< 1 कुरिन्थियों 13 >
1 १ यदि मैं मनुष्यों, और स्वर्गदूतों की बोलियाँ बोलूँ, और प्रेम न रखूँ, तो मैं ठनठनाता हुआ पीतल, और झंझनाती हुई झाँझ हूँ।
১মৰ্ত্যস্ৱৰ্গীযাণাং ভাষা ভাষমাণোঽহং যদি প্ৰেমহীনো ভৱেযং তৰ্হি ৱাদকতালস্ৱৰূপো নিনাদকাৰিভেৰীস্ৱৰূপশ্চ ভৱামি|
2 २ और यदि मैं भविष्यद्वाणी कर सकूँ, और सब भेदों और सब प्रकार के ज्ञान को समझूँ, और मुझे यहाँ तक पूरा विश्वास हो, कि मैं पहाड़ों को हटा दूँ, परन्तु प्रेम न रखूँ, तो मैं कुछ भी नहीं।
২অপৰঞ্চ যদ্যহম্ ঈশ্ৱৰীযাদেশাঢ্যঃ স্যাং সৰ্ৱ্ৱাণি গুপ্তৱাক্যানি সৰ্ৱ্ৱৱিদ্যাঞ্চ জানীযাং পূৰ্ণৱিশ্ৱাসঃ সন্ শৈলান্ স্থানান্তৰীকৰ্ত্তুং শক্নুযাঞ্চ কিন্তু যদি প্ৰেমহীনো ভৱেযং তৰ্হ্যগণনীয এৱ ভৱামি|
3 ३ और यदि मैं अपनी सम्पूर्ण सम्पत्ति कंगालों को खिला दूँ, या अपनी देह जलाने के लिये दे दूँ, और प्रेम न रखूँ, तो मुझे कुछ भी लाभ नहीं।
৩অপৰং যদ্যহম্ অন্নদানেন সৰ্ৱ্ৱস্ৱং ত্যজেযং দাহনায স্ৱশৰীৰং সমৰ্পযেযঞ্চ কিন্তু যদি প্ৰেমহীনো ভৱেযং তৰ্হি তৎসৰ্ৱ্ৱং মদৰ্থং নিষ্ফলং ভৱতি|
4 ४ प्रेम धीरजवन्त है, और कृपालु है; प्रेम डाह नहीं करता; प्रेम अपनी बड़ाई नहीं करता, और फूलता नहीं।
৪প্ৰেম চিৰসহিষ্ণু হিতৈষি চ, প্ৰেম নিৰ্দ্ৱেষম্ অশঠং নিৰ্গৰ্ৱ্ৱঞ্চ|
5 ५ अशोभनीय व्यवहार नहीं करता, वह अपनी भलाई नहीं चाहता, झुँझलाता नहीं, बुरा नहीं मानता।
৫অপৰং তৎ কুৎসিতং নাচৰতি, আত্মচেষ্টাং ন কুৰুতে সহসা ন ক্ৰুধ্যতি পৰানিষ্টং ন চিন্তযতি,
6 ६ कुकर्म से आनन्दित नहीं होता, परन्तु सत्य से आनन्दित होता है।
৬অধৰ্ম্মে ন তুষ্যতি সত্য এৱ সন্তুষ্যতি|
7 ७ वह सब बातें सह लेता है, सब बातों पर विश्वास करता है, सब बातों की आशा रखता है, सब बातों में धीरज धरता है।
৭তৎ সৰ্ৱ্ৱং তিতিক্ষতে সৰ্ৱ্ৱত্ৰ ৱিশ্ৱসিতি সৰ্ৱ্ৱত্ৰ ভদ্ৰং প্ৰতীক্ষতে সৰ্ৱ্ৱং সহতে চ|
8 ८ प्रेम कभी टलता नहीं; भविष्यद्वाणियाँ हों, तो समाप्त हो जाएँगी, भाषाएँ मौन हो जाएँगी; ज्ञान हो, तो मिट जाएगा।
৮প্ৰেম্নো লোপঃ কদাপি ন ভৱিষ্যতি, ঈশ্ৱৰীযাদেশকথনং লোপ্স্যতে পৰভাষাভাষণং নিৱৰ্ত্তিষ্যতে জ্ঞানমপি লোপং যাস্যতি|
9 ९ क्योंकि हमारा ज्ञान अधूरा है, और हमारी भविष्यद्वाणी अधूरी।
৯যতোঽস্মাকং জ্ঞানং খণ্ডমাত্ৰম্ ঈশ্ৱৰীযাদেশকথনমপি খণ্ডমাত্ৰং|
10 १० परन्तु जब सर्वसिद्ध आएगा, तो अधूरा मिट जाएगा।
১০কিন্ত্ৱস্মাসু সিদ্ধতাং গতেষু তানি খণ্ডমাত্ৰাণি লোপং যাস্যন্তে|
11 ११ जब मैं बालक था, तो मैं बालकों के समान बोलता था, बालकों के समान मन था बालकों सी समझ थी; परन्तु सयाना हो गया, तो बालकों की बातें छोड़ दीं।
১১বাল্যকালেঽহং বাল ইৱাভাষে বাল ইৱাচিন্তযঞ্চ কিন্তু যৌৱনে জাতে তৎসৰ্ৱ্ৱং বাল্যাচৰণং পৰিত্যক্তৱান্|
12 १२ अब हमें दर्पण में धुँधला सा दिखाई देता है; परन्तु उस समय आमने-सामने देखेंगे, इस समय मेरा ज्ञान अधूरा है; परन्तु उस समय ऐसी पूरी रीति से पहचानूँगा, जैसा मैं पहचाना गया हूँ।
১২ইদানীম্ অভ্ৰমধ্যেনাস্পষ্টং দৰ্শনম্ অস্মাভি ৰ্লভ্যতে কিন্তু তদা সাক্ষাৎ দৰ্শনং লপ্স্যতে| অধুনা মম জ্ঞানম্ অল্পিষ্ঠং কিন্তু তদাহং যথাৱগম্যস্তথৈৱাৱগতো ভৱিষ্যামি|
13 १३ पर अब विश्वास, आशा, प्रेम ये तीनों स्थायी हैं, पर इनमें सबसे बड़ा प्रेम है।
১৩ইদানীং প্ৰত্যযঃ প্ৰত্যাশা প্ৰেম চ ত্ৰীণ্যেতানি তিষ্ঠন্তি তেষাং মধ্যে চ প্ৰেম শ্ৰেষ্ঠং|