< भजन संहिता 34 >
1 दावीद की रचना. जब दावीद ने राजा अबीमेलेक के सामने पागल होने का स्वांग रचा था और अबीमेलेक ने उन्हें बाहर निकाल दिया जिससे वह वहां से पलायन कर सके थे. हर एक स्थिति में मैं याहवेह को योग्य कहता रहूंगा; मेरे होंठों पर उनकी स्तुति-प्रशंसा के उद्गार सदैव ही बने रहेंगे.
De David, lorsqu'il se contrefit devant Abimélech, et qu'ayant été chassé par lui, il s'enfuit. Je bénirai l'Éternel en tout temps, toujours sa louange sera dans ma bouche.
2 मेरी आत्मा याहवेह में गर्व करती है; पीड़ित यह सुनें और उल्लसित हों.
Que de l'Éternel mon âme se glorifie! Que les malheureux l'entendent et se réjouissent!
3 मेरे साथ याहवेह का गुणगान करो; हम सब मिलकर याहवेह की महिमा को ऊंचा करें.
Magnifiez l'Éternel avec moi! Exaltons son nom tous ensemble!
4 मैंने याहवेह से प्रार्थना की और उन्होंने प्रत्युत्तर दिया; उन्होंने मुझे सब प्रकार के भय से मुक्त किया.
Je cherchai l'Éternel, et Il me répondit, et de toutes mes terreurs Il me délivra.
5 जिन्होंने उनसे अपेक्षा की, वे उल्लसित ही हुए; इसमें उन्हें कभी लज्जित न होना पड़ा.
Qui regarde vers lui en est rendu serein, et la honte ne couvre pas son front.
6 इस दुःखी पुरुष ने सहायता के लिए पुकारा और याहवेह ने प्रत्युत्तर दिया; उन्होंने उसे उसके समस्त संकटों से छुड़ा लिया है.
Ce malheureux a prié, et l'Éternel a exaucé, et de toutes ses angoisses Il l'a délivré.
7 याहवेह का दूत उनके श्रद्धालुओं के चारों ओर उनकी चौकसी करता रहता है और उनको बचाता है.
L'ange de l'Etemel campe près de ceux qui Le craignent, et les sauve.
8 स्वयं चखकर देख लो कि कितने भले हैं याहवेह; कैसा धन्य है वे, जो उनका आश्रय लेते हैं.
Sentez et voyez comme l'Éternel est bon! Heureux l'homme qui se confie en lui!
9 सभी भक्तो, याहवेह के प्रति श्रद्धा रखो. जो उन पर श्रद्धा रखते हैं, उन्हें कोई भी घटी नहीं होती.
Craignez l'Éternel, vous ses saints, car rien ne manque à ceux qui le craignent.
10 युवा सिंह दुर्बल हो सकते हैं और वे भूखे भी रह जाते हैं, किंतु जो याहवेह के खोजी हैं, उन्हें किसी उपयुक्त वस्तु की घटी नहीं होगी.
Les lions connaissent la disette et la faim; mais ceux qui cherchent l'Éternel, n'ont disette d'aucun bien.
11 मेरे बालको, निकट आकर ध्यान से सुनो; मैं तुम्हें याहवेह के प्रति श्रद्धा सिखाऊंगा.
Venez, mes fils! écoutez-moi! Dans la crainte de l'Éternel je veux vous instruire.
12 तुममें से जिस किसी को जीवन के मूल्य का बोध है और जिसे सुखद दीर्घायु की आकांक्षा है,
Qui que tu sois qui aimes la vie, qui souhaites des années pour goûter le bonheur,
13 वह अपनी जीभ को बुरा बोलने से तथा अपने होंठों को झूठ से मुक्त रखे;
garde ta langue de la méchanceté, et tes lèvres des discours trompeurs;
14 बुराई में रुचि लेना छोड़कर परोपकार करे; मेल-मिलाप का यत्न करे और इसी के लिए पीछा करे.
fuis le mal, et fais le bien, cherche la paix, et la poursuis.
15 क्योंकि याहवेह की दृष्टि धर्मियों पर तथा उनके कान उनकी विनती पर लगे रहते हैं,
Les yeux de l'Éternel sont fixés sur les justes, et ses oreilles ouvertes à leurs cris.
16 परंतु याहवेह बुराई करनेवालों से दूर रहते हैं; कि उनका नाम ही पृथ्वी से मिटा डालें.
L'Éternel se retourne contre le méchant, pour extirper de la terre sa mémoire.
17 धर्मी की पुकार को याहवेह अवश्य सुनते हैं; वह उन्हें उनके संकट से छुड़ाते हैं.
Ils crient, et l'Éternel exauce, et de toutes leurs angoisses Il les délivre.
18 याहवेह टूटे हृदय के निकट होते हैं, वह उन्हें छुड़ा लेते हैं, जो आत्मा में पीसे हुए है.
L'Éternel est près des cœurs brisés, et Il est secourable aux esprits froissés.
19 यह संभव है कि धर्मी पर अनेक-अनेक विपत्तियां आ पड़ें, किंतु याहवेह उसे उन सभी से बचा लेते हैं;
Les maux du juste sont nombreux; mais de tous l'Éternel le délivre,
20 वह उसकी हर एक हड्डी को सुरक्षित रखते हैं, उनमें से एक भी नहीं टूटती.
Il garde tous ses os, pas un d'eux n'est brisé. L'adversité tue l'impie,
21 दुष्टता ही दुष्ट की मृत्यु का कारण होती है; धर्मी के शत्रु दंडित किए जाएंगे.
et les ennemis du juste portent leur peine.
22 याहवेह अपने सेवकों को छुड़ा लेते हैं; जो कोई उनमें आश्रय लेता है, वह दोषी घोषित नहीं किया जाएगा.
L'Éternel rachète la vie de ses serviteurs, et tous ceux qui mettent en lui leur confiance, ne portent nulle peine.