבָּמ֥וֹת וְאֶת־הָאֲשֵׁרִ֖ים מִיהוּדָֽה׃ פ
7 उसने अपने राज्य के तीसरे वर्ष में बेन्हैल, ओबद्याह, जकर्याह, नतनेल और मीकायाह नामक अपने हाकिमों को यहूदा के नगरों में शिक्षा देने को भेज दिया।
וּבִשְׁנַ֨ת שָׁל֜וֹשׁ לְמָלְכ֗וֹ שָׁלַ֤ח לְשָׂרָיו֙ לְבֶן־חַ֙יִל֙ וּלְעֹבַדְיָ֣ה וְלִזְכַרְיָ֔ה וְלִנְתַנְאֵ֖ל וּלְמִיכָיָ֑הוּ לְלַמֵּ֖ד בְּעָרֵ֥י יְהוּדָֽה׃
8 उनके साथ शमायाह, नतन्याह, जबद्याह, असाहेल, शमीरामोत, यहोनातान, अदोनिय्याह, तोबियाह और तोबदोनिय्याह, नामक लेवीय और उनके संग एलीशामा और यहोराम नामक याजक थे।
וְעִמָּהֶ֣ם הַלְוִיִּ֗ם שְֽׁמַֽעְיָ֡הוּ וּנְתַנְיָ֡הוּ וּזְבַדְיָ֡הוּ וַעֲשָׂהאֵ֡ל ושמרימות וִֽיהוֹנָתָן֩ וַאֲדֹ֨נִיָּ֧הוּ וְטֽוֹבִיָּ֛הוּ וְט֥וֹב אֲדוֹנִיָּ֖ה הַלְוִיִּ֑ם וְעִמָּהֶ֛ם אֱלִישָׁמָ֥ע וִֽיהוֹרָ֖ם הַכֹּהֲנִֽים׃
9 अतः उन्होंने यहोवा की व्यवस्था की पुस्तक अपने साथ लिये हुए यहूदा में शिक्षा दी, वरन् वे यहूदा के सब नगरों में प्रजा को सिखाते हुए घूमे।
וַֽיְלַמְּדוּ֙ בִּֽיהוּדָ֔ה וְעִ֨מָּהֶ֔ם סֵ֖פֶר תּוֹרַ֣ת יְהוָ֑ה וַיָּסֹ֙בּוּ֙ בְּכָל־עָרֵ֣י יְהוּדָ֔ה וַֽיְלַמְּד֖וּ בָּעָֽם׃
10 १० यहूदा के आस-पास के देशों के राज्य-राज्य में यहोवा का ऐसा डर समा गया, कि उन्होंने यहोशापात से युद्ध न किया।
וַיְהִ֣י ׀ פַּ֣חַד יְהוָ֗ה עַ֚ל כָּל־מַמְלְכ֣וֹת הָֽאֲרָצ֔וֹת אֲשֶׁ֖ר סְבִיב֣וֹת יְהוּדָ֑ה וְלֹ֥א נִלְחֲמ֖וּ עִם־יְהוֹשָׁפָֽט׃
11 ११ कुछ पलिश्ती यहोशापात के पास भेंट और कर समझकर चाँदी लाए; और अरब के लोग भी सात हजार सात सौ मेढ़े और सात हजार सात सौ बकरे ले आए।
וּמִן־פְּלִשְׁתִּ֗ים מְבִיאִ֧ים לִֽיהוֹשָׁפָ֛ט מִנְחָ֖ה וְכֶ֣סֶף מַשָּׂ֑א גַּ֣ם הָֽעַרְבִיאִ֗ים מְבִיאִ֥ים לוֹ֙ צֹ֕אן אֵילִ֔ים שִׁבְעַ֤ת אֲלָפִים֙ וּשְׁבַ֣ע מֵא֔וֹת וּתְיָשִׁ֕ים שִׁבְעַ֥ת אֲלָפִ֖ים וּשְׁבַ֥ע מֵאֽוֹת׃ פ
12 १२ यहोशापात बहुत ही बढ़ता गया और उसने यहूदा में किले और भण्डार के नगर तैयार किए।
וַיְהִ֧י יְהוֹשָׁפָ֛ט הֹלֵ֥ךְ וְגָדֵ֖ל עַד־לְמָ֑עְלָה וַיִּ֧בֶן בִּֽיהוּדָ֛ה בִּירָנִיּ֖וֹת וְעָרֵ֥י מִסְכְּנֽוֹת׃
13 १३ और यहूदा के नगरों में उसका बहुत काम होता था, और यरूशलेम में उसके योद्धा अर्थात् शूरवीर रहते थे।
וּמְלָאכָ֥ה רַבָּ֛ה הָ֥יָה ל֖וֹ בְּעָרֵ֣י יְהוּדָ֑ה וְאַנְשֵׁ֧י מִלְחָמָ֛ה גִּבּ֥וֹרֵי חַ֖יִל בִּירוּשָׁלִָֽם׃
14 १४ इनके पितरों के घरानों के अनुसार इनकी यह गिनती थी, अर्थात् यहूदी सहस्त्रपति तो ये थे, प्रधान अदनह जिसके साथ तीन लाख शूरवीर थे,
וְאֵ֥לֶּה פְקֻדָּתָ֖ם לְבֵ֣ית אֲבוֹתֵיהֶ֑ם לִֽיהוּדָה֙ שָׂרֵ֣י אֲלָפִ֔ים עַדְנָ֣ה הַשָּׂ֔ר וְעִמּוֹ֙ גִּבּ֣וֹרֵי חַ֔יִל שְׁלֹ֥שׁ מֵא֖וֹת אָֽלֶף׃ ס
15 १५ और उसके बाद प्रधान यहोहानान, जिसके साथ दो लाख अस्सी हजार पुरुष थे।
וְעַל־יָד֖וֹ יְהוֹחָנָ֣ן הַשָּׂ֑ר וְעִמּ֕וֹ מָאתַ֥יִם וּשְׁמוֹנִ֖ים אָֽלֶף׃ ס
16 १६ और इसके बाद जिक्री का पुत्र अमस्याह, जिसने अपने को अपनी ही इच्छा से यहोवा को अर्पण किया था, उसके साथ दो लाख शूरवीर थे।
וְעַל־יָדוֹ֙ עֲמַסְיָ֣ה בֶן־זִכְרִ֔י הַמִּתְנַדֵּ֖ב לַיהוָ֑ה וְעִמּ֛וֹ מָאתַ֥יִם אֶ֖לֶף גִּבּ֥וֹר חָֽיִל׃ ס
17 १७ फिर बिन्यामीन में से एल्यादा नामक एक शूरवीर, जिसके साथ ढाल रखनेवाले दो लाख धनुर्धारी थे।
וּמִ֨ן־בִּנְיָמִ֔ן גִּבּ֥וֹר חַ֖יִל אֶלְיָדָ֑ע וְעִמּ֛וֹ נֹֽשְׁקֵי־קֶ֥שֶׁת וּמָגֵ֖ן מָאתַ֥יִם אָֽלֶף׃ ס
18 १८ और उसके नीचे यहोजाबाद, जिसके साथ युद्ध के हथियार बाँधे हुए एक लाख अस्सी हजार पुरुष थे।
וְעַל־יָד֖וֹ יְהוֹזָבָ֑ד וְעִמּ֛וֹ מֵאָֽה־וּשְׁמוֹנִ֥ים אֶ֖לֶף חֲלוּצֵ֥י צָבָֽא׃ ס
19 १९ ये वे हैं, जो राजा की सेवा में लौलीन थे। ये उनसे अलग थे जिन्हें राजा ने सारे यहूदा के गढ़वाले नगरों में ठहरा दिया।
אֵ֖לֶּה הַמְשָׁרְתִ֣ים אֶת־הַמֶּ֑לֶךְ מִלְּבַ֞ד אֲשֶׁר־נָתַ֥ן הַמֶּ֛לֶךְ בְּעָרֵ֥י הַמִּבְצָ֖ר בְּכָל־יְהוּדָֽה׃ פ

< 2 इतिहास 17 >