< भजन संहिता 78 >

1 आसफ का मसकील मेरी प्रजा, मेरी शिक्षा पर ध्यान दो; जो शिक्षा मैं दे रहा हूं उसे ध्यान से सुनो.
מַשְׂכִּיל לְאָסָף הַאֲזִינָה עַמִּי תּוֹרָתִי הַטּוּ אׇזְנְכֶם לְאִמְרֵי־פִֽי׃
2 मैं अपनी शिक्षा दृष्टान्तों में दूंगा; मैं पूर्वकाल से गोपनीय रखी गई बातों को प्रकाशित करूंगा—
אֶפְתְּחָה בְמָשָׁל פִּי אַבִּיעָה חִידוֹת מִנִּי־קֶֽדֶם׃
3 वे बातें जो हम सुन चुके थे, जो हमें मालूम थीं, वे बातें, जो हमने अपने पूर्वजों से प्राप्‍त की थीं.
אֲשֶׁר שָׁמַעְנוּ וַנֵּדָעֵם וַאֲבוֹתֵינוּ סִפְּרוּ־לָֽנוּ׃
4 याहवेह द्वारा किए गए स्तुत्य कार्य, जो उनके सामर्थ्य के अद्भुत कार्य हैं, इन्हें हम इनकी संतानों से गुप्‍त नहीं रखेंगे; उनका लिखा भावी पीढ़ी तक किया जायेगा.
לֹא נְכַחֵד ׀ מִבְּנֵיהֶם לְדוֹר אַחֲרוֹן מְֽסַפְּרִים תְּהִלּוֹת יְהֹוָה וֶעֱזוּזוֹ וְנִפְלְאֹתָיו אֲשֶׁר עָשָֽׂה׃
5 प्रभु ने याकोब के लिए नियम स्थापित किया तथा इस्राएल में व्यवस्था स्थापित कर दिया, इनके संबंध में परमेश्वर का आदेश था कि हमारे पूर्वज अगली पीढ़ी को इनकी शिक्षा दें,
וַיָּקֶם עֵדוּת ׀ בְּֽיַעֲקֹב וְתוֹרָה שָׂם בְּיִשְׂרָאֵל אֲשֶׁר צִוָּה אֶת־אֲבוֹתֵינוּ לְהוֹדִיעָם לִבְנֵיהֶֽם׃
6 कि आगामी पीढ़ी इनसे परिचित हो जाए, यहां तक कि वे बालक भी, जिनका अभी जन्म भी नहीं हुआ है, कि अपने समय में वे भी अपनी अगली पीढ़ी तक इन्हें बताते जाए.
לְמַעַן יֵדְעוּ ׀ דּוֹר אַחֲרוֹן בָּנִים יִוָּלֵדוּ יָקֻמוּ וִיסַפְּרוּ לִבְנֵיהֶֽם׃
7 तब वे परमेश्वर में अपना भरोसा स्थापित करेंगे और वे परमेश्वर के महाकार्य भूल न सकेंगे, तथा उनके आदेशों का पालन करेंगे.
וְיָשִׂימוּ בֵאלֹהִים כִּסְלָם וְלֹא יִשְׁכְּחוּ מַעַלְלֵי־אֵל וּמִצְוֺתָיו יִנְצֹֽרוּ׃
8 तब उनका आचरण उनके पूर्वजों के समान न रहेगा, जो हठी और हठीली पीढ़ी प्रमाणित हुई, जिनका हृदय परमेश्वर को समर्पित न था, उनकी आत्माएं उनके प्रति सच्ची नहीं थीं.
וְלֹא יִהְיוּ ׀ כַּאֲבוֹתָם דּוֹר סוֹרֵר וּמֹרֶה דּוֹר לֹא־הֵכִין לִבּוֹ וְלֹֽא־נֶאֶמְנָה אֶת־אֵל רוּחֽוֹ׃
9 एफ्राईम के सैनिक यद्यपि धनुष से सुसज्जित थे, युद्ध के दिन वे फिरकर भाग गए;
בְּֽנֵי־אֶפְרַיִם נוֹשְׁקֵי רֽוֹמֵי־קָשֶׁת הָפְכוּ בְּיוֹם קְרָֽב׃
10 उन्होंने परमेश्वर से स्थापित वाचा को भंग कर दिया, उन्होंने उनकी व्यवस्था की अधीनता भी अस्वीकार कर दी.
לֹא שָׁמְרוּ בְּרִית אֱלֹהִים וּבְתוֹרָתוֹ מֵאֲנוּ לָלֶֽכֶת׃
11 परमेश्वर द्वारा किए गए महाकार्य, वे समस्त आश्चर्य कार्य, जो उन्हें प्रदर्शित किए गए थे, वे भूल गए.
וַיִּשְׁכְּחוּ עֲלִילוֹתָיו וְנִפְלְאוֹתָיו אֲשֶׁר הֶרְאָֽם׃
12 ये आश्चर्यकर्म परमेश्वर ने उनके पूर्वजों के देखते उनके सामने किए थे, ये सब मिस्र देश तथा ज़ोअन क्षेत्र में किए गए थे.
נֶגֶד אֲבוֹתָם עָשָׂה פֶלֶא בְּאֶרֶץ מִצְרַיִם שְׂדֵה־צֹֽעַן׃
13 परमेश्वर ने समुद्र जल को विभक्त कर दिया और इसमें उनके लिए मार्ग निर्मित किया; इसके लिए परमेश्वर ने समुद्र जल को दीवार समान खड़ा कर दिया.
בָּקַע יָם וַיַּעֲבִירֵם וַֽיַּצֶּב־מַיִם כְּמוֹ־נֵֽד׃
14 परमेश्वर दिन के समय उनकी अगुवाई बादल के द्वारा तथा संपूर्ण रात्रि में अग्निप्रकाश के द्वारा करते रहे.
וַיַּנְחֵם בֶּעָנָן יוֹמָם וְכׇל־הַלַּיְלָה בְּאוֹר אֵֽשׁ׃
15 परमेश्वर ने बंजर भूमि में चट्टानों को फाड़कर उन्हें इतना जल प्रदान किया, जितना जल समुद्र में होता है;
יְבַקַּע צֻרִים בַּמִּדְבָּר וַיַּשְׁקְ כִּתְהֹמוֹת רַבָּֽה׃
16 उन्होंने चट्टान में से जलधाराएं प्रवाहित कर दीं, कि जल नदी समान प्रवाहित हो चला.
וַיּוֹצִא נוֹזְלִים מִסָּלַע וַיּוֹרֶד כַּנְּהָרוֹת מָֽיִם׃
17 यह सब होने पर भी वे परमेश्वर के विरुद्ध पाप करते ही रहे, बंजर भूमि में उन्होंने सर्वोच्च परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह किया.
וַיּוֹסִיפוּ עוֹד לַחֲטֹא־לוֹ לַֽמְרוֹת עֶלְיוֹן בַּצִּיָּֽה׃
18 जिस भोजन के लिए वे लालायित थे, उसके लिए हठ करके उन्होंने मन ही मन परमेश्वर की परीक्षा ली.
וַיְנַסּוּ־אֵל בִּלְבָבָם לִֽשְׁאׇל־אֹכֶל לְנַפְשָֽׁם׃
19 वे यह कहते हुए परमेश्वर की निंदा करते रहे; “क्या परमेश्वर बंजर भूमि में भी हमें भोजन परोस सकते हैं?
וַֽיְדַבְּרוּ בֵּאלֹהִים אָמְרוּ הֲיוּכַל אֵל לַעֲרֹךְ שֻׁלְחָן בַּמִּדְבָּֽר׃
20 जब उन्होंने चट्टान पर प्रहार किया तो जल-स्रोत फूट पड़े तथा विपुल जलधाराएं बहने लगीं; किंतु क्या वह हमें भोजन भी दे सकते हैं? क्या वह संपूर्ण प्रजा के लिए मांस भोजन का भी प्रबंध कर सकते हैं?”
הֵן הִכָּה־צוּר ׀ וַיָּזוּבוּ מַיִם וּנְחָלִים יִשְׁטֹפוּ הֲגַם־לֶחֶם יוּכַל תֵּת אִם־יָכִין שְׁאֵר לְעַמּֽוֹ׃
21 यह सुन याहवेह अत्यंत उदास हो गए; याकोब के विरुद्ध उनकी अग्नि भड़क उठी, उनका क्रोध इस्राएल के विरुद्ध भड़क उठा,
לָכֵן ׀ שָׁמַע יְהֹוָה וַֽיִּתְעַבָּר וְאֵשׁ נִשְּׂקָה בְיַעֲקֹב וְגַם־אַף עָלָה בְיִשְׂרָאֵֽל׃
22 क्योंकि उन्होंने न तो परमेश्वर में विश्वास किया और न उनके उद्धार पर भरोसा किया.
כִּי לֹא הֶאֱמִינוּ בֵּאלֹהִים וְלֹא בָטְחוּ בִּישֽׁוּעָתֽוֹ׃
23 यह होने पर भी उन्होंने आकाश को आदेश दिया और स्वर्ग के झरोखे खोल दिए;
וַיְצַו שְׁחָקִים מִמָּעַל וְדַלְתֵי שָׁמַיִם פָּתָֽח׃
24 उन्होंने उनके भोजन के लिए मन्‍ना वृष्टि की, उन्होंने उन्हें स्वर्गिक अन्‍न प्रदान किया.
וַיַּמְטֵר עֲלֵיהֶם מָן לֶאֱכֹל וּדְגַן־שָׁמַיִם נָתַן לָֽמוֹ׃
25 मनुष्य वह भोजन कर रहे थे, जो स्वर्गदूतों के लिए निर्धारित था; परमेश्वर ने उन्हें भरपेट भोजन प्रदान किया.
לֶחֶם אַבִּירִים אָכַל אִישׁ צֵידָה שָׁלַח לָהֶם לָשֹֽׂבַע׃
26 स्वर्ग से उन्होंने पूर्वी हवा प्रवाहित की, अपने सामर्थ्य में उन्होंने दक्षिणी हवा भी प्रवाहित की.
יַסַּע קָדִים בַּשָּׁמָיִם וַיְנַהֵג בְּעֻזּוֹ תֵימָֽן׃
27 उन्होंने उनके लिए मांस की ऐसी वृष्टि की, मानो वह धूलि मात्र हो, पक्षी ऐसे उड़ रहे थे, जैसे सागर तट पर रेत कण उड़ते हैं.
וַיַּמְטֵר עֲלֵיהֶם כֶּעָפָר שְׁאֵר וּֽכְחוֹל יַמִּים עוֹף כָּנָֽף׃
28 परमेश्वर ने पक्षियों को उनके मण्डपों में घुस जाने के लिए बाध्य कर दिया, वे मंडप के चारों ओर छाए हुए थे.
וַיַּפֵּל בְּקֶרֶב מַחֲנֵהוּ סָבִיב לְמִשְׁכְּנֹתָֽיו׃
29 उन्होंने तृप्‍त होने के बाद भी इन्हें खाया. परमेश्वर ने उन्हें वही प्रदान कर दिया था, जिसकी उन्होंने कामना की थी.
וַיֹּאכְלוּ וַיִּשְׂבְּעוּ מְאֹד וְתַאֲוָתָם יָבִא לָהֶֽם׃
30 किंतु इसके पूर्व कि वे अपने कामना किए भोजन से तृप्‍त होते, जब भोजन उनके मुख में ही था,
לֹא־זָרוּ מִתַּאֲוָתָם עוֹד אׇכְלָם בְּפִיהֶֽם׃
31 परमेश्वर का रोष उन पर भड़क उठा; परमेश्वर ने उनके सबसे सशक्तों को मिटा डाला, उन्होंने इस्राएल के युवाओं को मिटा डाला.
וְאַף אֱלֹהִים ׀ עָלָה בָהֶם וַֽיַּהֲרֹג בְּמִשְׁמַנֵּיהֶם וּבַחוּרֵי יִשְׂרָאֵל הִכְרִֽיעַ׃
32 इतना सब होने पर भी वे पाप से दूर न हुए; समस्त आश्चर्य कार्यों को देखने के बाद भी उन्होंने विश्वास नहीं किया.
בְּכׇל־זֹאת חָֽטְאוּ־עוֹד וְלֹֽא־הֶאֱמִינוּ בְּנִפְלְאוֹתָֽיו׃
33 तब परमेश्वर ने उनके दिन व्यर्थता में तथा उनके वर्ष आतंक में समाप्‍त कर दिए.
וַיְכַל־בַּהֶבֶל יְמֵיהֶם וּשְׁנוֹתָם בַּבֶּהָלָֽה׃
34 जब कभी परमेश्वर ने उनमें से किसी को मारा, वे बाकी परमेश्वर को खोजने लगे; वे दौड़कर परमेश्वर की ओर लौट गये.
אִם־הֲרָגָם וּדְרָשׁוּהוּ וְשָׁבוּ וְשִֽׁחֲרוּ־אֵֽל׃
35 उन्हें यह स्मरण आया कि परमेश्वर उनके लिए चट्टान हैं, उन्हें यह स्मरण आया कि सर्वोच्च परमेश्वर उनके उद्धारक हैं.
וַֽיִּזְכְּרוּ כִּֽי־אֱלֹהִים צוּרָם וְאֵל עֶלְיוֹן גֹּאֲלָֽם׃
36 किंतु उन्होंने अपने मुख से परमेश्वर की चापलूसी की, अपनी जीभ से उन्होंने उनसे झूठाचार किया;
וַיְפַתּוּהוּ בְּפִיהֶם וּבִלְשׁוֹנָם יְכַזְּבוּ־לֽוֹ׃
37 उनके हृदय में सच्चाई नहीं थी, वे उनके साथ बांधी गई वाचा के प्रतिनिष्ठ न रहे.
וְלִבָּם לֹא־נָכוֹן עִמּוֹ וְלֹא נֶאֶמְנוּ בִּבְרִיתֽוֹ׃
38 फिर भी परमेश्वर उनके प्रति कृपालु बने रहे; परमेश्वर ही ने उनके अपराधों को क्षमा कर दिया और उनका विनाश न होने दिया. बार-बार वह अपने कोप पर नियंत्रण करते रहे और उन्होंने अपने समग्र प्रकोप को प्रगट न होने दिया.
וְהוּא רַחוּם ׀ יְכַפֵּר עָוֺן וְֽלֹא־יַֽשְׁחִית וְהִרְבָּה לְהָשִׁיב אַפּוֹ וְלֹא־יָעִיר כׇּל־חֲמָתֽוֹ׃
39 परमेश्वर को यह स्मरण रहा कि वे मात्र मनुष्य ही हैं—पवन के समान, जो बहने के बाद लौटकर नहीं आता.
וַיִּזְכֹּר כִּֽי־בָשָׂר הֵמָּה רוּחַ הוֹלֵךְ וְלֹא יָשֽׁוּב׃
40 बंजर भूमि में कितनी ही बार उन्होंने परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह किया, कितनी ही बार उन्होंने उजाड़ भूमि में उन्हें उदास किया!
כַּמָּה יַמְרוּהוּ בַמִּדְבָּר יַעֲצִיבוּהוּ בִּישִׁימֽוֹן׃
41 बार-बार वे परीक्षा लेकर परमेश्वर को उकसाते रहे; वे इस्राएल के पवित्र परमेश्वर को क्रोधित करते रहे.
וַיָּשׁוּבוּ וַיְנַסּוּ אֵל וּקְדוֹשׁ יִשְׂרָאֵל הִתְוֽוּ׃
42 वे परमेश्वर की सामर्थ्य को भूल गए, जब परमेश्वर ने उन्हें अत्याचारी की अधीनता से छुड़ा लिया था.
לֹא־זָכְרוּ אֶת־יָדוֹ יוֹם אֲֽשֶׁר־פָּדָם מִנִּי־צָֽר׃
43 जब परमेश्वर ने मिस्र देश में चमत्कार चिन्ह प्रदर्शित किए, जब ज़ोअन प्रदेश में आश्चर्य कार्य किए थे.
אֲשֶׁר־שָׂם בְּמִצְרַיִם אֹתוֹתָיו וּמוֹפְתָיו בִּשְׂדֵה־צֹֽעַן׃
44 परमेश्वर ने नदी को रक्त में बदल दिया; वे जलधाराओं से जल पीने में असमर्थ हो गए.
וַיַּהֲפֹךְ לְדָם יְאֹרֵיהֶם וְנֹזְלֵיהֶם בַּל־יִשְׁתָּיֽוּן׃
45 परमेश्वर ने उन पर कुटकी के समूह भेजे, जो उन्हें निगल गए. मेंढकों ने वहां विध्वंस कर डाला.
יְשַׁלַּח בָּהֶם עָרֹב וַיֹּאכְלֵם וּצְפַרְדֵּעַ וַתַּשְׁחִיתֵֽם׃
46 परमेश्वर ने उनकी उपज हासिल टिड्डों को, तथा उनके उत्पाद अरबेह टिड्डियों को सौंप दिए.
וַיִּתֵּן לֶחָסִיל יְבוּלָם וִיגִיעָם לָאַרְבֶּֽה׃
47 उनकी द्राक्षा उपज ओलों से नष्ट कर दी गई, तथा उनके गूलर-अंजीर पाले में नष्ट हो गए.
יַהֲרֹג בַּבָּרָד גַּפְנָם וְשִׁקְמוֹתָם בַּחֲנָמַֽל׃
48 उनका पशु धन भी ओलों द्वारा नष्ट कर दिया गया, तथा उनकी भेड़-बकरियों को बिजलियों द्वारा.
וַיַּסְגֵּר לַבָּרָד בְּעִירָם וּמִקְנֵיהֶם לָרְשָׁפִֽים׃
49 परमेश्वर का उत्तप्‍त क्रोध, प्रकोप तथा आक्रोश उन पर टूट पड़ा, ये सभी उनके विनाशक दूत थे.
יְשַׁלַּח־בָּם ׀ חֲרוֹן אַפּוֹ עֶבְרָה וָזַעַם וְצָרָה מִשְׁלַחַת מַלְאֲכֵי רָעִֽים׃
50 परमेश्वर ने अपने प्रकोप का पथ तैयार किया था; उन्होंने उन्हें मृत्यु से सुरक्षा प्रदान नहीं की परंतु उन्हें महामारी को सौंप दिया.
יְפַלֵּס נָתִיב לְאַפּוֹ לֹא־חָשַׂךְ מִמָּוֶת נַפְשָׁם וְחַיָּתָם לַדֶּבֶר הִסְגִּֽיר׃
51 मिस्र के सभी पहलौठों को परमेश्वर ने हत्या कर दी, हाम के मण्डपों में पौरुष के प्रथम फलों का.
וַיַּךְ כׇּל־בְּכוֹר בְּמִצְרָיִם רֵאשִׁית אוֹנִים בְּאׇהֳלֵי־חָֽם׃
52 किंतु उन्होंने भेड़ के झुंड के समान अपनी प्रजा को बचाया; बंजर भूमि में वह भेड़ का झुंड के समान उनकी अगुवाई करते रहे.
וַיַּסַּע כַּצֹּאן עַמּוֹ וַֽיְנַהֲגֵם כַּעֵדֶר בַּמִּדְבָּֽר׃
53 उनकी अगुवाई ने उन्हें सुरक्षा प्रदान की, फलस्वरूप वे अभय आगे बढ़ते गए; जबकि उनके शत्रुओं को समुद्र ने समेट लिया.
וַיַּנְחֵם לָבֶטַח וְלֹא פָחָדוּ וְאֶת־אוֹיְבֵיהֶם כִּסָּה הַיָּֽם׃
54 यह सब करते हुए परमेश्वर उन्हें अपनी पवित्र भूमि की सीमा तक, उस पर्वतीय भूमि तक ले आए जिस पर उनके दायें हाथ ने अपने अधीन किया था.
וַיְבִיאֵם אֶל־גְּבוּל קׇדְשׁוֹ הַר־זֶה קָנְתָה יְמִינֽוֹ׃
55 तब उन्होंने जनताओं को वहां से काटकर अलग कर दिया और उनकी भूमि अपनी प्रजा में भाग स्वरूप बाट दिया; इस्राएल के समस्त गोत्रों को उनके आवास प्रदान करके उन्हें वहां बसा दिया.
וַיְגָרֶשׁ מִפְּנֵיהֶם ׀ גּוֹיִם וַֽיַּפִּילֵם בְּחֶבֶל נַחֲלָה וַיַּשְׁכֵּן בְּאׇהֳלֵיהֶם שִׁבְטֵי יִשְׂרָאֵֽל׃
56 इतना सब होने के बाद भी उन्होंने परमेश्वर की परीक्षा ली, उन्होंने सर्वोच्च परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह किया; उन्होंने परमेश्वर की आज्ञाओं को भंग कर दिया.
וַיְנַסּוּ וַיַּמְרוּ אֶת־אֱלֹהִים עֶלְיוֹן וְעֵדוֹתָיו לֹא שָׁמָֽרוּ׃
57 अपने पूर्वजों के जैसे वे भी अकृतज्ञ तथा विश्वासघाती हो गए; वैसे ही अयोग्य, जैसा एक दोषपूर्ण धनुष होता है.
וַיִּסֹּגוּ וַֽיִּבְגְּדוּ כַּאֲבוֹתָם נֶהְפְּכוּ כְּקֶשֶׁת רְמִיָּֽה׃
58 उन्होंने देवताओं के लिए निर्मित वेदियों के द्वारा परमेश्वर के क्रोध को भड़काया है; उन प्रतिमाओं ने परमेश्वर में डाह भाव उत्तेजित किया.
וַיַּכְעִיסוּהוּ בְּבָמוֹתָם וּבִפְסִילֵיהֶם יַקְנִיאֽוּהוּ׃
59 उन्हें सुन परमेश्वर को अत्यंत झुंझलाहट सी हो गई; उन्होंने इस्राएल को पूर्णतः छोड़ दिया.
שָׁמַע אֱלֹהִים וַֽיִּתְעַבָּר וַיִּמְאַס מְאֹד בְּיִשְׂרָאֵֽל׃
60 उन्होंने शीलो के निवास-मंडप का परित्याग कर दिया, जिसे उन्होंने मनुष्य के मध्य बसा दिया था.
וַיִּטֹּשׁ מִשְׁכַּן שִׁלוֹ אֹהֶל שִׁכֵּן בָּֽאָדָֽם׃
61 परमेश्वर ने अपने सामर्थ्य के संदूक को बन्दीत्व में भेज दिया, उनका वैभव शत्रुओं के वश में हो गया.
וַיִּתֵּן לַשְּׁבִי עֻזּוֹ וְֽתִפְאַרְתּוֹ בְיַד־צָֽר׃
62 उन्होंने अपनी प्रजा तलवार को भेंट कर दी; अपने ही निज भाग पर वह अत्यंत उदास थे.
וַיַּסְגֵּר לַחֶרֶב עַמּוֹ וּבְנַחֲלָתוֹ הִתְעַבָּֽר׃
63 अग्नि उनके युवाओं को निगल कर गई, उनकी कन्याओं के लिए कोई भी वैवाहिक गीत-संगीत शेष न रह गया.
בַּחוּרָיו אָכְלָה־אֵשׁ וּבְתוּלֹתָיו לֹא הוּלָּֽלוּ׃
64 उनके पुरोहितों का तलवार से वध कर दिया गया, उनकी विधवाएं आंसुओं के लिए असमर्थ हो गईं.
כֹּהֲנָיו בַּחֶרֶב נָפָלוּ וְאַלְמְנֹתָיו לֹא תִבְכֶּֽינָה׃
65 तब मानो प्रभु की नींद भंग हो गई, कुछ वैसे ही, जैसे कोई वीर दाखमधु की होश से बाहर आ गया हो.
וַיִּקַץ כְּיָשֵׁן ׀ אֲדֹנָי כְּגִבּוֹר מִתְרוֹנֵן מִיָּֽיִן׃
66 परमेश्वर ने अपने शत्रुओं को ऐसे मार भगाया; कि उनकी लज्जा चिरस्थाई हो गई.
וַיַּךְ־צָרָיו אָחוֹר חֶרְפַּת עוֹלָם נָתַן לָֽמוֹ׃
67 तब परमेश्वर ने योसेफ़ के मण्डपों को अस्वीकार कर दिया, उन्होंने एफ्राईम के गोत्र को नहीं चुना;
וַיִּמְאַס בְּאֹהֶל יוֹסֵף וּֽבְשֵׁבֶט אֶפְרַיִם לֹא בָחָֽר׃
68 किंतु उन्होंने यहूदाह गोत्र को चुन लिया, अपने प्रिय ज़ियोन पर्वत को.
וַיִּבְחַר אֶת־שֵׁבֶט יְהוּדָה אֶֽת־הַר צִיּוֹן אֲשֶׁר אָהֵֽב׃
69 परमेश्वर ने अपना पवित्र आवास उच्च पर्वत जैसा निर्मित किया, पृथ्वी-सा चिरस्थाई.
וַיִּבֶן כְּמוֹ־רָמִים מִקְדָּשׁוֹ כְּאֶרֶץ יְסָדָהּ לְעוֹלָֽם׃
70 उन्होंने अपने सेवक दावीद को चुन लिया, इसके लिए उन्होंने उन्हें भेड़शाला से बाहर निकाल लाया;
וַיִּבְחַר בְּדָוִד עַבְדּוֹ וַיִּקָּחֵהוּ מִֽמִּכְלְאֹת צֹֽאן׃
71 भेड़ों के चरवाहे से उन्हें लेकर परमेश्वर ने उन्हें अपनी प्रजा याकोब का रखवाला बना दिया, इस्राएल का, जो उनके निज भाग हैं.
מֵאַחַר עָלוֹת הֱבִיאוֹ לִרְעוֹת בְּיַֽעֲקֹב עַמּוֹ וּבְיִשְׂרָאֵל נַחֲלָתֽוֹ׃
72 दावीद उनकी देखभाल हृदय की सच्चाई में करते रहे; उनके कुशल हाथों ने उनकी अगुवाई की.
וַיִּרְעֵם כְּתֹם לְבָבוֹ וּבִתְבוּנוֹת כַּפָּיו יַנְחֵֽם׃

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