< जकर्याह 5 >

1 मैंने फिर देखा, और मेरे सामने उड़ता हुआ एक चर्मपत्र था.
And I again lifted up my eyes, and looked, and behold there was a flying roll[-book].
2 उसने मुझसे पूछा, “तुम्हें क्या दिखाई दे रहा है?” मैंने उत्तर दिया, “मुझे उड़ता हुआ एक चर्मपत्र दिखाई दे रहा है, जो लगभग दस मीटर लंबा तथा पांच मीटर चौड़ा है.”
And he said unto me, What seest thou? And I answered, I see a flying roll, its length is twenty cubits, and its breadth ten cubits.
3 तब उसने मुझसे कहा, “यह वह शाप है जो सारे देश पर लगेगा; क्योंकि इस पत्र के एक तरफ जो लिखा है, उसके अनुसार हर एक चोर को निकाल दिया जाएगा, और इस पत्र के दूसरी ओर जो लिखा है, उसके अनुसार हर वह व्यक्ति जो झूठी शपथ खाता है, वह भी निकाल दिया जाएगा.
Then said he unto me, This is the curse that goeth forth over the face of all the earth; for every one that stealeth as it is on this side shall be in an equal degree entirely destroyed, as also every one that sweareth [falsely] as it is on that side shall be likewise entirely destroyed.
4 सर्वशक्तिमान याहवेह घोषणा करते हैं, ‘मैं इस शाप को भेजूंगा, और यह हर चोर के घर में और मेरे नाम से झूठी शपथ खानेवाले हर व्यक्ति के घर में घुसेगा. यह उस घर में बना रहेगा और उसे उसके लकड़ी और पत्थर सहित पूरी तरह नष्ट कर देगा.’”
I bring it forth, saith the Lord of hosts, and it shall enter into the house of the thief, and into the house of him that sweareth falsely by my name: and it shall remain in the midst of his house, and shall consume it with its timber and its stones.
5 तब वह स्वर्गदूत जो मुझसे बातें कर रहा था, सामने आकर मुझसे कहने लगा, “ऊपर देखो कि वहां प्रगट हो रहा है.”
Then went forth the angel that spoke with me, and said unto me, Do but lift up thy eyes, and see what is this that goeth forth.
6 मैंने पूछा, “यह क्या है?” उसने उत्तर दिया, “यह एक टोकरी है.” और उसने आगे कहा, “यह पूरे देश के लोगों का पाप है.”
And I said, What is it? And he said, This is an ephah that goeth forth. He said moreover, This is their appearance through all the earth.
7 तब सीसे के ढक्कन को हटाया गया, और वहां टोकरी में एक स्त्री बैठी हुई थी!
And, behold, there was lifted up a heavy [cover] of lead: and there was a certain woman sitting in the midst of the ephah.
8 तब स्वर्गदूत ने कहा, “यह दुष्टता है,” और उसने उस स्त्री को टोकरी में वापस धकेल दिया और सीसे के ढक्कन को टोकरी पर ढांक दिया.
And he said, This is the wickedness. And he cast her into the midst of the ephah; and he cast the weighty lead cover upon the mouth thereof.
9 तब मैंने ऊपर देखा—और वहां मेरे सामने दो स्त्रियां थी, जो अपने पंखों से हवा में उड़ रही थी! उनके पंख एक सारस के समान थे, और उन्होंने उस टोकरी को आकाश और पृथ्वी के बीच में उठा लिया.
Then did I lift up my eyes, and looked, and, behold, there came out two women, having the wind in their wings, and they had wings like the wings of a stork: and they lifted up the ephah between the earth and the heaven.
10 तब वह स्वर्गदूत जो मुझसे बातें कर रहा था, मैंने उससे पूछा, “वे उस टोकरी को कहां लिए जा रही हैं?”
Then said I to the angel that spoke with me, Whither are these bearing away the ephah?
11 उसने उत्तर दिया, “बेबीलोनिया देश को, जहां वे इसके लिए एक घर बनाएंगी. जब घर बन जाएगा, तब टोकरी को वहां उसके जगह में रख दिया जाएगा.”
And he said unto me, To build for it a house in the land of Shin'ar: and when this is erected, then will the other be set there upon its own base.

< जकर्याह 5 >