< 1 राजा 2 >
1 १ जब दाऊद के मरने का समय निकट आया, तब उसने अपने पुत्र सुलैमान से कहा,
Se acercaban los días de David para que muriera; y mandó a Salomón, su hijo, diciendo:
2 २ “मैं संसार की रीति पर कूच करनेवाला हूँ इसलिए तू हियाव बाँधकर पुरुषार्थ दिखा।
“Me voy por el camino de toda la tierra. Esfuérzate, pues, y muéstrate como un hombre;
3 ३ और जो कुछ तेरे परमेश्वर यहोवा ने तुझे सौंपा है, उसकी रक्षा करके उसके मार्गों पर चला करना और जैसा मूसा की व्यवस्था में लिखा है, वैसा ही उसकी विधियों तथा आज्ञाओं, और नियमों, और चितौनियों का पालन करते रहना; जिससे जो कुछ तू करे और जहाँ कहीं तू जाए, उसमें तू सफल होए;
y guarda la instrucción de Yahvé, tu Dios, para andar por sus caminos, para guardar sus estatutos, sus mandamientos, sus ordenanzas y sus testimonios, según lo que está escrito en la ley de Moisés, para que seas prosperado en todo lo que hagas y dondequiera que te dirijas.
4 ४ और यहोवा अपना वह वचन पूरा करे जो उसने मेरे विषय में कहा था, ‘यदि तेरी सन्तान अपनी चाल के विषय में ऐसे सावधान रहें, कि अपने सम्पूर्ण हृदय और सम्पूर्ण प्राण से सच्चाई के साथ नित मेरे सम्मुख चलते रहें तब तो इस्राएल की राजगद्दी पर विराजनेवाले की, तेरे कुल परिवार में घटी कभी न होगी।’
Así Yahvé podrá confirmar su palabra que pronunció sobre mí, diciendo: “Si tus hijos son cuidadosos de su camino, para andar delante de mí en la verdad con todo su corazón y con toda su alma, no te faltará — dijo — un hombre en el trono de Israel.
5 ५ “फिर तू स्वयं जानता है, कि सरूयाह के पुत्र योआब ने मुझसे क्या-क्या किया! अर्थात् उसने नेर के पुत्र अब्नेर, और येतेर के पुत्र अमासा, इस्राएल के इन दो सेनापतियों से क्या-क्या किया। उसने उन दोनों को घात किया, और मेल के समय युद्ध का लहू बहाकर उससे अपनी कमर का कमरबन्द और अपने पाँवों की जूतियाँ भिगो दीं।
“Además, tú sabes también lo que me hizo Joab, hijo de Sarvia, lo que hizo a los dos capitanes de los ejércitos de Israel, a Abner hijo de Ner y a Amasa hijo de Jeter, a quienes mató, y derramó la sangre de la guerra en paz, y puso la sangre de la guerra en su faja que tenía alrededor de la cintura y en sus sandalias que tenía en los pies.
6 ६ इसलिए तू अपनी बुद्धि से काम लेना और उस पक्के बाल वाले को अधोलोक में शान्ति से उतरने न देना। (Sheol )
Haz, pues, según tu sabiduría, y no dejes que su cabeza gris descienda al Seol en paz. (Sheol )
7 ७ फिर गिलादी बर्जिल्लै के पुत्रों पर कृपा रखना, और वे तेरी मेज पर खानेवालों में रहें, क्योंकि जब मैं तेरे भाई अबशालोम के सामने से भागा जा रहा था, तब उन्होंने मेरे पास आकर वैसा ही किया था।
Pero muestra bondad a los hijos de Barzilai, el Galaadita, y que estén entre los que comen en tu mesa; porque así vinieron a mí cuando huí de Absalón, tu hermano.
8 ८ फिर सुन, तेरे पास बिन्यामीनी गेरा का पुत्र बहूरीमी शिमी रहता है, जिस दिन मैं महनैम को जाता था उस दिन उसने मुझे कड़ाई से श्राप दिया था पर जब वह मेरी भेंट के लिये यरदन को आया, तब मैंने उससे यहोवा की यह शपथ खाई, कि मैं तुझे तलवार से न मार डालूँगा।
“He aquí que está contigo Simei hijo de Gera, el benjamita de Bahurim, que me maldijo con una grave maldición el día en que fui a Mahanaim; pero él bajó a recibirme al Jordán, y yo le juré por Yahvé, diciendo: ‘No te mataré a espada’.
9 ९ परन्तु अब तू इसे निर्दोष न ठहराना, तू तो बुद्धिमान पुरुष है; तुझे मालूम होगा कि उसके साथ क्या करना चाहिये, और उस पक्के बाल वाले का लहू बहाकर उसे अधोलोक में उतार देना।” (Sheol )
Ahora, pues, no lo tengas por inocente, porque eres un hombre sabio; y sabrás lo que debes hacer con él, y harás descender su cabeza gris al Seol con sangre.” (Sheol )
10 १० तब दाऊद अपने पुरखाओं के संग जा मिला और दाऊदपुर में उसे मिट्टी दी गई।
David durmió con sus padres y fue enterrado en la ciudad de David.
11 ११ दाऊद ने इस्राएल पर चालीस वर्ष राज्य किया, सात वर्ष तो उसने हेब्रोन में और तैंतीस वर्ष यरूशलेम में राज्य किया था।
Los días que David reinó sobre Israel fueron cuarenta años; reinó siete años en Hebrón, y treinta y tres años en Jerusalén.
12 १२ तब सुलैमान अपने पिता दाऊद की गद्दी पर विराजमान हुआ और उसका राज्य बहुत दृढ़ हुआ।
Salomón se sentó en el trono de su padre, y su reino se consolidó.
13 १३ तब हग्गीत का पुत्र अदोनिय्याह, सुलैमान की माता बतशेबा के पास आया, बतशेबा ने पूछा, “क्या तू मित्रभाव से आता है?”
Entonces Adonías, hijo de Haggit, se acercó a Betsabé, madre de Salomón. Ella le dijo: “¿Vienes en paz?” Dijo: “En paz”.
14 १४ उसने उत्तर दिया, “हाँ, मित्रभाव से!” फिर वह कहने लगा, “मुझे तुझ से एक बात कहनी है।” उसने कहा, “कह!”
Dijo además: “Tengo algo que decirte”. Ella dijo: “Diga”.
15 १५ उसने कहा, “तुझे तो मालूम है कि राज्य मेरा हो गया था, और समस्त इस्राएली मेरी ओर मुँह किए थे, कि मैं राज्य करूँ; परन्तु अब राज्य पलटकर मेरे भाई का हो गया है, क्योंकि वह यहोवा की ओर से उसको मिला है।
Él dijo: “Ustedes saben que el reino era mío, y que todo Israel se fijó en mí para que yo reinara. Sin embargo, el reino se ha invertido y ha pasado a ser de mi hermano, pues era suyo de parte de Yahvé.
16 १६ इसलिए अब मैं तुझ से एक बात माँगता हूँ, मुझ को मना न करना।” उसने कहा, “कहे जा।”
Ahora te pido una petición. No me niegues”. Ella le dijo: “Diga”.
17 १७ उसने कहा, “राजा सुलैमान तुझे इन्कार नहीं करेगा; इसलिए उससे कह, कि वह मुझे शूनेमिन अबीशग को ब्याह दे।”
Le dijo: “Por favor, habla con el rey Salomón (porque no te dirá que no), para que me dé por esposa a Abisag la sunamita”.
18 १८ बतशेबा ने कहा, “अच्छा, मैं तेरे लिये राजा से कहूँगी।”
Betsabé dijo: “Está bien. Hablaré por ti con el rey”.
19 १९ तब बतशेबा अदोनिय्याह के लिये राजा सुलैमान से बातचीत करने को उसके पास गई, और राजा उसकी भेंट के लिये उठा, और उसे दण्डवत् करके अपने सिंहासन पर बैठ गया: फिर राजा ने अपनी माता के लिये एक सिंहासन रख दिया, और वह उसकी दाहिनी ओर बैठ गई।
Betsabé fue, pues, a ver al rey Salomón para hablarle en nombre de Adonías. El rey se levantó para recibirla y se inclinó ante ella, se sentó en su trono e hizo que se pusiera un trono para la madre del rey, y ella se sentó a su derecha.
20 २० तब वह कहने लगी, “मैं तुझ से एक छोटा सा वरदान माँगती हूँ इसलिए मुझ को मना न करना,” राजा ने कहा, “हे माता माँग; मैं तुझे इन्कार नहीं करूँगा।”
Entonces ella le dijo: “Te pido una pequeña petición; no me la niegues”. El rey le dijo: “Pide, madre mía, porque no te lo negaré”.
21 २१ उसने कहा, “वह शूनेमिन अबीशग तेरे भाई अदोनिय्याह को ब्याह दी जाए।”
Ella dijo: “Que Abisag la sunamita sea dada por esposa a Adonías, tu hermano”.
22 २२ राजा सुलैमान ने अपनी माता को उत्तर दिया, “तू अदोनिय्याह के लिये शूनेमिन अबीशग ही को क्यों माँगती है? उसके लिये राज्य भी माँग, क्योंकि वह तो मेरा बड़ा भाई है, और उसी के लिये क्या! एब्यातार याजक और सरूयाह के पुत्र योआब के लिये भी माँग।”
El rey Salomón respondió a su madre: “¿Por qué pides a Abisag la sunamita para Adonías? Pide también para él el reino, pues es mi hermano mayor; también para él, y para el sacerdote Abiatar, y para Joab hijo de Sarvia”.
23 २३ और राजा सुलैमान ने यहोवा की शपथ खाकर कहा, “यदि अदोनिय्याह ने यह बात अपने प्राण पर खेलकर न कही हो तो परमेश्वर मुझसे वैसा ही क्या वरन् उससे भी अधिक करे।
Entonces el rey Salomón juró por Yahvé, diciendo: “Que Dios me haga así, y más aún, si Adonías no ha dicho esta palabra contra su propia vida.
24 २४ अब यहोवा जिसने मुझे स्थिर किया, और मेरे पिता दाऊद की राजगद्दी पर विराजमान किया है और अपने वचन के अनुसार मेरा घर बसाया है, उसके जीवन की शपथ आज ही अदोनिय्याह मार डाला जाएगा।”
Ahora, pues, vive Yahvé, que me ha afirmado y me ha puesto en el trono de mi padre David, y que me ha hecho una casa como lo había prometido, ciertamente Adonías morirá hoy.”
25 २५ अतः राजा सुलैमान ने यहोयादा के पुत्र बनायाह को भेज दिया और उसने जाकर, उसको ऐसा मारा कि वह मर गया।
El rey Salomón envió a Benaía, hijo de Joiada, y cayó sobre él, de modo que murió.
26 २६ तब एब्यातार याजक से राजा ने कहा, “अनातोत में अपनी भूमि को जा; क्योंकि तू भी प्राणदण्ड के योग्य है। आज के दिन तो मैं तुझे न मार डालूँगा, क्योंकि तू मेरे पिता दाऊद के सामने प्रभु यहोवा का सन्दूक उठाया करता था; और उन सब दुःखों में जो मेरे पिता पर पड़े थे तू भी दुःखी था।”
El rey dijo al sacerdote Abiatar: “Vete a Anatot, a tus campos, porque eres digno de muerte. Pero no te daré muerte en este momento, porque llevaste el arca del Señor delante de David mi padre, y porque fuiste afligido en todo lo que mi padre fue afligido.”
27 २७ और सुलैमान ने एब्यातार को यहोवा के याजक होने के पद से उतार दिया, इसलिए कि जो वचन यहोवा ने एली के वंश के विषय में शीलो में कहा था, वह पूरा हो जाए।
Así que Salomón echó a Abiatar de ser sacerdote de Yahvé, para que se cumpliera la palabra de Yahvé que había dicho sobre la casa de Elí en Silo.
28 २८ इसका समाचार योआब तक पहुँचा; योआब अबशालोम के पीछे तो नहीं हो लिया था, परन्तु अदोनिय्याह के पीछे हो लिया था। तब योआब यहोवा के तम्बू को भाग गया, और वेदी के सींगों को पकड़ लिया।
Estas noticias llegaron a Joab, pues éste había seguido a Adonías, aunque no había seguido a Absalón. Joab huyó a la Tienda de Yahvé y se aferró a los cuernos del altar.
29 २९ जब राजा सुलैमान को यह समाचार मिला, “योआब यहोवा के तम्बू को भाग गया है, और वह वेदी के पास है,” तब सुलैमान ने यहोयादा के पुत्र बनायाह को यह कहकर भेज दिया, कि तू जाकर उसे मार डाल।
Le dijeron al rey Salomón: “Joab ha huido a la Tienda de Yahvé; y he aquí que está junto al altar”. Entonces Salomón envió a Benaía, hijo de Joiada, diciendo: “Ve y cae sobre él”.
30 ३० तब बनायाह ने यहोवा के तम्बू के पास जाकर उससे कहा, “राजा की यह आज्ञा है, कि निकल आ।” उसने कहा, “नहीं, मैं यहीं मर जाऊँगा।” तब बनायाह ने लौटकर यह सन्देश राजा को दिया “योआब ने मुझे यह उत्तर दिया।”
Benaía se acercó a la Tienda de Yahvé y le dijo: “El rey dice que salgas”. Dijo: “No; pero moriré aquí”. Benaía volvió a traer la palabra al rey, diciendo: “Esto es lo que dijo Joab, y así me respondió”.
31 ३१ राजा ने उससे कहा, “उसके कहने के अनुसार उसको मार डाल, और उसे मिट्टी दे; ऐसा करके निर्दोषों का जो खून योआब ने किया है, उसका दोष तू मुझ पर से और मेरे पिता के घराने पर से दूर करेगा।
El rey le dijo: “Haz lo que ha dicho, cae sobre él y entiérralo, para que quites de mí y de la casa de mi padre la sangre que Joab derramó sin causa.
32 ३२ और यहोवा उसके सिर वह खून लौटा देगा क्योंकि उसने मेरे पिता दाऊद के बिना जाने अपने से अधिक धर्मी और भले दो पुरुषों पर, अर्थात् इस्राएल के प्रधान सेनापति नेर के पुत्र अब्नेर और यहूदा के प्रधान सेनापति येतेर के पुत्र अमासा पर टूटकर उनको तलवार से मार डाला था।
El Señor le devolverá su sangre sobre su propia cabeza, porque cayó sobre dos hombres más justos y mejores que él y los mató a espada, sin que mi padre David lo supiera: Abner hijo de Ner, capitán del ejército de Israel, y Amasa hijo de Jeter, capitán del ejército de Judá.
33 ३३ अतः योआब के सिर पर और उसकी सन्तान के सिर पर खून सदा तक रहेगा, परन्तु दाऊद और उसके वंश और उसके घराने और उसके राज्य पर यहोवा की ओर से शान्ति सदैव तक रहेगी।”
Así que su sangre volverá sobre la cabeza de Joab y sobre la cabeza de su descendencia para siempre. Pero para David, para su descendencia, para su casa y para su trono, habrá paz para siempre de parte de Yahvé”.
34 ३४ तब यहोयादा के पुत्र बनायाह ने जाकर योआब को मार डाला; और उसको जंगल में उसी के घर में मिट्टी दी गई।
Entonces Benaía hijo de Joiada subió y cayó sobre él, y lo mató; y fue sepultado en su propia casa en el desierto.
35 ३५ तब राजा ने उसके स्थान पर यहोयादा के पुत्र बनायाह को प्रधान सेनापति ठहराया; और एब्यातार के स्थान पर सादोक याजक को ठहराया।
El rey puso a Benaía hijo de Joiada en su lugar al frente del ejército, y el rey puso al sacerdote Sadoc en lugar de Abiatar.
36 ३६ तब राजा ने शिमी को बुलवा भेजा, और उससे कहा, “तू यरूशलेम में अपना एक घर बनाकर वहीं रहना और नगर से बाहर कहीं न जाना।
El rey envió a llamar a Simei y le dijo: “Constrúyete una casa en Jerusalén y vive allí, y no vayas a ninguna otra parte.
37 ३७ तू निश्चय जान रख कि जिस दिन तू निकलकर किद्रोन नाले के पार उतरे, उसी दिन तू निःसन्देह मार डाला जाएगा, और तेरा लहू तेरे ही सिर पर पड़ेगा।”
Porque el día que salgas y pases por el arroyo Cedrón, ten por seguro que morirás. Tu sangre estará sobre tu propia cabeza”.
38 ३८ शिमी ने राजा से कहा, “बात अच्छी है; जैसा मेरे प्रभु राजा ने कहा है, वैसा ही तेरा दास करेगा।” तब शिमी बहुत दिन यरूशलेम में रहा।
Simei dijo al rey: “Lo que dices es bueno. Como mi señor el rey ha dicho, así lo hará tu siervo”. Simei vivió muchos días en Jerusalén.
39 ३९ परन्तु तीन वर्ष के व्यतीत होने पर शिमी के दो दास, गत नगर के राजा माका के पुत्र आकीश के पास भाग गए, और शिमी को यह समाचार मिला, “तेरे दास गत में हैं।”
Al cabo de tres años, dos de los esclavos de Simei huyeron a Aquis, hijo de Maaca, rey de Gat. Se lo contaron a Simei, diciendo: “He aquí que tus esclavos están en Gat”.
40 ४० तब शिमी उठकर अपने गदहे पर काठी कसकर, अपने दास को ढूँढ़ने के लिये गत को आकीश के पास गया, और अपने दासों को गत से ले आया।
Simei se levantó, ensilló su asno y fue a Gat, a Aquis, para buscar sus esclavos; y Simei fue y trajo sus esclavos de Gat.
41 ४१ जब सुलैमान राजा को इसका समाचार मिला, “शिमी यरूशलेम से गत को गया, और फिर लौट आया है,”
Se le dijo a Salomón que Simei había ido de Jerusalén a Gat, y que había vuelto.
42 ४२ तब उसने शिमी को बुलवा भेजा, और उससे कहा, “क्या मैंने तुझे यहोवा की शपथ न खिलाई थी? और तुझ से चिताकर न कहा था, ‘यह निश्चय जान रख कि जिस दिन तू निकलकर कहीं चला जाए, उसी दिन तू निःसन्देह मार डाला जाएगा?’ और क्या तूने मुझसे न कहा था, ‘जो बात मैंने सुनी, वह अच्छी है?’
El rey mandó a llamar a Simei y le dijo: “¿No te advertí por Yahvé y te advertí diciendo: ‘Ten por seguro que el día que salgas y andes por otro lado, ciertamente morirás’?
43 ४३ फिर तूने यहोवा की शपथ और मेरी दृढ़ आज्ञा क्यों नहीं मानी?”
¿Por qué, pues, no has cumplido el juramento de Yahvé y el mandamiento que te he instruido?”
44 ४४ और राजा ने शिमी से कहा, “तू आप ही अपने मन में उस सब दुष्टता को जानता है, जो तूने मेरे पिता दाऊद से की थी? इसलिए यहोवा तेरे सिर पर तेरी दुष्टता लौटा देगा।
El rey dijo además a Simei: “Tú sabes en tu corazón toda la maldad que le hiciste a mi padre David. Por lo tanto, Yahvé devolverá tu maldad sobre tu propia cabeza.
45 ४५ परन्तु राजा सुलैमान धन्य रहेगा, और दाऊद का राज्य यहोवा के सामने सदैव दृढ़ रहेगा।”
Pero el rey Salomón será bendecido, y el trono de David será establecido ante Yahvé para siempre.”
46 ४६ तब राजा ने यहोयादा के पुत्र बनायाह को आज्ञा दी, और उसने बाहर जाकर, उसको ऐसा मारा कि वह भी मर गया। इस प्रकार सुलैमान के हाथ में राज्य दृढ़ हो गया।
El rey ordenó entonces a Benaía, hijo de Joiada, que saliera y cayera sobre él, para que muriera. El reino quedó establecido en manos de Salomón.