< भजन संहिता 94 >

1 याहवेह, बदला लेनेवाले परमेश्वर, बदला लेनेवाले परमेश्वर, अपने तेज को प्रकट कीजिए.
Psalmus David, Quarta sabbati. Deus ultionum Dominus: Deus ultionum libere egit.
2 पृथ्वी का न्यायाध्यक्ष, उठ जाइए; अहंकारियों को वही प्रतिफल दीजिए, जिसके वे योग्य हैं.
Exaltare qui iudicas terram: redde retributionem superbis.
3 दुष्ट कब तक, याहवेह, कब तक आनंद मनाते रहेंगे?
Usquequo peccatores Domine: usquequo peccatores gloriabuntur:
4 वे डींग मारते चले जा रहे हैं; समस्त दुष्ट अहंकार में फूले जा रहे हैं.
Effabuntur, et loquentur iniquitatem: loquentur omnes, qui operantur iniustitiam?
5 वे आपकी प्रजा को कुचल रहे हैं, याहवेह; वे आपकी निज भाग को दुःखित कर रहे हैं.
Populum tuum Domine humiliaverunt: et hereditatem tuam vexaverunt.
6 वे विधवा और प्रवासी की हत्या कर रहे हैं; वे अनाथों की हत्या कर रहे हैं.
Viduam, et advenam interfecerunt: et pupillos occiderunt.
7 वे कहे जा रहे हैं, “कुछ नहीं देखता याहवेह; याकोब के परमेश्वर ने इसकी ओर ध्यान नहीं देते है.”
Et dixerunt: Non videbit Dominus, nec intelliget Deus Iacob.
8 मन्दमतियो, थोड़ा विचार तो करो; निर्बुद्धियो, तुममें बुद्धिमत्ता कब जागेगी?
Intelligite insipientes in populo: et stulti aliquando sapite.
9 जिन्होंने कान लगाए हैं, क्या वे सुनते नहीं? क्या वे, जिन्होंने आंखों को आकार दिया है, देखते नहीं?
Qui plantavit aurem, non audiet? aut qui finxit oculum, non considerat?
10 क्या वे, जो राष्ट्रों को ताड़ना देते हैं, वे दंड नहीं देंगे? क्या वे, जो मनुष्यों को शिक्षा देते हैं, उनके पास ज्ञान की कमी है?
Qui corripit gentes, non arguet: qui docet hominem scientiam?
11 याहवेह मनुष्य के विचारों को जानते हैं; कि वे विचार मात्र श्वास ही हैं.
Dominus scit cogitationes hominum, quoniam vanae sunt.
12 याहवेह, धन्य होता है वह पुरुष, जो आपके द्वारा प्रताड़ित किया जाता है, जिसे आप अपनी व्यवस्था से शिक्षा देते हैं;
Beatus homo, quem tu erudieris Domine: et de lege tua docueris eum.
13 विपत्ति के अवसर पर आप उसे चैन प्रदान करते हैं, दुष्ट के लिए गड्ढा खोदे जाने तक.
Ut mitiges ei a diebus malis: donec fodiatur peccatori fovea.
14 कारण यह है कि याहवेह अपनी प्रजा का परित्याग नहीं करेंगे; वह कभी भी अपनी निज भाग को भूलते नहीं.
Quia non repellet Dominus plebem suam: et hereditatem suam non derelinquet.
15 धर्मियों को न्याय अवश्य प्राप्‍त होगा और सभी सीधे हृदय इसका अनुसरण करेंगे.
Quoadusque iustitia convertatur in iudicium: et qui iuxta illam omnes qui recto sunt corde.
16 मेरी ओर से बुराई करनेवाले के विरुद्ध कौन खड़ा होगा? कुकर्मियों के विरुद्ध मेरा साथ कौन देगा?
Quis consurget mihi adversus malignantes? aut quis stabit mecum adversus operantes iniquitatem?
17 यदि स्वयं याहवेह ने मेरी सहायता न की होती, शीघ्र ही मृत्यु की चिर-निद्रा मेरा आवास हो गई होती.
Nisi quia Dominus adiuvit me: paulominus habitasset in inferno anima mea. (questioned)
18 यदि मैंने कहा, “मेरा पांव फिसल गया है,” याहवेह, आपका करुणा-प्रेम मुझे थाम लेगा.
Si dicebam: Motus est pes meus: misericordia tua Domine adiuvabat me.
19 जब मेरा हृदय अत्यंत व्याकुल हो गया था, आपकी ही सांत्वना ने मुझे हर्षित किया है.
Secundum multitudinem dolorum meorum in corde meo: consolationes tuae laetificaverunt animam meam.
20 क्या दुष्ट शासक के आपके साथ संबंध हो सकते हैं, जो राजाज्ञा की आड़ में प्रजा पर अन्याय करते हैं?
Numquid adhaeret tibi sedes iniquitatis: qui fingis laborem in praecepto?
21 वे सभी धर्मी के विरुद्ध एकजुट हो गए हैं और उन्होंने निर्दोष को मृत्यु दंड दे दिया है.
Captabunt in animam iusti: et sanguinem innocentem condemnabunt.
22 किंतु स्थिति यह है कि अब याहवेह मेरा गढ़ बन गए हैं, तथा परमेश्वर अब मेरे आश्रय की चट्टान हैं.
Et factus est mihi Dominus in refugium: et Deus meus in adiutorium spei meae.
23 वही उनकी दुष्टता का बदला लेंगे, वही उनकी दुष्टता के कारण उनका विनाश कर देंगे; याहवेह हमारे परमेश्वर निश्चयतः उन्हें नष्ट कर देंगे.
Et reddet illis iniquitatem ipsorum: et in malitia eorum disperdet eos: disperdet illos Dominus Deus noster.

< भजन संहिता 94 >