< 1 राजा 7 >
1 १ सुलैमान ने अपना महल भी बनाया, और उसके निर्माण-कार्य में तेरह वर्ष लगे।
Solomon was building his own house thirteen years, and he finished all his house.
2 २ उसने लबानोन का वन नामक महल बनाया जिसकी लम्बाई सौ हाथ, चौड़ाई पचास हाथ और ऊँचाई तीस हाथ की थी; वह तो देवदार के खम्भों की चार पंक्तियों पर बना और खम्भों पर देवदार की कड़ियाँ रखी गई।
For he built the house of the forest of Lebanon; its length was one hundred seventy-two feet and three inches, and its breadth eighty-six feet and two inches, and its height fifty-one feet and eight inches, on four rows of cedar pillars, with cedar beams on the pillars.
3 ३ और पैंतालीस खम्भों के ऊपर देवदार की छतवाली कोठरियाँ बनीं अर्थात् एक-एक मंजिल में पन्द्रह कोठरियाँ बनीं।
It was covered with cedar above atop the beams which were on the pillars, and the pillars numbered forty-five; fifteen in a row.
4 ४ तीनों मंजिलों में कड़ियाँ धरी गईं, और तीनों में खिड़कियाँ आमने-सामने बनीं।
There were beams in three rows, and window was over against window in three ranks.
5 ५ और सब द्वार और बाजुओं की कड़ियाँ भी चौकोर थीं, और तीनों मंजिलों में खिड़कियाँ आमने-सामने बनीं।
All the doors and posts were made square with beams: and window was over against window in three ranks.
6 ६ उसने एक खम्भेवाला ओसारा भी बनाया जिसकी लम्बाई पचास हाथ और चौड़ाई तीस हाथ की थी, और इन खम्भों के सामने एक खम्भेवाला ओसारा और उसके सामने डेवढ़ी बनाई।
He made the porch of pillars; its length was eighty-six feet and two inches, and its breadth fifty-one feet and eight inches; and a porch before them; and pillars and a threshold before them.
7 ७ फिर उसने न्याय के सिंहासन के लिये भी एक ओसारा बनाया, जो न्याय का ओसारा कहलाया; और उसमें एक फर्श से दूसरे फर्श तक देवदार की तख्ताबंदी थी।
He made the porch of the throne where he was to judge, even the porch of judgment: and it was covered with cedar from floor to rafters.
8 ८ उसके रहने का भवन जो उस ओसारे के भीतर के एक और आँगन में बना, वह भी उसी ढंग से बना। फिर उसी ओसारे के समान से सुलैमान ने फ़िरौन की बेटी के लिये जिसको उसने ब्याह लिया था, एक और भवन बनाया।
His house where he was to dwell, the other court within the porch, was of the like work. He made also a house for Pharaoh's daughter (whom Solomon had taken as wife), like this porch.
9 ९ ये सब घर बाहर भीतर नींव से मुंडेर तक ऐसे अनमोल और गढ़े हुए पत्थरों के बने जो नापकर, और आरों से चीरकर तैयार किए गए थे और बाहर के आँगन से ले बड़े आँगन तक लगाए गए।
All these were of costly stones, even of cut stone, according to measure, sawed with saws, inside and outside, even from the foundation to the coping, and so on the outside to the great court.
10 १० उसकी नींव बहुमूल्य और बड़े-बड़े अर्थात् दस-दस और आठ-आठ हाथ के पत्थरों की डाली गई थी।
The foundation was of costly stones, even great stones, stones of seventeen feet and three inches, and stones of thirteen feet and nine inches.
11 ११ और ऊपर भी बहुमूल्य पत्थर थे, जो नाप से गढ़े हुए थे, और देवदार की लकड़ी भी थी।
Above were costly stones, even cut stone, according to measure, and cedar wood.
12 १२ बड़े आँगन के चारों ओर के घेरे में गढ़े हुए पत्थरों के तीन रद्दे, और देवदार की कड़ियों की एक परत थी, जैसे कि यहोवा के भवन के भीतरवाले आँगन और भवन के ओसारे में लगे थे।
The great court around had three courses of cut stone, and a course of cedar beams; like as the inner court of the house of the LORD, and the porch of the house.
13 १३ फिर राजा सुलैमान ने सोर से हूराम को बुलवा भेजा।
King Solomon sent and fetched Hiram out of Tyre.
14 १४ वह नप्ताली के गोत्र की किसी विधवा का बेटा था, और उसका पिता एक सोरवासी ठठेरा था, और वह पीतल की सब प्रकार की कारीगरी में पूरी बुद्धि, निपुणता और समझ रखता था। सो वह राजा सुलैमान के पास आकर उसका सब काम करने लगा।
He was the son of a widow of the tribe of Naphtali, and his father was a man of Tyre, a worker in bronze; and he was filled with wisdom and understanding and skill, to work all works in bronze. He came to king Solomon, and performed all his work.
15 १५ उसने पीतल ढालकर अठारह-अठारह हाथ ऊँचे दो खम्भे बनाए, और एक-एक का घेरा बारह हाथ के सूत का था ये भीतर से खोखले थे, और इसकी धातु की मोटाई चार अंगुल थी।
For he cast the two pillars of bronze, thirty-one feet was the height of one pillar; and a line of twenty feet and eight inches could encompass the one pillar, and its thickness hollowed out was almost three inches; and so was the second pillar.
16 १६ उसने खम्भों के सिरों पर लगाने को पीतल ढालकर दो कँगनी बनाई; एक-एक कँगनी की ऊँचाई, पाँच-पाँच हाथ की थी।
He made two capitals of molten bronze, to set on the tops of the pillars: the height of the one capital was eight feet and seven inches, and the height of the other capital was eight feet and seven inches.
17 १७ खम्भों के सिरों पर की कँगनियों के लिये चार खाने की सात-सात जालियाँ, और साँकलों की सात-सात झालरें बनीं।
There were nets of checker work, and wreaths of chain work, for the capitals which were on the top of the pillars; seven for the one capital, and seven for the other capital.
18 १८ उसने खम्भों को भी इस प्रकार बनाया कि खम्भों के सिरों पर की एक-एक कँगनी को ढाँपने के लिये चारों ओर जालियों की एक-एक पाँति पर अनारों की दो पंक्तियाँ हों।
So he made the pomegranates, two rows around on the one network, to cover the capitals that were on the top of the pillars; and he did so for the other capital.
19 १९ जो कँगनियाँ ओसारों में खम्भों के सिरों पर बनीं, उनमें चार-चार हाथ ऊँचे सोसन के फूल बने हुए थे।
The capitals that were on the top of the pillars in the porch were of lily work, six feet and eleven inches.
20 २० और एक-एक खम्भे के सिरे पर, उस गोलाई के पास जो जाली से लगी थी, एक और कँगनी बनी, और एक-एक कँगनी पर जो अनार चारों ओर पंक्ति-पंक्ति करके बने थे वह दो सौ थे।
And the capitals were on the two pillars, even above and close to the rounded projection which was beside the network. And there were two hundred pomegranates in rows all around on the capital, and the same around the other capital.
21 २१ उन खम्भों को उसने मन्दिर के ओसारे के पास खड़ा किया, और दाहिनी ओर के खम्भे को खड़ा करके उसका नाम याकीन रखा; फिर बाईं ओर के खम्भे को खड़ा करके उसका नाम बोअज रखा।
He set up the pillars at the porch of the temple: and he set up the right pillar, and called its name Jakin; and he set up the left pillar, and called its name Boaz.
22 २२ और खम्भों के सिरों पर सोसन के फूल का काम बना था खम्भों का काम इसी रीति पूरा हुआ।
On the top of the pillars was lily work: so was the work of the pillars finished.
23 २३ फिर उसने एक ढाला हुआ एक बड़ा हौज बनाया, जो एक छोर से दूसरी छोर तक दस हाथ चौड़ा था, उसका आकार गोल था, और उसकी ऊँचाई पाँच हाथ की थी, और उसके चारों ओर का घेरा तीस हाथ के सूत के बराबर था।
He made the molten sea of seventeen feet and three inches from brim to brim, round in compass, and its height was eight feet and seven inches; and a line of fifty-one feet and eight inches encircled it.
24 २४ और उसके चारों ओर के किनारे के नीचे एक-एक हाथ में दस-दस कलियाँ बनीं, जो हौज को घेरे थीं; जब वह ढाला गया; तब ये कलियाँ भी दो पंक्तियों में ढाली गईं।
Under its brim around there were buds which encircled it, for seventeen feet and three inches, encircling the sea: the buds were in two rows, cast when it was cast.
25 २५ और वह बारह बने हुए बैलों पर रखा गया जिनमें से तीन उत्तर, तीन पश्चिम, तीन दक्षिण, और तीन पूर्व की ओर मुँह किए हुए थे; और उन ही के ऊपर हौज था, और उन सभी का पिछला अंग भीतर की ओर था।
It stood on twelve oxen, three looking toward the north, and three looking toward the west, and three looking toward the south, and three looking toward the east; and the sea was set on them above, and all their backs were toward the center.
26 २६ उसकी मोटाई मुट्ठी भर की थी, और उसका किनारा कटोरे के किनारे के समान सोसन के फूलों के जैसा बना था, और उसमें दो हजार बत पानी समाता था।
It was almost three inches thick: and its brim was worked like the brim of a cup, like the flower of a lily: it held two thousand baths.
27 २७ फिर उसने पीतल के दस ठेले बनाए, एक-एक ठेले की लम्बाई चार हाथ, चौड़ाई भी चार हाथ और ऊँचाई तीन हाथ की थी।
He made the ten bases of bronze; six feet and eleven inches was the length of one base, and six feet and eleven inches its breadth, and five feet and two inches its height.
28 २८ उन पायों की बनावट इस प्रकार थी; उनके पटरियाँ थीं, और पटरियों के बीचों बीच जोड़ भी थे।
The work of the bases was like this: they had panels; and there were panels between the ledges;
29 २९ और जोड़ों के बीचों बीच की पटरियों पर सिंह, बैल, और करूब बने थे और जोड़ों के ऊपर भी एक-एक और ठेला बना और सिंहों और बैलों के नीचे लटकती हुई झालरें बनी थीं।
and on the panels that were between the ledges were lions, oxen, and cherubim; and on the ledges there was a pedestal above; and beneath the lions and oxen were wreaths of hanging work.
30 ३० एक-एक ठेले के लिये पीतल के चार पहिये और पीतल की धुरियाँ बनीं; और एक-एक के चारों कोनों से लगे हुए आधार भी ढालकर बनाए गए जो हौदी के नीचे तक पहुँचते थे, और एक-एक आधार के पास झालरें बनी हुई थीं।
Every base had four bronze wheels, and axles of bronze; and the four feet of it had supports: beneath the basin were the supports molten, with wreaths at the side of each.
31 ३१ हौदी का मुँह जो ठेले की कँगनी के भीतर और ऊपर भी था वह एक हाथ ऊँचा था, और ठेले का मुँह जिसकी चौड़ाई डेढ़ हाथ की थी, वह पाये की बनावट के समान गोल बना; और उसके मुँह पर भी कुछ खुदा हुआ काम था और उनकी पटरियाँ गोल नहीं, चौकोर थीं।
The mouth of it within the capital and above was twenty-one inches: and its mouth was round after the work of a pedestal, two feet and seven inches; and also on its mouth were engravings, and their panels were foursquare, not round.
32 ३२ और चारों पहिये, पटरियों के नीचे थे, और एक-एक ठेले के पहियों में धुरियाँ भी थीं; और एक-एक पहिये की ऊँचाई डेढ़-डेढ़ हाथ की थी।
The four wheels were underneath the panels; and the axles of the wheels were in the base: and the height of a wheel was two feet and seven inches.
33 ३३ पहियों की बनावट, रथ के पहिये की सी थी, और उनकी धुरियाँ, चक्र, आरे, और नाभें सब ढाली हुई थीं।
The work of the wheels was like the work of a chariot wheel: their axles, and their rims, and their spokes, and their naves, were all molten.
34 ३४ और एक-एक ठेले के चारों कोनों पर चार आधार थे, और आधार और ठेले दोनों एक ही टुकड़े के बने थे।
There were four supports at the four corners of each base: its supports were of the base itself.
35 ३५ और एक-एक ठेले के सिरे पर आधा हाथ ऊँची चारों ओर गोलाई थी, और ठेले के सिरे पर की टेकें और पटरियाँ ठेले से जुड़े हुए एक ही टुकड़े के बने थे।
In the top of the base was there a round compass ten and a quarter inches high; and on the top of the base its stays and its panels were of the same.
36 ३६ और टेकों के पाटों और पटरियों पर जितनी जगह जिस पर थी, उसमें उसने करूब, और सिंह, और खजूर के वृक्ष खोदकर भर दिये, और चारों ओर झालरें भी बनाईं।
On the plates of its stays, and on its panels, he engraved cherubim, lions, and palm trees, according to the space of each, with wreaths all around.
37 ३७ इसी प्रकार से उसने दसों ठेलों को बनाया; सभी का एक ही साँचा और एक ही नाप, और एक ही आकार था।
In this way, he made the ten bases: all of them had one casting, one measure, and one form.
38 ३८ उसने पीतल की दस हौदी बनाईं। एक-एक हौदी में चालीस-चालीस बत पानी समाता था; और एक-एक, चार-चार हाथ चौड़ी थी, और दसों ठेलों में से एक-एक पर, एक-एक हौदी थी।
He made ten basins of bronze: one basin contained forty baths; and every basin was six feet and eleven inches; and on every one of the ten bases one basin.
39 ३९ उसने पाँच हौदी भवन के दक्षिण की ओर, और पाँच उसकी उत्तर की ओर रख दीं; और हौज को भवन की दाहिनी ओर अर्थात् दक्षिण-पूर्व की ओर रख दिया।
He set the bases, five on the right side of the house, and five on the left side of the house: and he set the sea on the right side of the house eastward, toward the south.
40 ४० हूराम ने हौदियों, फावड़ियों, और कटोरों को भी बनाया। सो हूराम ने राजा सुलैमान के लिये यहोवा के भवन में जितना काम करना था, वह सब पूरा कर दिया,
Hiram made the pots, and the shovels, and the basins. So Hiram made an end of doing all the work that he worked for king Solomon in the house of the LORD:
41 ४१ अर्थात् दो खम्भे, और उन कँगनियों की गोलाइयाँ जो दोनों खम्भों के सिरे पर थीं, और दोनों खम्भों के सिरों पर की गोलाइयों के ढाँपने को दो-दो जालियाँ, और दोनों जालियों के लिए चार-चार सौ अनार,
the two pillars, and the two bowls of the capitals that were on the top of the pillars; and the two networks to cover the two bowls of the capitals that were on the top of the pillars;
42 ४२ अर्थात् खम्भों के सिरों पर जो गोलाइयाँ थीं, उनके ढाँपने के लिये अर्थात् एक-एक जाली के लिये अनारों की दो-दो पंक्तियाँ;
and the four hundred pomegranates for the two networks; two rows of pomegranates for each network, to cover the two bowls of the capitals that were on the pillars;
43 ४३ दस ठेले और इन पर की दस हौदियाँ,
and the ten bases, and the ten basins on the bases;
44 ४४ एक हौज और उसके नीचे के बारह बैल, और हँडे, फावड़ियां,
and one sea, and the twelve oxen under the sea;
45 ४५ और कटोरे बने। ये सब पात्र जिन्हें हूराम ने यहोवा के भवन के निमित्त राजा सुलैमान के लिये बनाया, वह झलकाये हुए पीतल के बने।
and the pots, and the shovels, and the basins: even all these vessels, which Hiram made for king Solomon, in the house of the LORD, were of burnished bronze.
46 ४६ राजा ने उनको यरदन की तराई में अर्थात् सुक्कोत और सारतान के मध्य की चिकनी मिट्टीवाली भूमि में ढाला।
The king cast them in the plain of the Jordan, in the clay ground between Succoth and Zarethan.
47 ४७ और सुलैमान ने बहुत अधिक होने के कारण सब पात्रों को बिना तौले छोड़ दिया, अतः पीतल के तौल का वज़न मालूम न हो सका।
Solomon left all the vessels unweighed, because they were exceeding many: the weight of the bronze could not be found out.
48 ४८ यहोवा के भवन के जितने पात्र थे सुलैमान ने सब बनाए, अर्थात् सोने की वेदी, और सोने की वह मेज जिस पर भेंट की रोटी रखी जाती थी,
Solomon made all the vessels that were in the house of the LORD: the golden altar, and the table whereupon the show bread was, of gold;
49 ४९ और शुद्ध सोने की दीवटें जो भीतरी कोठरी के आगे पाँच तो दक्षिण की ओर, और पाँच उत्तर की ओर रखी गईं; और सोने के फूल,
and the lampstands, five on the right side, and five on the left, before the inner sanctuary, of pure gold; and the flowers, and the lamps, and the tongs, of gold;
50 ५० दीपक और चिमटे, और शुद्ध सोने के तसले, कैंचियाँ, कटोरे, धूपदान, और करछे और भीतरवाला भवन जो परमपवित्र स्थान कहलाता है, और भवन जो मन्दिर कहलाता है, दोनों के किवाड़ों के लिये सोने के कब्जे बने।
and the cups, and the snuffers, and the basins, and the spoons, and the fire pans, of pure gold; and the hinges, both for the doors of the inner house, the most holy place, and for the doors of the house, of the temple, of gold.
51 ५१ इस प्रकार जो-जो काम राजा सुलैमान ने यहोवा के भवन के लिये किया, वह सब पूरा हुआ। तब सुलैमान ने अपने पिता दाऊद के पवित्र किए हुए सोने चाँदी और पात्रों को भीतर पहुँचाकर यहोवा के भवन के भण्डारों में रख दिया।
Thus all the work that Solomon performed in the house of the LORD was finished. Solomon brought in the things which David his father had dedicated, the silver, and the gold, and the vessels, and put them in the treasuries of the house of the LORD.