< 1 राजा 12 >
1 १ रहबाम शेकेम को गया, क्योंकि सब इस्राएली उसको राजा बनाने के लिये वहीं गए थे।
Alors, le roi Roboam se rendit à Sichem, parce que tout Israël y était venu pour le proclamer roi.
2 २ जब नबात के पुत्र यारोबाम ने यह सुना, (जो अब तक मिस्र में ही रहता था, क्योंकि यारोबाम सुलैमान राजा के डर के मारे भागकर मिस्र में रहता था।
Et le peuple parla au roi Roboam, disant:
3 ३ अतः उन लोगों ने उसको बुलवा भेजा) तब यारोबाम और इस्राएल की समस्त सभा रहबाम के पास जाकर यह कहने लगी,
Et le peuple parla au roi Roboam, disant:
4 ४ “तेरे पिता ने तो हम लोगों पर भारी जूआ डाल रखा था, तो अब तू अपने पिता की कठिन सेवा को, और उस भारी जूआ को, जो उसने हम पर डाल रखा है, कुछ हलका कर; तब हम तेरे अधीन रहेंगे।”
Ton père a rendu pesant notre joug; allège donc maintenant la servitude trop dure de ton père; que notre joug soit moins lourd, et nous te servirons.
5 ५ उसने कहा, “अभी तो जाओ, और तीन दिन के बाद मेरे पास फिर आना।” तब वे चले गए।
Et il leur dit: Allez-vous-en pendant trois jours; puis, revenez près de moi, et ils s'en allèrent.
6 ६ तब राजा रहबाम ने उन बूढ़ों से जो उसके पिता सुलैमान के जीवन भर उसके सामने उपस्थित रहा करते थे, सम्मति ली, “इस प्रजा को कैसा उत्तर देना उचित है, इसमें तुम क्या सम्मति देते हो?”
Et le roi consulta les anciens qui, du vivant de Salomon, son père, se tenaient auprès de lui, disant: Que me conseillez-vous de répondre à ce peuple?
7 ७ उन्होंने उसको यह उत्तर दिया, “यदि तू अभी प्रजा के लोगों का दास बनकर उनके अधीन हो और उनसे मधुर बातें कहे, तो वे सदैव तेरे अधीन बने रहेंगे।”
Ils lui dirent: Si aujourd'hui tu te montres le serviteur de ce peuple, si tu te montres agréable pour lui, si tu lui dit de bonnes paroles, ils seront tes serviteurs tous les jours.
8 ८ रहबाम ने उस सम्मति को छोड़ दिया, जो बूढ़ों ने उसको दी थी, और उन जवानों से सम्मति ली, जो उसके संग बड़े हुए थे, और उसके सम्मुख उपस्थित रहा करते थे।
Mais il dédaigna le conseil que les anciens lui avaient donné, et il consulta les jeunes gens élevés avec lui, et qui se tenaient auprès de lui.
9 ९ उनसे उसने पूछा, “मैं प्रजा के लोगों को कैसा उत्तर दूँ? इसमें तुम क्या सम्मति देते हो? उन्होंने तो मुझसे कहा है, ‘जो जूआ तेरे पिता ने हम पर डाल रखा है, उसे तू हलका कर।’”
Et il leur dit: Que me conseillez-vous? Que dois-je répondre à ce peuple qui me dit: Allège le joug que nous a mis ton père?
10 १० जवानों ने जो उसके संग बड़े हुए थे उसको यह उत्तर दिया, “उन लोगों ने तुझ से कहा है, ‘तेरे पिता ने हमारा जूआ भारी किया था, परन्तु तू उसे हमारे लिए हलका कर;’ तू उनसे यह कहना, ‘मेरी छिंगुलिया मेरे पिता की कमर से भी मोटी है।
Or, les jeunes gens élevés avec lui, et qui se tenaient auprès de lui, dirent: Tu diras ces choses à ce peuple qui t'a dit: Ton père a rendu pesant notre joug, maintenant donc, allège-le, tu leur diras ces choses: Mon petit doigt est plus gros que les reins de mon père.
11 ११ मेरे पिता ने तुम पर जो भारी जूआ रखा था, उसे मैं और भी भारी करूँगा; मेरा पिता तो तुम को कोड़ों से ताड़ना देता था, परन्तु मैं बिच्छुओं से दूँगा।’”
Mon père vous a chargés d'un joug pesant, je le rendrai pour vous plus pesant encore. Mon père vous a châtiés à coups de fouet, moi je vous châtierai avec des scorpions.
12 १२ तीसरे दिन, जैसे राजा ने ठहराया था, कि तीसरे दिन मेरे पास फिर आना, वैसे ही यारोबाम और समस्त प्रजागण रहबाम के पास उपस्थित हुए।
Or, tout Israël se réunit autour du roi Roboam, le troisième jour, comme il le leur avait prescrit, disant: Revenez dans trois jours.
13 १३ तब राजा ने प्रजा से कड़ी बातें की,
Et le roi leur répondit durement, car il avait dédaigné le conseil que les anciens lui avaient donné.
14 १४ और बूढ़ों की दी हुई सम्मति छोड़कर, जवानों की सम्मति के अनुसार उनसे कहा, “मेरे पिता ने तो तुम्हारा जूआ भारी कर दिया, परन्तु मैं उसे और भी भारी कर दूँगा: मेरे पिता ने तो कोड़ों से तुम को ताड़ना दी, परन्तु मैं तुम को बिच्छुओं से ताड़ना दूँगा।”
Et il leur parla selon le conseil des jeunes gens, et il leur dit: Mon père vous a chargés d'un joug pesant, je le rendrai pour vous plus pesant encore; mon père vous a châtiés à coups de fouet, je vous châtierai avec des scorpions.
15 १५ इस प्रकार राजा ने प्रजा की बात नहीं मानी, इसका कारण यह है, कि जो वचन यहोवा ने शीलोवासी अहिय्याह के द्वारा नबात के पुत्र यारोबाम से कहा था, उसको पूरा करने के लिये उसने ऐसा ही ठहराया था।
Et le roi n'avait point écouté les fils d'Israël, parce que le Seigneur s'était tourné contre lui, afin de confirmer la parole qu'il avait dite concernant Jéroboam, fils de Nabat, par Achias le Silonite.
16 १६ जब समस्त इस्राएल ने देखा कि राजा हमारी नहीं सुनता, तब वे बोले, “दाऊद के साथ हमारा क्या अंश? हमारा तो यिशै के पुत्र में कोई भाग नहीं! हे इस्राएल अपने-अपने डेरे को चले जाओः अब हे दाऊद, अपने ही घराने की चिन्ता कर।”
Quand Israël vit que le roi ne l'avait pas écouté, le peuple répondit au roi: Qu'y a-t-il entre nous et David? Notre héritage ne dépend pas du fils de Jessé. Hâte-toi, ô Israël! de retourner en tes demeures; et toi, David, nourris ta maison. Et Israël s'en alla chacun en sa demeure.
17 १७ अतः इस्राएल अपने-अपने डेरे को चले गए। केवल जितने इस्राएली यहूदा के नगरों में बसे हुए थे उन पर रहबाम राज्य करता रहा।
Alors, le roi leur envoya Adonisam, intendant des impôts; ils le lapidèrent, il mourut; et le roi Roboam s'empressa de fuir pour se renfermer dans Jérusalem.
18 १८ तब राजा रहबाम ने अदोराम को जो सब बेगारों पर अधिकारी था, भेज दिया, और सब इस्राएलियों ने उस पर पथराव किया, और वह मर गया: तब रहबाम फुर्ती से अपने रथ पर चढ़कर यरूशलेम को भाग गया।
Alors, le roi leur envoya Adonisam, intendant des impôts; ils le lapidèrent, il mourut; et le roi Roboam s'empressa de fuir pour se renfermer dans Jérusalem.
19 १९ इस प्रकार इस्राएल दाऊद के घराने से फिर गया, और आज तक फिरा हुआ है।
Et jusqu'à nos jours la maison de David a été rejetée par Israël.
20 २० यह सुनकर कि यारोबाम लौट आया है, समस्त इस्राएल ने उसको मण्डली में बुलवा भेजा और सम्पूर्ण इस्राएल के ऊपर राजा नियुक्त किया, और यहूदा के गोत्र को छोड़कर दाऊद के घराने से कोई मिला न रहा।
Et tout Israël apprit que Jéroboam était revenu d'Égypte, et ils l'envoyèrent chercher pour venir à l'assemblée; ils le proclamèrent roi d'Israël, et il ne resta plus à la maison de David que les tribus de Juda et de Benjamin.
21 २१ जब रहबाम यरूशलेम को आया, तब उसने यहूदा के समस्त घराने को, और बिन्यामीन के गोत्र को, जो मिलकर एक लाख अस्सी हजार अच्छे योद्धा थे, इकट्ठा किया, कि वे इस्राएल के घराने के साथ लड़कर सुलैमान के पुत्र रहबाम के वश में फिर राज्य कर दें।
Cependant, Roboam était entré à Jérusalem; il réunit la synagogue de Juda et la tribu de Benjamin, cent vingt mille jeunes gens allant à la guerre, afin de combattre Israël, et de recouvrer la royauté pour le fils de Salomon.
22 २२ तब परमेश्वर का यह वचन परमेश्वर के जन शमायाह के पास पहुँचा, “यहूदा के राजा सुलैमान के पुत्र रहबाम से,
Mais la parole du Seigneur vint à Samaïas, homme de Dieu, disant:
23 २३ और यहूदा और बिन्यामीन के सब घराने से, और सब लोगों से कह, ‘यहोवा यह कहता है,
Parle à Roboam, fils de Salomon, roi de Juda, à toute la maison de Juda, à Benjamin et au reste du peuple, dis-leur:
24 २४ कि अपने भाई इस्राएलियों पर चढ़ाई करके युद्ध न करो; तुम अपने-अपने घर लौट जाओ, क्योंकि यह बात मेरी ही ओर से हुई है।’” यहोवा का यह वचन मानकर उन्होंने उसके अनुसार लौट जाने को अपना-अपना मार्ग लिया।
Voici ce que dit le Seigneur: Ne partez pas, ne combattez point vos frères, les fils d'Israël; retournez chacun en votre demeure, car cette chose est de moi. Ils obéirent à la parole du Seigneur, et, selon son ordre, ils renoncèrent à marcher.
25 २५ तब यारोबाम एप्रैम के पहाड़ी देश के शेकेम नगर को दृढ़ करके उसमें रहने लगा; फिर वहाँ से निकलकर पनूएल को भी दृढ़ किया।
Ensuite, Jéroboam rebâtit Sichem en la montagne d'Ephraïm, et il y demeura; puis, il sortit, et il bâtit Pharmel.
26 २६ तब यारोबाम सोचने लगा, “अब राज्य दाऊद के घराने का हो जाएगा।
Et Jéroboam se dit en son cœur: La royauté va retourner à la maison de David;
27 २७ यदि प्रजा के लोग यरूशलेम में बलि करने को जाएँ, तो उनका मन अपने स्वामी यहूदा के राजा रहबाम की ओर फिरेगा, और वे मुझे घात करके यहूदा के राजा रहबाम के हो जाएँगे।”
Si ce peuple continue de faire des sacrifices dans le temple du Seigneur à Jérusalem, le cœur du peuple retournera au Seigneur et à son maître Roboam, roi de Juda, et ils me feront périr.
28 २८ अतः राजा ने सम्मति लेकर सोने के दो बछड़े बनाए और लोगों से कहा, “यरूशलेम को जाना तुम्हारी शक्ति से बाहर है इसलिए हे इस्राएल अपने देवताओं को देखो, जो तुम्हें मिस्र देश से निकाल लाए हैं।”
Le roi prit donc conseil, et il se décida; il fit deux génisses d'or, et il dit au peuple: C'est assez de voyages à Jérusalem; Israël, voici tes dieux, qui t'ont ramené de l'Égypte.
29 २९ उसने एक बछड़े को बेतेल, और दूसरे को दान में स्थापित किया।
Et il plaça l'une des deux génisses à Béthel, et il donna l'autre à Dan.
30 ३० और यह बात पाप का कारण हुई; क्योंकि लोग उनमें से एक के सामने दण्डवत् करने को दान तक जाने लगे।
Et cette chose devint une cause de péché; le peuple alla jusqu'à Dan, devant l'une des deux génisses, et il abandonna le temple du Seigneur.
31 ३१ और उसने ऊँचे स्थानों के भवन बनाए, और सब प्रकार के लोगों में से जो लेवीवंशी न थे, याजक ठहराए।
Il bâtit des temples sur les hauts lieux; il prit des prêtres de toutes les tribus du peuple, et ces prêtres n'étaient pas des fils de Lévi.
32 ३२ फिर यारोबाम ने आठवें महीने के पन्द्रहवें दिन यहूदा के पर्व के समान एक पर्व ठहरा दिया, और वेदी पर बलि चढ़ाने लगा; इस रीति उसने बेतेल में अपने बनाए हुए बछड़ों के लिये वेदी पर, बलि किया, और अपने बनाए हुए ऊँचे स्थानों के याजकों को बेतेल में ठहरा दिया।
Jéroboam institua aussi une fête le huitième mois, quinzième jour de la lune, le jour même que l'on fêtait en la terre de Juda, et il monta à l'autel qu'il avait élevé à Béthel pour y sacrifier aux génisses qu'il avait fabriquées, et il plaça en Béthel les prêtres des hauts lieux qu'il avait consacrés.
33 ३३ जिस महीने की उसने अपने मन में कल्पना की थी अर्थात् आठवें महीने के पन्द्रहवें दिन को वह बेतेल में अपनी बनाई हुई वेदी के पास चढ़ गया। उसने इस्राएलियों के लिये एक पर्व ठहरा दिया, और धूप जलाने को वेदी के पास चढ़ गया।
Et il monta à l'autel qu'il avait dressé, le quinzième jour du huitième mois, pendant la fête qu'il avait imaginée en son cœur; il fit célébrer cette fête par les fils d'Israël, et il monta à l'autel pour y sacrifier.