< 1 यूहन्ना 4 >
1 १ हे प्रियों, हर एक आत्मा पर विश्वास न करो: वरन् आत्माओं को परखो, कि वे परमेश्वर की ओर से हैं कि नहीं; क्योंकि बहुत से झूठे भविष्यद्वक्ता जगत में निकल खड़े हुए हैं।
প্রিয় বন্ধুরা, সব আত্মাকে বিশ্বাস কোরো না, বরং তারা ঈশ্বর থেকে এসেছে কি না তা জানার জন্য তাদের পরীক্ষা করো, কারণ বহু ভণ্ড ভাববাদী পৃথিবীতে ছড়িয়ে পড়েছে।
2 २ परमेश्वर का आत्मा तुम इसी रीति से पहचान सकते हो, कि जो कोई आत्मा मान लेती है, कि यीशु मसीह शरीर में होकर आया है वह परमेश्वर की ओर से है।
তোমরা এভাবেই ঈশ্বরের আত্মাকে চিনতে পারবে: যে আত্মা স্বীকার করে যে যীশু খ্রীষ্ট মানবদেহে আগমন করেছেন, সে ঈশ্বর থেকে,
3 ३ और जो कोई आत्मा यीशु को नहीं मानती, वह परमेश्वर की ओर से नहीं है; यही मसीह के विरोधी की आत्मा है; जिसकी चर्चा तुम सुन चुके हो, कि वह आनेवाला है और अब भी जगत में है।
কিন্তু যে আত্মা যীশু খ্রীষ্টকে শরীরে আগত বলে স্বীকার করে না, সে ঈশ্বর থেকে নয়। এ হল সেই খ্রীষ্টারির আত্মা, যার আগমন সম্পর্কে তোমরা শুনেছ, এমনকি ইতিমধ্যেই সে জগতে উপস্থিত হয়েছে।
4 ४ हे प्रिय बालकों, तुम परमेश्वर के हो और उन आत्माओं पर जय पाई है; क्योंकि जो तुम में है, वह उससे जो संसार में है, बड़ा है।
প্রিয় সন্তানেরা, তোমরা ঈশ্বর থেকে। তোমরা খ্রীষ্ট বিরোধীদের পরাস্ত করেছ, কারণ তোমাদের অন্তরে যিনি আছেন, তিনি জগতে যে বিচরণ করে, তার চেয়ে মহান।
5 ५ वे आत्माएँ संसार की हैं, इस कारण वे संसार की बातें बोलती हैं, और संसार उनकी सुनता है।
তারা জগৎ থেকে, তাই জাগতিক দৃষ্টিভঙ্গিতেই তারা কথা বলে এবং জগৎ তাদের কথা শোনে।
6 ६ हम परमेश्वर के हैं। जो परमेश्वर को जानता है, वह हमारी सुनता है; जो परमेश्वर को नहीं जानता वह हमारी नहीं सुनता; इसी प्रकार हम सत्य की आत्मा और भ्रम की आत्मा को पहचान लेते हैं।
কিন্তু আমরা ঈশ্বর থেকে এবং ঈশ্বরকে যে জানে, সে আমাদের কথা শোনে; কিন্তু যে ঈশ্বর থেকে নয়, সে আমাদের কথায় কর্ণপাত করে না। এভাবেই আমরা সত্যের আত্মা ও বিভ্রান্তির আত্মাকে চিনতে পারি।
7 ७ हे प्रियों, हम आपस में प्रेम रखें; क्योंकि प्रेम परमेश्वर से है और जो कोई प्रेम करता है, वह परमेश्वर से जन्मा है और परमेश्वर को जानता है।
প্রিয় বন্ধুরা, এসো আমরা পরস্পরকে প্রেম করি, কারণ প্রেম ঈশ্বর থেকে আসে। যে প্রেম করে, সে ঈশ্বর থেকে জাত এবং সে ঈশ্বরকে জানে।
8 ८ जो प्रेम नहीं रखता वह परमेश्वर को नहीं जानता है, क्योंकि परमेश्वर प्रेम है।
যে প্রেম করে না, সে ঈশ্বরকে জানে না, কারণ ঈশ্বরই প্রেম।
9 ९ जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है, वह इससे प्रगट हुआ कि परमेश्वर ने अपने एकलौते पुत्र को जगत में भेजा है कि हम उसके द्वारा जीवन पाएँ।
এভাবেই ঈশ্বর আমাদের মধ্যে তাঁর প্রেম প্রদর্শন করেছেন: তাঁর এক ও অদ্বিতীয় পুত্রকে তিনি জগতে পাঠিয়েছেন, যেন আমরা তাঁর মাধ্যমে জীবিত থাকি।
10 १० प्रेम इसमें नहीं कि हमने परमेश्वर से प्रेम किया पर इसमें है, कि उसने हम से प्रेम किया और हमारे पापों के प्रायश्चित के लिये अपने पुत्र को भेजा।
এই হল প্রেম: এমন নয় যে আমরা ঈশ্বরকে প্রেম করেছি, বরং তিনি আমাদের প্রেম করেছেন এবং আমাদের পাপের প্রায়শ্চিত্ত করার জন্য তাঁর পুত্রকে পাঠিয়েছেন।
11 ११ हे प्रियों, जब परमेश्वर ने हम से ऐसा प्रेम किया, तो हमको भी आपस में प्रेम रखना चाहिए।
প্রিয় বন্ধুরা, ঈশ্বর যখন আমাদের এত প্রেম করেছেন, আমাদেরও উচিত পরস্পরকে প্রেম করা।
12 १२ परमेश्वर को कभी किसी ने नहीं देखा; यदि हम आपस में प्रेम रखें, तो परमेश्वर हम में बना रहता है; और उसका प्रेम हम में सिद्ध होता है।
কেউ কখনও ঈশ্বরকে দেখেনি। কিন্তু আমরা যদি পরস্পরকে প্রেম করি, ঈশ্বর আমাদের মধ্যে বাস করেন এবং আমাদের মধ্যে তাঁর প্রেম পূর্ণতা লাভ করে।
13 १३ इसी से हम जानते हैं, कि हम उसमें बने रहते हैं, और वह हम में; क्योंकि उसने अपनी आत्मा में से हमें दिया है।
এতেই আমরা জানি যে, আমরা তাঁর মধ্যে বাস করি এবং তিনি আমাদের মধ্যে বাস করেন, কারণ তিনি তাঁর আত্মাকে আমাদের দিয়েছেন।
14 १४ और हमने देख भी लिया और गवाही देते हैं कि पिता ने पुत्र को जगत का उद्धारकर्ता होने के लिए भेजा है।
আমরা দেখেছি ও সাক্ষ্য দিচ্ছি যে, পিতা তাঁর পুত্রকে জগতের উদ্ধারকর্তা হওয়ার জন্য পাঠিয়েছেন।
15 १५ जो कोई यह मान लेता है, कि यीशु परमेश्वर का पुत्र है परमेश्वर उसमें बना रहता है, और वह परमेश्वर में।
কেউ যদি যীশুকে ঈশ্বরের পুত্র বলে স্বীকার করে, তাহলে ঈশ্বর তার মধ্যে থাকেন এবং সেও ঈশ্বরের মধ্যে থাকে।
16 १६ और जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है, उसको हम जान गए, और हमें उस पर विश्वास है। परमेश्वर प्रेम है; जो प्रेम में बना रहता है वह परमेश्वर में बना रहता है; और परमेश्वर उसमें बना रहता है।
আর তাই, আমাদের জন্য ঈশ্বরের যে প্রেম, আমরা তা জানি এবং তার উপর নির্ভর করি। ঈশ্বরই প্রেম। যে প্রেমে বাস করে, সে ঈশ্বরে থাকে এবং ঈশ্বর তার মধ্যে থাকেন।
17 १७ इसी से प्रेम हम में सिद्ध हुआ, कि हमें न्याय के दिन साहस हो; क्योंकि जैसा वह है, वैसे ही संसार में हम भी हैं।
এভাবে, আমাদের মধ্যে প্রেম পূর্ণতা লাভ করে, যেন বিচারের দিনে আমরা নির্ভয়ে থাকতে পারি, কারণ এই জগতে আমরা তাঁরই মতো রয়েছি।
18 १८ प्रेम में भय नहीं होता, वरन् सिद्ध प्रेम भय को दूर कर देता है, क्योंकि भय का सम्बंध दण्ड से होता है, और जो भय करता है, वह प्रेम में सिद्ध नहीं हुआ।
প্রেমে কোনো ভয় নেই। কিন্তু নিখাদ ভালোবাসা ভয় দূর করে, কারণ ভয়ের সঙ্গে জড়িত থাকে শাস্তি। আর যে ভয় করে, তার প্রেম পূর্ণতা লাভ করেনি।
19 १९ हम इसलिए प्रेम करते हैं, क्योंकि पहले उसने हम से प्रेम किया।
আমরা প্রেম করি, কারণ তিনিই প্রথমে আমাদের প্রেম করেছেন।
20 २० यदि कोई कहे, “मैं परमेश्वर से प्रेम रखता हूँ,” और अपने भाई से बैर रखे; तो वह झूठा है; क्योंकि जो अपने भाई से, जिसे उसने देखा है, प्रेम नहीं रखता, तो वह परमेश्वर से भी जिसे उसने नहीं देखा, प्रेम नहीं रख सकता।
কেউ যদি বলে, “আমি ঈশ্বরকে প্রেম করি,” অথচ তার ভাইবোনকে ঘৃণা করে, সে মিথ্যাবাদী। যে ভাই বা বোনকে সে দেখতে পায় তাকে যদি সে প্রেম না করে, তাহলে যে ঈশ্বরকে সে দেখেনি তাঁকে সে প্রেম করতে পারে না।
21 २१ और उससे हमें यह आज्ञा मिली है, कि जो कोई अपने परमेश्वर से प्रेम रखता है, वह अपने भाई से भी प्रेम रखे।
তিনি আমাদের এই আদেশ দিয়েছেন: ঈশ্বরকে যে প্রেম করে, সে তার ভাইবোনকেও প্রেম করবে।