< भजन संहिता 91 >

1 वह, जिसका निवास सर्वोच्च परमेश्वर के आश्रय में है, सर्वशक्तिमान के छाया कुंज में सुरक्षित निवास करेगा.
Wer sitzt im Verborgenen des Höchsten, und wer weilt unter dem Schatten von Schaddai,
2 याहवेह के विषय में मेरी घोषणा है, “वह मेरे आश्रय, मेरे गढ़ हैं, मेरे शरणस्थान परमेश्वर हैं, जिनमें मेरा भरोसा है.”
Der spricht zu Jehovah: Meine Zuversicht und meine Feste, mein Gott, auf Den ich vertraue.
3 वह तुम्हें सभी फंदे से बचाएंगे, वही घातक महामारी से तुम्हारी रक्षा करेंगे.
Denn vor der Schlinge des Vogelstellers wird Er dich erretten, vor der Pest des Unheils.
4 वह तुम्हें अपने परों में छिपा लेंगे, उनके पंखों के नीचे तुम्हारा आश्रय होगा; उनकी सच्चाई ढाल और गढ़ हैं.
Mit Seinem Fittich deckt Er dich, unter Seinem Flügel sollst du deine Zuversicht haben, Schild und Tartsche ist Seine Wahrheit.
5 तुम न तो रात्रि के आतंक से भयभीत होगे, न ही दिन में छोड़े गए बाण से,
Nicht darfst du vor dem Schauer der Nacht dich fürchten, noch vor dem Pfeile, der bei Tage fliegt,
6 वैसे ही न उस महामारी से, जो अंधकार में छिपी रहती है, अथवा उस विनाश से, जो दिन-दोपहरी में प्रहार करता है.
Vor der Pest, die im Dunkel dahingeht, vor der Seuche, die am Mittag verheert.
7 संभव है कि तुम्हारे निकट हजार तथा तुम्हारी दायीं ओर दस हजार आ गिरें, किंतु वह तुम तक नहीं पहुंचेगा.
Ob dir zur Seite fallen Tausend und Zehntausend zu deiner Rechten; an dich tritt es nicht heran.
8 तुम स्वयं अपनी आंखों से देखते रहोगे और देखोगे कि कैसा होता है कुकर्मियों का दंड.
Mit deinen Augen nur erblickst du es und siehst die Vergeltung der Ungerechten.
9 याहवेह, आप, जिन्होंने सर्वोच्च स्थान को अपना निवास बनाया है, “मेरे आश्रय हैं.”
Denn Du bist meine Zuversicht, Jehovah! - Den Höchsten hast du dir zu deiner Wohnstätte gesetzt.
10 कोई भी विपत्ति तुम पर आने न पाएगी और न कोई विपत्ति ही तुम्हारे मंडप के निकट आएगी.
Dir wird nichts Böses widerfahren, und keine Plage deinem Zelt sich nahen.
11 क्योंकि वह अपने स्वर्गदूतों को तुम्हारी हर एक गतिविधि में तुम्हारी सुरक्षा का आदेश देंगे;
Denn Seinen Engeln hat Er über dir geboten, daß sie auf allen deinen Wegen dich behüten;
12 वे तुम्हें अपने हाथों में उठा लेंगे, कि कहीं तुम्हारे पांव को पत्थर से ठोकर न लग जाए.
Daß auf den Händen sie dich tragen, daß du deinen Fuß nicht stoßest an den Stein.
13 तुम सिंह और नाग को कुचल दोगे; तुम पुष्ट सिंह और सर्प को रौंद डालोगे.
Auf Löwen und auf Ottern wirst du treten, und zerstampfen den jungen Löwen und den Drachen.
14 यह याहवेह का आश्वासन है, “मैं उसे छुड़ाऊंगा, क्योंकि वह मुझसे प्रेम करता है; मैं उसे सुरक्षित रखूंगा, क्योंकि उसने मेरी महिमा पहचानी है.
Weil er nach Mir verlangt, werde Ich ihn befreien, in beschützen, weil er Meinen Namen kennt.
15 जब वह मुझे पुकारेगा, मैं उसे उत्तर दूंगा; संकट की स्थिति में मैं उसके साथ रहूंगा, उसे छुड़ाकर मैं उसका सम्मान बढ़ाऊंगा.
Er rufe Mich an, und Ich antworte ihm, bin mit ihm in der Drangsal, reiße ihn heraus und verherrliche ihn.
16 मैं उसे दीर्घायु से तृप्‍त करूंगा और मैं उसे अपने उद्धार का अनुभव कराऊंगा.”
Mit Länge der Tage will Ich ihn sättigen, und lasse Mein Heil ihn sehen.

< भजन संहिता 91 >