< भजन संहिता 49 >

1 संगीत निर्देशक के लिये. कोराह के पुत्रों की रचना. एक स्तोत्र. विभिन्‍न देशों के निवासियो, यह सुनो; धरती के वासियो, यह सुनो,
Psalmus David, in finem, filiis Core. Audite haec omnes Gentes: auribus percipite omnes, qui habitatis orbem:
2 सुनो अरे उच्च और निम्न, सुनो अरे दीन जनो और अमीरो,
Quique terrigenae, et filii hominum: simul in unum dives et pauper.
3 मैं बुद्धिमानी की बातें करने पर हूं; तथा मेरे हृदय का चिंतन समझ से परिपूर्ण होगा.
Os meum loquetur sapientiam: et meditatio cordis mei prudentiam.
4 मैं नीतिवचन पर ध्यान दूंगा; मैं किन्‍नोर की संगत पर पहेली स्पष्ट करूंगा:
Inclinabo in parabolam aurem meam: aperiam in psalterio propositionem meam.
5 क्या आवश्यकता है विपत्ति के समय मुझे भयभीत होने की, जब दुष्ट धोखेबाज मुझे आ घेरते हैं;
Cur timebo in die mala? iniquitas calcanei mei circumdabit me:
6 हां, वे जिनका भरोसा उनकी संपत्ति पर है, तथा जिन्हें अपनी सम्पन्‍नता का गर्व है?
Qui confidunt in virtute sua: et in multitudine divitiarum suarum gloriantur.
7 कोई भी मनुष्य किसी अन्य मनुष्य के प्राणों का उद्धार नहीं कर सकता, और न ही वह परमेश्वर को किसी के प्राणों के लिए छुड़ौती दे सकता है.
Frater non redimit, redimet homo: non dabit Deo placationem suam.
8 क्योंकि उसके प्राणों का मूल्य अत्यंत ऊंचा है, कि कोई मूल्य पर्याप्‍त नहीं है,
Et pretium redemptionis animae suae: et laborabit in aeternum,
9 कि मनुष्य सर्वदा जीवित रहे, वह कभी कब्र का अनुभव न करे.
et vivet adhuc in finem.
10 सभी के सामने यह स्पष्ट है, कि सभी बुद्धिमानो की भी मृत्यु होती है; वैसे ही मूर्खों और अज्ञानियों की भी, ये सभी अपनी संपत्ति दूसरों के लिए छोड़ जाते हैं.
Non videbit interitum, cum viderit sapientes morientes: simul insipiens, et stultus peribunt. Et relinquent alienis divitias suas:
11 उनकी आत्मा में उनका विचार है, कि उनके आवास अमर हैं, तथा उनके निवास सभी पीढ़ियों के लिए हो गए हैं, वे तो अपने देशों को भी अपने नाम से पुकारने लगे हैं.
et sepulchra eorum domus illorum in aeternum. Tabernacula eorum in progenie, et progenie: vocaverunt nomina sua in terris suis.
12 अपने ऐश्वर्य के बावजूद मनुष्य अमरत्व प्राप्‍त नहीं कर सकता; वह तो फिर भी नश्वर पशु समान ही है.
Et homo, cum in honore esset, non intellexit: comparatus est iumentis insipientibus, et similis factus est illis.
13 यह नियति उनकी है, जो बुद्धिहीन हैं तथा उनकी, जो उनके विचारों से सहमत होते हैं.
Haec via illorum scandalum ipsis: et postea in ore suo complacebunt.
14 भेड़ों के समान अधोलोक ही उनकी नियति है; मृत्यु ही उनका चरवाहा होगा. प्रातःकाल सीधे लोग उन पर शासन करेंगे तथा उनकी देह अधोलोक की ग्रास हो जाएंगी, परिणामस्वरूप उनका कोई आधार शेष न रह जाएगा. (Sheol h7585)
Sicut oves in inferno positi sunt: mors depascet eos. Et dominabuntur eorum iusti in matutino: et auxilium eorum veterascet in inferno a gloria eorum. (Sheol h7585)
15 मेरे प्राण परमेश्वर द्वारा अधोलोक की सामर्थ्य से मुक्त किए जाएंगे; निश्चयतः वह मुझे स्वीकार कर लेंगे. (Sheol h7585)
Verumtamen Deus redimet animam meam de manu inferi, cum acceperit me. (Sheol h7585)
16 किसी पुरुष की विकसित होती जा रही समृद्धि को देख डर न जाना, जब उसकी जीवनशैली वैभवशाली होने लगे;
Ne timueris cum dives factus fuerit homo: et cum multiplicata fuerit gloria domus eius.
17 क्योंकि मृत्यु होने पर वह इनमें से कुछ भी अपने साथ नहीं ले जाएगा, उसका वैभव उसके साथ कब्र में नहीं उतरेगा.
Quoniam cum interierit, non sumet omnia: neque descendet cum eo gloria eius.
18 यद्यपि जब वह जीवित था, उसने प्रशंसा ही प्राप्‍त की, क्योंकि मनुष्य समृद्ध होने पर उनकी प्रशंसा करते ही हैं,
Quia anima eius in vita ipsius benedicetur: confitebitur tibi cum benefeceris ei.
19 वह पुरुष अंततः अपने पूर्वजों में ही जा मिलेगा, जिनके लिए जीवन प्रकाश देखना नियत नहीं है.
Introibit usque in progenies patrum suorum: et usque in aeternum non videbit lumen.
20 एक धनवान मनुष्य को सुबुद्धि खो गया है, तो उसमें और उस नाशमान पशु में कोई अंतर नहीं रह गया!
Homo, cum in honore esset, non intellexit: comparatus est iumentis insipientibus, et similis factus est illis.

< भजन संहिता 49 >