< रोमियों 9 >
1 मसीह में मैं यह सच प्रकट कर रहा हूं—यह झूठ नहीं—पवित्र आत्मा में मेरी अंतरात्मा इस सच की पुष्टि कर रही है
Ach, Izraeli! Ach, můj národe! Kéž bys i ty našel cestu ke Kristu! Trápím se a naříkám pro tebe dnem i nocí.
2 कि मेरा हृदय अत्यंत खेदित और बहुत पीड़ा में है.
3 मैं यह कामना कर सकता था कि अच्छा होता कि स्वयं मैं शापित होता—अपने भाइयों के लिए, जो शारीरिक रूप से मेरे सजातीय हैं—मसीह से अलग हो जाता.
Život bych za tebe dal, kdyby tě to mohlo zachránit. Kristus ví, že nepřeháním, Božímu Duchu nelze nic předstírat. Tolik jsi toho od Boha dostal, a přesto nechceš poslouchat!
4 ये सभी इस्राएली हैं. लेपालकपन के कारण उत्तराधिकार, महिमा, वाचाएं, व्यवस्था, मंदिर की सेवा-आराधना निर्देश तथा प्रतिज्ञाएं इन्हीं की हैं.
Za vlastní děti vás přijal, slavně vás vedl dějinami k ještě slavnější budoucnosti, dal vám své zákony, abyste v životě nemuseli tápat, naučil vás, jak ho máte uctívat, dal vám úžasné sliby,
5 पुरखे भी इन्हीं के हैं तथा शारीरिक पक्ष के अनुसार मसीह भी इन्हीं के वंशज हैं, जो सर्वोच्च हैं, जो युगानुयुग स्तुति के योग्य परमेश्वर हैं, आमेन. (aiōn )
slavné vůdce jste měli mezi praotci a nejslavnější – Kristus, věčný Bůh a Vládce – se jako člověk také narodil z vaší krve. A toho jste se zřekli! (aiōn )
6 क्या परमेश्वर की प्रतिज्ञा विफल हो गयी? नहीं! वास्तविक इस्राएली वे सभी नहीं, जो इस्राएल के वंशज हैं
Boží slovo však platit nepřestalo: Izraelci nejsou všichni, kdo odvozují svůj rodokmen od Abrahama nebo Jákoba – Izraele. I když jsou to potomci Abrahamovi, měl Bůh na mysli pouze Izáka, když Sáře sliboval syna. To znamená, že ne všichni z Abrahama jsou Božími dětmi, ale jenom ti, kteří se narodili na základě Božího slibu.
7 और न ही मात्र अब्राहाम का वंशज होना उन्हें परमेश्वर की संतान बना देता है. इसके विपरीत, लिखा है: तुम्हारे वंशज यित्सहाक के माध्यम से नामित होंगे.
8 अर्थात् शारीरिक रूप से जन्मे हुए परमेश्वर की संतान नहीं परंतु प्रतिज्ञा के अंतर्गत जन्मे हुए ही वास्तविक संतान समझे जाते हैं
9 क्योंकि प्रतिज्ञा इस प्रकार की गई: “अगले वर्ष मैं इसी समय दोबारा आऊंगा और साराह का एक पुत्र होगा.”
10 इतना ही नहीं, रेबेकाह भी एक अन्य उदाहरण हैं: जब उन्होंने गर्भधारण किया. उनके गर्भ में एक ही पुरुष—हमारे पूर्वज यित्सहाक से दो शिशु थे.
Také o synech, které měl Izák se svou ženou Rebekou,
11 यद्यपि अभी तक युगल शिशुओं का जन्म नहीं हुआ था तथा उन्होंने उचित या अनुचित कुछ भी नहीं किया था, परमेश्वर का उद्देश्य उनकी ही इच्छा के अनुसार अटल रहा;
rozhodl Bůh ještě před jejich narozením. Oznámil, že starší z nich bude sloužit mladšímu. Když tak Bůh určil jejich vzájemné postavení ještě před tím, než se o to mohli osobně nějak zasloužit, zdůraznil tím, že má právo rozhodovat o lidech naprosto svobodně,
12 कामों के कारण नहीं परंतु उनके कारण, जिन्होंने बुलाया है. रेबेकाह से कहा गया: “बड़ा छोटे की सेवा करेगा.”
bez ohledu na jejich záslužné skutky. Proto mohl také říci, jak stojí jinde v Bibli: „Dal jsem přednost Jákobovi před Ezauem.“
13 जैसा कि पवित्र शास्त्र में लिखा है: “याकोब मेरा प्रिय था किंतु एसाव मेरा अप्रिय.”
14 तब इसका मतलब क्या हुआ? क्या इस विषय में परमेश्वर अन्यायी थे? नहीं! बिलकुल नहीं!
Můžeme z toho usuzovat, že je Bůh nespravedlivý? Naprosto ne!
15 परमेश्वर ने मोशेह से कहा था, “मैं जिस किसी पर चाहूं, कृपादृष्टि करूंगा और जिस किसी पर चाहूं करुणा.”
Mojžíšovi přece řekl: „Projevím svou přízeň komu chci a slituji se nad kým chci.“
16 इसलिये यह मनुष्य की इच्छा या प्रयासों पर नहीं, परंतु परमेश्वर की कृपादृष्टि पर निर्भर है.
Nikomu tím není povinen, nikdo na to nemá nárok. Je to jen jeho milost, když to učiní. Faraónovi, jak sám říká, propůjčil jeho postavení proto, aby na něm ukázal svou moc a aby rozšířil svůj věhlas po celé zemi. Tak tedy žádným sebevětším úsilím, nýbrž z pouhé Boží milosti jsou lidé to, co jsou.
17 पवित्र शास्त्र में फ़रोह को संबोधित करते हुए लिखा है: “तुम्हारी उत्पत्ति के पीछे मेरा एकमात्र उद्देश्य था तुममें मेरे प्रताप का प्रदर्शन कि सारी पृथ्वी में मेरे नाम का प्रचार हो.”
18 इसलिये परमेश्वर अपनी इच्छा के अनुसार अपने चुने हुए जन पर कृपा करते तथा जिसे चाहते उसे हठीला बना देते हैं.
19 संभवतः तुममें से कोई यह प्रश्न उठाए, “तो फिर परमेश्वर हममें दोष क्यों ढूंढ़ते हैं? भला कौन उनकी इच्छा के विरुद्ध जा सकता है?”
Možná někdo namítne: Proč nám tedy Bůh ještě pořád něco vytýká, když se nic nemůže dít proti jeho vůli?
20 तुम कौन होते हो कि परमेश्वर से वाद-विवाद का दुस्साहस करो? क्या कभी कोई वस्तु अपने रचनेवाले से यह प्रश्न कर सकती है, “मुझे ऐसा क्यों बनाया है आपने?”
Ale člověče, kdo ty vlastně jsi, že si troufáš přít se s Bohem? Říká snad výrobek svému tvůrci: Proč jsi mne udělal zrovna takhle?
21 क्या कुम्हार का यह अधिकार नहीं कि वह मिट्टी के एक ही पिंड से एक बर्तन अच्छे उपयोग के लिए तथा एक बर्तन साधारण उपयोग के लिए गढ़े?
Copak se hrnčíř ptá hlíny, zda z ní má udělat vázu nebo mísu?
22 क्या हुआ यदि परमेश्वर अपने क्रोध का प्रदर्शन और अपने सामर्थ्य के प्रकाशन के उद्देश्य से अत्यंत धीरज से विनाश के लिए निर्धारित पात्रों की सहते रहे?
Nemohl i Bůh ukázat nejen svou pravomoc trestat, ale i svou shovívavost s lidmi zralými k potrestání?
23 इसमें उनका उद्देश्य यही था कि वह कृपापात्रों पर अपनी महिमा के धन को प्रकाशित कर सकें, जिन्हें उन्होंने महिमा ही के लिए पहले से तैयार कर लिया था;
Nemá právo projevit svou dobrotu k lidem, které zahrnul milosrdenstvím a určil pro věčnou slávu?
24 हमें भी, जो उनके द्वारा बुलाए गए हैं, मात्र यहूदियों ही में से नहीं, परंतु गैर-यहूदियों में से भी.
Podobně povolal i nás, a to nejen židy nebo členy církve, ale i jiné,
25 जैसा कि वह भविष्यवक्ता होशे के अभिलेख में भी कहते हैं: “मैं उन्हें ‘अपनी प्रजा’ घोषित करूंगा, जो मेरी प्रजा नहीं थे; तथा उन्हें ‘प्रिय’ संबोधित करूंगा, जो प्रियजन थे ही नहीं,”
jak naznačuje prorok Ozeáš: „Nazvu svým lidem ty, k nimž jsem se nechtěl znát, vyhnané zase zavolám nazpět.
26 और, “जिस स्थान पर उनसे यह कहा गया था, ‘तुम मेरी प्रजा नहीं हो,’ उसी स्थान पर वे ‘जीवित परमेश्वर की संतान’ घोषित किए जाएंगे.”
Kdo předtím slyšeli mé slovo odsouzení, budou ujištěni, že je přijímám za své syny.“
27 भविष्यवक्ता यशायाह इस्राएल के विषय में कातर शब्द में कहते हैं: “यद्यपि इस्राएल के वंशजों की संख्या समुद्रतट की बालू के कणों के तुल्य है, उनमें से थोड़े ही बचाए जाएंगे.
O Izraeli říká Izajáš: „Kdyby jich bylo jak mořského písku, jen hrstka se jich zachrání.
28 क्योंकि परमेश्वर पृथ्वी पर अपनी दंड की आज्ञा का कार्य शीघ्र ही पूरा करेंगे.”
Bez odkladu a do písmene splní Bůh své slovo na zemi.“
29 ठीक जैसी भविष्यवक्ता यशायाह की पहले से लिखित बात है: “यदि स्वर्गीय सेनाओं के प्रभु ने हमारे लिए वंशज न छोड़े होते तो हमारी दशा सोदोम, और गोमोरा नगरों के समान हो जाती.”
A už dříve předvídá: „Kdyby nebyl nebeský vládce ten zbytek lidu nezachoval, byli bychom jak Sodoma zpustli a Gomoře se podobali.“
30 तब परिणाम क्या निकला? वे गैर-यहूदी, जो धार्मिकता को खोज भी नहीं रहे थे, उन्होंने धार्मिकता प्राप्त कर ली—वह भी वह धार्मिकता, जो विश्वास के द्वारा है.
Co tu vidíme? Že ti, kdo k izraelskému náboženství nepatřili a o bezúhonnost před Bohem nijak neusilovali, ti ji dosáhli na základě víry.
31 किंतु धार्मिकता की व्यवस्था की खोज कर रहा इस्राएल उस व्यवस्था के भेद तक पहुंचने में असफल ही रहा.
A ti, kdo spoléhali na svou příslušnost k vyvoleným a na plnění náboženských předpisů, vyšli naprázdno.
32 क्या कारण है इसका? मात्र यह कि वे इसकी खोज विश्वास में नहीं परंतु मात्र रीतियों को पूरा करने के लिए करते रहे. परिणामस्वरूप उस ठोकर के पत्थर से उन्हें ठोकर लगी.
Proč to? Protože se domnívali, že si Boha nakloní okázalou zbožností místo upřímnou vírou. Na tom ztroskotali,
33 ठीक जैसा पवित्र शास्त्र का अभिलेख है: “मैं ज़ियोन में एक ठोकर के पत्थर तथा ठोकर खाने की चट्टान की स्थापना कर रहा हूं. जो इसमें विश्वास रखता है, वह लज्जित कभी न होगा.”
zcela podle slov Izajášových: „Hle, na Sijón kladu kámen úrazu, o něj se mnohý z vás rozbije. Kdo se mne však vírou uchopí, ten žádnou škodu neutrpí.“