< रोमियों 5 >

1 इसलिये जब हम अपने विश्वास के द्वारा धर्मी घोषित किए जा चुके हैं, परमेश्वर से हमारा मेल-मिलाप हमारे प्रभु येशु मसीह के द्वारा हो चुका है,
इस करकै जिब हम मसीह पै बिश्वास करण तै धर्मी बणा दिए गये सां, तो परमेसवर तै म्हारा मेळ-मिलाप अपणे प्रभु यीशु मसीह कै जरिये हो लिया।
2 जिनके माध्यम से विश्वास के द्वारा हमारी पहुंच उस अनुग्रह में है, जिसमें हम अब स्थिर हैं. अब हम परमेश्वर की महिमा की आशा में आनंदित हैं.
बिश्वास कै जरिये मसीह नै म्हारी पोहच पिता के उस अनुग्रह तक कर दी सै। उस अनुग्रह म्ह हम बणे होए सां, अर परमेसवर की महिमा की आस म्ह खुश सां।
3 इतना ही नहीं, हम अपने क्लेशों में भी आनंदित बने रहते हैं. हम जानते हैं कि क्लेश में से धीरज;
सिर्फ योए न्ही, बल्के हम मुसीबतां म्ह भी खुश रहवां, न्यू जाणकै के मुसीबतां तै धीरज,
4 धीरज में से खरा चरित्र तथा खरे चरित्र में से आशा उत्पन्‍न होती है
धीरज तै खरयां लिकड़णा, अर खरे लिकड़ण तै आस होवै सै।
5 और आशा लज्जित कभी नहीं होने देती क्योंकि हमें दी हुई पवित्र आत्मा द्वारा परमेश्वर का प्रेम हमारे हृदयों में उंडेल दिया गया है.
अर आस तै निराशा न्ही होन्दी, क्यूँके पवित्र आत्मा जो परमेसवर नै म्हारै ताहीं दिया सै, उसकै जरिये परमेसवर का प्यार म्हारै मन म्ह भरया गया सै।
6 जब हम निर्बल ही थे, सही समय पर मसीह येशु ने अधर्मियों के लिए मृत्यु स्वीकार की.
क्यूँके जिब हम कमजोर थे, तो मसीह परमेसवर के बताये गये सही बखत पै बुरे माणसां कै खात्तर मरया।
7 शायद ही कोई किसी व्यवस्था के पालन करनेवाले के लिए अपने प्राण दे दे. हां, संभावना यह अवश्य है कि कोई किसी परोपकारी के लिए प्राण देने के लिए तैयार हो जाए
किसे धर्मी माणस कै खात्तर कोए जान देवै यो तो मुश्किल सै, पर शायद कोए भले माणस खात्तर जान देण खात्तर तैयार हो सकै सै।
8 किंतु परमेश्वर ने हमारे प्रति अपना प्रेम इस प्रकार प्रकट किया कि जब हम पापी ही थे, मसीह येशु ने हमारे लिए अपने प्राण त्याग दिए.
पर परमेसवर म्हारे पै अपणे प्यार की भलाई इस तरियां तै साबित करै सै, के जिब हम पापी ए थे, जिब्बे मसीह यीशु म्हारै खात्तर मरया।
9 हम मसीह येशु के लहू के द्वारा धर्मी घोषित तो किए ही जा चुके हैं, इससे कहीं बढ़कर यह है कि हम उन्हीं के कारण परमेश्वर के क्रोध से भी बचाए जाएंगे.
जिब के इब यीशु कै लहू बहाण के कारण परमेसवर नै म्हारे ताहीं अपणी नजर म्ह धर्मी बणाया सै, तो उसकै जरिये परमेसवर कै छो तै क्यांतै न्ही बचांगें?
10 जब शत्रुता की अवस्था में परमेश्वर से हमारा मेल-मिलाप उनके पुत्र की मृत्यु के द्वारा हो गया तो इससे बढ़कर यह है कि मेल-मिलाप हो जाने के कारण उनके पुत्र के जीवन द्वारा हमारा उद्धार सुनिश्चित है.
क्यूँके जिब हम परमेसवर के बैरी थे, तो उसकै बेट्टे की मौत कै जरिये म्हारा मेळ-मिलाप परमेसवर कै गेल्या होया, अर सब तै आच्छी बात या सै, के मेळ-मिलाप हो जाण के कारण उसकै बेट्टे यीशु मसीह के जरिये दिए गये जीवन कै कारण म्हारा उद्धार पक्का सै।
11 इतना ही नहीं, मसीह येशु के कारण हम परमेश्वर में आनंदित हैं जिनके कारण हम इस मेल-मिलाप की स्थिति तक पहुंचे हैं.
इब तो म्हारे प्रभु यीशु मसीह कै जरिये, परमेसवर म्ह म्हारा मेळ-मिलाप होग्या सै, इस खात्तर हम उस म्ह खुश सां।
12 एक मनुष्य के कारण पाप ने संसार में प्रवेश किया तथा पाप के द्वारा मृत्यु ने और मृत्यु सभी मनुष्यों में समा गई—क्योंकि पाप सभी ने किया.
परमेसवर नै एक माणस आदम बणाया, जिसकै कारण दुनिया म्ह पाप आया, अर उस पाप के करण मौत आई, अर इस तरियां तै मौत सारे माणसां म्ह फैलगी, क्यूँके आदम के वंश होण के कारण सब पापी बणगे।
13 पाप व्यवस्था के प्रभावी होने से पहले ही संसार में मौजूद था लेकिन जहां व्यवस्था ही नहीं, वहां पाप गिना नहीं जाता!
मूसा नबी के नियम-कायदा कै दिए जाण तै पैहले भी, दुनिया म्ह माणस पाप करै थे, पर वो पाप गिण्या कोनी जावै था, क्यूँके ओड़ै नियम-कायदे कोनी थे, जिन ताहीं तोड्या जा सकै।
14 आदम से मोशेह तक मृत्यु का शासन था—उन पर भी, जिन्होंने आदम के समान अनाज्ञाकारिता का पाप नहीं किया था. आदम उनके प्रतिरूप थे, जिनका आगमन होने को था.
तोभी आदम तै लेकै मूसा नबी तक सब नै मौत आई। जिस तरियां आदम नै परमेसवर के हुकम ताहीं तोड्या उसकी तरियां हमनै उसके हुकम ताहीं न्ही तोड़ा, अर आदम यीशु मसीह का नमूना था जो आण आळा था।
15 अपराध, वरदान के समान नहीं. एक मनुष्य के अपराध के कारण अनेकों की मृत्यु हुई, जबकि परमेश्वर के अनुग्रह तथा एक मनुष्य, मसीह येशु के अनुग्रह में दिया हुआ वरदान अनेकों अनेक में स्थापित हो गया.
पर आदम के अपराध अर परमेसवर के अनुग्रह के वरदान के बीच म्ह एक भोत बड़ा अन्तर सै, क्यूँके जब एक माणस आदम, कै अपराध करण के कारण, भोत-से माणसां की मौत होई, पर दुसरे माणस यीशु मसीह के जरिये, परमेसवर का अनुग्रह भोत-से माणसां पै होया सै।
16 परमेश्वर का वरदान उसके समान नहीं, जो एक मनुष्य के अपराध के परिणामस्वरूप आया. एक ओर तो एक अपराध से न्याय-दंड की उत्पत्ति हुई, जिसका परिणाम था दंड-आज्ञा मगर दूसरी ओर अनेकों अपराधों के बाद वरदान की उत्पत्ति हुई, जिसका परिणाम था धार्मिकता.
तो परमेसवर के वरदान का नतिज्जा आदम के पाप तै भोत अलग सै। उसका पाप दण्ड लेकै आवै सै, पर परमेसवर का वरदान म्हारे ताहीं धर्मी बणावै सै, भलाए हम कई पापां के दोषी क्यूँ ना हो।
17 क्योंकि जब एक मनुष्य के अपराध के कारण एक ही मनुष्य के माध्यम से मृत्यु का शासन हो गया, तब इससे कहीं अधिक फैला हुआ है बड़ा अनुग्रह तथा धार्मिकता का वह वरदान, जो उनके जीवन में उस एक मनुष्य, मसीह येशु के द्वारा शासन करेगा.
क्यूँके एक माणस के अपराध कै कारण सब नै मौत आई। पर इसतै ज्यादा परमेसवर का अनुग्रह अर धार्मिकता का वरदान सै, जो उस ताहीं पावै सै, वो पाप अर मौत पै यीशु मसीह कै जरिये जयवन्त होवै सै, अर वे उसकै गैल अनन्त जीवन म्ह राज करैगें।
18 इसलिये जिस प्रकार मात्र एक अपराध का परिणाम हुआ सभी के लिए दंड-आज्ञा, उसी प्रकार धार्मिकता के मात्र एक काम का परिणाम हुआ सभी मनुष्यों के लिए जीवन की धार्मिकता.
जिस तरियां आदम का अपराध, सारे माणसां कै खात्तर दण्ड लेकै आया, ठीक उस्से तरियां ए मसीह यीशु के धार्मिकता के काम करण तै, सारे माणसां नै जिन्दगी मिली, अर वे परमेसवर की नजर म्ह धर्मी बणै।
19 जिस प्रकार मात्र एक व्यक्ति की अनाज्ञाकारिता के परिणामस्परूप अनेकों अनेक पापी हो गए, उसी प्रकार एक व्यक्ति की आज्ञाकारिता से अनेक धर्मी बना दिए जाएंगे.
क्यूँके जिसा एक माणस कै हुकम ना मानण तै भोत-से माणस पापी बणे, उस्से तरियां ए एक माणस कै हुकम मानण तै भोत-से माणस धर्मी बणैगें।
20 व्यवस्था बीच में आई कि पाप का अहसास तेज हो. जब पाप का अहसास तेज हुआ तो अनुग्रह कहीं अधिक तेज होता गया
मूसा के नियम-कायदे म्हारे ताहीं इस खात्तर दिए गये, ताके माणस देख सकै के वे कितने पापी सै पर जिब माणस पाप पै पाप करै सै, तो ओड़ै परमेसवर का अनुग्रह उसतै भी घणा होया करै।
21 कि जिस प्रकार पाप ने मृत्यु में शासन किया, उसी प्रकार अनुग्रह धार्मिकता के द्वारा हमारे प्रभु येशु मसीह में अनंत जीवन के लिए शासन करे. (aiōnios g166)
सारे माणसां नै पाप पै पाप करया, अर वे मरगे, पर म्हारै प्रभु यीशु मसीह कै जरिये परमेसवर का अनुग्रह हमनै धर्मी बणावै सै, अर म्हारे ताहीं अनन्त जीवन देवै सै। (aiōnios g166)

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