< भजन संहिता 75 >

1 संगीत निर्देशक के लिये. “अलतशख़ेथ” धुन पर आधारित. आसफ का एक स्तोत्र. एक गीत. हे परमेश्वर, हम आपकी स्तुति करते हैं, हम आपकी स्तुति करते हैं क्योंकि आपका नाम हमारे निकट है; लोग आपके महाकार्य का वर्णन कर रहे हैं.
Au maître chantre. Sur « Ne détruis pas ». Cantique d'Asaph. Nous te louons, ô Dieu, nous te louons: car ton Nom est présent, tous racontent tes merveilles.
2 आपका कथन है, “उपयुक्त समय का निर्धारण मैं करता हूं; निष्पक्ष न्याय भी मेरा ही होता है.
« Quand j'aurai fixé l'époque, je rendrai droite justice:
3 जब भूकंप होता है और पृथ्वी के निवासी भयभीत हो कांप उठते हैं, तब मैं ही हूं, जो पृथ्वी के स्तंभों को दृढतापूर्वक थामे रखता हूं.
la terre tremble avec ceux qui l'habitent: c'est moi qui affermis ses colonnes. (Pause)
4 अहंकारी से मैंने कहा, ‘घमंड न करो,’ और दुष्ट से, ‘अपने सींग ऊंचे न करो,
Je dis donc aux superbes: Ne soyez point superbes! et aux impies: Ne portez point le front haut!
5 स्वर्ग की ओर सींग उठाने का साहस न करना; अपना सिर ऊंचा कर बातें न करना.’”
Ne portez point le front haut, et le col renversé ne parlez point avec audace!
6 न तो पूर्व से, न पश्चिम से और न ही दक्षिण के वन से, कोई किसी मनुष्य को ऊंचा कर सकता है.
Car ce n'est ni du Levant, ni du Couchant, ni du désert, que peut venir la hauteur;
7 मात्र परमेश्वर ही न्याय करते हैं: वह किसी को ऊंचा करते हैं और किसी को नीचा.
mais Dieu est celui qui juge; Il abaisse l'un, et Il élève l'autre.
8 याहवेह के हाथों में एक कटोरा है, उसमें मसालों से मिली उफनती दाखमधु है; वह इसे उण्डेलते हैं और पृथ्वी के समस्त दुष्ट तलछट तक इसका पान करते हैं.
Car un calice est dans la main de l'Éternel, et le vin y écume, il est plein d'un mélange; et Il en verse; Oui, jusqu'à la lie, tous les impies de la terre devront s'en abreuver, en boire.
9 मेरी ओर से सर्वदा यही घोषणा होगी; मैं याकोब के परमेश्वर का गुणगान करूंगा;
Et c'est ce que j'annoncerai incessamment, en célébrant le Dieu de Jacob.
10 आप का, जो कहते हैं, “मैं समस्त दुष्टों के सींग काट डालूंगा, किंतु धर्मियों के सींग ऊंचे किए जाएंगे.”
« Et J'abattrai toutes les têtes des méchants; que les têtes des justes se lèvent! »

< भजन संहिता 75 >