< प्रकाशित वाक्य 2 >
1 “इफ़ेसॉस नगर की कलीसिया के लिए चुने हुए दूत को लिखो: जो अपने दाएं हाथ में साथ तारे लिए हुए है तथा जो सात सोने के दीवटों के बीच चल रहा है, उसका कहना यह है:
2 मैं तुम्हारे कामों, तुम्हारे परिश्रम तथा तुम्हारे धीरज से भली-भांति परिचित हूं और यह भी जानता हूं कि बुराई तुम्हारे लिए असहनीय हैं. तुमने उनके दावों को, जो स्वयं को प्रेरित कहते तो हैं, किंतु हैं नहीं, परखा और झूठा पाया
3 और यह भी कि तुम धीरज धरे रहे. तुम मेरे नाम के लिए दुःख सहते रहे, किंतु तुमने हार स्वीकार नहीं की.
4 परंतु तुम्हारे विरुद्ध मुझे यह कहना है कि तुममें वह प्रेम नहीं रहा, जो पहले था.
5 याद करो कि तुम कहां से कहां आ गिरे हो. इसलिये पश्चाताप करो और वही करो जो तुम पहले किया करते थे; नहीं तो, अगर तुम पश्चाताप न करोगे तो मैं तुम्हारे पास आकर तुम्हारा दीपदान उसके नियत स्थान से हटा दूंगा.
6 हां, तुम्हारे विषय में प्रशंसा के योग्य सच्चाई ये है कि तुम भी निकोलॉस के शिष्यों के स्वभाव से घृणा करते हो, जिससे मैं भी घृणा करता हूं.
7 जिसके कान हों, वह सुन ले कि कलीसियाओं से पवित्र आत्मा का संबोधन क्या है. जो विजयी होगा, उसे मैं जीवन के पेड़ में से, जो परमेश्वर के परादीस (स्वर्गलोक) में है, खाने के लिए दूंगा.
8 “स्मुरना नगर की कलीसिया के लिए चुने हुए दूत को लिखो: जो पहला और अंतिम है, जिसकी मृत्यु ज़रूर हुई किंतु अब वह जीवित है, उसका कहना यह है:
9 मैं तुम्हारी पीड़ा और कंगाली से परिचित हूं—किंतु वास्तव में तुम धनी हो! मैं उनके द्वारा तुम्हारे लिए इस्तेमाल अपशब्दों से भी परिचित हूं, जो स्वयं को यहूदी कहते तो हैं किंतु हैं नहीं. वे शैतान का सभागृह हैं.
10 तुम पर जो कष्ट आने को हैं उनसे भयभीत न होना. सावधान रहो: शैतान तुममें से कुछ को कारागार में डालने पर है कि तुम परखे जाओ. तुम्हें दस दिन तक ताड़ना दी जाएगी. अंतिम सांस तक सच्चे बने रहना और मैं तुम्हें जीवन का मुकुट प्रदान करूंगा.
11 जिसके कान हों, वह सुन ले कि कलीसियाओं से पवित्र आत्मा का कहना क्या है. जो विजयी होगा, उस पर दूसरी मृत्यु का कोई प्रहार न होगा.
12 “पेरगामॉस नगर की कलीसिया के लिए चुने हुए दूत को लिखो: जिसके पास तेज दोधारी तलवार है, उसका कहना यह है.
13 मैं जानता हूं कि तुम्हारा घर कहां है—जहां शैतान का सिंहासन है—फिर भी मेरे नाम के प्रति तुम्हारी सच्चाई बनी रही और तुमने मेरे प्रति अपने विश्वास का त्याग नहीं किया—उस समय भी, जब मेरे गवाह, मेरे विश्वासयोग्य अन्तिपास की तुम्हारे नगर में, जहां शैतान का घर है, हत्या कर दी गई.
14 किंतु मुझे तुम्हारे विरुद्ध कुछ कहना है तुम्हारे यहां कुछ व्यक्ति हैं, जो बिलआम की शिक्षा पर अटल हैं, जिसने राजा बालाक को इस्राएलियों को भरमाने के लिए, मूर्तियों को भेंट वस्तुएं खाने तथा वेश्यागामी के लिए उकसाया.
15 तुम्हारे यहां भी कुछ ऐसे ही व्यक्ति हैं, जिनकी जीवनशैली निकोलॉस के शिष्यों के समान है.
16 इसलिये पश्चाताप करो. नहीं तो मैं जल्द ही तुम्हारे पास आकर उस तलवार से, जो मेरे मुख में है, उससे युद्ध करूंगा.
17 जिसके कान हों, वह सुन ले कि कलीसियाओं से पवित्र आत्मा का कहना क्या है. जो विजयी होगा, मैं उसे गुप्त रखे गए मन्ना में से दूंगा तथा एक सफेद पत्थर भी, जिस पर एक नया नाम उकेरा हुआ होगा, जिसे उसके अलावा, जिसने उसे प्राप्त किया है, अन्य कोई नहीं जानता.
18 “थुआतेइरा नगर की कलीसिया के लिए चुने हुए दूत को लिखो: परमेश्वर के पुत्र का, जिसकी आंखें अग्नि ज्वाला समान तथा पैर भट्टी तपा कर चमकाए गए कांसे के समान हैं, कहना यह है.
19 मैं तुम्हारे कामों, तुम्हारे प्रेम, विश्वास, सेवकाई तथा धीरज को जानता हूं तथा इसे भी कि तुम अब पहले की तुलना में अधिक काम कर रहे हो.
20 किंतु मुझे तुम्हारे विरुद्ध यह कहना है: तुम उस स्त्री ईजेबेल को अपने बीच रहने दे रहे हो, जो स्वयं को भविष्यवक्ता कहते हुए मेरे दासों को गलत शिक्षा देती तथा उन्हें मूर्तियों को भेंट वस्तुएं खाने तथा वेश्यागामी के लिए उकसाती है.
21 मैंने उसे पश्चाताप करने का समय दिया किंतु वह अपने व्यभिचारी कामों का पश्चाताप करना नहीं चाहती.
22 इसलिये देखना, मैं उसे बीमारी के बिस्तर पर डाल दूंगा और उन्हें, जो उसके साथ व्यभिचार में लीन हैं, घोर कष्ट में डाल दूंगा—यदि वे उसके साथ के दुष्कर्मों से मन नहीं फिराते.
23 इसके अलावा मैं महामारी से उसकी संतान को नाश कर दूंगा, तब सभी कलीसियाओं को यह मालूम हो जाएगा कि जो मन और हृदय की थाह लेता है, मैं वही हूं तथा मैं ही तुममें हर एक को उसके कामों के अनुसार फल देनेवाला हूं.
24 किंतु थुआतेइरा के शेष लोगों के लिए, जो इस शिक्षा से सहमत नहीं हैं तथा जो शैतान के कहे हुए गहरे भेदों से अनजान हैं, मेरा संदेश यह है, ‘मैं तुम पर कोई और बोझ न डालूंगा.
25 फिर भी मेरे आने तक उसे, जो इस समय तुम्हारे पास है, सुरक्षित रखो.’
26 जो विजयी होगा तथा अंत तक मेरी इच्छा पूरी करेगा, मैं उसे राष्ट्रों पर अधिकार प्रदान करूंगा.
27 वह उन पर लोहे के राजदंड से शासन करेगा और वे मिट्टी के पात्रों के समान चकनाचूर हो जाएंगे ठीक जैसे मुझे यह अधिकार अपने पिता से मिला है.
28 मैं उसे भोर के तारे से सुशोभित करूंगा.
29 जिसके कान हों, वह सुन ले कि कलीसियाओं से पवित्र आत्मा का कहना क्या है.