< 1 शमूएल 25 >
1 १ शमूएल की मृत्यु हो गई; और समस्त इस्राएलियों ने इकट्ठे होकर उसके लिये छाती पीटी, और उसके घर ही में जो रामाह में था उसको मिट्टी दी। तब दाऊद उठकर पारान जंगल को चला गया।
Und Samuel starb, und ganz Israel kam zusammen und klagte um ihn, und sie begruben ihn in seinem Hause zu Ramah. Und David machte sich auf und ging hinab in die Wüste Paran.
2 २ माओन में एक पुरुष रहता था जिसका व्यापार कर्मेल में था। और वह पुरुष बहुत धनी था, और उसकी तीन हजार भेड़ें, और एक हजार बकरियाँ थीं; और वह अपनी भेड़ों का ऊन कतर रहा था।
Und es war in Maon ein Mann, der hatte sein Tun in Karmel, und der Mann war sehr groß, und er hatte dreitausend Schafe und tausend Ziegen und war bei der Schur seiner Schafe in Karmel.
3 ३ उस पुरुष का नाम नाबाल, और उसकी पत्नी का नाम अबीगैल था। स्त्री तो बुद्धिमान और रूपवती थी, परन्तु पुरुष कठोर, और बुरे-बुरे काम करनेवाला था; वह कालेबवंशी था।
Und der Name des Mannes war Nabal und seines Weibes Name war Abigail. Und das Weib war gut, klug und schön von Gestalt; der Mann aber war hart und handelte böse, und er war ein Kalebiter.
4 ४ जब दाऊद ने जंगल में समाचार पाया, कि नाबाल अपनी भेड़ों का ऊन कतर रहा है;
Und David hörte in der Wüste, daß Nabal seine Schafe schor.
5 ५ तब दाऊद ने दस जवानों को वहाँ भेज दिया, और दाऊद ने उन जवानों से कहा, “कर्मेल में नाबाल के पास जाकर मेरी ओर से उसका कुशल क्षेम पूछो।
Und David sandte zehn Jungen und David sprach zu den Jungen: Gehet hinauf gen Karmel und geht zu Nabal und fragt ihn in meinem Namen um sein Wohlsein.
6 ६ और उससे यह कहो, ‘तू चिरंजीव रहे, तेरा कल्याण हो, और तेरा घराना कल्याण से रहे, और जो कुछ तेरा है वह कल्याण से रहे।
Und sprechet so: Für dein Leben sei Friede mit dir und Friede mit deinem Hause und Friede mit allem, was dein ist!
7 ७ मैंने सुना है, कि जो तू ऊन कतर रहा है; तेरे चरवाहे हम लोगों के पास रहे, और न तो हमने उनकी कुछ हानि की, और न उनका कुछ खोया गया।
Und nun höre ich, daß sie dir scheren. Nun waren deine Hirten mit uns, wir haben sie nicht zuschanden gemacht, auch wurde nichts von ihnen vermißt alle Tage, die sie in Karmel waren.
8 ८ अपने जवानों से यह बात पूछ ले, और वे तुझको बताएँगे। अतः इन जवानों पर तेरे अनुग्रह की दृष्टि हो; हम तो आनन्द के समय में आए हैं, इसलिए जो कुछ तेरे हाथ लगे वह अपने दासों और अपने बेटे दाऊद को दे।’”
Frage deine Jungen und sie werden es dir ansagen. Es mögen denn die Jungen Gnade finden in deinen Augen, da wir an einem guten Tage gekommen sind; gib doch, was deine Hand findet, deinen Knechten und deinem Sohn David.
9 ९ दाऊद के जवान जाकर ऐसी बातें उसके नाम से नाबाल को सुनाकर चुप रहे।
Und es kamen die Jungen Davids und redeten zu Nabal nach allen diesen Worten im Namen Davids und hielten inne.
10 १० नाबाल ने दाऊद के जनों को उत्तर देकर उनसे कहा, “दाऊद कौन है? यिशै का पुत्र कौन है? आजकल बहुत से दास अपने-अपने स्वामी के पास से भाग जाते हैं।
Und Nabal antwortete den Knechten Davids und sprach: Wer ist David, und wer ist der Sohn Ischais? Viele Knechte laufen heutzutage weg, jeder Mann von seinem Herrn.
11 ११ क्या मैं अपनी रोटी-पानी और जो पशु मैंने अपने कतरनेवालों के लिये मारे हैं लेकर ऐसे लोगों को दे दूँ, जिनको मैं नहीं जानता कि कहाँ के हैं?”
Und soll ich mein Brot und mein Wasser und das Schlachtvieh, das ich für meine Scherer geschlachtet habe, nehmen und es Männern geben, von denen ich nicht weiß, woher sie sind?
12 १२ तब दाऊद के जवानों ने लौटकर अपना मार्ग लिया, और लौटकर उसको ये सब बातें ज्यों की त्यों सुना दीं।
Und die Jungen Davids kehrten um auf ihrem Weg, und sie kehrten zurück und kamen und sagten ihm an nach allen diesen Worten.
13 १३ तब दाऊद ने अपने जनों से कहा, “अपनी-अपनी तलवार बाँध लो।” तब उन्होंने अपनी-अपनी तलवार बाँध ली; और दाऊद ने भी अपनी तलवार बाँध ली; और कोई चार सौ पुरुष दाऊद के पीछे-पीछे चले, और दो सौ सामान के पास रह गए।
Und David sprach zu seinen Männern: Jeder Mann gürte sich sein Schwert um. Und jeder Mann gürtete sich sein Schwert um, und auch David gürtete sein Schwert um, und sie zogen hinauf hinter David her, bei vierhundert Mann, und zweihundert blieben zurück beim Gerät.
14 १४ परन्तु एक सेवक ने नाबाल की पत्नी अबीगैल को बताया, “दाऊद ने जंगल से हमारे स्वामी को आशीर्वाद देने के लिये दूत भेजे थे; और उसने उन्हें ललकार दिया।
Und der Abigail, Nabals Weibe, sagte dies ein Junge von den Jungen an und sprach: Siehe, David hat Boten gesandt aus der Wüste, um unseren Herrn zu segnen; er ist aber über sie hergefallen.
15 १५ परन्तु वे मनुष्य हम से बहुत अच्छा बर्ताव रखते थे, और जब तक हम मैदान में रहते हुए उनके पास आया-जाया करते थे, तब तक न तो हमारी कुछ हानि हुई, और न हमारा कुछ खोया;
Die Männer aber waren sehr gut gegen uns, und wir wurden nicht zuschanden gemacht und vermißten nichts alle Tage, die wir mit ihnen gezogen, da wir auf dem Felde waren.
16 १६ जब तक हम उनके साथ भेड़-बकरियाँ चराते रहे, तब तक वे रात दिन हमारी आड़ बने रहे।
Eine Mauer waren sie für uns, sowohl bei Nacht als bei Tag, alle Tage, die wir mit ihnen waren, um das Kleinvieh zu weiden.
17 १७ इसलिए अब सोच विचार कर कि क्या करना चाहिए; क्योंकि उन्होंने हमारे स्वामी की और उसके समस्त घराने की हानि करना ठान लिया होगा, वह तो ऐसा दुष्ट है कि उससे कोई बोल भी नहीं सकता।”
Und nun wisse und siehe, was du tust, denn Böses ist über unseren Herrn und über sein ganzes Haus beschlossen. Er aber ist ein Belialssohn, so daß man nicht mit ihm reden kann.
18 १८ तब अबीगैल ने फुर्ती से दो सौ रोटी, और दो कुप्पी दाखमधु, और पाँच भेड़ों का माँस, और पाँच सआ भूना हुआ अनाज, और एक सौ गुच्छे किशमिश, और अंजीरों की दो सौ टिकियाँ लेकर गदहों पर लदवाई।
Und Abigail eilte und nahm zweihundert Brote und zwei Schläuche Wein und fünf zubereitete Schafe und fünf Seah geröstetes Korn und hundert Traubenkuchen und zweihundert Feigenkuchen und legte sie auf die Esel.
19 १९ और उसने अपने जवानों से कहा, “तुम मेरे आगे-आगे चलो, मैं तुम्हारे पीछे-पीछे आती हूँ;” परन्तु उसने अपने पति नाबाल से कुछ न कहा।
Und sprach zu ihren Jungen: Geht vor mir her, sehet, ich komme hinter euch, ihrem Manne Nabal aber sagte sie es nicht an.
20 २० वह गदहे पर चढ़ी हुई पहाड़ की आड़ में उतरी जाती थी, और दाऊद अपने जनों समेत उसके सामने उतरा आता था; और वह उनको मिली।
Und es geschah, wie sie auf dem Esel ritt und vom Berge verborgen herabkam, siehe, da kamen David und seine Männer herab, ihr entgegen, und sie traf auf sie.
21 २१ दाऊद ने तो सोचा था, “मैंने जो जंगल में उसके सब माल की ऐसी रक्षा की कि उसका कुछ भी न खोया, यह निःसन्देह व्यर्थ हुआ; क्योंकि उसने भलाई के बदले मुझसे बुराई ही की है।
David aber hatte gesagt: Umsonst also habe ich gehütet in der Wüste alles, was diesem gehört, daß von all dem Seinen nichts vermißt worden ist, und er gibt mir Böses für Gutes zurück.
22 २२ यदि सवेरे को उजियाला होने तक उस जन के समस्त लोगों में से एक लड़के को भी मैं जीवित छोड़ूं, तो परमेश्वर मेरे सब शत्रुओं से ऐसा ही, वरन् इससे भी अधिक करे।”
So tue Gott den Feinden Davids und so fahre Er fort, wenn ich von allem, das er hat, bis zum Licht des Morgens einen verbleiben lasse, der die Wand anpißt.
23 २३ दाऊद को देख अबीगैल फुर्ती करके गदहे पर से उतर पड़ी, और दाऊद के सम्मुख मुँह के बल भूमि पर गिरकर दण्डवत् की।
Und Abigail sah David und ließ sich eilig herab vom Esel, und fiel vor Davids Antlitz auf ihr Angesicht und beugte sich nieder zur Erde.
24 २४ फिर वह उसके पाँव पर गिरकर कहने लगी, “हे मेरे प्रभु, यह अपराध मेरे ही सिर पर हो; तेरी दासी तुझ से कुछ कहना चाहती है, और तू अपनी दासी की बातों को सुन ले।
Und sie fiel ihm zu Füßen und sprach: Auf mir, mein Herr, sei die Missetat, und laß doch reden deine Magd in deine Ohren, und höre an die Worte deiner Magd.
25 २५ मेरा प्रभु उस दुष्ट नाबाल पर चित्त न लगाए; क्योंकि जैसा उसका नाम है वैसा ही वह आप है; उसका नाम तो नाबाल है, और सचमुच उसमें मूर्खता पाई जाती है; परन्तु मुझ तेरी दासी ने अपने प्रभु के जवानों को जिन्हें तूने भेजा था न देखा था।
Mein Herr nehme es sich doch nicht zu Herzen wegen diesem Belialsmanne, dem Nabal; denn wie sein Name, so ist er; ein Tor ist sein Name und Torheit ist bei ihm; aber ich, deine Magd, habe die Jungen meines Herrn, die du gesandt hast, nicht gesehen.
26 २६ और अब, हे मेरे प्रभु, यहोवा के जीवन की शपथ और तेरे जीवन की शपथ, कि यहोवा ने जो तुझे खून से और अपने हाथ के द्वारा अपना बदला लेने से रोक रखा है, इसलिए अब तेरे शत्रु और मेरे प्रभु की हानि के चाहनेवाले नाबाल ही के समान ठहरें।
Nun aber, mein Herr, beim Leben Jehovahs und beim Leben deiner Seele, Jehovah hat dich abgehalten, daß du nicht auf Blut kommst und deine Hand dir geholfen habe. Und nunmehr mögen wie Nabal sein deine Feinde und die wider meinen Herrn Böses sinnen.
27 २७ और अब यह भेंट जो तेरी दासी अपने प्रभु के पास लाई है, उन जवानों को दी जाए जो मेरे प्रभु के साथ चलते हैं।
Und nun laß diesen Segen, den deine Dienstmagd meinem Herrn gebracht, den Jungen geben, die zu den Füßen meines Herrn einherwandeln.
28 २८ अपनी दासी का अपराध क्षमा कर; क्योंकि यहोवा निश्चय मेरे प्रभु का घर बसाएगा और स्थिर करेगा, इसलिए कि मेरा प्रभु यहोवा की ओर से लड़ता है; और जन्म भर तुझ में कोई बुराई नहीं पाई जाएगी।
Verzeihe nun die Übertretung deiner Magd; denn Jehovah wird meinem Herrn ein festes Haus machen, weil mein Herr die Streite Jehovahs streitet und nichts Böses werde in dir gefunden in deinen Tagen.
29 २९ और यद्यपि एक मनुष्य तेरा पीछा करने और तेरे प्राण का ग्राहक होने को उठा है, तो भी मेरे प्रभु का प्राण तेरे परमेश्वर यहोवा की जीवनरूपी गठरी में बँधा रहेगा, और तेरे शत्रुओं के प्राणों को वह मानो गोफन में रखकर फेंक देगा।
Und macht sich ein Mensch auf, dir nachzusetzen und dir nach der Seele zu trachten, so sei die Seele meines Herrn in das Bündel der Lebendigen bei Jehovah, deinem Gotte, eingebunden, und die Seele deiner Feinde schleudere er weg mitten aus der Schleuderpfanne.
30 ३० इसलिए जब यहोवा मेरे प्रभु के लिये यह समस्त भलाई करेगा जो उसने तेरे विषय में कही है, और तुझे इस्राएल पर प्रधान करके ठहराएगा,
Und es wird geschehen, wenn Jehovah meinem Herrn tun wird nach allem Guten, das er über dich geredet hat, und dich zum Führer über Israel entbietet,
31 ३१ तब तुझे इस कारण पछताना न होगा, या मेरे प्रभु का हृदय पीड़ित न होगा कि तूने अकारण खून किया, और मेरे प्रभु ने अपना बदला आप लिया है। फिर जब यहोवा मेरे प्रभु से भलाई करे तब अपनी दासी को स्मरण करना।”
So wird dir dies nicht zum Anstoß und meinem Herrn nicht zum Straucheln des Herzens sein, daß er Blut vergossen umsonst, und daß mein Herr sich selbst geholfen. So wird Jehovah meinem Herrn wohltun, und du wirst deiner Magd gedenken.
32 ३२ दाऊद ने अबीगैल से कहा, “इस्राएल का परमेश्वर यहोवा धन्य है, जिसने आज के दिन मुझसे भेंट करने के लिये तुझे भेजा है।
Und David sprach zu Abigail: Gesegnet sei Jehovah, der Gott Israels, Der dich an diesem Tage mir entgegengesendet hat.
33 ३३ और तेरा विवेक धन्य है, और तू आप भी धन्य है, कि तूने मुझे आज के दिन खून करने और अपना बदला आप लेने से रोक लिया है।
Und gesegnet sei deine Verständigkeit und gesegnet du, daß du mir an diesem Tage gewehrt hast, mit Blut zu kommen und mir mit eigener Hand zu helfen.
34 ३४ क्योंकि सचमुच इस्राएल का परमेश्वर यहोवा, जिसने मुझे तेरी हानि करने से रोका है, उसके जीवन की शपथ, यदि तू फुर्ती करके मुझसे भेंट करने को न आती, तो निःसन्देह सवेरे को उजियाला होने तक नाबाल का कोई लड़का भी न बचता।”
Denn wahrlich, beim Leben Jehovahs des Gottes Israels, Der mich abgehalten, dir Böses zu tun, wärest du nicht ein Eile mir entgegengekommen, dem Nabal wäre bis zum Licht des Morgens nicht einer übergeblieben, der die Wand anpißt.
35 ३५ तब दाऊद ने उसे ग्रहण किया जो वह उसके लिये लाई थी; फिर उससे उसने कहा, “अपने घर कुशल से जा; सुन, मैंने तेरी बात मानी है और तेरी विनती ग्रहण कर ली है।”
Und David nahm von ihrer Hand, was sie ihm brachte und sprach zu ihr: Zieh hinauf in Frieden in dein Haus! Siehe, ich habe auf deine Stimme gehört und dein Angesicht erhoben.
36 ३६ तब अबीगैल नाबाल के पास लौट गई; और क्या देखती है, कि वह घर में राजा का सा भोज कर रहा है। और नाबाल का मन मगन है, और वह नशे में अति चूर हो गया है; इसलिए उसने भोर का उजियाला होने से पहले उससे कुछ भी न कहा।
Und Abigail kam zu Nabal, und siehe, er hatte ein Gastmahl in seinem Hause wie ein Gastmahl des Königs, und das Herz Nabals war guter Dinge, und er war sehr betrunken. Sie aber sagte ihm kein Wort an, weder kleines noch großes, bis zum Licht des Morgens.
37 ३७ सवेरे को जब नाबाल का नशा उतर गया, तब उसकी पत्नी ने उसे सारा हाल कह सुनाया, तब उसके मन का हियाव जाता रहा, और वह पत्थर सा सुन्न हो गया।
Und es geschah am Morgen, da der Wein von Nabal ausgegangen war, sagte ihm sein Weib diese Worte an. Und sein Herz erstarb in seinem Inneren, und er ward zum Stein.
38 ३८ और दस दिन के पश्चात् यहोवा ने नाबाल को ऐसा मारा, कि वह मर गया।
Und es geschah nach zehn Tagen, daß Jehovah den Nabal schlug, und er starb.
39 ३९ नाबाल के मरने का हाल सुनकर दाऊद ने कहा, “धन्य है यहोवा जिसने नाबाल के साथ मेरी नामधराई का मुकद्दमा लड़कर अपने दास को बुराई से रोक रखा; और यहोवा ने नाबाल की बुराई को उसी के सिर पर लाद दिया है।” तब दाऊद ने लोगों को अबीगैल के पास इसलिए भेजा कि वे उससे उसकी पत्नी होने की बातचीत करें।
Und da David hörte, daß Nabal tot war, sprach er: Gesegnet sei Jehovah, Der den Hader ob meiner Schmach von der Hand Nabals gehadert hat und Seinen Knecht vom Bösen zurückgehalten, Nabals Bosheit aber hat Jehovah auf sein Haupt zurückgebracht. Und David sandte und redete mit Abigail, daß er sie zum Weibe für sich nehme.
40 ४० तो जब दाऊद के सेवक कर्मेल को अबीगैल के पास पहुँचे, तब उससे कहने लगे, “दाऊद ने हमें तेरे पास इसलिए भेजा है कि तू उसकी पत्नी बने।”
Und Davids Knechte kamen zu Abigail nach Karmel und redeten zu ihr und sprachen: David hat uns zu dir gesandt, dich zum Weibe zu nehmen für sich.
41 ४१ तब वह उठी, और मुँह के बल भूमि पर गिर दण्डवत् करके कहा, “तेरी दासी अपने प्रभु के सेवकों के चरण धोने के लिये दासी बने।”
Und sie stand auf und beugte sich mit dem Antlitz nieder zur Erde und sprach: Siehe, hier ist deine Magd zur Dienstmagd, die Füße der Knechte meines Herrn zu waschen.
42 ४२ तब अबीगैल फुर्ती से उठी, और गदहे पर चढ़ी, और उसकी पाँच सहेलियाँ उसके पीछे-पीछे हो लीं; और वह दाऊद के दूतों के पीछे-पीछे गई; और उसकी पत्नी हो गई।
Und Abigail eilte und machte sich auf und ritt auf einem Esel, und ihre fünf Mädchen folgten ihr nach, und sie ging hinter den Boten Davids her und ward ihm zum Weibe.
43 ४३ और दाऊद ने यिज्रेल नगर की अहीनोअम से भी विवाह कर लिया, तो वे दोनों उसकी पत्नियाँ हुईं।
Und David nahm die Achinoam aus Jisreel, und sie wurden beide seine Weiber.
44 ४४ परन्तु शाऊल ने अपनी बेटी दाऊद की पत्नी मीकल को लैश के पुत्र गल्लीमवासी पलती को दे दिया था।
Saul aber gab seine Tochter Michal, Davids Weib, dem Palti, dem Sohne des Laisch, aus Gallim.