< श्रेष्ठगीत 5 >

1 मेरी बहन, मेरी दुल्हिन; मैं अपने बगीचे में आ चुका हूं; मैंने अपना गन्धरस, अपना लोबान इकट्ठा कर लिया है. मैंने मधु के साथ मधुछत्ते को भी खा लिया है; मैंने अपना दाखमधु तथा अपना दूध पी लिया है. मित्रगण मित्रो, भोजन करो, दाखमधु का सेवन करो; तथा प्रेम के नशे में चूर हो जाओ.
(المُحِبُّ): قَدْ جِئْتُ إِلَى جَنَّتِي يَا أُخْتِي، يَا عَرُوسِي، وَقَطَفْتُ مُرِّي مَعَ أَطْيَابِي، وَأَكَلْتُ شَهْدِي مَعَ عَسَلِي، وَشَرِبْتُ خَمْرِي مَعَ لَبَنِي. (بَنَاتُ أُورُشَلِيمَ): كُلُوا أَيُّهَا الْخُلّانُ. اشْرَبُوا حَتَّى الانْتِشَاءِ أَيُّهَا المُحِبُّونَ.١
2 मैं सोई हुई थी, किंतु मेरा हृदय जाग रहा था. एक आवाज! मेरा प्रेमी दरवाजा खटखटा रहा था: “दरवाजा खोलो, मेरी बहन, मेरी प्रियतमा, मेरी कबूतरी, मेरी सर्वांग सुंदरी. क्योंकि ओस से मेरा सिर भीगा हुआ है, रात की नमी मेरे बालों में समाई हुई है.”
(الْمَحْبُوبَةُ): قَدْ نِمْتُ وَلَكِنَّ قَلْبِي كَانَ مُسْتَيْقِظاً. آهِ، اسْمَعُوا! هَا صَوْتُ حَبِيبِي قَارِعاً قَائِلاً: افْتَحِي لِي يَا أُخْتِي، يَا حَبِيبَتِي، يَا حَمَامَتِي، يَا كَامِلَتِي! فَإِنَّ رَأْسِي قَدِ ابْتَلَّ مِنَ النَّدَى وَشَعْرِي مِنْ طَلِّ اللَّيْلِ.٢
3 मैं तो अपने वस्त्र उतार चुकी हूं, अब मैं कैसे वस्त्रों को दोबारा पहनूं? मैं अपने पांव धो चुकी हूं, अब मैं उन्हें मैला क्यों करूं?
فَقُلْتُ: قَدْ خَلَعْتُ ثَوْبِي فَكَيْفَ أَرْتَدِيهِ ثَانِيَةً؟ غَسَلْتُ قَدَمَيَّ فَكَيْفَ أُوَسِّخُهُمَا؟٣
4 मेरे प्रेमी ने दरवाजे के छेद में से अपना हाथ मेरी ओर बढ़ाया; उसके लिए मेरी भावनाएं उमड़ उठीं.
مَدَّ حَبِيبِي يَدَهُ مِنْ كُوَّةِ الْبَابِ، فَتَحَرَّكَتْ لَهُ مَشَاعِرِي،٤
5 मैं बिछौना छोड़ अपने प्रेमी के लिए दरवाजा खोलने के लिए उठी, मेरे हाथों से गन्धरस टपक रहा था और मेरी उंगलियों से टपकता हुआ गन्धरस. मेरी उंगलियां इस समय दरवाजे की चिटकनी पर थीं.
فَنَهَضْتُ لأَفْتَحَ لَهُ بِيَدَيْنِ تَقْطُرَانِ مُرّاً، وَأَصَابِعَ تَفِيضُ عِطْراً عَلَى مِزْلاجِ الْبَابِ.٥
6 अपने प्रेमी के लिए मैंने दरवाजा खोला, मगर मेरा प्रेमी लौट चुका था. जब वह मुझसे विनती कर रहा था, मेरा हृदय पिघल गया. मैं उसे खोजती रही पर वह मुझे नहीं मिला. मैं उसे पुकारती रही, पर उसकी ओर से मुझे उत्तर न मिला.
فَتَحْتُ لِحَبِيبِي، لَكِنَّ حَبِيبِي كَانَ قَدِ انْصَرَفَ وَعَبَرَ فَفَارَقَتْنِي نَفْسِي حِينَ ابْتَعَدَ. بَحَثْتُ عَنْهُ فَلَمْ أَجِدْهُ، دَعَوْتُهُ فَلَمْ يُجِبْ.٦
7 नगर में घूमते हुए पहरेदारों से मेरी भेंट ज़रूर हुई. उन्होंने मुझ पर वार कर मुझे घायल कर दिया; शहरपनाह के पहरेदारों ने तो मेरी चादर ही छीन ली.
وَجَدَنِي الْحُرَّاسُ الْمُتَجَوِّلُونَ فِي الْمَدِينَةِ، فَانْهَالُوا عَلَيَّ ضَرْباً فَجَرَحُونِي. نَزَعَ حُرَّاسُ الأَسْوَارِ رِدَائِي عَنِّي.٧
8 येरूशलेम की कन्याओ, यह वादा करो, यदि तुम्हें कहीं मेरा प्रेमी मिल जाए, तुम उसे बताओगे? उसे बता देना कि मुझे प्रेम की बीमारी हो गयी है.
أَسْتَحْلِفُكُنَّ يَا بَنَاتِ أُورُشَلِيمَ إِنْ وَجَدْتُنَّ حَبِيبِي أَنْ تُبَلِّغْنَهُ أَنِّي مَرِيضَةٌ حُبّاً.٨
9 नवयुवतियों में परम सुंदरी नवयुवती, किस प्रकार तुम्हारा प्रेमी दूसरे प्रेमियों से उत्तम है? किस प्रकार का है तुम्हारा यह प्रेमी, कि तुम हमें सौगंध दे रही हो?
(بَنَاتُ أُورُشَلِيمَ): بِمَ يَفُوقُ حَبِيبُكِ الْمُحِبِّينَ أَيَّتُهَا الْجَمِيلَةُ بَيْنَ النِّسَاءِ؟ بِمَ يَفُوقُ حَبِيبُكِ الْمُحِبِّينَ حَتَّى تَسْتَحْلِفِينَا هَكَذَا؟٩
10 मेरा प्रेमी तेजवान और लाल है, वह तो दस हज़ारों में सिर्फ एक है.
(الْمَحْبُوبَةُ): حَبِيبِي مُتَأَلِّقٌ وَأَحْمَرُ، مُتَمَيِّزٌ بَيْنَ الآلَافِ.١٠
11 उसका सिर सोना; हां, शुद्ध सोने के समान है; और उसके बाल तो खजूर के गुच्छों के समान हैं, कौआ के समान काले.
رَأْسُهُ ذَهَبٌ خَالِصٌ وَشَعْرُهُ مُتَمَوِّجٌ حَالِكُ السَّوَادِ كَلَوْنِ الْغُرَابِ.١١
12 उसकी आंखें उन कबूतरों के समान हैं जो नदियों के किनारे पाए जाते हैं, मानो उन्होंने दूध में नहाया है, जिनमें हीरे जड़े हुए हैं.
عَيْنَاهُ حَمَامَتَانِ عِنْدَ مَجَارِي الْمِيَاهِ، مَغْسُولَتَانِ مُسْتَقِرَّتَانِ فِي مَوْضِعِهِمَا.١٢
13 उसके गाल बलसान की क्यारियों के समान हैं, मानो वे सुगंध मिश्रण के ढेर हों. उसके ओंठ सोसन के फूल हैं, जिनमें से गन्धरस का रस टपकता है.
خَدَّاهُ كَخَمِيلَةِ طِيبٍ تَفُوحَانِ عِطْراً، وَشَفَتَاهُ كَالسَّوْسَنِ تَقْطُرَانِ مُرّاً شَذِيّاً.١٣
14 उसके हाथ मरकत मणि जड़े हुए कुन्दन के हैं; उसका पेट तो उत्तम हाथी-दांत का है, जिसमें नीलम जड़े हुए हैं.
يَدَاهُ حَلَقَتَانِ مِنْ ذَهَبٍ مُدَوَّرَتَانِ وَمُرَصَّعَتَانِ بِالزَّبَرْجَدِ، وَجِسْمُهُ عَاجٌ مَصْقُولٌ مُغَشّىً بِالْيَاقُوتِ الأَزْرَقِ.١٤
15 उसके पैर संगमरमर के खंभे हैं, जिन्हें कुन्दन पर बैठा दिया गया है. उसका रूप लबानोन के समान है, सुंदर देवदार के वृक्षों के समान.
سَاقَاهُ عَمُودَا رُخَامٍ قَائِمَتَانِ عَلَى قَاعِدَتَيْنِ مِنْ ذَهَبٍ نَقِيٍّ، طَلْعَتُهُ كَلُبْنَانَ، كَأَبْهَى أَشْجَارِ الأَرْزِ.١٥
16 उसका मुख बहुत ही मीठा है; वह हर तरह से मन को भानेवाला है. येरूशलेम की कन्याओ, ऐसा ही है मेरा प्रेमी, मेरा मीत.
فَمُهُ عَذْبٌ، وَكُلُّهُ مُشْتَهَيَاتٌ. هَذَا هُوَ حَبِيبِي وَهَذَا هُوَ خَلِيلِي يَا بَنَاتِ أُورُشَلِيمَ!١٦

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