< 1 राजा 22 >
1 १ तीन वर्ष तक अरामी और इस्राएली बिना युद्ध के रहे।
১অরাম ও ইস্রায়েলের মধ্যে তিন বছর পর্যন্ত কোনো যুদ্ধ হয়নি।
2 २ तीसरे वर्ष में यहूदा का राजा यहोशापात इस्राएल के राजा के पास गया।
২তৃতীয় বছরে যিহূদার রাজা যিহোশাফট ইস্রায়েলের রাজার সঙ্গে দেখা করতে গেলেন।
3 ३ तब इस्राएल के राजा ने अपने कर्मचारियों से कहा, “क्या तुम को मालूम है, कि गिलाद का रामोत हमारा है? फिर हम क्यों चुपचाप रहते और उसे अराम के राजा के हाथ से क्यों नहीं छीन लेते हैं?”
৩ইস্রায়েলের রাজা তাঁর দাসদের বললেন, “আপনারা কি জানেন যে, রামোৎ গিলিয়দ আমাদের? অথচ আমরা অরামের রাজার কাছ থেকে সেটা ফিরিয়ে নেবার জন্য কিছুই করছি না।”
4 ४ और उसने यहोशापात से पूछा, “क्या तू मेरे संग गिलाद के रामोत से लड़ने के लिये जाएगा?” यहोशापात ने इस्राएल के राजा को उत्तर दिया, “जैसा तू है वैसा मैं भी हूँ। जैसी तेरी प्रजा है वैसी ही मेरी भी प्रजा है, और जैसे तेरे घोड़े हैं वैसे ही मेरे भी घोड़े हैं।”
৪তখন তিনি যিহোশাফটকে বললেন, “আপনি কি যুদ্ধ করবার জন্য আমার সঙ্গে রামোৎ গিলিয়দে যাবেন?” উত্তরে যিহোশাফট ইস্রায়েলের রাজাকে বললেন, “আমি ও আপনি আমার লোক ও আপনার লোক সবাই এক, আর আমার ঘোড়া আপনারই ঘোড়া।”
5 ५ फिर यहोशापात ने इस्राएल के राजा से कहा, “आज यहोवा की इच्छा मालूम कर ले।”
৫কিন্তু যিহোশাফট ইস্রায়েলের রাজাকে এই কথাও বললেন, “আজ সদাপ্রভুর পরিকল্পনা জানুন।”
6 ६ तब इस्राएल के राजा ने नबियों को जो कोई चार सौ पुरुष थे इकट्ठा करके उनसे पूछा, “क्या मैं गिलाद के रामोत से युद्ध करने के लिये चढ़ाई करूँ, या रुका रहूँ?” उन्होंने उत्तर दिया, “चढ़ाई कर: क्योंकि प्रभु उसको राजा के हाथ में कर देगा।”
৬কাজেই ইস্রায়েলের রাজা ভাববাদীদের ডেকে জড়ো করলেন। তাদের সংখ্যা ছিল প্রায় চারশো। তিনি তাদের জিজ্ঞাসা করলেন, “রামোৎ গিলিয়দের বিরুদ্ধে কি আমি যুদ্ধ করতে যাব, না যাব না?” তারা বলল, “যান, কারণ প্রভু ওটা রাজার হাতেই তুলে দেবেন।”
7 ७ परन्तु यहोशापात ने पूछा, “क्या यहाँ यहोवा का और भी कोई नबी नहीं है जिससे हम पूछ लें?”
৭কিন্তু যিহোশাফট বললেন, “এখানে কি সদাপ্রভুর কোনো একটা ভাববাদী নেই যার কাছে আমরা জিজ্ঞাসা করতে পারি?”
8 ८ इस्राएल के राजा ने यहोशापात से कहा, “हाँ, यिम्ला का पुत्र मीकायाह एक पुरुष और है जिसके द्वारा हम यहोवा से पूछ सकते हैं? परन्तु मैं उससे घृणा रखता हूँ, क्योंकि वह मेरे विषय कल्याण की नहीं वरन् हानि ही की भविष्यद्वाणी करता है।”
৮উত্তরে ইস্রায়েলের রাজা যিহূদার রাজা যিহোশাফটকে বললেন, “এখনও এমন একজন লোক আছে যার মধ্য দিয়ে আমরা সদাপ্রভুর কাছে জিজ্ঞাসা করতে পারি, সে হল যিম্লের ছেলে মীখায়, কিন্তু আমি তাকে ঘৃণা করি, কারণ সে আমার সম্বন্ধে মঙ্গলের কথা বলে না, শুধু অমঙ্গলের কথাই বলে।” উত্তরে যিহোশাফট বললেন, “রাজা যেন ঐ রকম কথা না বলেন।”
9 ९ यहोशापात ने कहा, “राजा ऐसा न कहे।” तब इस्राएल के राजा ने एक हाकिम को बुलवाकर कहा, “यिम्ला के पुत्र मीकायाह को फुर्ती से ले आ।”
৯তখন ইস্রায়েলের রাজা তাঁর একজন কর্মচারীকে আদেশ করলেন, “তুমি এখনই যিম্লের ছেলে মীখায়কে ডেকে নিয়ে এস।”
10 १० इस्राएल का राजा और यहूदा का राजा यहोशापात, अपने-अपने राजवस्त्र पहने हुए सामरिया के फाटक में एक खुले स्थान में अपने-अपने सिंहासन पर विराजमान थे और सब भविष्यद्वक्ता उनके सम्मुख भविष्यद्वाणी कर रहे थे।
১০ইস্রায়েলের রাজা ও যিহূদার রাজা যিহোশাফট রাজপোশাক পরে শমরিয়া শহরের ফটকের কাছে খোলা জায়গায় তাঁদের সিংহাসনের উপরে বসে ছিলেন আর ভাববাদীরা সবাই তাঁদের সামনে ভবিষ্যতের কথা বলছিল।
11 ११ तब कनाना के पुत्र सिदकिय्याह ने लोहे के सींग बनाकर कहा, “यहोवा यह कहता है, ‘इनसे तू अरामियों को मारते-मारते नाश कर डालेगा।’”
১১লোহার শিং তৈরী করে নিয়ে কনানার ছেলে সিদিকিয় এই কথা ঘোষণা করল, “সদাপ্রভু বলছেন যে, অরামীয়েরা শেষ হয়ে না যাওয়া পর্যন্ত আপনি এগুলো দিয়েই তাদের গুঁতাতে থাকবেন।”
12 १२ और सब नबियों ने इसी आशय की भविष्यद्वाणी करके कहा, “गिलाद के रामोत पर चढ़ाई कर और तू कृतार्थ हो; क्योंकि यहोवा उसे राजा के हाथ में कर देगा।”
১২অন্যান্য ভাববাদীরাও একই রকম কথা বলল। তারা বলল, “রামোৎ গিলিয়দ আক্রমণ করে তা জয় করে নিন, কারণ সদাপ্রভু সেটা রাজার হাতে তুলে দেবেন।”
13 १३ और जो दूत मीकायाह को बुलाने गया था उसने उससे कहा, “सुन, भविष्यद्वक्ता एक ही मुँह से राजा के विषय शुभ वचन कहते हैं तो तेरी बातें उनकी सी हों; तू भी शुभ वचन कहना।”
১৩যে লোকটি মীখায়কে ডেকে আনতে গিয়েছিল সে তাঁকে বলল, “দেখুন, অন্যান্য ভাববাদীরা সবাই একমুখে রাজার সফলতার কথা বলছেন। আপনার কথাও যেন তাঁদের কথার মতই হয়। আপনি মঙ্গলের কথাই বলবেন।”
14 १४ मीकायाह ने कहा, “यहोवा के जीवन की शपथ जो कुछ यहोवा मुझसे कहे, वही मैं कहूँगा।”
১৪কিন্তু মীখায় বললেন, “জীবন্ত সদাপ্রভুর দিব্যি যে, সদাপ্রভু আমাকে যা বলবেন আমি কেবল সেই কথাই বলব।”
15 १५ जब वह राजा के पास आया, तब राजा ने उससे पूछा, “हे मीकायाह! क्या हम गिलाद के रामोत से युद्ध करने के लिये चढ़ाई करें या रुके रहें?” उसने उसको उत्तर दिया, “हाँ, चढ़ाई कर और तू कृतार्थ हो; और यहोवा उसको राजा के हाथ में कर दे।”
১৫পরে তিনি আসলে রাজা তাঁকে জিজ্ঞাসা করলেন, “মীখায়, আমরা কি রামোৎ গিলিয়দের বিরুদ্ধে যুদ্ধ করতে যাব, না যাব না?” উত্তরে মীখায় বললেন, “হ্যাঁ, যান, আক্রমণ করে জয়লাভ করুন, সদাপ্রভু তা মহারাজের হাতে দেবেন।”
16 १६ राजा ने उससे कहा, “मुझे कितनी बार तुझे शपथ धराकर चिताना होगा, कि तू यहोवा का स्मरण करके मुझसे सच ही कह।”
১৬রাজা তাঁকে বললেন, “সদাপ্রভুর নামে তুমি সত্যি কথা ছাড়া আর কিছু বলবে না কতবার আমি তোমাকে এই শপথ করতে বলব?”
17 १७ मीकायाह ने कहा, “मुझे समस्त इस्राएल बिना चरवाहे की भेड़-बकरियों के समान पहाड़ों पर; तितर बितर दिखाई पड़ा, और यहोवा का यह वचन आया, ‘उनका कोई चरवाहा नहीं हैं; अतः वे अपने-अपने घर कुशल क्षेम से लौट जाएँ।’”
১৭উত্তরে মীখায় বললেন, “আমি দেখলাম, ইস্রায়েলীয়েরা সবাই রাখালহীন ভেড়ার মত পাহাড়ের উপরে ছড়িয়ে পড়েছে। তাই সদাপ্রভু বললেন, ‘এদের কোনো প্রভু নেই, কাজেই তারা শান্তিতে যে যার বাড়িতে চলে যাক’।”
18 १८ तब इस्राएल के राजा ने यहोशापात से कहा, “क्या मैंने तुझ से न कहा था, कि वह मेरे विषय कल्याण की नहीं हानि ही की भविष्यद्वाणी करेगा।”
১৮তখন ইস্রায়েলের রাজা যিহোশাফটকে বললেন, “আমি কি আপনাকে আগেই বলি নি যে, সে আমার সম্বন্ধে অমঙ্গল ছাড়া মঙ্গলের কথা বলবে না?”
19 १९ मीकायाह ने कहा, “इस कारण तू यहोवा का यह वचन सुन! मुझे सिंहासन पर विराजमान यहोवा और उसके पास दाएँ-बाएँ खड़ी हुई स्वर्ग की समस्त सेना दिखाई दी है।
১৯মীখায় বলতে লাগলেন, “আপনি সদাপ্রভুর কথা শুনুন। আমি দেখলাম, সদাপ্রভু তাঁর সিংহাসনে বসে আছেন এবং তাঁর ডান ও বাঁ দিকে সমস্ত স্বর্গদূতেরা রয়েছেন।
20 २० तब यहोवा ने पूछा, ‘अहाब को कौन ऐसा बहकाएगा, कि वह गिलाद के रामोत पर चढ़ाई करके खेत आए?’ तब किसी ने कुछ, और किसी ने कुछ कहा।
২০তখন সদাপ্রভু বললেন, ‘রামোৎ গিলিয়দ আক্রমণ করবার জন্য কে আহাবকে ভুলিয়ে সেখানে নিয়ে যাবে যাতে সে মারা যায়?’ তখন এক একজন এক এক কথা বললেন।
21 २१ अन्त में एक आत्मा पास आकर यहोवा के सम्मुख खड़ी हुई, और कहने लगी, ‘मैं उसको बहकाऊँगी’ यहोवा ने पूछा, ‘किस उपाय से?’
২১তখন একটি আত্মা এগিয়ে আসলো, সদাপ্রভুর সামনে দাঁড়ালো এবং বলল, ‘আমি তাকে ভুলিয়ে নিয়ে যাব।’
22 २२ उसने कहा, ‘मैं जाकर उसके सब भविष्यद्वक्ताओं में पैठकर उनसे झूठ बुलवाऊँगी।’ यहोवा ने कहा, ‘तेरा उसको बहकाना सफल होगा, जाकर ऐसा ही कर।’
২২সদাপ্রভু জিজ্ঞাসা করলেন, ‘কেমন করে করবে?’ সে বলল, ‘আমি গিয়ে তার সব ভাববাদীদের মুখে মিথ্যা বলবার আত্মা হব।’ সদাপ্রভু বললেন, ‘তুমিই তাকে ভুলিয়ে নিয়ে যেতে পারবে। এখন যাও এবং তুমি গিয়ে তাই কর।’
23 २३ तो अब सुन यहोवा ने तेरे इन सब भविष्यद्वक्ताओं के मुँह में एक झूठ बोलनेवाली आत्मा बैठाई है, और यहोवा ने तेरे विषय हानि की बात कही है।”
২৩এইজন্যই সদাপ্রভু এখন আপনার এই সব ভাববাদীদের মুখে মিথ্যা বলবার আত্মা দিয়েছেন। তোমার সর্বনাশ হবার জন্য সদাপ্রভু আদেশ দিয়েছেন।”
24 २४ तब कनाना के पुत्र सिदकिय्याह ने मीकायाह के निकट जा, उसके गाल पर थप्पड़ मारकर पूछा, “यहोवा का आत्मा मुझे छोड़कर तुझ से बातें करने को किधर गया?”
২৪তখন কনানার ছেলে সিদিকিয় গিয়ে মীখায়ের গালে চড় মেরে বলল, “সদাপ্রভুর আত্মা তোর সঙ্গে কথা বলবার জন্য আমার কাছ থেকে বেরিয়ে কোন পথে গিয়েছিলেন?”
25 २५ मीकायाह ने कहा, “जिस दिन तू छिपने के लिये कोठरी से कोठरी में भागेगा, तब तुझे ज्ञात होगा।”
২৫মীখায় বললেন, “দেখ, যেদিন তুমি নিজেকে লুকাবার জন্য ভিতরের ঘরে গিয়ে ঢুকবে সেই দিন তুমি তা জানতে পারবে।”
26 २६ तब इस्राएल के राजा ने कहा, “मीकायाह को नगर के हाकिम आमोन और योआश राजकुमार के पास ले जा;
২৬ইস্রায়েলের রাজা তখন এই বললেন, “মীখায়কে শহরের শাসনকর্ত্তা আমোন ও রাজপুত্র যোয়াশের কাছে আবার পাঠিয়ে দাও।
27 २७ और उनसे कह, ‘राजा यह कहता है, कि इसको बन्दीगृह में डालो, और जब तक मैं कुशल से न आऊँ, तब तक इसे दुःख की रोटी और पानी दिया करो।’”
২৭তাদের বল রাজা বলেছেন এই লোকটিকে যেন জেলে রাখা হয় এবং রাজা নিরাপদে ফিরে না আসা পর্যন্ত তাকে অল্প জল আর অল্প রুটি ছাড়া যেন আর কিছু দেওয়া না হয়।”
28 २८ और मीकायाह ने कहा, “यदि तू कभी कुशल से लौटे, तो जान कि यहोवा ने मेरे द्वारा नहीं कहा।” फिर उसने कहा, “हे लोगों तुम सब के सब सुन लो।”
২৮তখন মীখায় বললেন, “যদি আপনি সত্যিই নিরাপদে ফিরে আসেন তবে জানবেন সদাপ্রভু আমার মধ্য দিয়ে কথা বলেন নি।” তারপর তিনি আবার বললেন, “আপনারা সবাই আমার কথাটা শুনে রাখুন।”
29 २९ तब इस्राएल के राजा और यहूदा के राजा यहोशापात दोनों ने गिलाद के रामोत पर चढ़ाई की।
২৯এর পরে ইস্রায়েলের রাজা ও যিহূদার রাজা যিহোশাফট রামোৎ গিলিয়দ আক্রমণ করতে গেলেন।
30 ३० और इस्राएल के राजा ने यहोशापात से कहा, “मैं तो भेष बदलकर युद्ध क्षेत्र में जाऊँगा, परन्तु तू अपने ही वस्त्र पहने रहना।” तब इस्राएल का राजा भेष बदलकर युद्ध क्षेत्र में गया।
৩০আহাব যিহোশাফটকে বললেন, “আমাকে যাতে লোকেরা চিনতে না পারে সেইজন্য আমি অন্য পোশাক পরে যুদ্ধে যোগ দেব, কিন্তু আপনি আপনার রাজপোশাকই পরুন।” এই বলে ইস্রায়েলের রাজা অন্য পোশাক পরে যুদ্ধ করতে গেলেন।
31 ३१ अराम के राजा ने तो अपने रथों के बत्तीसों प्रधानों को आज्ञा दी थी, “न तो छोटे से लड़ो और न बड़े से, केवल इस्राएल के राजा से युद्ध करो।”
৩১অরামের রাজা তাঁর রথগুলোর বত্রিশজন সেনাপতিকে এই আদেশ দিয়ে রেখেছিলেন, “একমাত্র ইস্রায়েলের রাজা ছাড়া আপনারা ছোট কি বড় আর কারও সঙ্গে যুদ্ধ করবেন না।”
32 ३२ अतः जब रथों के प्रधानों ने यहोशापात को देखा, तब कहा, “निश्चय इस्राएल का राजा वही है।” और वे उसी से युद्ध करने को मुड़ें; तब यहोशापात चिल्ला उठा।
৩২রথের সেনাপতিরা যিহোশাফটকে দেখে ভেবেছিলেন যে, “তিনি নিশ্চয়ই ইস্রায়েলের রাজা।” কাজেই তাঁরা ফিরে তাঁকে আক্রমণ করতে গেলেন কিন্তু যিহোশাফট চেঁচিয়ে উঠলেন।
33 ३३ यह देखकर कि वह इस्राएल का राजा नहीं है, रथों के प्रधान उसका पीछा छोड़कर लौट गए।
৩৩এতে সেনাপতিরা বুঝলেন যে, তিনি ইস্রায়েলের রাজা নন সেইজন্য তাঁরা আর তাঁর পিছনে তাড়া করলেন না।
34 ३४ तब किसी ने अटकल से एक तीर चलाया और वह इस्राएल के राजा के झिलम और निचले वस्त्र के बीच छेदकर लगा; तब उसने अपने सारथी से कहा, “मैं घायल हो गया हूँ इसलिए बागडोर फेरकर मुझे सेना में से बाहर निकाल ले चल।”
৩৪কিন্তু একজন লোক লক্ষ্য স্থির না করেই তার ধনুকে টান দিয়ে ইস্রায়েলের রাজার বুক ও পেটের বর্মের মাঝামাঝি ফাঁকা জায়গায় আঘাত করে বসল। তখন রাজা তাঁর রথ চালককে বললেন, “রথ ঘুরিয়ে তুমি যুদ্ধের জায়গা থেকে আমাকে বাইরে নিয়ে চল। কারণ আমি আঘাত পেয়েছি।”
35 ३५ और उस दिन युद्ध बढ़ता गया और राजा अपने रथ में औरों के सहारे अरामियों के सम्मुख खड़ा रहा, और साँझ को मर गया; और उसके घाव का लहू बहकर रथ के पायदान में भर गया।
৩৫সারা দিন ধরে ভীষণ যুদ্ধ চলল আর রাজাকে অরামীয়দের মুখোমুখি করে রথের মধ্যে বসিয়ে রাখা হল। তাঁর ক্ষত থেকে রক্ত ঝরে রথের মেঝের উপর পড়তে লাগল আর সন্ধ্যাবেলার দিকে তিনি মারা গেলেন।
36 ३६ सूर्य डूबते हुए सेना में यह पुकार हुई, “हर एक अपने नगर और अपने देश को लौट जाए।”
৩৬সূর্য্য ডুবে যাবার দিন সৈন্যদলের মধ্যে এই কথা ঘোষণা করা হল, “তোমরা প্রত্যেকেই নিজের নিজের শহরে ও নিজের নিজের বাড়িতে ফিরে যাও।”
37 ३७ जब राजा मर गया, तब सामरिया को पहुँचाया गया और सामरिया में उसे मिट्टी दी गई।
৩৭এই ভাবে ইস্রায়েলের রাজা মারা গেলেন এবং তাঁকে শমরিয়াতে আনা হল। লোকেরা তাঁকে সেখানেই কবর দিল।
38 ३८ और यहोवा के वचन के अनुसार जब उसका रथ सामरिया के जलकुण्ड में धोया गया, तब कुत्तों ने उसका लहू चाट लिया, और वेश्याएँ यहीं स्नान करती थीं।
৩৮শমরিয়ার পুকুরের ধারে তাঁর রথটা ধোওয়া হল এবং সদাপ্রভুর ঘোষণা অনুসারে কুকুরেরা সেখানে তাঁর রক্ত চেটে খেল (বেশ্যারা সেই পুকুরে স্নান করল)।
39 ३९ अहाब के और सब काम जो उसने किए, और हाथी दाँत का जो भवन उसने बनाया, और जो-जो नगर उसने बसाए थे, यह सब क्या इस्राएली राजाओं के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखा है?
৩৯আহাবের অন্যান্য সমস্ত কাজের কথা, অর্থাৎ তিনি যা কিছু করেছিলেন সেই সব কথা, হাতীর দাঁতের কাজ করা যে রাজবাড়ী তিনি তৈরী করেছিলেন তার কথা এবং যে শহরগুলো তিনি শক্তিশালী করে গড়ে তুলেছিলেন সেগুলোর কথা ইস্রায়েলের রাজাদের ইতিহাস বইটিতে কি লেখা নেই?
40 ४० अतः अहाब मरकर अपने पुरखाओं के संग जा मिला और उसका पुत्र अहज्याह उसके स्थान पर राज्य करने लगा।
৪০আহাব তাঁর পূর্বপুরুষদের সঙ্গে নিদ্রায় গেলেন; আর তাঁর জায়গায় তাঁর ছেলে অহসিয় রাজা হলেন।
41 ४१ इस्राएल के राजा अहाब के राज्य के चौथे वर्ष में आसा का पुत्र यहोशापात यहूदा पर राज्य करने लगा।
৪১ইস্রায়েলের রাজা আহাবের রাজত্বের চার বছরের দিন আসার ছেলে যিহোশাফট যিহূদা দেশের রাজা হয়েছিলেন।
42 ४२ जब यहोशापात राज्य करने लगा, तब वह पैंतीस वर्ष का था और पच्चीस वर्ष तक यरूशलेम में राज्य करता रहा। और उसकी माता का नाम अजूबा था, जो शिल्ही की बेटी थी।
৪২যিহোশাফট পঁয়ত্রিশ বছর বয়সে রাজত্ব শুরু করেন এবং পঁচিশ বছর যিরূশালেমে রাজত্ব করেন। তাঁর মায়ের নাম অসুরা, তিনি শিল্হিরের মেয়ে।
43 ४३ और उसकी चाल सब प्रकार से उसके पिता आसा की सी थी, अर्थात् जो यहोवा की दृष्टि में ठीक है वही वह करता रहा, और उससे कुछ न मुड़ा। तो भी ऊँचे स्थान ढाए न गए, प्रजा के लोग ऊँचे स्थानों पर उस समय भी बलि किया करते थे और धूप भी जलाया करते थे।
৪৩যিহোশাফট সব ব্যাপারেই তাঁর বাবা আসার পথ ধরেই চলতেন, কখনও সেই পথ ছেড়ে যান নি। সদাপ্রভুর চোখে যা ঠিক তিনি তাই করতেন। উঁচু স্থানগুলো ধ্বংস করা হয়নি, লোকেরা সেখানে পশু উৎসর্গ করত ও ধূপ জ্বালাত।
44 ४४ यहोशापात ने इस्राएल के राजा से मेल किया।
৪৪ইস্রায়েলের রাজার সঙ্গে তিনি সন্ধি স্থাপন করেছিলেন।
45 ४५ यहोशापात के काम और जो वीरता उसने दिखाई, और उसने जो-जो लड़ाइयाँ की, यह सब क्या यहूदा के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखा है?
৪৫যিহোশাফটের অন্যান্য বিবরণ এবং তিনি যে যে কাজ ও যে সব যুদ্ধ করেছিলেন, সে সব যিহূদার রাজাদের ইতিহাস বইটিতে কি লেখা নেই?
46 ४६ पुरुषगामियों में से जो उसके पिता आसा के दिनों में रह गए थे, उनको उसने देश में से नाश किया।
৪৬তাঁর বাবা আসার রাজত্বের পরেও যে সব পুরুষ বেশ্যারা বাকি রয়ে গিয়েছিল তিনি দেশ থেকে তাদের দূর করে দিয়েছিলেন।
47 ४७ उस समय एदोम में कोई राजा न था; एक नायब राजकाज का काम करता था।
৪৭সেই দিন ইদোমে কোনো রাজা ছিল না। একজন প্রতিনিধি সেখানে রাজত্ব করতেন।
48 ४८ फिर यहोशापात ने तर्शीश के जहाज सोना लाने के लिये ओपीर जाने को बनवा लिए, परन्तु वे एस्योनगेबेर में टूट गए, इसलिए वहाँ न जा सके।
৪৮যিহোশাফট সোনা ওফীরে নিয়ে যাবার জন্য কতগুলো বড় বড় তর্শীশ জাহাজ তৈরী করলেন, কিন্তু সেগুলোর আর যাওয়া হল না, কারণ ইৎসিয়োন গেবরে সেগুলো ধ্বংস হয়ে গিয়েছিল।
49 ४९ तब अहाब के पुत्र अहज्याह ने यहोशापात से कहा, “मेरे जहाजियों को अपने जहाजियों के संग, जहाजों में जाने दे;” परन्तु यहोशापात ने इन्कार किया।
৪৯তখন আহাবের ছেলে অহসিয় যিহোশাফটকে বললেন, “আমার লোকেরা আপনার লোকদের সঙ্গে জাহাজে যাক।” কিন্তু যিহোশাফট রাজি হলেন না।
50 ५० यहोशापात मरकर अपने पुरखाओं के संग जा मिला और उसको उसके पुरखाओं के साथ उसके मूलपुरुष दाऊद के नगर में मिट्टी दी गई। और उसका पुत्र यहोराम उसके स्थान पर राज्य करने लगा।
৫০পরে যিহোশাফট তাঁর পূর্বপুরুষদের সঙ্গে নিদ্রায় গেলেন এবং তাঁকে তাঁর পূর্বপুরুষ দায়ূদের শহরে তাঁর পূর্বপুরুষদের সঙ্গে কবর দেওয়া হল; তাঁর জায়গায় তাঁর ছেলে যিহোরাম রাজা হলেন।
51 ५१ यहूदा के राजा यहोशापात के राज्य के सत्रहवें वर्ष में अहाब का पुत्र अहज्याह सामरिया में इस्राएल पर राज्य करने लगा और दो वर्ष तक इस्राएल पर राज्य करता रहा।
৫১যিহূদার রাজা যিহোশাফটের রাজত্বের সতেরো বছরের দিন আহাবের ছেলে অহসিয় শমরিয়াতে ইস্রায়েলের রাজা হলেন। তিনি ইস্রায়েলের উপরে দুই বছর রাজত্ব করেছিলেন।
52 ५२ और उसने वह किया, जो यहोवा की दृष्टि में बुरा था। और उसकी चाल उसके माता पिता, और नबात के पुत्र यारोबाम की सी थी जिसने इस्राएल से पाप करवाया था।
৫২সদাপ্রভুর চোখে যা মন্দ তিনি তাই করতেন। তিনি তাঁর বাবা ও মায়ের মত এবং নবাটের ছেলে যারবিয়ামের মত চলতেন। এই যারবিয়াম যেমন ইস্রায়েলের লোকদের দিয়ে পাপ করিয়েছিলেন অহসিয়ও তাই করেছিলেন।
53 ५३ जैसे उसका पिता बाल की उपासना और उसे दण्डवत् करने से इस्राएल के परमेश्वर यहोवा को क्रोधित करता रहा वैसे ही अहज्याह भी करता रहा।
৫৩তিনি বাল দেবতার সেবা ও পূজা করতেন এবং তাঁর বাবা যেমন করেছিলেন তিনিও তেমনি করে ইস্রায়েলের ঈশ্বর সদাপ্রভুকে অসন্তুষ্ট করে তুলেছিলেন।