< रोमियों 8 >

1 इसलिये अब उनके लिए, जो मसीह येशु में हैं, दंड की कोई आज्ञा नहीं है
ⲁ̅ⲉⲓ̈ⲉ ⲙⲛ̅ⲗⲁⲁⲩ ⲧⲉⲛⲟⲩ ⲛ̅ⲧϭⲁⲉⲓⲟ ⲛ̅ⲛⲉⲧϩⲙ̅ⲡⲉⲭ̅ⲥ̅ ⲓ̅ⲥ̅·
2 क्योंकि मसीह येशु में बसा हुआ, जीवन से संबंधित पवित्र आत्मा की व्यवस्था ने, तुम्हें पाप और मृत्यु की व्यवस्था से मुक्त कर दिया है.
ⲃ̅ⲁⲡⲛⲟⲙⲟⲥ ⲅⲁⲣ ⲙ̅ⲡⲉⲡ̅ⲛ̅ⲁ̅ ⲙ̅ⲡⲱⲛϩ̅ ϩⲙ̅ⲡⲉⲭ̅ⲥ̅ ⲓ̅ⲥ̅ ⲁⲁⲧ ⲛ̅ⲣⲙ̅ϩⲉ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲙ̅ⲡⲛⲟⲙⲟⲥ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲃⲉ ⲙⲛ̅ⲡⲙⲟⲩ.
3 वह काम, जो व्यवस्था मनुष्य के पाप के स्वभाव के कारण पूरा करने में असफल साबित हुई, परमेश्वर ने पूरा कर दिया—उन्होंने निज पुत्र को ही पापमय मनुष्य के समान बनाकर पापबलि के रूप में भेज दिया. इस प्रकार उन्होंने पापमय शरीर में ही पाप को दंडित किया
ⲅ̅ⲧⲙⲛ̅ⲧⲁⲧϭⲟⲙ ⲅⲁⲣ ⲛ̅ⲧⲉⲡⲛⲟⲙⲟⲥ ⲉⲛⲉϥϭⲟⲟⲃ ⲛ̅ϩⲏⲧⲥ̅ ϩⲓⲧⲛ̅ⲧⲥⲁⲣⲝ̅. ⲁⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲧⲛ̅ⲛⲟⲟⲩ ⲙ̅ⲡⲉϥϣⲏⲣⲉ ϩⲛⲟⲩⲉⲓⲛⲉ ⲛ̅ⲥⲁⲣⲝ̅ ⲛ̅ⲛⲟⲃⲉ. ⲁⲩⲱ ⲉⲧⲃⲉⲡⲛⲟⲃⲉ ⲁϥⲧϭⲁⲓ̈ⲉⲡⲛⲟⲃⲉ ϩⲛ̅ⲧⲉϥⲥⲁⲣⲝ̅.
4 कि हममें, जो पापी स्वभाव के अनुसार नहीं परंतु पवित्र आत्मा के अनुसार स्वभाव रखते हैं, व्यवस्था की उम्मीदें पूरी हो जाएं.
ⲇ̅ϫⲉ ⲉⲣⲉⲡⲉⲧⲙⲁⲉⲓⲟ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲙⲟⲥ ϫⲱⲕ ⲉⲃⲟⲗ ⲛ̅ϩⲏⲧⲛ̅. ⲛⲁⲓ̈ ⲉⲧⲉⲛ̅ⲥⲉⲙⲟⲟϣⲉ ⲁⲛ ⲕⲁⲧⲁⲥⲁⲣⲝ̅. ⲁⲗⲗⲁ ⲕⲁⲧⲁⲡ̅ⲛ̅ⲁ̅.
5 वे, जो पापी स्वभाव के हैं, उनका मन शारीरिक विषयों पर ही लगा रहता है, जिसका फल है मृत्यु तथा वे, जो पवित्र आत्मा के स्वभाव के हैं, उनका मन पवित्र आत्मा की अभिलाषाओं को पूरा करने पर लगा रहता है, जिसका परिणाम है जीवन और शांति.
ⲉ̅ⲛⲉⲧϣⲟⲟⲡ ⲅⲁⲣ ⲕⲁⲧⲁⲥⲁⲣⲝ̅ ⲉⲩⲙⲉⲉⲩⲉ ⲉⲛⲁⲧⲥⲁⲣⲝ̅. ⲛⲉⲧϣⲟⲟⲡ ⲇⲉ ⲕⲁⲧⲁⲡ̅ⲛ̅ⲁ̅ ⲉⲛⲁⲡⲉⲡ̅ⲛ̅ⲁ̅.
6
ⲋ̅ⲡⲙⲉⲉⲩⲉ ⲅⲁⲣ ⲛ̅ⲧⲥⲁⲣⲝ̅ ⲡⲙⲟⲩ ⲡⲉ. ⲡⲙⲉⲉⲩⲉ ⲇⲉ ⲙ̅ⲡⲉⲡ̅ⲛ̅ⲁ̅ ⲡⲱⲛϩ̅ ⲡⲉ ⲙⲛ̅ϯⲣⲏⲛⲏ.
7 पापी स्वभाव का मस्तिष्क परमेश्वर-विरोधी होता है क्योंकि वह परमेश्वर की व्यवस्था की अधीनता स्वीकार नहीं करता—वास्तव में यह करना उसके लिए असंभव है.
ⲍ̅ϫⲉ ⲡⲙⲉⲉⲩⲉ ⲅⲁⲣ ⲛ̅ⲧⲥⲁⲣⲝ̅ ⲟⲩⲙⲛ̅ⲧϫⲁϫⲉ ⲧⲉ ⲉⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲛⲥ̅ϩⲩⲡⲟⲧⲁⲥⲥⲉ ⲅⲁⲣ ⲁⲛ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲙⲟⲥ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ. ⲟⲩⲇⲉ ⲅⲁⲣ ⲙⲛ̅ϭⲟⲙ ⲙ̅ⲙⲟⲥ.
8 पापी स्वभाव के मनुष्य परमेश्वर को संतुष्ट कर ही नहीं सकते.
ⲏ̅ⲛⲉⲧϩⲛ̅ⲧⲥⲁⲣⲝ̅ ⲇⲉ ⲛ̅ⲛⲉⲩⲉϣⲣ̅ⲁⲛⲁϥ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ.
9 किंतु तुम पापी स्वभाव के नहीं परंतु पवित्र आत्मा में हो—यदि वास्तव में तुममें परमेश्वर का आत्मा वास करता है. जिस किसी में मसीह का आत्मा वास नहीं करता, वह मसीह का है ही नहीं.
ⲑ̅ⲛ̅ⲧⲱⲧⲛ̅ ⲇⲉ ⲛ̅ⲛⲉⲧⲉⲧⲛ̅ϩⲛ̅ⲧⲥⲁⲣⲝ̅ ⲁⲛ. ⲁⲗⲗⲁ ⲉⲧⲉⲧⲛ̅ϩⲙ̅ⲡⲉⲡ̅ⲛ̅ⲁ̅· ⲉϣϫⲉⲡⲉⲡ̅ⲛ̅ⲁ̅ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲛ̅ϩⲏⲧⲧⲏⲩⲧⲛ̅. ⲉϣϫⲉⲟⲩⲛ̅ⲟⲩⲁ ⲇⲉ ⲉⲙⲛ̅ⲧϥ̅ⲡⲉⲡ̅ⲛ̅ⲁ̅ ⲙ̅ⲡⲉⲭ̅ⲥ̅ ⲡⲁⲓ̈ ⲉⲙⲡⲱϥ ⲁⲛ ⲡⲉ.
10 अब इसलिये कि तुममें मसीह वास करता है, पाप के कारण शरीर के मृत होने पर भी धार्मिकता के कारण तुम्हारी आत्मा जीवित है
ⲓ̅ⲉϣϫⲉⲡⲉⲭ̅ⲥ̅ ⲇⲉ ⲛ̅ϩⲏⲧⲧⲏⲩⲧⲛ̅. ⲉⲓ̈ⲉ ⲡⲥⲱⲙⲁ ⲙⲉⲛ ⲙⲟⲟⲩⲧ ⲉⲧⲃⲉⲡⲛⲟⲃⲉ. ⲡⲉⲡ̅ⲛ̅ⲁ̅ ⲇⲉ ⲡⲉ ⲡⲱⲛϩ̅ ⲉⲧⲃⲉⲧⲇⲓⲕⲁⲓⲟⲥⲩⲛⲏ·
11 यदि तुममें परमेश्वर का आत्मा वास करता है, जिन्होंने मसीह येशु को मरे हुओं में से जीवित किया, तो वह, जिन्होंने मसीह येशु को मरे हुओं में से जीवित किया, तुम्हारे नाशमान शरीर को अपने उसी आत्मा के द्वारा, जिनका तुममें वास है, जीवित कर देंगे.
ⲓ̅ⲁ̅ⲉϣϫⲉⲡⲉⲡ̅ⲛ̅ⲁ̅ ⲇⲉ ⲙ̅ⲡⲉⲛⲧⲁϥⲧⲟⲩⲛⲉⲥⲓ̅ⲥ̅ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲛⲉⲧⲙⲟⲟⲩⲧ ⲟⲩⲏϩ ⲛ̅ϩⲏⲧⲧⲏⲩⲧⲛ̅. ⲡⲉⲛⲧⲁϥⲧⲟⲩⲛⲉⲥⲡⲉⲭ̅ⲥ̅ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲛⲉⲧⲙⲟⲟⲩⲧ ⲛⲁⲧⲟⲩⲛⲉⲥⲛⲉⲧⲛ̅ⲕⲉⲥⲱⲙⲁ ⲉⲧⲉϣⲁⲩⲙⲟⲩ ϩⲓⲧⲙ̅ⲡⲉϥⲡ̅ⲛ̅ⲁ̅ ⲉⲧⲟⲩⲏϩ ⲛ̅ϩⲏⲧⲧⲏⲩⲧⲛ̅·
12 इसलिये प्रिय भाई बहिनो, हम पापी स्वभाव के कर्ज़दार नहीं कि हम इसके अनुसार व्यवहार करें.
ⲓ̅ⲃ̅ⲁⲣⲁ ϭⲉ ⲛⲁⲥⲛⲏⲩ ⲛⲥⲉⲣⲟⲛ ⲁⲛ ⲉⲧⲣⲉⲛⲱⲛϩ̅ ⲕⲁⲧⲁⲥⲁⲣⲝ̅.
13 क्योंकि यदि तुम पापी स्वभाव के अनुसार व्यवहार कर रहे हो तो तुम मृत्यु की ओर हो किंतु यदि तुम पवित्र आत्मा के द्वारा पाप के स्वभाव के कामों को मारोगे तो तुम जीवित रहोगे.
ⲓ̅ⲅ̅ⲉϣϫⲉⲉⲧⲉⲧⲛ̅ⲟⲛϩ̅ ⲅⲁⲣ ⲕⲁⲧⲁⲥⲁⲣⲝ̅ ⲧⲉⲧⲛⲁⲙⲟⲩ. ⲉϣϫⲉϩⲙ̅ⲡⲉⲡ̅ⲛ̅ⲁ̅ ⲇⲉ ⲧⲉⲧⲛ̅ⲙⲟⲩⲟⲩⲧ ⲛ̅ⲛⲉϩⲃⲏⲩⲉ ⲙ̅ⲡⲥⲱⲙⲁ ⲧⲉⲧⲛⲁⲱⲛϩ̅·
14 वे सभी, जो परमेश्वर के आत्मा द्वारा चलाए जाते हैं, परमेश्वर की संतान हैं.
ⲓ̅ⲇ̅ⲛⲉⲧⲙⲟⲟϣⲉ ⲅⲁⲣ ϩⲙ̅ⲡⲉⲡ̅ⲛ̅ⲁ̅ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲛⲁⲓ̈ ⲛⲉ ⲛ̅ϣⲏⲣⲉ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ.
15 तुम्हें दासत्व की वह आत्मा नहीं दी गई, जो तुम्हें दोबारा भय की ओर ले जाये, परंतु तुम्हें लेपालकपन की आत्मा प्रदान की गई है. इसी की प्रेरणा से हम पुकारते हैं, “अब्बा! पिता!”
ⲓ̅ⲉ̅ⲛ̅ⲧⲁⲧⲉⲧⲛ̅ϫⲓ ⲅⲁⲣ ⲁⲛ ⲛ̅ⲟⲩⲡ̅ⲛ̅ⲁ̅ ⲙ̅ⲙⲛ̅ⲧϩⲙ̅ϩⲁⲗ ⲉⲩϩⲟⲧⲉ ⲟⲛ. ⲁⲗⲗⲁ ⲛ̅ⲧⲁⲧⲉⲧⲛ̅ϫⲓ ⲛ̅ⲟⲩⲡ̅ⲛ̅ⲁ̅ ⲙ̅ⲙⲛ̅ⲧϣⲏⲣⲉ ⲡⲁⲓ̈ ⲉⲧⲛ̅ⲱϣ ⲉⲃⲟⲗ ⲛ̅ϩⲏⲧϥ̅ ϫⲉ ⲁⲃⲃⲁ ⲡⲉⲓⲱⲧ.
16 स्वयं पवित्र आत्मा हमारी आत्मा के साथ इस सच्चाई की पुष्टि करते हैं कि हम परमेश्वर की संतान हैं
ⲓ̅ⲋ̅ⲛ̅ⲧⲟϥ ⲡⲉⲡ̅ⲛ̅ⲁ̅ ϥⲣ̅ⲙⲛ̅ⲧⲣⲉ ⲙⲛ̅ⲡⲉⲛⲡ̅ⲛ̅ⲁ̅ ϫⲉ ⲁⲛⲟⲛⲛ̅ϣⲏⲣⲉ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ.
17 और जब हम संतान ही हैं तो हम वारिस भी हैं—परमेश्वर के वारिस तथा मसीह येशु के सहवारिस—यदि हम वास्तव में उनके साथ यातनाएं सहते हैं कि हम उनके साथ गौरवान्वित भी हों.
ⲓ̅ⲍ̅ⲉϣϫⲉⲁⲛⲟⲛ ⲛ̅ϣⲏⲣⲉ ⲉⲓ̈ⲉ ⲁⲛⲟⲛ ⲛⲉⲕⲗⲏⲣⲟⲛⲟⲙⲟⲥ. ⲛⲉⲕⲗⲏⲣⲟⲛⲟⲙⲟⲥ ⲙⲉⲛ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ. ⲛ̅ϣⲃ̅ⲣⲕⲗⲏⲣⲟⲛⲟⲙⲟⲥ ⲇⲉ ⲙ̅ⲡⲉⲭ̅ⲥ̅. ⲉϣϫⲉⲧⲛ̅ϣⲡϩⲓⲥⲉ ⲛⲙ̅ⲙⲁϥ ϫⲉ ⲉⲛⲉϫⲓⲉⲟⲟⲩ ⲟⲛ ⲛⲙ̅ⲙⲁϥ.
18 मेरे विचार से वह महिमा, हममें जिसका भावी प्रकाशन होगा, हमारे वर्तमान कष्टों से तुलनीय है ही नहीं!
ⲓ̅ⲏ̅ϯⲙⲉⲉⲩⲉ ⲅⲁⲣ ϫⲉ ⲛ̅ϩⲓⲥⲉ ⲙ̅ⲡⲉⲓ̈ⲟⲩⲟⲉⲓϣ ⲧⲉⲛⲟⲩ ⲙ̅ⲡϣⲁ ⲁⲛ ⲙⲡⲉⲟⲟⲩ ⲉⲧⲛⲁϭⲱⲗⲡ̅ ⲉⲣⲟⲛ.
19 सृष्टि बड़ी आशा भरी दृष्टि से परमेश्वर की संतान के प्रकट होने की प्रतीक्षा कर रही है.
ⲓ̅ⲑ̅ⲡϭⲱϣⲧ̅ ⲅⲁⲣ ⲉⲃⲟⲗ ⲛ̅ⲧⲉⲡⲥⲱⲛⲧ̅ ϥϭⲱϣⲧ̅ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲏⲧϥ̅ ⲙ̅ⲡϭⲱⲗⲡ̅ ⲉⲃⲟⲗ ⲛ̅ⲛ̅ϣⲏⲣⲉ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ.
20 सृष्टि को हताशा के अधीन कर दिया गया है. यह उसकी अपनी इच्छा के अनुसार नहीं परंतु उनकी इच्छा के अनुसार हुआ है, जिन्होंने उसे इस आशा में अधीन किया है
ⲕ̅ⲛ̅ⲧⲁⲩⲑⲃ̅ⲃⲓⲉⲡⲥⲱⲛⲧ̅ ⲅⲁⲣ ⲙ̅ⲡⲉⲧϣⲟⲩⲉⲓⲧ ⲉⲛ̅ϩⲛⲁϥ ⲁⲛ ⲁⲗⲗⲁ ⲉⲧⲃⲉⲡⲉⲛⲧⲁϥⲑⲃ̅ⲃⲓⲟϥ ⲉϫⲛ̅ⲟⲩϩⲉⲗⲡⲓⲥ.
21 कि स्वयं सृष्टि भी विनाश के दासत्व से छुटकारा पाकर परमेश्वर की संतान की महिमामय स्वतंत्रता प्राप्‍त करे.
ⲕ̅ⲁ̅ϫⲉ ⲛ̅ⲧⲟϥ ϩⲱⲱϥ ⲡⲥⲱⲛⲧ̅ ⲥⲉⲛⲁⲁⲁϥ ⲛ̅ⲣⲙ̅ϩⲉ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲧⲙⲛ̅ⲧϩⲙ̅ϩⲁⲗ ⲙ̅ⲡⲧⲁⲕⲟ ⲉⲧⲙⲛ̅ⲧⲣⲙ̅ϩⲉ ⲙ̅ⲡⲉⲟⲟⲩ ⲛ̅ⲛ̅ϣⲏⲣⲉ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ·
22 हमें यह मालूम है कि सारी सृष्टि आज तक मानो प्रसव पीड़ा में कराह रही है.
ⲕ̅ⲃ̅ⲧⲛ̅ⲥⲟⲟⲩⲛ ⲇⲉ ϫⲉ ⲡⲥⲱⲛⲧ̅ ⲧⲏⲣϥ̅ ⲁϣⲁϩⲟⲙ ⲛⲙ̅ⲙⲁⲛ. ⲁⲩⲱ ϥϯⲛⲁⲁⲕⲉ ϣⲁϩⲣⲁⲓ̈ ⲉⲧⲉⲛⲟⲩ.
23 इतना ही नहीं, हम भी, जिनमें होनेवाली महिमा के पहले से स्वाद चखने के रूप में पवित्र आत्मा का निवास है, अपने भीतरी मनुष्यत्व में कराहते हुए आशा भरी दृष्टि से लेपालकपन प्राप्‍त करने अर्थात् अपने शरीर के छुटकारे की प्रतीक्षा में हैं.
ⲕ̅ⲅ̅ⲛ̅ⲧⲟϥ ⲇⲉ ⲙⲁⲩⲁⲁϥ ⲁⲛ. ⲁⲗⲗⲁ ⲁⲛⲟⲛ ϩⲱⲱⲛ ⲉⲁⲛϫⲓ ⲛ̅ⲧⲁⲡⲁⲣⲭⲏ ⲙ̅ⲡⲉⲡ̅ⲛ̅ⲁ̅ ⲧⲛ̅ⲁϣⲁϩⲟⲙ ϩⲣⲁⲓ̈ ⲛ̅ϩⲏⲧⲛ̅ ⲉⲛϭⲱϣⲧ̅ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲏⲧⲥ̅ ⲛ̅ⲧⲉⲛⲙⲛ̅ⲧϣⲏⲣⲉ ⲡⲥⲱⲧⲉ ⲙ̅ⲡⲉⲛⲥⲱⲙⲁ.
24 हम इसी आशा में छुड़ाए गए हैं. जब आशा का विषय दृश्य हो जाता है तो आशा का अस्तित्व ही नहीं रह जाता. भला कोई उस वस्तु की आशा क्यों करेगा, जो सामने है?
ⲕ̅ⲇ̅ⲛ̅ⲧⲁⲛⲟⲩϫⲁⲓ̈ ⲅⲁⲣ ϩⲛ̅ⲑⲉⲗⲡⲓⲥ ⲟⲩϩⲉⲗⲡⲓⲥ ⲇⲉ ⲉⲩⲛⲁⲩ ⲉⲣⲟⲥ ⲛ̅ⲟⲩϩⲉⲗⲡⲓⲥ ⲁⲛ ⲧⲉ. ⲡⲉⲧⲉⲣⲉⲟⲩⲁ ⲅⲁⲣ ⲛⲁⲩ ⲉⲣⲟϥ ⲁϩⲣⲟϥ ⲟⲛ ϥϩⲩⲡⲟⲙⲓⲛⲉ ⲉⲣⲟϥ.
25 यदि हमारी आशा का विषय वह है, जिसे हमने देखा नहीं है, तब हम धीरज से और अधिक आशा में उसकी प्रतीक्षा करते हैं.
ⲕ̅ⲉ̅ⲉϣϫⲉⲡⲉⲧⲉⲛ̅ⲧⲛ̅ⲛⲁⲩ ⲇⲉ ⲉⲣⲟϥ ⲁⲛ ⲉⲛϩⲉⲗⲡⲓⲍⲉ ⲉⲣⲟϥ ⲉⲓ̈ⲉ ⲉⲛϭⲱϣⲧ̅ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲏⲧϥ̅ ϩⲓⲧⲛ̅ⲟⲩϩⲩⲡⲟⲙⲟⲛⲏ.
26 इसी प्रकार पवित्र आत्मा भी हमारी दुर्बलता की स्थिति में हमारी सहायता के लिए हमसे जुड़ जाते हैं क्योंकि हम नहीं जानते कि प्रार्थना किस प्रकार करना सही है किंतु पवित्र आत्मा स्वयं हमारे लिए मध्यस्थ होकर ऐसी आहों के साथ जो बयान से बाहर है प्रार्थना करते रहते हैं
ⲕ̅ⲋ̅ⲡⲉⲡ̅ⲛ̅ⲁ̅ ⲇⲉ ⲟⲛ ϯ ⲛ̅ⲧⲟⲟⲧⲛ̅ ϩⲛ̅ⲧⲉⲛⲙⲛ̅ⲧϭⲱⲃ. ⲧⲁⲣⲛ̅ϣⲗⲏⲗ ⲅⲁⲣ ϫⲉ ⲟⲩ ⲕⲁⲧⲁⲑⲉ ⲉⲧϣⲉ ⲛ̅ⲧⲛ̅ⲥⲟⲟⲩⲛ ⲁⲛ. ⲁⲗⲗⲁ ⲛ̅ⲧⲟϥ ⲡⲉⲡ̅ⲛ̅ⲁ̅ ϥⲥⲙ̅ⲙⲉ ⲉϩⲣⲁⲓ̈ ϩⲁⲣⲟⲛ ϩⲛ̅ϩⲉⲛⲁϣⲁϩⲟⲙ ⲉⲩϩⲏⲡ.
27 तथा मनों को जांचनेवाले परमेश्वर यह जानते हैं कि पवित्र आत्मा का उद्देश्य क्या है क्योंकि पवित्र आत्मा परमेश्वर की इच्छा के अनुसार पवित्र लोगों के लिए प्रार्थना करते हैं.
ⲕ̅ⲍ̅ⲡⲉⲧⲙⲟⲩϣⲧ̅ ⲇⲉ ⲛ̅ⲛⲉⲛϩⲏⲧ ϥⲥⲟⲟⲩⲛ ϫⲉ ⲟⲩ ⲡⲉ ⲡⲙⲉⲉⲩⲉ ⲛ̅ⲧⲉⲡⲉⲡ̅ⲛ̅ⲁ̅ ϫⲉ ⲉϥⲥⲙ̅ⲙⲉ ⲉϩⲣⲁⲓ̈ ⲕⲁⲧⲁⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ϩⲁⲛⲉⲧⲟⲩⲁⲁⲃ·
28 हमें यह अहसास है कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम करते हैं तथा परमेश्वर की इच्छा के अनुसार बुलाये गये हैं, उनके लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्‍न करती हैं.
ⲕ̅ⲏ̅ⲧⲛ̅ⲥⲟⲟⲩⲛ ⲇⲉ ϫⲉ ⲛⲉⲧⲙⲉ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ϣⲁⲣⲉⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ϯⲧⲟⲟⲧⲟⲩ ϩⲛ̅ϩⲱⲃ ⲛⲓⲙ ⲉⲡⲁⲅⲁⲑⲟⲛ ⲛⲁⲓ̈ ⲉⲧⲧⲁϩⲙ̅ ⲕⲁⲧⲁⲡⲧⲱϣ.
29 यह इसलिये कि जिनके विषय में परमेश्वर को पहले से ज्ञान था, उन्हें परमेश्वर ने अपने पुत्र मसीह येशु के स्वरूप में हो जाने के लिए पहले से ठहरा दिया था कि मसीह येशु अनेक भाई बहिनों में पहलौठे हो जाएं.
ⲕ̅ⲑ̅ϫⲉ ⲛⲉⲛⲧⲁϥϣⲣⲡ̅ⲥⲟⲩⲱⲛⲟⲩ ⲁϥϣⲣⲡ̅ⲡⲟⲣϫⲟⲩ ⲉⲃⲟⲗ ⲛ̅ϣⲃⲣ̅ⲉⲓⲛⲉ ⲛ̅ⲑⲓⲕⲱⲛ ⲙ̅ⲡⲉϥϣⲏⲣⲉ ⲉⲧⲣⲉϥϣⲱⲡⲉ ⲛ̅ϣⲣⲡ̅ⲙ̅ⲙⲓⲥⲉ ⲛ̅ϩⲁϩ ⲛ̅ⲥⲟⲛ.
30 जिन्हें परमेश्वर ने पहले से ठहराया, उनको बुलाया भी है; जिनको उन्होंने बुलाया, उन्हें धर्मी घोषित भी किया; जिन्हें उन्होंने धर्मी घोषित किया, उन्हें परमेश्वर ने गौरवान्वित भी किया.
ⲗ̅ⲛⲉⲛⲧⲁϥϣⲣⲡ̅ⲡⲟⲣϫⲟⲩ ⲇⲉ ⲉⲃⲟⲗ ⲛⲁⲓ̈ ⲟⲛ ⲛⲉⲛⲧⲁϥⲧⲁϩⲙⲟⲩ. ⲁⲩⲱ ⲛⲉⲛⲧⲁϥⲧⲁϩⲙⲟⲩ ⲛⲁⲓ̈ ⲟⲛ ⲛⲉⲛⲧⲁϥⲧⲙⲁⲉⲓⲟⲟⲩ. ⲁⲩⲱ ⲛⲉⲛⲧⲁϥⲧⲙⲁⲉⲓⲟⲟⲩ ⲛⲁⲓ̈ ⲟⲛ ⲛⲉⲛⲧⲁϥϯⲉⲟⲟⲩ ⲛⲁⲩ.
31 तो इस विषय में क्या कहा जा सकता है? यदि परमेश्वर हमारे पक्ष में हैं तो कौन हो सकता है हमारा विरोधी?
ⲗ̅ⲁ̅ⲟⲩ ϭⲉ ⲡⲉⲧⲛ̅ⲛⲁϫⲟⲟϥ ⲛ̅ⲛⲁϩⲣⲛ̅ⲛⲁⲓ̈. ⲉϣϫⲉⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲡⲉⲧⲙⲓϣⲉ ⲉϫⲱⲛ ⲛⲓⲙ ⲡⲉⲧⲛⲁϣϯ ⲟⲩⲃⲏⲛ.
32 परमेश्वर वह हैं, जिन्होंने अपने निज पुत्र को हम सबके लिए बलिदान कर देने तक में संकोच न किया. भला वह कैसे हमें उस पुत्र के साथ सभी कुछ उदारतापूर्वक न देंगे!
ⲗ̅ⲃ̅ⲡⲁⲓ̈ ⲉⲧⲉⲙ̅ⲡϥ̅ϯⲥⲟ ⲉⲡⲉϥϣⲏⲣⲉ ⲙ̅ⲙⲓⲛ ⲙ̅ⲙⲟϥ. ⲁⲗⲗⲁ ⲁϥⲧⲁⲁϥ ϩⲁⲣⲟⲛ ⲧⲏⲣⲛ̅. ⲛ̅ⲁϣ ⲛ̅ⲧⲟϥ ⲛ̅ϩⲉ ⲛϥ̅ⲛⲁⲭⲁⲣⲓⲍⲉ ⲛⲁⲛ ⲁⲛ ⲛ̅ⲛ̅ⲕⲁ ⲛⲓⲙ ⲛⲙ̅ⲙⲁϥ.
33 परमेश्वर के चुने हुओं पर आरोप भला कौन लगाएगा? परमेश्वर ही हैं, जो उन्हें निर्दोष घोषित करते हैं.
ⲗ̅ⲅ̅ⲛⲓⲙ ⲡⲉⲧⲛⲁϣⲥⲙ̅ⲙⲉ ⲟⲩϥⲉⲛ̅ⲥⲱⲧⲡ̅ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ. ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲡⲉⲧⲧⲙⲁⲉⲓⲟ
34 वह कौन है, जो उन्हें अपराधी घोषित करता है? मसीह येशु वह हैं, जिन्होंने अपने प्राणों का त्याग कर दिया, इसके बाद वह मरे हुओं में से जीवित किए गए, अब परमेश्वर के दायें पक्ष में आसीन हैं तथा वही हैं, जो हमारे लिए प्रार्थना करते हैं.
ⲗ̅ⲇ̅ⲛⲓⲙ ⲡⲉⲧⲛⲁϣⲧϭⲁⲓ̈ⲟ ⲡⲉⲭ̅ⲥ̅ ⲡⲉⲛⲧⲁϥⲙⲟⲩ. ⲛ̅ϩⲟⲩⲟ ⲇⲉ ⲡⲉⲛⲧⲁϥⲧⲱⲟⲩⲛ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲛⲉⲧⲙⲟⲟⲩⲧ ⲡⲁⲓ̈ ⲟⲛ ⲉⲧϩⲓⲟⲩⲛⲁⲙ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲁⲩⲱ ⲉⲧⲥⲙ̅ⲙⲉ ⲉϩⲣⲁⲓ̈ ϩⲁⲣⲟⲛ·
35 कौन हमें मसीह के प्रेम से अलग करेगा? क्लेश, संकट, सताहट, अकाल, कंगाली, जोखिम या तलवार से मृत्यु?
ⲗ̅ⲉ̅ⲛⲓⲙ ⲡⲉⲧⲛⲁⲡⲟⲣϫⲛ̅ ⲉⲧⲁⲅⲁⲡⲏ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ. ⲟⲩⲑⲗⲓⲯⲓⲥ ⲧⲉ. ⲏ̅ ⲟⲩⲗⲱϫϩ̅ ⲡⲉ. ⲏ̅ ⲟⲩⲇⲓⲱⲅⲙⲟⲥ. ⲏ̅ ⲟⲩϩⲕⲟ. ⲏ̅ ⲟⲩⲕⲱⲕⲁϩⲏⲩ. ⲏ̅ ⲟⲩⲕⲓⲛⲇⲩⲛⲟⲥ ⲏ̅ ⲟⲩⲥⲏϥⲉ.
36 ठीक जैसा पवित्र शास्त्र में लिखा भी है: “आपके निमित्त हम दिन भर मृत्यु का सामना करते रहते हैं; हमारी स्थिति वध के लिए निर्धारित भेड़ों के समान है.”
ⲗ̅ⲋ̅ⲕⲁⲧⲁⲑⲉ ⲉⲧⲥⲏϩ ϫⲉ ⲉⲧⲃⲏⲏⲧⲕ̅ ⲥⲉⲙⲟⲩⲟⲩⲧ ⲙ̅ⲙⲟⲛ ⲙ̅ⲡⲉϩⲟⲟⲩ ⲧⲏⲣϥ̅. ⲁⲩⲟⲡⲛ̅ ⲛ̅ⲑⲉ ⲛ̅ⲛⲓⲉⲥⲟⲟⲩ ⲉⲕⲟⲛⲥⲟⲩ.
37 मगर इन सब विषयों में हम उनके माध्यम से, जिन्होंने हमसे प्रेम किया है, विजयी से भी बढ़कर हैं.
ⲗ̅ⲍ̅ⲁⲗⲗⲁ ϩⲛ̅ⲛⲁⲓ̈ ⲧⲏⲣⲟⲩ ⲧⲛ̅ϫⲣⲁⲉⲓⲧ ⲛ̅ϩⲟⲩⲟ ϩⲓⲧⲙ̅ⲡⲉⲛⲧⲁϥⲙⲉⲣⲓⲧⲛ̅.
38 क्योंकि मैं यह जानता हूं, कि न तो मृत्यु, न जीवन, न स्वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ्य
ⲗ̅ⲏ̅ϯⲡⲓⲑⲉ ⲅⲁⲣ ϫⲉ ⲟⲩⲇⲉ ⲙⲛ̅ⲙⲟⲩ. ⲟⲩⲇⲉ ⲙⲛ̅ⲱⲛϩ̅· ⲟⲩⲇⲉ ⲁⲅⲅⲉⲗⲟⲥ. ⲟⲩⲇⲉ ⲁⲣⲭⲏ· ⲟⲩⲇⲉ ⲛⲉⲧϣⲟⲟⲡ. ⲟⲩⲇⲉ ⲛⲉⲧⲛⲁϣⲱⲡⲉ· ⲟⲩⲇⲉ ϭⲟⲙ.
39 न ऊंचाई, न गहराई और न कोई और सृष्टि हमारे प्रभु येशु मसीह में परमेश्वर के जो प्रेम है, उससे हमें अलग कर सकती है.
ⲗ̅ⲑ̅ⲟⲩⲇⲉ ⲡϫⲓⲥⲉ· ⲟⲩⲇⲉ ⲡϣⲓⲕⲉ. ⲟⲩⲇⲉ ⲕⲉⲕⲧⲓⲥⲓⲥ. ⲛⲁϣϭⲙ̅ϭⲟⲙ ⲉⲡⲟⲣϫⲛ̅ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲧⲁⲅⲁⲡⲏ ⲙⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲧⲁⲓ̈ ⲉⲧϩⲙ̅ⲡⲉⲭ̅ⲥ̅ ⲓ̅ⲥ̅ ⲡⲉⲛϫⲟⲉⲓⲥ·

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