< जकर्याह 1 >
1 राजा दारयावेश के शासनकाल के दूसरे साल के आठवें महीने में याहवेह का यह वचन बेरेखियाह के पुत्र और इद्दो के पोते ज़करयाह भविष्यवक्ता के पास आया:
In the eighth month, in the second year of Darius, came the word of the LORD unto Zechariah, the son of Berechiah, the son of Iddo the prophet, saying,
2 “याहवेह तुम्हारे पूर्वजों से बहुत क्रोधित थे.
The LORD hath been sore displeased with your fathers.
3 इसलिये लोगों को बताओ: सर्वशक्तिमान याहवेह का यह कहना है: ‘मेरे पास लौट आओ,’ सर्वशक्तिमान याहवेह की यह घोषणा है, ‘तो मैं भी तुम्हारे पास लौट आऊंगा,’ सर्वशक्तिमान याहवेह का कहना है.
Therefore say thou unto them, Thus saith the LORD of hosts; Turn ye unto me, saith the LORD of hosts, and I will turn unto you, saith the LORD of hosts.
4 अपने पूर्वजों के समान मत बनो, जिन्हें पहले के भविष्यवक्ताओं ने पुकार-पुकारकर कहा था: सर्वशक्तिमान याहवेह का यह कहना है: ‘अपने बुरे चालचलन और अपने बुरे कार्यों को छोड़ो.’ किंतु उन्होंने न तो मेरी बातों को सुना और न ही मेरी ओर ध्यान दिया, याहवेह की घोषणा है.
Be ye not as your fathers, unto whom the former prophets have cried, saying, Thus saith the LORD of hosts; Turn ye now from your evil ways, and [from] your evil doings: but they did not hear, nor hearken unto me, saith the LORD.
5 तुम्हारे पूर्वज अब कहां हैं? और भविष्यवक्ता, भविष्यद्वक्ता, क्या वे सदाकाल तक जीवित हैं?
Your fathers, where [are] they? and the prophets, do they live for ever?
6 पर मेरे वचन और कानून, जो मैंने अपने सेवक भविष्यवक्ताओं को दिये थे, क्या वे तुम्हारे पूर्वजों की मृत्यु के बाद भी बने हुए नहीं हैं? “तब उन्होंने प्रायश्चित किया और कहा, ‘सर्वशक्तिमान याहवेह ने ठीक वही किया है जैसा कि हमारे चालचलन और हमारे कर्मों के कारण हमारे साथ किया जाना चाहिये, जैसा कि उन्होंने करने की ठानी थी.’”
But my words and my statutes, which I commanded my servants the prophets, did they not take hold of your fathers? and they returned and said, Like as the LORD of hosts thought to do unto us, according to our ways, and according to our doings, so hath he dealt with us.
7 राजा दारयावेश के शासनकाल के दूसरे साल के ग्यारहवें महीने अर्थात् शबात महीने के चौबीसवें दिन याहवेह का यह वचन बेरेखियाह के पुत्र और इद्दो के पोते ज़करयाह भविष्यवक्ता के पास पहुंचा.
Upon the four and twentieth day of the eleventh month, which [is] the month Sebat, in the second year of Darius, came the word of the LORD unto Zechariah, the son of Berechiah, the son of Iddo the prophet, saying,
8 रात के समय मैंने एक दर्शन में देखा कि मेरे सामने लाल घोड़े पर सवार एक व्यक्ति था. वह घाटी में मेंहदी के पेड़ों के बीच खड़ा था, और उसके पीछे लाल, भूरे और सफेद रंग के घोड़े थे.
I saw by night, and behold a man riding upon a red horse, and he stood among the myrtle trees that [were] in the bottom; and behind him [were there] red horses, speckled, and white.
9 तब मैंने पूछा, “हे मेरे प्रभु, ये क्या हैं?” जो स्वर्गदूत मुझसे बात कर रहा था, उसने उत्तर दिया, “मैं तुम्हें दिखाऊंगा कि ये क्या हैं.”
Then said I, O my lord, what [are] these? And the angel that talked with me said unto me, I will shew thee what these [be].
10 तब जो व्यक्ति मेंहदी के पेड़ों के बीच खड़ा था, उसने कहा, “ये वे हैं जिन्हें याहवेह ने पूरे पृथ्वी पर भेजा है.”
And the man that stood among the myrtle trees answered and said, These [are they] whom the LORD hath sent to walk to and fro through the earth.
11 और उन्होंने याहवेह के उस स्वर्गदूत को यह सूचित किया, जो मेंहदी के पेड़ों के बीच खड़ा था, “हम पूरी पृथ्वी में गये और देखा कि सारी पृथ्वी में चैन और शांति है.”
And they answered the angel of the LORD that stood among the myrtle trees, and said, We have walked to and fro through the earth, and, behold, all the earth sitteth still, and is at rest.
12 तब याहवेह के दूत ने कहा, “हे सर्वशक्तिमान याहवेह, आप जो येरूशलेम तथा यहूदिया के शहरों पर पिछले सत्तर सालों से क्रोधित हैं, कब तक आप इन पर अपनी दया नहीं दिखाएंगे?”
Then the angel of the LORD answered and said, O LORD of hosts, how long wilt thou not have mercy on Jerusalem and on the cities of Judah, against which thou hast had indignation these threescore and ten years?
13 तब याहवेह ने उस स्वर्गदूत से, जो मुझसे बात कर रहा था, दयालु और सांत्वनापूर्ण शब्द कहा.
And the LORD answered the angel that talked with me [with] good words [and] comfortable words.
14 फिर वह स्वर्गदूत जो मुझसे बातें कर रहा था, उसने कहा, “इन बातों की घोषणा करो: सर्वशक्तिमान याहवेह का यह कहना है: ‘येरूशलेम तथा ज़ियोन के प्रति मेरी बहुत जलन है,
So the angel that communed with me said unto me, Cry thou, saying, Thus saith the LORD of hosts; I am jealous for Jerusalem and for Zion with a great jealousy.
15 और मैं उन जनताओं से बहुत क्रोधित हूं जो आराम में हैं. पहले मैं सिर्फ थोड़ा क्रोधित था, किंतु उन्होंने खुद ही अपनी विपत्तियां बढ़ा ली हैं.’
And I am very sore displeased with the heathen [that are] at ease: for I was but a little displeased, and they helped forward the affliction.
16 “इसलिये याहवेह का यह कहना है: ‘मैं कृपा करने के लिये येरूशलेम लौटूंगा, और वहां मेरे भवन को फिर से बनाया जाएगा. और येरूशलेम के ऊपर नापने की लकीर खींची जाएगी,’ सर्वशक्तिमान याहवेह की घोषणा है.
Therefore thus saith the LORD; I am returned to Jerusalem with mercies: my house shall be built in it, saith the LORD of hosts, and a line shall be stretched forth upon Jerusalem.
17 “आगे और घोषणा करो: सर्वशक्तिमान याहवेह का यह कहना है: ‘मेरे नगर फिर समृद्ध होंगे, और याहवेह फिर ज़ियोन को सांत्वना देंगे तथा येरूशलेम को अपना ठहराएंगे.’”
Cry yet, saying, Thus saith the LORD of hosts; My cities through prosperity shall yet be spread abroad; and the LORD shall yet comfort Zion, and shall yet choose Jerusalem.
18 फिर मैंने देखा, और वहां मेरे सामने चार सींग थे.
Then lifted I up mine eyes, and saw, and behold four horns.
19 तो मैंने उस स्वर्गदूत, जो मुझसे बातें कर रहा था, उससे पूछा, “ये क्या हैं?” उसने मुझे उत्तर दिया, “ये वे सींग हैं जिन्होंने यहूदिया, इस्राएल और येरूशलेम को तितर-बितर कर दिया है.”
And I said unto the angel that talked with me, What [be] these? And he answered me, These [are] the horns which have scattered Judah, Israel, and Jerusalem.
20 फिर याहवेह ने मुझे चार शिल्पकार दिखाये.
And the LORD shewed me four carpenters.
21 मैंने पूछा, “ये क्या करने के लिये आये हैं?” उन्होंने उत्तर दिया, “ये वे सींग हैं जिन्होंने यहूदिया को तितर-बितर कर दिया है, ताकि कोई अपना सिर न उठा सके, पर ये शिल्पकार उन्हें भयभीत करने उन जनताओं के इन सीगों को काट डालने के लिये आए हैं जो यहूदिया देश के शत्रुओं को भयभीत कर देंगे और उन राष्ट्रों के सींग काट डालेंगे, जिन्होंने यहूदिया के लोगों को तितर-बितर करने के लिये आक्रमण किया है.”
Then said I, What come these to do? And he spake, saying, These [are] the horns which have scattered Judah, so that no man did lift up his head: but these are come to fray them, to cast out the horns of the Gentiles, which lifted up [their] horn over the land of Judah to scatter it.