< भजन संहिता 78 >

1 आसफ का मसकील मेरी प्रजा, मेरी शिक्षा पर ध्यान दो; जो शिक्षा मैं दे रहा हूं उसे ध्यान से सुनो.
আসফের মস্কীল। হে আমার লোকসকল, আমার উপদেশ শোনো; আমার মুখের বাক্যে কর্ণপাত করো।
2 मैं अपनी शिक्षा दृष्टान्तों में दूंगा; मैं पूर्वकाल से गोपनीय रखी गई बातों को प्रकाशित करूंगा—
আমি দৃষ্টান্তের মাধ্যমে আমার মুখ খুলব; আমি পূর্বকালের গুপ্ত শিক্ষার কথা উচ্চারণ করব—
3 वे बातें जो हम सुन चुके थे, जो हमें मालूम थीं, वे बातें, जो हमने अपने पूर्वजों से प्राप्‍त की थीं.
যা আমরা শুনেছি আর জেনেছি, সেসব আমাদের পূর্বপুরুষরা আমাদের বলেছেন।
4 याहवेह द्वारा किए गए स्तुत्य कार्य, जो उनके सामर्थ्य के अद्भुत कार्य हैं, इन्हें हम इनकी संतानों से गुप्‍त नहीं रखेंगे; उनका लिखा भावी पीढ़ी तक किया जायेगा.
তাঁদের বংশধরদের কাছে আমরা সেসব লুকিয়ে রাখব না; আমরা আগামী প্রজন্মের কাছে সদাপ্রভুর প্রশংসনীয় কাজের কথা বলব, তাঁর পরাক্রম, আর তাঁর আশ্চর্য কাজ।
5 प्रभु ने याकोब के लिए नियम स्थापित किया तथा इस्राएल में व्यवस्था स्थापित कर दिया, इनके संबंध में परमेश्वर का आदेश था कि हमारे पूर्वज अगली पीढ़ी को इनकी शिक्षा दें,
তিনি যাকোবের জন্য বিধি দিয়েছিলেন আর তিনি তাঁর আইন ইস্রায়েলে প্রতিষ্ঠা করেছিলেন, যা তিনি আমাদের পূর্বপুরুষদের আদেশ দিয়েছিলেন তাঁদের ছেলেমেয়েদের শিক্ষা দেওয়ার জন্য,
6 कि आगामी पीढ़ी इनसे परिचित हो जाए, यहां तक कि वे बालक भी, जिनका अभी जन्म भी नहीं हुआ है, कि अपने समय में वे भी अपनी अगली पीढ़ी तक इन्हें बताते जाए.
যেন পরবর্তী প্রজন্ম সেগুলি জানতে পারে, এমনকি তারাও পারে যাদের জন্ম হয়নি, এবং তারা যেন পরে নিজের নিজের ছেলেমেয়েদের বলতে পারে।
7 तब वे परमेश्वर में अपना भरोसा स्थापित करेंगे और वे परमेश्वर के महाकार्य भूल न सकेंगे, तथा उनके आदेशों का पालन करेंगे.
তখন তারা ঈশ্বরে আস্থা রাখবে আর তাঁর কার্যাবলি ভুলে যাবে না কিন্তু তাঁর আজ্ঞাসকল পালন করবে।
8 तब उनका आचरण उनके पूर्वजों के समान न रहेगा, जो हठी और हठीली पीढ़ी प्रमाणित हुई, जिनका हृदय परमेश्वर को समर्पित न था, उनकी आत्माएं उनके प्रति सच्ची नहीं थीं.
তারা তাদের পূর্বপুরুষদের মতো হবে না— একগুঁয়ে এবং বিদ্রোহী এক প্রজন্ম, যাদের হৃদয় ঈশ্বরের প্রতি অনুগত ছিল না, যাদের আত্মা তাঁর প্রতি বিশ্বস্ত ছিল না।
9 एफ्राईम के सैनिक यद्यपि धनुष से सुसज्जित थे, युद्ध के दिन वे फिरकर भाग गए;
ইফ্রয়িম বংশের যোদ্ধারা, যদিও ধনুকে সজ্জিত, যুদ্ধের দিনে পিছু ফিরল;
10 उन्होंने परमेश्वर से स्थापित वाचा को भंग कर दिया, उन्होंने उनकी व्यवस्था की अधीनता भी अस्वीकार कर दी.
তারা ঈশ্বরের নিয়ম রক্ষা করল না আর তাঁর আইন অনুসারে বাঁচতে অস্বীকার করল।
11 परमेश्वर द्वारा किए गए महाकार्य, वे समस्त आश्चर्य कार्य, जो उन्हें प्रदर्शित किए गए थे, वे भूल गए.
তারা ভুলে গেল যে তিনি কী করেছিলেন, যে আশ্চর্য কাজগুলি তিনি তাদের দেখিয়েছিলেন।
12 ये आश्चर्यकर्म परमेश्वर ने उनके पूर्वजों के देखते उनके सामने किए थे, ये सब मिस्र देश तथा ज़ोअन क्षेत्र में किए गए थे.
মিশর দেশে, আর সোয়নের অঞ্চলে, তাদের পূর্বপুরুষদের দৃষ্টিতে তিনি অলৌকিক কাজ করেছিলেন।
13 परमेश्वर ने समुद्र जल को विभक्त कर दिया और इसमें उनके लिए मार्ग निर्मित किया; इसके लिए परमेश्वर ने समुद्र जल को दीवार समान खड़ा कर दिया.
তিনি সমুদ্র ভাগ করেছিলেন আর তাদেরকে মাঝখান দিয়ে এগিয়ে নিয়ে গেলেন; প্রাচীরের মতো তিনি জলকে দাঁড় করালেন।
14 परमेश्वर दिन के समय उनकी अगुवाई बादल के द्वारा तथा संपूर्ण रात्रि में अग्निप्रकाश के द्वारा करते रहे.
তিনি দিনে তাদের মেঘ আর রাতে আগুনের আলো দ্বারা পথ দেখালেন।
15 परमेश्वर ने बंजर भूमि में चट्टानों को फाड़कर उन्हें इतना जल प्रदान किया, जितना जल समुद्र में होता है;
তিনি মরুপ্রান্তরে শৈল বিভক্ত করলেন আর সমুদ্রের মতো অফুরন্ত জল দিলেন;
16 उन्होंने चट्टान में से जलधाराएं प्रवाहित कर दीं, कि जल नदी समान प्रवाहित हो चला.
শৈল থেকে তিনি জলস্রোত নির্গত করলেন আর নদীর মতো জল প্রবাহিত করলেন।
17 यह सब होने पर भी वे परमेश्वर के विरुद्ध पाप करते ही रहे, बंजर भूमि में उन्होंने सर्वोच्च परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह किया.
কিন্তু তারা তাঁর বিরুদ্ধে পাপ করেই গেল, মরুপ্রান্তরে পরাৎপরের প্রতি বিদ্রোহ করল।
18 जिस भोजन के लिए वे लालायित थे, उसके लिए हठ करके उन्होंने मन ही मन परमेश्वर की परीक्षा ली.
তাদের আকাঙ্ক্ষিত খাদ্য দাবি করে তারা ইচ্ছাকৃতভাবে ঈশ্বরের পরীক্ষা করল।
19 वे यह कहते हुए परमेश्वर की निंदा करते रहे; “क्या परमेश्वर बंजर भूमि में भी हमें भोजन परोस सकते हैं?
তারা ঈশ্বরের বিরুদ্ধে কথা বলল; তারা বলল, “ঈশ্বর কি সত্যিই মরুপ্রান্তরে মেজ সাজাতে পারেন?
20 जब उन्होंने चट्टान पर प्रहार किया तो जल-स्रोत फूट पड़े तथा विपुल जलधाराएं बहने लगीं; किंतु क्या वह हमें भोजन भी दे सकते हैं? क्या वह संपूर्ण प्रजा के लिए मांस भोजन का भी प्रबंध कर सकते हैं?”
সত্যিই, তিনি শৈলকে আঘাত করলেন, আর জল বেরিয়ে এল, বিপুল জলস্রোত প্রবাহিত হল, কিন্তু তিনি কি আমাদের রুটি দিতে পারেন? তিনি কি তাঁর লোকেদের খাবার জন্য মাংস দিতে পারেন?”
21 यह सुन याहवेह अत्यंत उदास हो गए; याकोब के विरुद्ध उनकी अग्नि भड़क उठी, उनका क्रोध इस्राएल के विरुद्ध भड़क उठा,
যখন সদাপ্রভু তাদের কথা শুনলেন তিনি রাগে অগ্নিশর্মা হলেন; যাকোবের বিরুদ্ধে তাঁর আগুন জ্বলে উঠল, আর তাঁর ক্রোধ ইস্রায়েলের বিরুদ্ধে প্রজ্জ্বলিত হল,
22 क्योंकि उन्होंने न तो परमेश्वर में विश्वास किया और न उनके उद्धार पर भरोसा किया.
কেননা তারা ঈশ্বরে বিশ্বাস করেনি এবং তাঁর উদ্ধারে আস্থা রাখেনি।
23 यह होने पर भी उन्होंने आकाश को आदेश दिया और स्वर्ग के झरोखे खोल दिए;
তবুও তিনি উপরের আকাশকে আজ্ঞা দিলেন এবং স্বর্গের দরজা খুলে দিলেন;
24 उन्होंने उनके भोजन के लिए मन्‍ना वृष्टि की, उन्होंने उन्हें स्वर्गिक अन्‍न प्रदान किया.
লোকেদের খাদ্যের জন্য তিনি বৃষ্টির মতো মান্না নিয়ে এলেন, তিনি তাদের স্বর্গের শস্য দিলেন।
25 मनुष्य वह भोजन कर रहे थे, जो स्वर्गदूतों के लिए निर्धारित था; परमेश्वर ने उन्हें भरपेट भोजन प्रदान किया.
মানুষ দূতদের রুটি খেল; তারা যত খেতে পারে সেইমতো তিনি তাদের খাদ্য পাঠালেন।
26 स्वर्ग से उन्होंने पूर्वी हवा प्रवाहित की, अपने सामर्थ्य में उन्होंने दक्षिणी हवा भी प्रवाहित की.
তিনি পূবের বাতাস স্বর্গ থেকে পাঠালেন আর তাঁর পরাক্রমে দক্ষিণের বাতাস প্রবাহিত করলেন।
27 उन्होंने उनके लिए मांस की ऐसी वृष्टि की, मानो वह धूलि मात्र हो, पक्षी ऐसे उड़ रहे थे, जैसे सागर तट पर रेत कण उड़ते हैं.
তিনি ধুলোর মতো মাংস বৃষ্টি করলেন, আর সমুদ্রতীরে বালির মতো পাখি দিলেন।
28 परमेश्वर ने पक्षियों को उनके मण्डपों में घुस जाने के लिए बाध्य कर दिया, वे मंडप के चारों ओर छाए हुए थे.
তাদের শিবিরের মধ্যে, আর তাদের তাঁবুর চারপাশে নামিয়ে আনলেন।
29 उन्होंने तृप्‍त होने के बाद भी इन्हें खाया. परमेश्वर ने उन्हें वही प्रदान कर दिया था, जिसकी उन्होंने कामना की थी.
তারা গলা পর্যন্ত খাবার খেয়ে তৃপ্ত হল— তাদের আকাঙ্ক্ষা তিনি পূর্ণ করলেন।
30 किंतु इसके पूर्व कि वे अपने कामना किए भोजन से तृप्‍त होते, जब भोजन उनके मुख में ही था,
কিন্তু তারা আকাঙ্ক্ষিত খাদ্য খেয়ে শেষ করার আগেই, এমনকি যখন খাবার তাদের মুখেই ছিল,
31 परमेश्वर का रोष उन पर भड़क उठा; परमेश्वर ने उनके सबसे सशक्तों को मिटा डाला, उन्होंने इस्राएल के युवाओं को मिटा डाला.
ঈশ্বরের ক্রোধ তাদের বিরুদ্ধে জ্বলে উঠল; তাদের মধ্যে সবচেয়ে শক্তপোক্ত লোকদেরও তিনি হত্যা করলেন, ইস্রায়েলের যুবকদের আঘাত করলেন।
32 इतना सब होने पर भी वे पाप से दूर न हुए; समस्त आश्चर्य कार्यों को देखने के बाद भी उन्होंने विश्वास नहीं किया.
এসব কিছু দেখেও, তারা পাপ করতেই থাকল; তাঁর আশ্চর্য কাজ সত্ত্বেও, তারা বিশ্বাস করল না।
33 तब परमेश्वर ने उनके दिन व्यर्थता में तथा उनके वर्ष आतंक में समाप्‍त कर दिए.
তাই তিনি তাদের আয়ু ব্যর্থতায় আর তাদের বছর আতঙ্কে শেষ করলেন।
34 जब कभी परमेश्वर ने उनमें से किसी को मारा, वे बाकी परमेश्वर को खोजने लगे; वे दौड़कर परमेश्वर की ओर लौट गये.
যখনই ঈশ্বর তাদের নাশ করতেন, তারা তাঁর অন্বেষণ করত; তারা অনুতাপ করল আর পুনরায় ঈশ্বরের দিকে ফিরল।
35 उन्हें यह स्मरण आया कि परमेश्वर उनके लिए चट्टान हैं, उन्हें यह स्मरण आया कि सर्वोच्च परमेश्वर उनके उद्धारक हैं.
তারা মনে রাখল যে ঈশ্বর তাদের শৈল, যে পরাৎপর ঈশ্বর তাদের মুক্তিদাতা।
36 किंतु उन्होंने अपने मुख से परमेश्वर की चापलूसी की, अपनी जीभ से उन्होंने उनसे झूठाचार किया;
কিন্তু তারা তাদের মুখ দিয়ে তাঁকে তোষামোদ করল, তাদের জিভ দিয়ে তাঁর প্রতি মিথ্যা কথা বলল;
37 उनके हृदय में सच्चाई नहीं थी, वे उनके साथ बांधी गई वाचा के प्रतिनिष्ठ न रहे.
তাদের হৃদয় তাঁর প্রতি অনুগত ছিল না, তাঁর নিয়মের প্রতি তারা বিশ্বস্ত ছিল না।
38 फिर भी परमेश्वर उनके प्रति कृपालु बने रहे; परमेश्वर ही ने उनके अपराधों को क्षमा कर दिया और उनका विनाश न होने दिया. बार-बार वह अपने कोप पर नियंत्रण करते रहे और उन्होंने अपने समग्र प्रकोप को प्रगट न होने दिया.
তবুও তিনি কৃপাময় ছিলেন; তিনি তাদের অপরাধ ক্ষমা করলেন এবং তাদের ধ্বংস করলেন না। অনেকবার তিনি তাঁর রাগ সংযত করলেন তাঁর সম্পূর্ণ ক্রোধ জাগিয়ে তুললেন না।
39 परमेश्वर को यह स्मरण रहा कि वे मात्र मनुष्य ही हैं—पवन के समान, जो बहने के बाद लौटकर नहीं आता.
তিনি মনে রাখলেন যে তারা মাংসমাত্র, বায়ুর মতো, যা বয়ে গেলে আর ফিরে আসে না।
40 बंजर भूमि में कितनी ही बार उन्होंने परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह किया, कितनी ही बार उन्होंने उजाड़ भूमि में उन्हें उदास किया!
তারা মরুপ্রান্তরে কতবার তাঁর বিরুদ্ধে বিদ্রোহ করল আর পতিত জমিতে তাঁকে শোকাহত করল!
41 बार-बार वे परीक्षा लेकर परमेश्वर को उकसाते रहे; वे इस्राएल के पवित्र परमेश्वर को क्रोधित करते रहे.
বারবার তারা ঈশ্বরকে পরীক্ষায় ফেলল; তারা ইস্রায়েলের পবিত্রজনকে উত্ত্যক্ত করল।
42 वे परमेश्वर की सामर्थ्य को भूल गए, जब परमेश्वर ने उन्हें अत्याचारी की अधीनता से छुड़ा लिया था.
তারা তাঁর পরাক্রম মনে রাখল না— যেদিন তিনি তাদের অত্যাচারীদের হাত থেকে মুক্ত করলেন,
43 जब परमेश्वर ने मिस्र देश में चमत्कार चिन्ह प्रदर्शित किए, जब ज़ोअन प्रदेश में आश्चर्य कार्य किए थे.
যেদিন মিশরে তিনি তাঁর চিহ্নগুলি, সোয়নের অঞ্চলে তাঁর আশ্চর্য কাজগুলি দেখালেন।
44 परमेश्वर ने नदी को रक्त में बदल दिया; वे जलधाराओं से जल पीने में असमर्थ हो गए.
তিনি তাদের নদীগুলি রক্তে পরিণত করলেন; তাদের জলস্রোত থেকে তারা পান করতে পারল না।
45 परमेश्वर ने उन पर कुटकी के समूह भेजे, जो उन्हें निगल गए. मेंढकों ने वहां विध्वंस कर डाला.
তিনি ঝাঁকে ঝাঁকে মাছি পাঠালেন যা তাদের গ্রাস করল, আর ব্যাঙদের পাঠালেন যা তাদের বিধ্বস্ত করল।
46 परमेश्वर ने उनकी उपज हासिल टिड्डों को, तथा उनके उत्पाद अरबेह टिड्डियों को सौंप दिए.
তিনি তাদের শস্য ফড়িংদের দিলেন, তাদের ফসল পঙ্গপালদের দিলেন।
47 उनकी द्राक्षा उपज ओलों से नष्ट कर दी गई, तथा उनके गूलर-अंजीर पाले में नष्ट हो गए.
তিনি তাদের দ্রাক্ষালতা শিলা দিয়ে নষ্ট করলেন আর তাদের ডুমুর গাছ শিলাবৃষ্টি দিয়ে ধ্বংস করলেন।
48 उनका पशु धन भी ओलों द्वारा नष्ट कर दिया गया, तथा उनकी भेड़-बकरियों को बिजलियों द्वारा.
তিনি তাদের গবাদি পশুদের শিলার কাছে, আর তাদের গৃহপালিত পশুপালকে বজ্রবিদ্যুতের কাছে সমর্পণ করলেন।
49 परमेश्वर का उत्तप्‍त क्रोध, प्रकोप तथा आक्रोश उन पर टूट पड़ा, ये सभी उनके विनाशक दूत थे.
তিনি তাদের বিরুদ্ধে তাঁর প্রচণ্ড রাগ পাঠালেন, তাঁর ক্রোধ, উন্মাদনা এবং শত্রুতা— ধ্বংসকারী দূতের একদল।
50 परमेश्वर ने अपने प्रकोप का पथ तैयार किया था; उन्होंने उन्हें मृत्यु से सुरक्षा प्रदान नहीं की परंतु उन्हें महामारी को सौंप दिया.
তিনি তাঁর ক্রোধ তাদের বিরুদ্ধে নিক্ষেপ করলেন; মৃত্যু থেকে তিনি তাদের বাঁচালেন না কিন্তু মহামারির হাতে তুলে দিলেন।
51 मिस्र के सभी पहलौठों को परमेश्वर ने हत्या कर दी, हाम के मण्डपों में पौरुष के प्रथम फलों का.
তিনি মিশরের সব প্রথমজাতকে আঘাত করলেন, হামের তাঁবুতে পুরুষত্বের প্রথম ফলকে।
52 किंतु उन्होंने भेड़ के झुंड के समान अपनी प्रजा को बचाया; बंजर भूमि में वह भेड़ का झुंड के समान उनकी अगुवाई करते रहे.
কিন্তু তিনি মেষপালের মতো তাঁর প্রজাদের বের করে আনলেন; মরুপ্রান্তরে মেষের মতো তিনি তাদের পরিচালনা করলেন।
53 उनकी अगुवाई ने उन्हें सुरक्षा प्रदान की, फलस्वरूप वे अभय आगे बढ़ते गए; जबकि उनके शत्रुओं को समुद्र ने समेट लिया.
তিনি তাদের সুরক্ষিতভাবে পথ দেখালেন, তাই তারা ভীত হল না; কিন্তু সমুদ্র তাদের শত্রুদের ঘিরে ফেলল।
54 यह सब करते हुए परमेश्वर उन्हें अपनी पवित्र भूमि की सीमा तक, उस पर्वतीय भूमि तक ले आए जिस पर उनके दायें हाथ ने अपने अधीन किया था.
আর তিনি তাঁর নিজের পবিত্র সীমায় নিয়ে এলেন, পাহাড়ের সেই দেশে যেখানে তাঁর ডান হাত তাদের নিয়ে গিয়েছিল।
55 तब उन्होंने जनताओं को वहां से काटकर अलग कर दिया और उनकी भूमि अपनी प्रजा में भाग स्वरूप बाट दिया; इस्राएल के समस्त गोत्रों को उनके आवास प्रदान करके उन्हें वहां बसा दिया.
তিনি তাদের সামনে সমস্ত জাতিকে তাড়িয়ে দিলেন আর তাদের জমি ইস্রায়েলীদের মধ্যে অধিকারস্বরূপ ভাগ করে দিলেন; ইস্রায়েলের গোষ্ঠীদের তাদের গৃহে বসবাস করতে দিলেন।
56 इतना सब होने के बाद भी उन्होंने परमेश्वर की परीक्षा ली, उन्होंने सर्वोच्च परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह किया; उन्होंने परमेश्वर की आज्ञाओं को भंग कर दिया.
কিন্তু তারা ঈশ্বরকে পরীক্ষা করেই চলল আর পরাৎপরের বিরুদ্ধে বিদ্রোহ করল; তাঁর বিধিবিধান তারা পালন করল না।
57 अपने पूर्वजों के जैसे वे भी अकृतज्ञ तथा विश्वासघाती हो गए; वैसे ही अयोग्य, जैसा एक दोषपूर्ण धनुष होता है.
তাদের পূর্বপুরুষদের মতো তারা ছিল বিশ্বাসঘাতক আর বিশ্বাসহীন, ত্রুটিযুক্ত ধনুকের মতো অনির্ভরযোগ্য।
58 उन्होंने देवताओं के लिए निर्मित वेदियों के द्वारा परमेश्वर के क्रोध को भड़काया है; उन प्रतिमाओं ने परमेश्वर में डाह भाव उत्तेजित किया.
তাদের উঁচু পীঠস্থানগুলি দিয়ে তারা তাঁকে রাগিয়ে তুলল; তাদের প্রতিমা দিয়ে তাঁর ঈর্ষা জাগ্রত করল।
59 उन्हें सुन परमेश्वर को अत्यंत झुंझलाहट सी हो गई; उन्होंने इस्राएल को पूर्णतः छोड़ दिया.
ঈশ্বর সেসব শুনে অগ্নিশর্মা হলেন; তিনি ইস্রায়েলকে সম্পূর্ণ পরিত্যাগ করলেন।
60 उन्होंने शीलो के निवास-मंडप का परित्याग कर दिया, जिसे उन्होंने मनुष्य के मध्य बसा दिया था.
তিনি শীলোতে সমাগম তাঁবু পরিত্যাগ করলেন, সেই তাঁবু যা তিনি মানুষদের মধ্যে স্থাপন করেছিলেন।
61 परमेश्वर ने अपने सामर्थ्य के संदूक को बन्दीत्व में भेज दिया, उनका वैभव शत्रुओं के वश में हो गया.
তিনি তাঁর পরাক্রমের সিন্দুক বন্দিদশায় পাঠালেন, তাঁর শত্রুদের হাতে তাঁর প্রভা।
62 उन्होंने अपनी प्रजा तलवार को भेंट कर दी; अपने ही निज भाग पर वह अत्यंत उदास थे.
তিনি তাঁর প্রজাদের তরোয়ালের কোপে তুলে দিলেন; তিনি তাঁর অধিকারের প্রতি ক্রুদ্ধ হলেন।
63 अग्नि उनके युवाओं को निगल कर गई, उनकी कन्याओं के लिए कोई भी वैवाहिक गीत-संगीत शेष न रह गया.
আগুন তাদের যুবকদের গ্রাস করল, এবং তাদের যুবতীদের বিয়েতে কোনো গান হল না;
64 उनके पुरोहितों का तलवार से वध कर दिया गया, उनकी विधवाएं आंसुओं के लिए असमर्थ हो गईं.
তাদের যাজকদের তরোয়ালে নাশ করা হোলো আর তাদের বিধবারা কাঁদতে পারল না।
65 तब मानो प्रभु की नींद भंग हो गई, कुछ वैसे ही, जैसे कोई वीर दाखमधु की होश से बाहर आ गया हो.
তারপর সদাপ্রভু, ঘুম থেকে জেগে ওঠার মতো, জেগে উঠলেন, যেমন এক যোদ্ধা সুরার অসাড়তা থেকে জেগে ওঠে।
66 परमेश्वर ने अपने शत्रुओं को ऐसे मार भगाया; कि उनकी लज्जा चिरस्थाई हो गई.
তিনি তাঁর শত্রুদের প্রহার করলেন; তাদের চিরস্থায়ী লজ্জার পাত্র করলেন।
67 तब परमेश्वर ने योसेफ़ के मण्डपों को अस्वीकार कर दिया, उन्होंने एफ्राईम के गोत्र को नहीं चुना;
তারপর তিনি যোষেফের তাঁবুগুলি পরিত্যাগ করলেন, তিনি ইফ্রয়িম গোষ্ঠীকে মনোনীত করলেন না;
68 किंतु उन्होंने यहूदाह गोत्र को चुन लिया, अपने प्रिय ज़ियोन पर्वत को.
কিন্তু যিহূদার গোষ্ঠীকে মনোনীত করলেন, সিয়োন পর্বত, যা তিনি ভালোবাসতেন।
69 परमेश्वर ने अपना पवित्र आवास उच्च पर्वत जैसा निर्मित किया, पृथ्वी-सा चिरस्थाई.
উচ্চ শিখরের মতো তাঁর পবিত্রস্থান তিনি নির্মাণ করলেন, জগতের মতো যা তিনি চিরকালের জন্য স্থাপন করেছেন।
70 उन्होंने अपने सेवक दावीद को चुन लिया, इसके लिए उन्होंने उन्हें भेड़शाला से बाहर निकाल लाया;
তিনি তাঁর দাস দাউদকে মনোনীত করলেন আর তাকে মেষের খোঁয়াড় থেকে ডেকে নিলেন;
71 भेड़ों के चरवाहे से उन्हें लेकर परमेश्वर ने उन्हें अपनी प्रजा याकोब का रखवाला बना दिया, इस्राएल का, जो उनके निज भाग हैं.
মেষের পরিচর্যা থেকে তিনি তাকে নিয়ে এলেন আর যাকোব গোষ্ঠীর লোকেদের এবং আপন অধিকার ইস্রায়েলের উপর তাকে পালক করলেন।
72 दावीद उनकी देखभाल हृदय की सच्चाई में करते रहे; उनके कुशल हाथों ने उनकी अगुवाई की.
এবং হৃদয়ের সততায় দাউদ পালকরূপে তাদের যত্ন নিলেন; এবং দক্ষ হাতের সাহায্যে তাদের পরিচালনা করলেন।

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