< 1 कुरिन्थियों 14 >
1 १ प्रेम का अनुकरण करो, और आत्मिक वरदानों की भी धुन में रहो विशेष करके यह, कि भविष्यद्वाणी करो।
ᎠᏓᎨᏳᏗ ᎨᏒ ᎢᏥᏍᏓᏩᏕᎨᏍᏗ; ᎠᎴ ᎢᏣᏚᎵᏍᎨᏍᏗ ᎠᏓᏅᏙ ᎤᎵᏍᎪᎸᏙᏗ; ᎠᏗᎾ Ꮀ ᎤᎬᏫᏳᏎᏍᏗ ᎾᏍᎩ ᎨᏣᏙᎴᎰᎯᏍᏗ ᎨᏒᎢ.
2 २ क्योंकि जो अन्य भाषा में बातें करता है; वह मनुष्यों से नहीं, परन्तु परमेश्वर से बातें करता है; इसलिए कि उसकी बातें कोई नहीं समझता; क्योंकि वह भेद की बातें आत्मा में होकर बोलता है।
ᎩᎶᏰᏃ ᏱᎦᏬᏂᎭ ᏅᏩᎾᏓᎴ ᎤᏂᏬᏂᎯᏍᏗ ᎨᏒᎢ, ᎥᏝ ᏴᏫ ᏱᏗᎦᏬᏁᏗᏍᎪᎢ, ᎤᏁᎳᏅᎯᏍᎩᏂ; ᎥᏝᏰᏃ ᎩᎶ ᏳᏬᎵᏤᎰᎢ; ᎠᏓᏅᏙᏍᎩᏂᏃᏅ ᎬᏗ ᎦᏬᏂᏍᎬ ᎤᏕᎵᏛ ᎦᎾᎸᎪᏫᏍᎪᎢ.
3 ३ परन्तु जो भविष्यद्वाणी करता है, वह मनुष्यों से उन्नति, और उपदेश, और शान्ति की बातें कहता है।
ᎩᎶᏍᎩᏂ ᏯᏙᎴᎰᏍᎦ ᏴᏫ ᏕᎦᏬᏁᏗᏍᎪ ᏓᎵᏂᎪᎯᏍᏗᏍᎪᎢ, ᎠᎴ ᏕᎦᏂᎳᏕᎰᎢ, ᎠᎴ ᏓᎦᎵᏍᏓᏗᏍᎪᎢ.
4 ४ जो अन्य भाषा में बातें करता है, वह अपनी ही उन्नति करता है; परन्तु जो भविष्यद्वाणी करता है, वह कलीसिया की उन्नति करता है।
ᎩᎶ ᏱᎦᏬᏂᎭ ᏅᏩᎾᏓᎴ ᎤᏂᏬᏂᎯᏍᏗ ᎨᏒ, ᎤᏩᏒ ᎠᏓᎵᏂᎪᎯᏍᏗᏍᎪᎢ; ᎩᎶᏍᎩᏂ ᏯᏙᎴᎰᏍᎦ ᏓᎵᏂᎪᎯᏍᏗᏍᎪ ᏧᎾᏁᎶᏗ ᎤᎾᏓᏡᎬᎢ.
5 ५ मैं चाहता हूँ, कि तुम सब अन्य भाषाओं में बातें करो, परन्तु अधिकतर यह चाहता हूँ कि भविष्यद्वाणी करो: क्योंकि यदि अन्य भाषा बोलनेवाला कलीसिया की उन्नति के लिये अनुवाद न करे तो भविष्यद्वाणी करनेवाला उससे बढ़कर है।
ᎣᏏᏳ ᏱᏥᏰᎸᎾ ᎢᏳᏃ ᏂᏥᎥ ᎢᎸᏍᎩ ᎢᏳᏓᎴᎩ ᏱᏗᏥᏬᏂᎭ; ᎠᏎᏃ ᎰᎤᎬᏫᏳᎭ ᏱᏣᏙᎴᎰᏍᎦ; ᎤᏟᏰᏃ ᎠᏥᎸᏉᏗᏳ ᎾᏍᎩ Ꮎ ᎠᏙᎴᎰᏍᎩ, ᎡᏍᎦᏉ ᎾᏍᎩ Ꮎ ᎢᎸᏍᎩ ᎢᏳᏓᎴᎩ ᏗᎦᏬᏂᏍᎩ, ᎢᏳᏍᎩᏂᏃᏅ ᏯᏁᏢᏗᎭ, ᎾᏍᎩ ᏧᎾᏁᎶᏗ ᎤᎾᏓᏡᎬ ᏧᎾᎵᏂ ᎪᎯᏍᏗᏱ.
6 ६ इसलिए हे भाइयों, यदि मैं तुम्हारे पास आकर अन्य भाषा में बातें करूँ, और प्रकाश, या ज्ञान, या भविष्यद्वाणी, या उपदेश की बातें तुम से न कहूँ, तो मुझसे तुम्हें क्या लाभ होगा?
ᎢᏳᏃ, ᎢᏓᎵᏅᏟ, ᏱᏫᏨᎷᏤᎸ ᎢᎸᏍᎩ ᎢᏳᏓᎴᎩ ᏱᏗᏥᏬᏂᎭ, ᎦᏙ ᎤᏍᏗ ᏱᏨᏁᏉᏏ, ᎢᏳᏍᎩᏂᏃᏅ ᎢᏨᏬᏁᏗᏍᎬ ᎪᎱᏍᏗ ᏱᏨᎾᏄᎪᏫᏎᎭ, ᎠᎴ ᎢᏥᎦᏙᎥᎯᏍᏗᏱ ᏱᏂᏨᏴᏁᎭ, ᎠᎴ ᏱᎦᏙᎴᎰᏍᎦ, ᎠᎴ ᏱᏗᎦᏕᏲᎲᏍᎦ.
7 ७ इसी प्रकार यदि निर्जीव वस्तुएँ भी, जिनसे ध्वनि निकलती है जैसे बाँसुरी, या बीन, यदि उनके स्वरों में भेद न हो तो जो फूँका या बजाया जाता है, वह क्यों पहचाना जाएगा?
ᎾᏍᏉᏰᏃ ᎪᎱᏍᏗᏉ ᎬᏃᏛ ᏂᎨᏒᎾ, ᏳᏃᏴᎦ, ᎠᏤᎷᎯᏍᏗ ᎠᎴ ᏗᎧᏃᎩᏍᏙᏗ ᏱᎩ, ᎢᏳᏃ ᏧᏓᎴᎿᎭᎢ ᏂᏚᏃᏴᎬᎾ ᏱᎩ, ᎦᏙ ᏱᎦᎵᏍᏙᏓ ᏴᏙᎴᎰᎯ ᎾᏍᎩ ᎠᏤᎷᎯᏛ ᎨᏒ ᎠᎴ ᎾᏍᎩ ᏗᎧᏃᎩᏛ ᎨᏒᎢ?
8 ८ और यदि तुरही का शब्द साफ न हो तो कौन लड़ाई के लिये तैयारी करेगा?
ᎢᏳᏰᏃ ᎠᏤᎷᎯᏍᏗ ᎦᎪᎵᏍᏗ ᏂᎨᏒᎾ ᏳᏃᏴᎦ, ᎦᎪ ᏯᏛᏅᎢᏍᏓ ᏓᎿᎭᏩ ᎤᏪᏅᏍᏗᏱ?
9 ९ ऐसे ही तुम भी यदि जीभ से साफ बातें न कहो, तो जो कुछ कहा जाता है वह कैसे समझा जाएगा? तुम तो हवा से बातें करनेवाले ठहरोगे।
ᎾᏍᎩᏯ ᎾᏍᏉ ᏂᎯ, ᎢᏳᏃ ᏗᏥᏃᎪ ᏗᎬᏗ ᎦᎪᎵᏍᏗ ᏂᏥᏬᏂᏍᎬᎾ ᏱᎩ, ᎦᏙ ᏱᎦᎵᏍᏙᏓ ᎬᏙᎴᎰᎯᏍᏗ ᏱᎩ, ᏂᏥᏪᏒ ᎢᏥᏬᏂᏒᎢ? ᎦᏃᎴᏍᎬᏰᏃ ᎢᏥᏬᏁᏗᏍᎩ ᎨᏎᏍᏗ.
10 १० जगत में कितने ही प्रकार की भाषाएँ क्यों न हों, परन्तु उनमें से कोई भी बिना अर्थ की न होगी।
ᎾᏍᏉ ᎤᏣᏘ ᎢᏳᏓᎴᎩ ᏱᏓᏂᏬᏂᎭ ᎡᎶᎯ, ᎠᏎᏃ ᎥᏝ ᏌᏉ ᎾᏍᎩ ᎪᎱᏍᏗ ᏂᎦᏛᎬᎾ ᏱᎩ.
11 ११ इसलिए यदि मैं किसी भाषा का अर्थ न समझूँ, तो बोलनेवाले की दृष्टि में परदेशी ठहरूँगा; और बोलनेवाला मेरी दृष्टि में परदेशी ठहरेगा।
ᎾᏍᎩᏃ ᏂᎪᎵᎬᎾ ᏱᎩ ᎦᏛᎬ ᎦᏬᏂᏍᎬᎢ, ᏅᏆᏓᎴᏉ ᎾᏍᎩᏯ ᏱᎩ ᎠᏆᏓᏅᏖᏍᎬ ᎾᏍᎩ ᎦᏬᏂᏍᎩ; ᎠᎴ ᎾᏍᎩ ᎦᏬᏂᏍᎩ ᏅᏩᏓᎴᏉ ᎾᏍᎩᏯ ᏱᎩ ᎠᏴ ᏥᏯᏓᏅᏖᏍᎬᎢ.
12 १२ इसलिए तुम भी जब आत्मिक वरदानों की धुन में हो, तो ऐसा प्रयत्न करो, कि तुम्हारे वरदानों की उन्नति से कलीसिया की उन्नति हो।
ᎾᏍᎩᏯ ᎾᏍᏉ ᏂᎯ, ᎾᏍᎩ ᎤᏣᏘ ᏥᏣᏚᎵ ᏗᎦᎸᏫᏍᏓᏁᏗ ᎠᏓᏅᏙ ᎤᏓᏁᏗ ᎨᏒᎢ, ᎢᏥᏲᎮᏍᏗ ᏗᏣᏓᏓᎵᏁᎯᏕᏗᏱ ᎾᏍᎩ ᏧᎾᏁᎶᏗ ᎤᎾᏓᏡᎬ ᏗᏣᎵᏂᎪᎯᏍᏙᏗᏱ.
13 १३ इस कारण जो अन्य भाषा बोले, तो वह प्रार्थना करे, कि उसका अनुवाद भी कर सके।
ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᎩᎶ ᏅᏩᎾᏓᎴ ᎤᏂᏬᏂᎯᏍᏗ ᎦᏬᏂᏍᎨᏍᏗ, ᎠᏓᏙᎵᏍᏗᏍᎨᏍᏗ ᎠᏔᏲᎯᎮᏍᏗ ᎠᏥᏍᏕᎸᏗᏱ ᎤᏁᏢᏙᏗᏱ.
14 १४ इसलिए यदि मैं अन्य भाषा में प्रार्थना करूँ, तो मेरी आत्मा प्रार्थना करती है, परन्तु मेरी बुद्धि काम नहीं देती।
ᎢᏳᏰᏃ ᏱᎦᏓᏙᎵᏍᏗ ᏱᎬᏗᎭ ᏅᏩᎾᏓᎴ ᎤᏂᏬᏂᎯᏍᏗ ᎨᏒᎢ, ᎠᏆᏓᏅᏙ ᎠᏓᏙᎵᏍᏗᏍᎪᎢ; ᎠᏆᏓᏅᏛᏍᎩᏂ ᎥᏝ ᏱᎦᎾᏄᎪᏫᏍᎪ ᎣᏍᏛ ᎨᏒᎢ.
15 १५ तो क्या करना चाहिए? मैं आत्मा से भी प्रार्थना करूँगा, और बुद्धि से भी प्रार्थना करूँगा; मैं आत्मा से गाऊँगा, और बुद्धि से भी गाऊँगा।
ᎦᏙ ᎰᏩ ᎤᏍᏗ? ᎠᏆᏓᏅᏙ ᎬᏗᏍᎨᏍᏗ ᎦᏓᏙᎵᏍᏗᏍᎨᏍᏗ, ᎠᎴ ᎦᎪᎵᏍᏗ ᎦᏓᏙᎵᏍᏗᏍᎨᏍᏗ; ᎠᎴ ᎠᏆᏓᏅᏙ ᎬᏗᏍᎨᏍᏗ ᏕᏥᏃᎩᏍᎨᏍᏗ ᎠᎴ ᎦᎪᎵᏍᏗ ᏕᏥᏃᎩᏍᎨᏍᏗ.
16 १६ नहीं तो यदि तू आत्मा ही से धन्यवाद करेगा, तो फिर अज्ञानी तेरे धन्यवाद पर आमीन क्यों कहेगा? इसलिए कि वह तो नहीं जानता, कि तू क्या कहता है?
ᎾᏍᎩᏰᏃ ᏄᏍᏛ ᏱᎩ, ᎿᎭᏉ ᎭᎵᎮᎵᏨ ᏣᏓᏅᏙ ᎲᏔᏅᎭ, ᎦᏙ ᏱᎦᎵᏍᏙᏓ ᎾᏍᎩ Ꮎ ᎾᎦᏔᎾᎥᎾ ᎤᏪᏗᏱ ᏳᏬᎳ, ᏰᎵ ᎡᎺᏅ ᏯᏛ ᎭᎵᎮᎵᎩ? ᏂᎪᎵᎬᎾᏰᏃ ᏱᎩ ᏂᏪᏍᎬᎢ.
17 १७ तू तो भली भाँति से धन्यवाद करता है, परन्तु दूसरे की उन्नति नहीं होती।
ᏂᎯᏰᏃ ᎤᏙᎯᏳᎯ ᎣᏏᏳ ᏂᏪᎭ ᎭᎵᎮᎵᎬᎢ, ᏐᎢᏍᎩᏂ ᎥᏝ ᏳᎵᏂᎪᎯᏍᏗᎭ.
18 १८ मैं अपने परमेश्वर का धन्यवाद करता हूँ, कि मैं तुम सबसे अधिक अन्य भाषा में बोलता हूँ।
ᏥᏯᎵᎡᎵᏤᎭ ᎠᏆᏁᎳᏅᎯ, ᎾᏍᎩ ᎤᏟ ᎢᎦᎢ ᏗᎬᎩᏬᏂᎯᏍᏗ ᎨᏒ ᏧᏓᎴᏅᏛ ᏗᎦᏬᏂᎯᏍᏗ ᎨᏒ ᎡᏍᎦᏉ ᏂᎯ ᏂᏥᎥᎢ;
19 १९ परन्तु कलीसिया में अन्य भाषा में दस हजार बातें कहने से यह मुझे और भी अच्छा जान पड़ता है, कि औरों के सिखाने के लिये बुद्धि से पाँच ही बातें कहूँ।
ᎠᏎᏃ ᏧᎾᏁᎶᏗ ᎤᎾᏓᏡᎬ ᎤᏟ ᎬᎩᏰᎸᏗ ᎾᎿᎭᎯᏍᎩᏉ ᎢᎧᏁᏨᎯ ᎠᎩᏁᎢᏍᏗᏱ ᎠᏆᏓᏅᏛ ᎠᏋᏙᏗᏱ, ᎾᏍᎩ ᏅᏩᎾᏓᎴ ᎾᏍᏉ ᎦᏥᏰᏲᏗᏱ, ᎠᏃ ᎠᏍᎪᎯ ᎢᏯᎦᏴᎵ ᎢᎧᏁᏨᎯ ᎠᎩᏁᎢᏍᏗᏱ ᏅᏩᎾᏓᎴ ᎤᏂᏬᏂᎯᏍᏗ ᎨᏒ ᎠᏋᏙᏗᏱ.
20 २० हे भाइयों, तुम समझ में बालक न बनो: फिर भी बुराई में तो बालक रहो, परन्तु समझ में सयाने बनो।
ᎢᏓᎵᏅᏟ, ᏞᏍᏗ ᏗᏥᏲᎵ ᏱᎨᏎᏍᏗ ᏕᏣᏓᏅᏛᎢ; ᎠᏓᏍᎦᎢᏍᏗᏍᎩᏂᏃᏅ ᎨᏒ ᏗᏥᏲᎵ ᎨᏎᏍᏗ, ᏕᏣᏓᏅᏛᏍᎩᏂ ᏗᏣᏛᎾᏯ ᎨᏎᏍᏗ.
21 २१ व्यवस्था में लिखा है, कि प्रभु कहता है, “मैं अन्य भाषा बोलनेवालों के द्वारा, और पराए मुख के द्वारा इन लोगों से बात करूँगा तो भी वे मेरी न सुनेंगे।”
ᏗᎧᎿᎭᏩᏛᏍᏗᏱ ᎯᎠ ᏂᎬᏅ ᎪᏪᎳ, ᏅᏩᏓᎴ ᏗᏂᏬᏂᏍᎩ ᎠᎴ ᏅᏩᏓᎴ ᏧᏂᎭᏁᎦᎵ ᏓᎦᏥᏴᏔᏂ ᎦᏓᏥᏬᏁᏔᏂ ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᏴᏫ; ᎠᏎᏃ ᎠᏏ ᎥᏝ ᏱᎬᏆᏛᎦᏁᎮᏍᏗ, ᎠᏗᎭ ᏱᎰᏩ.
22 २२ इसलिए अन्य भाषाएँ विश्वासियों के लिये नहीं, परन्तु अविश्वासियों के लिये चिन्ह हैं, और भविष्यद्वाणी अविश्वासियों के लिये नहीं परन्तु विश्वासियों के लिये चिन्ह है।
ᎾᏍᎩᏃ ᏧᏓᎴᏅᏛ ᏗᎦᏬᏂᎯᏍᏗ ᎨᏒ ᎪᎯᏳᏗᏍᎩ ᎠᏰᎸᎭ, ᎥᏝ ᎠᏃᎯᏳᎲᏍᎩ ᎤᏃᎯᏳᏓᏁᎯ ᏱᎩ, ᎠᏍᎩᏂ ᎠᏃᎯᏳᎲᏍᎩ ᏂᎨᏒᎾ; ᎠᏙᎴᎰᎯᏍᏗᏍᎩᏂ ᎨᏒ ᎥᏝ ᎠᏃᎯᏳᎲᏍᎩ ᏂᎨᏒᎾ [ ᎤᏃᎯᏳᏓᏁᎯ ] ᏱᎩ, ᎠᏃᎯᏳᎲᏍᎩᏍᎩᏂ.
23 २३ तो यदि कलीसिया एक जगह इकट्ठी हो, और सब के सब अन्य भाषा बोलें, और बाहरवाले या अविश्वासी लोग भीतर आ जाएँ तो क्या वे तुम्हें पागल न कहेंगे?
ᎾᏍᎩᏃ ᏥᏄᏍᏗ ᎢᏳᏃ ᏧᎾᏁᎶᏗ ᎤᎾᏓᏡᎬ ᏂᎦᏛ ᎢᎸᎯᏢ ᏱᏚᏂᎳᏫᏦᏅ, ᎠᎴ ᏂᎦᏛ ᏧᏓᎴᏅᏛ ᏗᎦᏬᏂᎯᏍᏗ ᎨᏒ ᏱᏓᏂᏬᏂᎭ, ᏳᏂᏴᎵᎸᏃ ᎾᎿᎭᏂ ᎾᏂᎦᏔᎾᎥᎾ, ᎠᎴ ᎠᏃᎯᏳᎲᏍᎩᏂ ᏂᎨᏒᎾ, ᏝᏍᎪ ᏚᏂᎸᏃᏘᎭ ᏴᎬᎾᏛ?
24 २४ परन्तु यदि सब भविष्यद्वाणी करने लगें, और कोई अविश्वासी या बाहरवाला मनुष्य भीतर आ जाए, तो सब उसे दोषी ठहरा देंगे और परख लेंगे।
ᎢᏳᏍᎩᏂ ᏂᎦᏛ ᏯᎾᏙᎴᎰᏍᎦ, ᏳᏴᎵᎸᏃ ᎩᎶ ᎪᎯᏳᎲᏍᎩ ᏂᎨᏒᎾ, ᎠᎴ ᎩᎶ ᎾᎦᏔᎾᎥᎾ, ᎾᏂᎥ ᎬᏬᎯᏳᏓᏁᎰᎢ, ᎠᎴ ᎾᏂᎥ ᏕᎬᏭᎪᏓᏁᎰᎢ;
25 २५ और उसके मन के भेद प्रगट हो जाएँगे, और तब वह मुँह के बल गिरकर परमेश्वर को दण्डवत् करेगा, और मान लेगा, कि सचमुच परमेश्वर तुम्हारे बीच में है।
ᎾᏍᎩᏃ ᎤᏕᎵᏛ ᎤᏍᏆᏂᎪᏛ ᎤᎾᏫᏱ ᎬᏂᎨᏒ ᏱᏂᎦᎵᏍᏓ; ᎾᏍᎩᏃ ᏯᎵᏰᏍᏚᎲᎦ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᏯᏓᏙᎵᏍᏓᏏ, ᎠᎴ ᏱᏕᎦᏃᏣᎸᎦ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᏙᎯᏳᎯᏯ ᎢᏣᏓᏑᏴᎢ.
26 २६ इसलिए हे भाइयों क्या करना चाहिए? जब तुम इकट्ठे होते हो, तो हर एक के हृदय में भजन, या उपदेश, या अन्य भाषा, या प्रकाश, या अन्य भाषा का अर्थ बताना रहता है: सब कुछ आत्मिक उन्नति के लिये होना चाहिए।
ᎦᏙ ᎰᏩ ᎤᏍᏗ, ᎢᏓᎵᏅᏟ? ᎢᏳᏃ ᏕᏥᎳᏫᎩ, ᎢᏥᏏᏴᏫᎭ ᏗᎧᏃᎩᏛ ᎢᏣᏛᏅᎢᏍᏙᎢ, ᏗᏕᏲᏗ ᎢᏣᏛᏅᎢᏍᏙᎢ, ᏧᏓᎴᏅᏛ ᏗᎦᏬᏂᎯᏍᏗ ᎢᏣᏛᏅᎢᏍᏙᎢ, ᎬᏂᎨᏒ ᎢᎬᏁᏗ ᎢᏣᏛᏅᎢᏍᏙᎢ, ᎠᏁᏢᏙᏗ ᎢᏣᏛᏅᎢᏍᏙᎢ. ᏂᎦᏛ ᎠᏗᎾ ᏕᏥᎸᏫᏍᏓᏁᎲ ᏗᏣᏓᎵᏂᎪᎯᏍᏙᏗᏱ ᎤᎬᏩᎴᏍᏗ.
27 २७ यदि अन्य भाषा में बातें करनी हों, तो दो-दो, या बहुत हो तो तीन-तीन जन बारी-बारी बोलें, और एक व्यक्ति अनुवाद करे।
ᎢᏳᏃ ᎩᎶ ᏅᏩᎾᏓᎴ ᏧᏂᏬᏂᎯᏍᏗ ᎨᏒ ᏱᎦᏬᏂᎭ, ᎠᏂᏔᎵ, ᎠᎴ ᏦᎢ ᎢᏴᏛ ᏩᏍᏕᏍᏗ ᏓᏂᏬᏂᏎᎨᏍᏗ ᏌᏉ ᎤᏪᏒᏛ; ᎠᏏᏴᏫᏃ ᎠᏁᏢᏗᏍᎨᏍᏗ.
28 २८ परन्तु यदि अनुवाद करनेवाला न हो, तो अन्य भाषा बोलनेवाला कलीसिया में शान्त रहे, और अपने मन से, और परमेश्वर से बातें करे।
ᎢᏳᏍᎩᏂ ᎠᏁᏢᏗᏍᎩ ᏁᏙᎲᎾ ᎢᎨᏎᏍᏗ, ᎡᎳᏪᏉ ᎤᏩᏎᏍᏗ ᏧᎾᏁᎶᏗ ᎤᎾᏓᏡᎬᎢ; ᎤᏩᏒᏉ ᎠᏓᎵᏃᎮᏗᏍᎨᏍᏗ, ᎠᎴ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎠᎵᏃᎮᏗᏍᎨᏍᏗ.
29 २९ भविष्यद्वक्ताओं में से दो या तीन बोलें, और शेष लोग उनके वचन को परखें।
ᎠᎾᏙᎴᎰᏍᎩ ᎠᏂᏔᎵᎭ ᎠᏂᏬᏂᏍᎨᏍᎩ, ᎠᏂᏐᎢᏃ ᏓᏄᎪᏗᏍᎨᏍᏗ.
30 ३० परन्तु यदि दूसरे पर जो बैठा है, कुछ ईश्वरीय प्रकाश हो, तो पहला चुप हो जाए।
ᎢᏳᏃ ᎪᎱᏍᏗ ᏯᏥᎾᏄᎪᏫᏎᎸ ᎩᎶ ᎾᎥ ᎤᏬᎵ, ᎢᎬᏱ ᎤᎴᏅᏛ ᎡᎳᏪ ᎬᏍᎨᏍᏗ.
31 ३१ क्योंकि तुम सब एक-एक करके भविष्यद्वाणी कर सकते हो ताकि सब सीखें, और सब शान्ति पाएँ।
ᏂᏥᎥᏰᏃ ᏰᎵ ᎨᏥᏙᎴᎰᎯᏍᏗ ᏌᏉ ᎤᏪᏒᏛ; ᎾᏍᎩ ᎾᏂᎥ ᎤᎾᏕᎶᏆᏍᏗᏱ, ᎠᎴ ᎾᏂᎥ ᎤᏂᎦᎵᏍᏓᏗᏍᏗᏱ.
32 ३२ और भविष्यद्वक्ताओं की आत्मा भविष्यद्वक्ताओं के वश में है।
ᎠᎴ ᎠᎾᏙᎴᎰᏍᎩ ᏧᎾᏤᎵ ᏗᏓᏅᏙ ᏓᏃᎯᏳᎲᏍᎪ ᎠᎾᏙᎴᎰᏍᎩ.
33 ३३ क्योंकि परमेश्वर गड़बड़ी का नहीं, परन्तु शान्ति का कर्ता है; जैसा पवित्र लोगों की सब कलीसियाओं में है।
ᎤᏁᎳᏅᎯᏰᏃ ᎥᏝ ᏧᏓᎴᏅᏛ ᎨᏒ ᎢᎬᏁᎯ ᏱᎩ, ᏅᏩᏙᎯᏯᏛᏍᎩᏂ ᎨᏒᎢ, ᎾᏍᎩᏯ ᏥᏄᏍᏗ ᏂᎦᏛ ᏚᎾᏓᏡᏩᏗᏒ ᎤᎾᏓᏅᏘ.
34 ३४ स्त्रियाँ कलीसिया की सभा में चुप रहें, क्योंकि उन्हें बातें करने की अनुमति नहीं, परन्तु अधीन रहने की आज्ञा है: जैसा व्यवस्था में लिखा भी है।
ᎠᏂᎨᏴ ᏗᏣᏤᎵ ᎡᎳᏪᏉ ᎤᏅᏎᏍᏗ ᏧᎾᏁᎶᏗ ᏚᎾᏓᏡᏩᏗᏒᎢ; ᎥᏝᏰᏃ ᎨᎦᎵᏍᎪᎸᏓᏁᎸᎯ ᏱᎩ ᎾᏍᎩ ᎤᏂᏬᏂᎯᏍᏗᏱ; ᎤᏃᎯᏳᏗᏱᏉᏍᎩᏂ, ᎾᏍᎩᏯ ᎾᏍᏉ ᏥᏂᎦᏪ ᏗᎧᎿᎭᏩᏛᏍᏗ.
35 ३५ और यदि वे कुछ सीखना चाहें, तो घर में अपने-अपने पति से पूछें, क्योंकि स्त्री का कलीसिया में बातें करना लज्जा की बात है।
ᎢᏳ ᎠᎴ ᏳᎾᏚᎵ ᎪᎱᏍᏗ ᎤᎾᏕᎶᏆᏍᏗᏱ, ᏗᎬᏩᏂᏰᎯ ᏧᎾᏛᏛᎲᏍᎨᏍᏗ ᏙᏧᏁᏅᏒᎢ; ᎤᏕᎰᎯᏍᏗᏳᏰᏃ ᎠᏂᎨᏴ ᎤᏂᏬᏂᎯᏍᏗᏱ ᏧᎾᏁᎶᏗ ᎤᎾᏓᏡᎬᎢ.
36 ३६ क्यों परमेश्वर का वचन तुम में से निकला? या केवल तुम ही तक पहुँचा है?
ᏥᎪ ᏂᎯ ᎢᏤᎲ ᏧᏓᎴᏁ ᎧᏃᎮᏛ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᏤᎵᎦ? ᏥᎪᎨ ᏂᎯᏉ ᎢᏨᏒ ᎢᏥᎷᏤᎴᎢ?
37 ३७ यदि कोई मनुष्य अपने आपको भविष्यद्वक्ता या आत्मिक जन समझे, तो यह जान ले, कि जो बातें मैं तुम्हें लिखता हूँ, वे प्रभु की आज्ञाएँ हैं।
ᎢᏳᏃ ᎩᎶ ᎠᏓᏅᏖᏍᎬ ᎦᏙᎴᎣᏍᎩ ᎠᎴ ᎠᏓᏅᏙ ᎤᏓᏁᏗ ᎠᎩᎯ ᎢᎡᎵᏍᎨᏍᏗ, ᎾᏍᎩ ᎬᏂᎨᏒ ᏂᎬᏁᎮᏍᏗ ᎾᏍᎩ ᎯᎠ ᏥᏫᏨᏲᏪᎳᏁᎭ ᎤᎬᏫᏳᎯ ᎤᏁᏨᎯ ᎨᏒᎢ.
38 ३८ परन्तु यदि कोई न माने, तो न माने।
ᎢᏳᏍᎩᏂ ᎩᎶ ᎾᎦᏔᎲᎾ ᎢᎨᏎᏍᏗ, ᎤᏁᎳᎩᏉ ᎾᎦᏔᎲᎾ ᎨᏎᏍᏗ.
39 ३९ अतः हे भाइयों, भविष्यद्वाणी करने की धुन में रहो और अन्य भाषा बोलने से मना न करो।
ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᎢᏓᎵᏅᏟ, ᎢᏣᏚᎵᏍᎨᏍᏗ ᎢᏣᏙᎴᎰᎯᏍᏗᏱ, ᎠᎴ ᏞᏍᏗ ᏱᏥᏅᏍᏙᏍᎨᏍᏗ ᎦᏬᏂᎯᏍᏗᏱ ᏧᎾᏓᎴᏅᏛ ᏧᏂᏬᏂᎯᏍᏗ ᎨᏒᎢ.
40 ४० पर सारी बातें सभ्यता और क्रमानुसार की जाएँ।
ᏂᎦᏛ ᏕᏥᎸᏫᏍᏓᏁᎲ ᎤᏬᏚᎯ ᎠᎴ ᎣᏍᏛ Ꭰ’ᏱᎸᏛ ᎨᏎᏍᏗ.