< भजन संहिता 96 >

1 सारी पृथ्वी याहवेह की स्तुति में नया गीत गाए; हर रोज़ उनके द्वारा दी गई छुड़ौती की घोषणा की जाए.
Sing to Yahweh a new song! [You people] throughout the earth, sing to Yahweh!
2 याहवेह के लिये गाओ. उनके नाम की प्रशंसा करो; प्रत्येक दिन उनका सुसमाचार सुनाओ कि याहवेह बचाने वाला है.
Sing to Yahweh and praise him [MTY]! Every day proclaim [to others] that he has saved/rescued us.
3 देशों में उनके प्रताप की चर्चा की जाए, और उनके अद्भुत कामों की घोषणा हर जगह.
Tell about his glory/greatness to all people-groups; tell all people-groups the marvelous [things that he has done].
4 क्योंकि महान हैं याहवेह और सर्वाधिक योग्य हैं स्तुति के; अनिवार्य है कि उनके ही प्रति सभी देवताओं से अधिक श्रद्धा रखी जाए.
Yahweh is great, and he deserves to be praised very much; he should be revered more than for all the gods,
5 क्योंकि अन्य जनताओं के समस्त देवता मात्र प्रतिमाएं ही हैं, किंतु स्वर्ग मंडल के बनानेवाले याहवेह हैं.
because all the gods that other people-groups [worship] are [only] idols, but Yahweh [is truly great]; he created the skies!
6 वैभव और ऐश्वर्य उनके चारों ओर हैं; सामर्थ्य और महिमा उनके पवित्र स्थान में बसे हुए हैं.
Those who are in his presence honor him and can see that he is a great king. They can see in his temple that he is very powerful and is very beautiful.
7 राष्ट्रों के समस्त गोत्रो, याहवेह को पहचानो, याहवेह को पहचानकर उनके तेज और सामर्थ्य को देखो.
You people in nations all over the earth, praise Yahweh! Praise Yahweh for his glorious power [HEN]!
8 याहवेह के नाम की सुयोग्य महिमा करो; उनकी उपस्थिति में भेंट लेकर जाओ;
Praise Yahweh like he deserves to be praised, Bring an offering and come to his temple.
9 उनकी वंदना पवित्रता के ऐश्वर्य में की जाए. उनकी उपस्थिति में सारी पृथ्वी में कंपकंपी दौड़ जाए.
Bow down before Yahweh [when he appears] in his holy/sacred temple; everyone on the earth should tremble in front of him, because he is majestic and holy.
10 राष्ट्रों के सामने यह घोषणा की जाए, “याहवेह ही शासक हैं.” यह एक सत्य है कि संसार दृढ़ रूप में स्थिर हो गया है, यह हिल ही नहीं सकता; वह खराई से राष्ट्रों का न्याय करेंगे.
Say to all the people-groups, “Yahweh is the king! He put the world in its place, and nothing will ever be able to move/shake it. He will judge [all] the people-groups fairly.”
11 स्वर्ग आनंदित हो और पृथ्वी मगन; समुद्र और उसमें मगन सब कुछ इसी हर्षोल्लास को प्रतिध्वनित करें.
[All the beings that are in] [MTY] the heavens should be glad, and all [the people on the] earth should rejoice. The oceans and all the creatures that are in the oceans should roar [to praise Yahweh].
12 समस्त मैदान और उनमें चलते फिरते रहे सभी प्राणी उल्‍लसित हों; तब वन के समस्त वृक्ष आनंद में गुणगान करने लगेंगे.
The fields and everything that grows in them should rejoice. When they do that, [it will be as though] all the trees in the forests will sing joyfully
13 वे सभी याहवेह की उपस्थिति में गाएं, क्योंकि याहवेह आनेवाला हैं और पृथ्वी पर उनके आने का उद्देश्य है पृथ्वी का न्याय करना. उनका न्याय धार्मिकतापूर्ण होगा; वह मनुष्यों का न्याय अपनी ही सच्चाई के अनुरूप करेंगे.
in front of Yahweh. That will happen when he comes to judge [everyone on] [MTY] the earth. He will judge all the people fairly/justly, according to [what he knows is] true.

< भजन संहिता 96 >